रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 4 अप्रैल। चुनाव आयोग आचार संहिता काल पहला महीना बीत गया लेकिन छत्तीसगढ़ के वन विभाग ने इसे ठेंगा दिखा दिया है । यहां एक स्थान पर तीन वर्ष क्या तीन दशक से एक ही जगह जमे लोग अभी भी बने हुए हैं। कई गंभीर शिकायतों वाले ये अफसर उपरी वरदहस्त मिले होने से पांच लोकसभा और छह विधानसभा चुनाव होने के बाद भी एक ही जगह पदस्थ हैं।
इनमें राजधानी रायपुर और आसपास के वन क्षेत्रों के एसडीओ 4 से 40 (38)वर्ष से एक ही जगह पदस्थ हैं। बीजापुर, बलौदाबाजार, महासमुंद, नंदन वन, रायपुर अनुभाग, सूरजपुर के एसडीओ वर्षों से यहीं बने हुए हैं। इनमें से एक 1998 में अंबिकापुर से यहां आने के बाद रायपुर के ही मूल निवासी होकर रह गए हैं। ये सभी बेहिसाब खर्च के लिए जाने जाते हैं । इन्हे लेकर पंच, सरपंच विधायक से लेकर सांसद तक हर जन प्रतिनिधि ने कई शिकायतें की और आला अफसरों ने सभी को ताक पर रख दिया। ये सभी कम से कम आचार संहिता में तबादले का इंतजार करते लेकिन उसमें भी बच निकले। ये एसडीओ एक बार फिर चर्चा मेंं है। वन ग्रामों में मतदाताओं के बीच ये बड़े इंफ्लूएंसर के रूप में चर्चित हैं। इसके बाद भी पीसीसीएफ और निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय की अनदेखी समझ से परे है। विभाग के आला अफसर ने पहले विस चुनाव और अब लोकसभा चुनावों के समय तबादलों से बचा लिया। आयोग की भी नजर केवल राज्य प्रशासनिक, पुलिस सेवा के अधिकारियों पर होती है राज्य वन, सेवा के इन अफसरों की अनदेखी करता रहा है। इनमें से सभी भाजपा, कांग्रेस के प्रति निष्ठा प्रतिबध्दता साफ चर्चित और स्पष्ट भी है। एक तो जिला कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष के अनुज हैं,पूर्व डिप्टी सीएम के करीबी हैं। इतना ही नहीं ये आज भी एक पूर्व मंत्री की सेवा सुश्रुषा कर रहे हैं। इन पूर्व मंत्री के गैरेज में गाडिय़ों की रखवाली करने वाले दैवेभो कर्मी का वेतन रायपुर से ही निकलता है। इनके अलावा जंगल विहीन रायपुर वन मंडल में वनों की चौकीदारी के लिए 750 दैवेभो की कथित नियुक्ति का रिकार्ड भी बना चुके हैं। इनमें से कुछ तो कब्रस्तान में भी नियुक्त किए गए हैं।
वर्षों से पदस्थ प्रमुख
बीएन मुखर्जी रायपुर
ए मिश्रा कोरिया
गोविंद सिंह बलौदाबाजार
मयंक अग्रवाल बलौदाबाजार
पंकज राजपूत महासमुंद