रायगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 14 फरवरी। चरखापारा मवेशी बाजार से बगुडेगा होते हुए राजपुर के रास्ते हीरापुर, भेलवांटोली, खम्हार, जामबाहर मार्ग से आगे होते हुए ढिटोरीआमा की ओर आगे बढ़ते हुए हांड़ीपानी बाजार लेकर जाते हैं। गौ तस्करी का यह सिलसिला रात लगभग 11.30 से सुबह 5 बजे तक चलता है। तस्करों के इशारे पर अलग अलग टोलियों में 700- 1000 रु की दिहाड़ी मजदूरी पर रात को अंधेरे में मवेशियों को मरते पीटते हुए लेकर जाते हैं। सूत्रों की माने तो स्थानीय पुलिस प्रशासन के सहयोग से यह होता है।
यह गौ तस्कर पिछले कई वर्षों से सक्रिय हैं। चरखापारा में सोमवार को बाजार लगता है और हांड़ीपानी में गुरुवार को बाजार लगता है एक दिन पहले ही गौ तस्कर मवेशियों को लेकर बाजार में पहुंच जाते हैं। जो स्थानीय पुलिस की आंख में धूल झोंकने दिहाड़ी मजदूरों के द्वारा क्रूरता पूर्वक मरते- पीटते बिना रुके पैदल हांकते ले जाते हैं मवेशियों को...
सूत्र बताते हैं कि थाने में पदस्थ कुछ पुलिसकर्मी जो लंबे समय से पदस्थ हैं। वह मवेशी तस्करों को सहयोग करते हैं, तथा इन्हीं पुलिस कर्मियों के संाठ गांठ से तस्करी को अंजाम दिया जा रहा है। सूत्रों ने आगे बताया कि पुराने पदस्थ पुलिसकर्मी ही अक्सर नए थानेदार को सेटिंग करता है, जिसकी उच्च अधिकारियों को भनक तक नहीं होती।
इस बड़े पैमाने पर हो रही गौ तस्करी के संबंध में जब दूरस्थ वनांचल क्षेत्र के कुछ जनप्रतिनिधि एवं गौ सेवकों के द्वारा मीडिया को अवगत कराया गया तथा नाम न छापने की शर्त पर पूरे मामले से पर्दा उठाते हुए स्थानीय पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हंै। उन्होंने दावा किया है कि स्थानीय पुलिस की साठ-गांठ से गौ तस्करी के अवैध कारोबार को धड़ल्ले से जारी है।
इस तरह के पुलिस पर लगे गंभीर आरोप और ग्रामीणों के दावे की पुष्टि करने के लिए जब ‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता के द्वारा रैरूमा चौकी प्रभारी और लैलूंगा थाना प्रभारी से बात की गई तथा गौ तस्करी के पूर्व ही उन्हें जिन गांव से होकर मवेशियों तस्करी की जा रही है,उन्हें अवगत कराया गया तथा बड़े पैमाने पर हो रही तस्करी रोकने के लिए सूचना दी गई। देर रात तक पल-पल की अपडेट रैरूमा चौकी प्रभारी और लैलूंगा थाना प्रभारी के व्हाट्सएप पर भी दी गई तथा वीडियो भी साझा किया गया किंतु दूरभाष पर कार्रवाई का आश्वासन देने के बावजूद देर रात तक किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं हुई और सोमवार और मंगलवार की दरमियानी रात तकरीबन 1500 से 2000 के आसपास मवेशियों की सुबह 4 बजे तक धड़ल्ले से तस्करी जारी थी।