महासमुन्द
धान खरीदी बंद हुए साढ़े 3 महीने गुजर गए, 23 लाख क्विंटल धान अब भी खुले में
लॉकडाउन के कारण ई-नीलामी की प्रक्रिया पूरी नहीं, इसलिए उठाव शेष-जोशी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 12 मई। पिछले दो दिनों से लगातार तेज हवाओं के साथ जिले में हुई असमय बारिश से समितियों में खुले में रखे करोड़ों का धान भीग गया है। धान भीगे न, इसलिए उसे तिरपाल से ढंका गया था, लेकिन तेज हवाओं से तिरपाल भी उड़ गया और धान पूरा भीग गया। अब भीगे धान को सुखाने के लिए समितियों को भारी मशक्कत करना पड़ रही है। समितियों को जीरो शार्टेज की चिंता भी सता रही है।
ज्ञात हो कि लापरवाही के कारण करोड़ों रुपए का धान जिले के 137 समितियों में रखा हुआ है। खरीदी के सप्ताह भर बाद उठाव का नियम है, लेकिन धान खरीदी बंद हुए साढ़े तीन महीने गुजर गए हैं और 23 लाख क्विंटल धान खुले में पड़ा है।
इस मामले में जिला विपणन अधिकारी सीआर जोशी का कहना है कि सरकार ई-नीलामी करा रही है, इसके कारण धान का उठाव नहीं हो रहा है। वर्तमान में लॉकडाउन के कारण ई-नीलामी की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। इसके कारण उठाव शेष रहा गया है। वहीं उसना व अरवा मिलर्स को उठाव करने, और मिलिंग के लिए भी निर्धारित लक्ष्य का शत-प्रतिशत डीओ जारी कर दिया गया है। लेकिन उठाव की गति धीमी है। गौरतलब हो कि एफसीआई व नान में चावल रखने की जगह नहीं है। इसके कारण मिलिंग की रफ्तार एकदम कम हो गई है। जब तक रफ्तार नहीं बढ़ेगी, धान का उठाव भी नहीं हो पाएगा।
गौरतलब है कि वर्तमान में महासमुंद जिले के 137 धान उपार्जन केंद्रों में 23 लाख 34 हजार 193 क्विंटल धान खुले में रखा हुआ है। समितियों के पास पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण धान को भीगने से नहीं बचा पा रहे हैं। खुले में पड़े धान को सरकार ने किसानों से 2500 रुपए के हिसाब से खरीदा है। सारे धान की कीमत 5 अरब 83 करोड़ 54 लाख 82 हजार 500 रुपए है। यदि इसे समय रहते नहीं उठाया गया तो इस धान की कीमत घट जाएगी। बता दें कि 1 लाख 36 हजार 391 किसानों ने 75 लाख क्विंटल धान बेचा है। किसानों को सरकार 18 अरब 75 करोड़ रुपए का भुगतान चार किश्तों में करेगी। पहली किश्त की राशि 21 मई को किसानों के खातों में जमा कर दी जाएगी। सरकार ने इसकी घोषणा भी कर दी है ।