रायपुर
![सिंहदेव ने जांजगीर-चांपा जिला अस्पताल का हाल जाना, पद से अधिक डॉक्टर की तैनाती से खफा सिंहदेव ने जांजगीर-चांपा जिला अस्पताल का हाल जाना, पद से अधिक डॉक्टर की तैनाती से खफा](https://dailychhattisgarh.com/2020/chhattisgarh_article/1613738238s.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 19 फरवरी। टीएस सिंहदेव ने अपने प्रभार वाले जांजगीर-चांपा जिले में शुक्रवार को स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल जाना। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने जांजगीर-चांपा अस्पताल जाकर चिकित्सालय में मिल रही सुविधाओं का औचक निरीक्षण किया।
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने अस्पताल पहुंचकर सिविल सर्जन अनिल जगत से भेंट की। उन्होंने अस्पताल में मिल रही सुविधाओं के विषय में विस्तृत चर्चा करते हुए मरीजों की संख्या एवं दवाओं आदि जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर बात की। इसके उपरांत स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने मरीजों से मुलाकात कर मिल रही सुविधाओं के बारे में उनसे वास्तविक स्थिति जानी एवं राशन कार्ड के माध्यम से मिल रही शासन की योजनाओं के संबंध में संवाद किया एवं कोरोना उपयुक्त व्यव्हार को लेकर भी उन्होंने उपस्थित लोगों से संवाद किया।
सिंहदेव ने इस अवसर पर कोविड वैक्सीनेशन सेंटर जाकर वहां हो रहे टीकाकरण की जानकारी प्राप्त की, उन्होंने फ्रंटलाइन वर्कर्स को मिल रही कोरोना वैक्सीनेशन की प्रक्रिया देखी एवं उपस्थित स्टाफ से चर्चा की।
इस निरीक्षण के दौरान स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने अस्पताल प्रबंधन में सक्रिय चिकित्सकों की जानकारी प्राप्त की जिसमें पता चला कि अस्पताल के लिए 16 पद निर्धारित हैं परंतु अभी वहां पर 16 से ज्यादा डॉक्टर उपलब्ध हैं, जिस विषय पर उन्होंने प्रबंधन को संज्ञान लेने के लिए निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्होंने अस्पताल प्रांगण में संस्थाओं के नाम पर चलाई जा रहे निजी दवा दुकान पर गंभीरतापूर्वक कहा कि मेरा यह विचार रहा है कि शासकीय अस्पतालों में निजी संस्थाओं को किसी भी काम के लिए अनुमति नहीं होनी चाहिए, रेडक्रॉस के नाम पर कई जगहों पर ऐसी दुकानें खोली गई हैं एवं उसमें निजी लोग कार्यरत रहते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि शासकीय अस्पताल के परिसर में जेनेरिक दवाएं उपलब्ध करवाना हमारा मकसद है, 7 फीसदी डिस्काउंट/बाजार के भाव पर शासकीय अस्पताल में दवाएं उपलब्ध होना उचित व्यवस्था नहीं है। उन्होंने अपने निजी विचार साझा करते हुए कहा कि अस्पताल परिसर के अंदर केवल जेनेरिक दवाइयां ही उपलब्ध होनी चाहिए। यदि संस्थाएं दवाएं उपलब्ध करवाना चाहती है तो स्वास्थ्य केंद्र के बाहर करें लेकिन परिसर के अंदर जनऔषधि केंद्र या सरकारी व्यवस्था पर जेनेरिक दवाएं उपलब्ध होनी चाहिए।