रायपुर
11 मार्च को एमआईसी में गूंजेगा मामला
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 मार्च। महापौर एजाज ढेबर ने सोमवार 11 मार्च को अपरान्ह 4 बजे एमआईसी की बैठक बुलाई है। इसमें पूर्व मंत्री शिव डहरिया की पत्नी शकुन डहरिया के शताब्दी नगर की शासकीय भूमि और भवन पर कब्जे और कथित आवंटन का मामले प्रमुख रूप से चर्चा होगी। शकुन डहरिया की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही है। इस बार उनके साथ गृह निर्माण समिति अध्यक्ष भी फंस सकते हैं। इस मामले में बड़ा खुलासा हुआ है ।
शकुन डहरिया की संस्था के भवन और कब्जे वाली जमीन मामले मे समिति अध्यक्ष ने 62 लाख रुपए की जमीन सिर्फ 4 लाख में बेच दी । केंद्रीय कर्मचारी गृह निर्माण समिति के अध्यक्ष सीएस ठाकुर ने रजिस्ट्री कराई थी। इस भूखंड का बाजार मूल्य है लगभग सवा करोड़ आंका गया है। रजिस्ट्री में अध्यक्ष सीएस ठाकुर ने लिखा है कि जमीन की उचित कीमत मिली इसलिए बेचा । इस पर इनकम टैक्स चोरी का प्रकरण अध्यक्ष और खरीदार के खिलाफ बनेगा ।
निगम द्वारा बंगला सील करने के बाद अब बचाव में पूर्व मंत्री की पत्नी शकुन डहरिया ने कोर्ट में अपील की है की यह जमीन उनकी निजी है। लेकिन उनका यह तर्क अब मुसीबत बढ़ाते दिख रहा है।
पंजीयन आफिस के दस्तावेजों के अनुसार केंद्रीय कर्मचारी गृह निर्माण समिति मर्यादित के अध्यक्ष ने 24 मार्च साल 2022 को शताब्दी नगर जैसी पॉश कालोनी के बीच की 4 हजार वर्ग फीट जमीन को महज चार लाख रुपए में पूर्व मंत्री की पत्नी शकुन डहरिया की संस्था राजश्री सद्भावना समिति को बेच दिया। इसके लिए 3 लाख 65 हजार रुपए स्टांप ड्यूटी तो पटाई गई लेकिन कलेक्टर दर को दरकिनार कर दिया गया।इतना ही नहीं इस जमीन को अध्यक्ष सीएस ठाकुर ने 4 लाख रुपए को समीति को बेचा उसकी कलेक्टर गाइड लाइन कीमत 18 सौ 22 रुपए है। यानी 4 हजार रुपए प्रति वर्ग फीट है, यानी जमीन 72 लाख 88 हजार रुपए है। और बाजार मूल्य लगभग सवा करोड़ रुपए है। बेचने और खरीदने वालों को 72 लाख रुपए के हिसाब से टैक्स भी पटाना था लेकिन ऐसा नहीं किया गया और अब यह मामला इनकम टैक्स की जांच के दायरे में भी आ गया। जानकार चार्टर्ड एकाउंटेंट का कहना है कि जमीन के सौदों में कलेक्टर गाइड लाइन दर को दर किनारे नहीं किया जा सकता है। इस पूरे में मामले में सीमित के पदाधिकारियों की भूमिका अहम है। बड़ा सवाल यह है की आखिर ऐसे क्या कारण थे की लगभग सवा करोड़ रुपए की जमीन चार लाख में बेच दी गई। खुद अध्य़क्ष ने रजिस्ट्री में कहा है की उचित कीमत मिलने पर यह जमीन राजश्री सद्भावना समिति को बेची जा रही है। सवाल इस पर भी है की रजिस्ट्री के एक दिन पहले 23 मार्च को ही अध्यक्ष ने सर्वसम्मति से जमीन संस्था को आबंटित करने का पत्र भी जारी किया है।
कई गुना कम कीमत पर जमीन बेचने के सवाल, विज्ञापन प्रकाशन, दावा आपत्ति जैसे नियमों से जुड़े सवालों पर अध्यक्ष ने चुप्पी साध ली है। वहीं समिति के उपाध्यक्ष सुरेश कुमार शर्मा, संचालक सदस्य केके तिवारी ने ऐसे किसी प्रस्ताव के बारे में अनभिज्ञता जताई। अब पूरे घटनक्रम पर सवालिया निशान खड़ा होता है की आखिर क्या कारण था की सरकार के साथ साथ सोसायटी को लाखों रुपए का नुकसान करवा इतनी मंहगी जमीन क्यो कौडिय़ों के भाव पूर्व मंत्री की पत्नी को बेच दी गई।