रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 मार्च। राज्य सरकार द्वारा कल 4 फीसदी डीए,डीआर भुगतान की घोषणा को लेकर अधिकारी कर्मचारी संगठनों में श्रेय लेने की होड़ के साथ विरोध भी होने लगा है। संयुक्त फेडरेशन के एक बड़े और अहम संगठन मंत्रालय कर्मचारी संघ ने ही विरोध कर दिया है तो पेंशनर्स महासंघ जो सरकार समर्थित माना जाता है ने भी बिना एरियर के मार्च से देने पर आपत्ति जताई है।
सालाना बजट में प्रावधानित और विस से स्वीकृत डीए ,डीआर तो पांच लाख कार्मिकों का हक होता। उसे दिलाने या देने में श्रेय को लेकर भी कर्मचारियों के बीच तरह तरह की टिप्पणियाँ सुनने, पढऩे को मिली है। संयुक्?त फेडरेशन में प्रातांध्यक्ष और अन्य नेता, संयोजक कमल वर्मा को बधाई दे रहे हैं। व्याख्याता संघ के अध्यक्ष राकेश शर्मा ने कहा है कि
महंगाई भत्ता सहित चार सूत्रीय मांगों को लेकर शासन प्रशासन के पास अपनी बातों को रखते हुए कमल वर्मा, प्रांतीय संयोजक निरंतर प्रयासरत रहे है।*
जिसके परिणाम स्वरूप हमारी चार मे से तीन मांग पूरी हो गयी है और रही बात महंगाई भत्ते की एरियर्स की ये तो सरकार के घोषणा पत्र मे ही शामिल है। आज नही तो कल कमल वर्मा के नेतृत्व मे हमे मिल ही जायेगा। वहीं कुछ असंतुष्ट इससे नाइत्तेफाक रख़ रहे।
दूसरी ओर लम्बे इंतजार के बाद कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए बकाया केंद्रीय दर 8 प्रतिशत प्रतिशत न देकर केवल 4 प्रतिशत डीए डीआर मार्च 24 से देने की घोषणा को भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने घोर अन्याय निरूपित किया है। यह संघ सरकार समर्थित पितृ संगठन से संबधित है।संघ का कहना है कि
बिना एरियर सिर्फ 4त्न डीए डीआर देना कर्मचारियों और पेंशनरों के साथ धोखा है। जबकि मध्यप्रदेश ने अपने कर्मचारियों को केन्द्र के देय तिथि जुलाई 23 से कर्मचारियों को डीए का लाभ दिया है। महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार के एरियर हजम करने की नीति का विरोध करता है।
इसी तरह से मंत्रालयीन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह राजपूत ने कहा है कि यह आदेश प्रदेश के पांच लाख कर्मठ कर्मचारियों के साथ छलावा है क्योंकि पिछली सरकार ने पिछले पांच साल महंगाई भत्ते के लिए तरसाया और सारा एरियर डकार गई। अब यह सरकार भी उसी रास्ते पर चलती दिख रही है क्योंकि बड़े बड़े होर्डिंग और करोड़ों के पोस्टर पर मोदीजी की विश्वसनीय गारंटी की बात कहने वाली वर्तमान सरकार ने अपनी पार्टी के घोषणापत्र में केंद्र के समान महंगाई भत्ता/राहत देने का वादा किया था लेकिन केन्द्र के बराबर 50त्न भत्ता तो दूर जो 4त्न दिया भी है तो वो भी 1 मार्च से मतलब पिछले 8 महीने का एरियर यह सरकार भी दबा गई। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अपने कर्मचारियों के अधिकार पर डाका डालना शोभनीय नहीं है। राज्य की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है तो सरकार को विधानसभा में श्वेत पत्र जारी करना चाहिए था नहीं तो हमें हमारा अधिकार देना था। राज्य सरकार के जारी महंगाई भत्ता के आदेश को मंत्रालयीन कर्मचारी संघ स्वीकार नहीं करता है।
संघ आगामी समय में सभी कर्मचारी संगठनों को एकजुट होकर सरकार से अपना हक लेने हेतु लड़ाई के लिए तैयार होने का आह्वान करता है।