रायपुर
![बेपरवाह सूचना आयोग!, कौन कसेगा लगाम!! बेपरवाह सूचना आयोग!, कौन कसेगा लगाम!!](https://dailychhattisgarh.com/2020/chhattisgarh_article/1615809555ayog.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 मार्च। वैसे तो पूरे देश में ही सूचना का अधिकार कानून को निष्प्रभाव करने की एक साजिश सी चल रही है। सूचना आयोगों की भूमिका भी संदेह से परे नहीं है।
आवेदकों को तरह तरह से परेशान करने की नए-नए तरीके खोजे जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग का हाल तो और भी निराशाजनक है। अपील या शिकायत करने पर दो तीन वर्ष के बाद सुनवाई की तिथी की सूचना तो अवश्य दे दी जाती है लेकिन वहां पहुंचने पर मालूम होता है कि तारीख बढ़ा दी गई है।
15 मार्च 2021 का ही मामला लें तो वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कलेक्टरेट के एनईसी स्टूडियो में 10 से ज्यादा केसों की सुनवाई नियत थी। नगर निगम रायगढ़ समेत लैलूंगा धर्मजयगढ़ तक के अधिकारी व आवेदक सुनवाई के लिए पहुंचे हुए थे। लंबे इंतजार के बाद बताया गया कि तारीख बढ़ा दी गई है। शायद सूचना आयुक्तों की कमी के कारण।
आरटीआई एक्टिविस्ट रमेश अग्रवाल ने बताया कि उनके भी दो केसों की सुनवाई आज होनी थी। पूर्व के अनुभव के आधार पर उन्होंने आयोग में फोन कर सुनवाई के विषय में जानकारी भी लेनी चाही लेकिन फोन खराब मिला वाट्सएप नंबर पर मेसेज भी भेजा लेकिन कोई जवाब नहीं आया।
अपील में आवेदक का मोबाइल नंबर एवं ईमेल आईडी भी होती है। आयोग चाहे तो इनका इस्तेमाल कर पूर्व में ही सूचित कर सकता है ताकि लोग अन्यथा परेशान न हों, लेकिन राज्य सूचना आयोग को इन सबकी परवाह नहीं है। लोग परेशान होते हैं तो हों उनकी बला से। सवाल तो यह भी है कि 100 रूपये की भारी अपील फीस लेने के बावजूद क्या आयोग कुछ पैसे खर्च नहीं कर सकता। ये कोई पहला मामला नहीं है। सूचना आयुक्तों के रिक्त पद नहीं भरे जाने के कारण यह स्थिति कई महीनों से चल रही है।