रायपुर
रायपुर, 25 अपै्रल। छत्तीसगए़ में खरीफ की फसल कटने के बाद अपै्रल से जून महीने के बीच शादियों का सीजन रहता है। प्रदेश में पारंपरिक तरीके से शादी की जाती है। इन दिनों शादी का सीजन चल रहा है। शहर और ग्रामीण इलाकों में परिजन शादी की खरीदारी करने में जुटे हैं। राजधानी के गोलबाजार, रायपुरा, और अन्य जगहों पर विवाह कार्यक्रम में उपयोग होने वाली बांस से बनी वस्तुओं का बाजार भी सज गया है। लोग इन्हें खरीदने बाजारों की ओर रूख कर रहे है। यहां बाजार में शादी के नेंग के लिए पर्रा, सूपा, बीजना, और मटके बिकने उपलब्ध है। इनकी कीमत लगभग 200 से 500 तक है। लोग अपने बजट के हिसाब से इस सामानों की खरीदारी कर रहें है। 10 मई को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा। अक्षय तृतीया को शादी के लिए शुभ माना जाता है। इस सामानों की मांग भी बढ़ जाती है। इसलिए लोग शादी की तारीख नजदीक आते ही इस सामानों की खरीदारी में जुट गए है।
बंास से बने पर्रा पर दूल्हा दुलहन को बिठाकर मंडप पर फेरे लगाए जाते है। चहीं बीजना और अन्य समानों का शादी कार्यक्रम में बड़ा ही महत्व होता है। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचल में शादी पर नया सूपा, पर्रा लेना शुभ माना जाता है। इसके बगैर विवाह की शुरूआत नहीं मानी जाती।
बाल विवाह रोकने उडऩ दस्ते सक्रिय
छत्तीसगढ़ के दूर दराज के गांवों में बाल विवाह भी होते हैं। इस पर कार्रवाई के लिए महिला बाल विकास, और समाज कल्याण विभाग ने जिला स्तर पर उडऩ दस्ते बनाए हैं। जिसमें विभागीय कर्मियों के अलावा पुलिस कर्मी शामिल किए गए हैं। यह टीमें न केवल ग्रामीण इलाकों का दौरा करेंगी। बल्कि बाल विवाह की सूचना पर छापा भी मार सकती है। इस दौरान वर-वधू दोनों के माता-पिता के अलावा शादी करा रहे पंडित पर भी कार्रवाई की जाएगी।