रायगढ़

टीआरएन एनर्जी के विरोध में 5 गाँव के ग्रामीणों ने किया चुनाव बहिष्कार का एलान
26-Apr-2024 3:26 PM
टीआरएन एनर्जी के विरोध में 5 गाँव के ग्रामीणों ने किया चुनाव बहिष्कार का एलान

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 26 अप्रैल।
घरघोड़ा घरघोड़ा अनुविभाग अन्तर्गत ग्राम-भंगारी, कटंगडीह, नावापारा (टेण्डा), चारमार, खोखरोआमा में आदिवासियों के जमीनों को औद्योगिक घरानों द्वारा फर्जी रजिस्ट्री और बेनामी अन्तरण से संरक्षण करने वाली कानूनों का धरातल में निष्क्रियता के कारण आगामी लोकसभा चुनाव 2024 का बहिष्कार करने को लेकर ग्रामीणों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है।

जिले के घरघोड़ा विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम भेंगारी में टीआरएन एनर्जी व महावीर कोल वेनिफिकेशन द्वारा कंपनी द्वारा क्षेत्र के करीब आधे दर्जन गांव के सौ से अधिक आदिवासी परिवारों के भू-स्वामी हक की जमीनों को बिना सहमति कपट पूर्वक बेनामी रूप से हडपे जाने के कारण पीडि़त आदिवासियों द्वारा भू-राजस्व संहिता की धारा 170 ख के मामले में शिकायत व कार्रवाई की मांग की गई है, जो प्रकरण अनुविभाग कार्यालय, न्यायलय में लंबित है। इन ग्रामीणों का कहना है कि ये पीडि़त आदिवासी परिवार अपने खेत व जमीन को बेचने के लिये कभी भी पंजीयक कार्यालय घरघोड़ा नहीं गए जबकि फर्जी सेल डीड रजिस्ट्री दस्तावेजों में उल्लेखित क्रेता व विके्रताओं के नाम पिता का नाम गवाह फोओ इत्यादि फर्जी कूटरचना से तैयार किये गए हैं यही नहीं यहां के अधिकांश फर्जी अंतरण के मामलों में केवल 5-6 लोगों का नाम ही गवाहों के रूप में बार-बार उल्लेख किया गया है, जो कि क्षेत्र में जमीन दलाल के रूप में जाने जाते हैं और यह प्रक्रिया अपने आप में फर्जी रजिस्ट्री की ओर इशारा करती है।

ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि भू-राजस्व संहिता की धारा 165 के तहत किसी भी आदिवासी भू-स्वामी की जमीन खरीदने के लिये कलेक्टर की अनुमति आवश्यक है। लेकिन इन मामलों में किस कानून का व्यापक रूप से उल्लंघन किया गया है। यही नहीं इन दोनों औद्योगिक कंपनियों द्वारा अन्य जिले के एक ही आदिवासी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के नाम से टुकड़ो में जमीन की खरीदी की गई हैं जो कि बेनामी अंतरण की श्रेणी में आता है।

दरअसल ऐसे फर्जी दस्तावेज के आधार पर खरीदी करने वाले क्रेता कंपनी के ही अधीनस्थ ठेका कर्मचारी है। दोनों कंपनी प्रबंधनों द्वारा यहां के मूल आदिवासी किसानों को उनके जमीनों से बेदखल करके उद्योग स्थापित किया गया है तथा उद्योग स्थापना के लिये पेड़ो की अवैध कटाई तथा येश डाईक का निर्माण किया गया है। 

कंपनी प्रंबंधनों द्वारा भू-अर्जन की पारदर्शी की प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया गया है। यहां तक की पीडि़त आदिवासी किसानों को व्यवस्थापन के तहत मुआवजा और पूर्नवाह नीति का लाभ भी अब तक नहीं मिला हैं इसके बावजूद कंपनी प्रबंधन द्वारा पर्यावरणीय प्रभाव आंकलन की रिपोर्ट में वास्तविक तथ्यों को छुपाया गया है। जबकि हकीकत में कंपनियों के अपशिष्टो व रिस्ते फ्लाई ऐश के कारण निस्तार कुरकुट नदी और किसानों के खेत प्रदूषित हो रहे हैं और आदिवासी किसानों का जीवन यापन कठिन से कठन होनें लगा है। उनकी फसले प्रभावित हो रही हैं, खेत की मृदा नष्ट हो रही है। यही नहीं इस मामले में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा उपरोक्त मामलों में आपत्ति जताते हुए औद्योगिक परियोजनाओं का विस्तार नहीं किये जाने को लेकर आदेश पारित करने के बावजूद महावीर कंपनी के द्वरा बिना स्वीकृति अवैधानिक रूप से कोल वाशरी का निर्माण व विस्तार किया जा रहा है।

क्षेत्र के प्रभावित आदिवासी किसानों का कहना है कि यह संपूर्ण क्षेत्र पांचवी अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आता है। कार्पोरेट घरानों और गैर आदिवासी तथा प्रभावशाली लोगों एवं गुंडातत्वों द्वारा आदिवासियों की जमीनों को जोरजबर्दस्ती से बलपूर्वक से अवैध कब्जा कर उन्हें बेदखल कर देने के संबंध में ग्राम सभाओं और जनता के विरोध तथा कई बार शिकायतों के बावजूद इस मामले में कानूनी कार्रवाई अब तक लगभग शून्य है। अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण के संबंध में शिकायतों के बावजूद पुलिस मौन है। बेनामी संपत्ति मामलों में जांच कार्रवाई को प्रभावित भ्रमित करने के उद्देश्य से रायगढ़ व घरघोडा पुलिस प्रशासन द्वारा रोडा अटकाया जा रहा है। इन पीडि़त आदिवासी किसानों का कहना है कि यदि जल्द से जल्द उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं किया गया तो सभी प्रभावित आदिवासी किसान अपने परिजनों के साथ आगामी लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने के लिये बाध्य होंगे। ज्ञापन पत्र में जनपद पंचायत घरघोड़ा, ग्राम पंचायत छोटे गुमडा के सरपंच सहित सौ से अधिक ग्रामीणों के हस्ताक्षर हैं।
 

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