रायपुर
महिलाओं-पुरूषों के सामंजस्य से ही समाज में बड़ा परिवर्तन आएगा- डॉ. नायक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 11 मार्च। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग द्वारा अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में मैन फॉर वुमन कार्यक्रम आयोजित कर एक अभिनव पहल की है।
राजधानी रायपुर के न्यू सर्किट हाउस में आयोजित इस कार्यक्रम में वक्ता के रूप में सिर्फ पुरुषों को शामिल किया गया और महिला सशक्तिकरण में पुरूषों की भूमिका के संबंध में उनके विचार जाने। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता सतीशचन्द्र वर्मा, पुलिस महानिदेशक डी.एम. अवस्थी, अंतर्राष्ट्रीय शिक्षाविद डॉ. जवाहर सूरी शेट्टी, बालाजी नर्सिंग होम के संचालक डॉ. देवेंद्र नायक ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम में फॉरेंसिक एक्सपर्ट सुश्री सुनंदा ढींगे ने महिलाओं को सायबर क्राईम से बचाव के तरीके भी बताए।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने कहा कि महिला दिवस पर महिला ही नारी जागरण का झंडा उठाती है, उसकी बात सुनने वाली भी सभी महिलाएं ही होती हैं। जबकि पुरुषों के साथ सामंजस्य करके महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढऩा है, फिर चाहे परिवार हो या कार्यस्थल। तब फिर क्यो ना उन्हें अपना अच्छा सहयोगी, दोस्त, गाइड बना कर आगे बढ़ें।
डॉ. नायक ने कहा कि महिला आयोग ने इस अवसर पर पुरूषों के विचार जानने की पहल की है। सभी पुरूष वक्ता अलग-अलग क्षेत्रों से संबंध और अनुभव रखते हैं। इस मंच पर सभी वक्ताओं ने माना है कि महिलाओं के बिना पुरूष अधूरे हैं। मेरा मानना है कि यह इन वक्ताओं के साथ पूरे पुरूष समाज की अभिव्यक्ति है। अपने क्षेत्रों में सिद्धहस्त पुरूषों ने अपनी कामयाबी के पीछे माँ, शिक्षिका, पत्नी का हाथ बताते हुए जो सार्वजनिक रूप से उन्हें धन्यवाद दिया है। उसका असर निश्चित ही पुरूष समाज पर पड़ेगा।
कार्यक्रम में महाधिवक्ता सतीशचन्द्र वर्मा ने कहा कि नारी स्वयं शक्तिशाली है उसे किसी और शक्ति की जरूरत नहीं है। महिलाओं की शक्ति पर रोक लगाने की जो कोशिश की जाती है, उसे हटाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पुरूषों के नजरिया सही रखने से धीरे-धीरे बदलाव आएगा। इस बदलाव में महिलाओं की भी बराबर की भागीदारी होनी चाहिए। महिलाएं अपनी शक्ति पहचाने और कर्त्तव्य भी। उन्हें बदलाव के साथ सामजस्य बना कर चलना है।
पुलिस महानिदेशक डी.एम. अवस्थी ने कहा कि सामान्यत: देखने में आता है कि महिलाएं पुरूषों से ज्यादा महिलाओं से ही प्रताडि़त होती हैं। महिलाओं में उनका अहम गुण संवेदनशीलता का होता है जो उन्हें बनाए रखना चाहिए। पुरूषों को आगे बढ़ाने में महिलाओं का अहम योगदान है। समाज की हर बुलंद इमारत की नींव के रूप में महिलाएं ही है।
डॉ. देवेंद्र नायक ने कहा कि महिलाओं को जरा सा पंख दोगे तो ये आसमान छू लेंगी। नारियों का सम्मान करना नहीं सीखा तो सब व्यर्थ है। डॉ. जवाहर सूरी शेट्टी ने अपने अनुभव बताते हुए कहा कि उनकी माँ और शिक्षिका का उनके जीवन और सफलता पर गहरा प्रभाव रहा। नारी किसी भी पुरूष का जीवन संवार सकती है।
उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता का मतलब महिला और पुरूष की बराबरी नहीं बल्कि उनके बीच भेदभाव नहीं होना है। पुरूषों को अपनी सोच में लगी बंदिशों को हटाने की जरूरत है। इस अवसर पर विभिन्न कार्य क्षेत्रों के गणमान्य नागरिक और शासकीय अधिकारी उपस्थित थे।