रायपुर

जैन मानस भवन में तेरापंथ धर्मसंघ मर्यादा महोत्सव
19-Feb-2021 5:54 PM
जैन मानस भवन में तेरापंथ  धर्मसंघ मर्यादा महोत्सव

व्रत सुखी जीवन जीने की कला-आचार्य महाश्रमण

रायपुर, 19 फरवरी। आज के भौतिक युग में दैनिक आवश्यकताएं बढ़ती जा रही है। कुछ चीजें जरूरी होती है और कुछ अनावश्यक उपयोग में व्यक्ति लेता है। इन्हीं जरूरतों में कमी करने, *देशवकाशिक* व्रत उपयोग में लिया जा सकता है।
देश का अर्थ है छोटा या अंश। इस व्रत में अल्पकालिक तथा छोटे नियम के लिए अवकाश रहता है , जो लोग एक साथ त्याग नहीं कर सकते उनके लिए यह अभ्यास सरल और सुंदर है। इस व्रत में एक-दो घंटे का संकल्प करके हम अपनी साधना को पोस्ट कर सकते है। जैसे एक-दो घंटे के लिए मौन, कुछ समय के लिए टीवी नहीं देखना।

आजकल के मॉडर्न जमाने में हमें यह व्रत धर्म से जोड़ता है , ये व्रत अत्यंत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि हम इस व्रत से अपने छोटे-छोटे बच्चों को कुछ समय के लिए मोबाइल, टीवी से दूर रखना सिखाने के साथ ही उन्हें नियम पालना भी सिखाते हैं। छोटे-छोटे व्रत से ही हमें बड़े नियम लेने में सहायता मिलती है। ध्यान सीखने वाला व्यक्ति एक साथ लंबा ध्यान नहीं कर पाता उसे भी 5-10 मिनट तक ध्यान का प्रयोग कराया जाता है। उससे वह धीरे-धीरे लंबा ध्यान करने की शक्ति मिलती है।

अगर हम रोज के डेली रूटीन-आज कौन सा काम करना है, कहां जाना है, कितने द्रव्यों का खानपीने में, पहनने ओढऩे आदि अपनी हर जरूरत के विषय में सोच कर एक सीमा करते है और इस व्रत का पालन करें तो हम *हर क्षण का सदुपयोग* कर सकते हैं। जरूरत के मुताबिक दैनिक आवश्यकता घटती बढ़ती रहती है और उसी के अनुरूप रोजाना नियम किया जाता है।

देशवकाशिक व्रत श्रावक श्राविका के दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि वह सांसारिक जीवन के कार्यों का निर्वाह करते हुए भी इस व्रत के माध्यम से अपने जीवन को सहज और सरल बना सकते हैं।

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