रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 11 मार्च। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के नेफ्रोलॉजी विभाग में प्रतिमाह लगभग 300 रोगी डायलिसिस के लिए पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार यदि किडनी संबंधी रोगों को समय रहते चिन्हित कर लिया जाए और इसका उपचार शुरू हो जाए तो सामान्य जीवन यापन संभव है। एम्स के चिकित्सकों की मदद से पेरीटोनियल डायलिसिस से कई किडनी रोगी सामान्य जीवन यापन कर पा रहे हैं।
ऐसे ही कई रोगियों ने बुधवार को आयोजित कार्यशाला में अपने अनुभव साझा किए। कोरबा की महिला रोगी ने बताया कि पेरीटोनियल डायलिसिस की मदद से वह काफी स्वस्थ महसूस कर रही है और नियमित दिनचर्या में भी कोई दिक्कत नहीं आ रही है। रायपुर और सुपेबेड़ा के रोगियों ने भी पेरीटोनियल डायलिसिस की मदद से सामान्य जीवनयापन का अनुभव साझा किया। इस अवसर पर देश के सुप्रसिद्ध नेफ्रोलॉजिस्ट प्रो. (डॉ.) विवेकानंद झा ने कहा कि चिकित्सकों को अपने ज्ञान की मदद रोगियों की कठिनाइयों को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने किडनी संबंधी सभी रोगों का संयुक्त इलाज करने पर जोर देते हुए कहा कि इसके लिए टीमवर्क की आवश्यकता होती है जिसमें नर्सिंग स्टॉफ, डायटिशियन, टेक्नीशियन सभी का योगदान होता है।
निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने कहा कि किडनी संबंधी रोगों का सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है। दवाइयों की मदद से यह रोगी सामान्य जीवनयापन कर सकते हैं। इसके लिए समय पर स्क्रिनिंग और उपचार आवश्यक है।
निदेशक (स्वास्थ्य सेवाएं) डॉ. नीरज भंसोड़ ने प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदान की जा रही स्वास्थ्य योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि गंभीर रोगियों को उपचार के लिए हर संभव मदद प्रदान की जा रही है। डॉ. विनय राठौड़ ने नेफ्रोलॉजी विभाग में उपलब्ध सेवाओं के बारे में जानकारी प्रदान की। डॉ. अभिरूचि गलहोत्रा ने धन्यवाद दिया। इस अवसर पर डॉ. श्रीकांत राजिमवाले, डॉ. सौरभ नायक और डॉ. कमलेश जैन भी उपस्थित थे।
विश्व किडनी दिवस पर विभाग की ओर से तीन दिवसीय कार्यक्रम बुधवार को संपन्न हुआ। इसमें डायलिसिस टेक्नीशियन और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए के लिए दो कार्यशालाएं आयोजित की गई। इसमें एम्स के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के छात्रों ने भी भाग लिया।