धमतरी

आयुष्मान का पैसा बकाया, कर्ज में लदे अस्पताल संचालक
11-Feb-2024 2:46 PM
आयुष्मान का पैसा बकाया, कर्ज  में लदे अस्पताल संचालक

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरुद, 11 फरवरी।
आयुष्मान योजना का पैसा नहीं मिलने से नर्सिंग होम संचालकों में नाराजगी है। बताया गया कि प्रदेशभर के निजी अस्पताल संचालकों का करीब एक हजार करोड़ रूपए बकाया है। कुछ जगह मरीजों को निशुल्क स्वास्थ्य योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस सिलसिले में कुछ नर्सिंग होम संचालकों ने कलेक्टर से मिलकर अपनी समस्याओं से अवगत भी कराया है। 

धमतरी जिले में 15 से भी ज्यादा प्राइवेट नर्सिंग होम केंद्र और राज्य सरकार के सम्मिलित योगदान से चलने वाली आयुष्मान योजना के तहत मरीजों को निशुल्क स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर रहे हैं। जिसके एवज में सरकार उपचार की एक निर्धारित धनराशि प्राइवेट अस्पताल को एक महीने के भीतर प्रदान करती है। जिससे  प्राइवेट हॉस्पिटल बिल्डिंग किराया, बिजली बिल, स्टाफ  सैलरी, ईपीएफ, उपचार में प्रयुक्त दवाइयां, सर्जरी इंप्लांट और सर्जिकल सामग्री आदि का खर्च चलाते हैं। लेकिन विगत 6 महीने से संबंधित बीमा कंपनी एवं टीपीए द्वारा किसी भी अस्पताल को किए गए उपचार का भुगतान नहीं किया है। धन के अभाव में प्राइवेट अस्पताल संचालकों के समक्ष बिलों के भुगतान का संकट खड़ा हो गया है।  

ज्यादातर नर्सिंग होम संचालक अपने दिन प्रतिदिन के खर्चों के लिए बैंकों से पर्सनल लोन लेकर काम चला रहे हैं। इन सब संकटों के बावजूद अभी भी नर्सिंग होम संचालक  मरीजों को निशुल्क स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करा रहें हैं। जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो जिले में निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं बंद हो सकती है। डीसीएच, एकता हॉस्पिटल, उपाध्यक्ष नर्सिंग होम, लुंकड़ हॉस्पिटल, चटर्जी हॉस्पिटल, ओजस्वी हॉस्पिटल, प्रदीप हॉस्पिटल, श्रीराम हॉस्पिटल, खालसा हॉस्पिटल, धमतरी हॉस्पिटल, रामेश्वरम हॉस्पिटल, सिद्धिविनायक हॉस्पिटल, सिटी हॉस्पिटल के संचालकों ने गत दिनों इस आशय का पत्र धमतरी कलेक्टर  ऑफिस में दिया ताकि नर्सिंग होम संचालकों की स्थिति से स्वास्थ्य मंत्री को अवगत करा समस्या का त्वरित समाधान निकाला जा सके। कुरुद प्रदीप हॉस्पिटल के संचालक एवं आईएमए धमतरी अध्यक्ष डॉ प्रदीप साहू, डॉ संदीप पटौदा, डॉ स्मिथ कुमार, डॉ अभिषेक लाज, डॉ रोशन उपाध्याय, डॉ. प्रीति साहू आदि चिकित्सकों ने बताया कि भुगतान में विलंब की समस्या धमतरी जिले में ही नहीं यह स्थिति छत्तीसगढ़ के सभी प्राइवेट नर्सिंग होम संचालकों की भी है। अन्य जिलों के डॉक्टर भी सरकार से  कर्ज के बोझ से लद चुके निजी चिकित्सा केन्द्रों को बचाने की फरियाद लगा रहें हैं।

 

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