राजनांदगांव
डेढ़ साल का कार्यकाल था शेष
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 21 मई। तीन माह पूर्व छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से बहाल हुए राजनांदगांव सहकारी बैंक संचालक मंडल को फिर राज्य सरकार ने भंग कर दिया है। भंग करने के बाद कलेक्टर को बतौर प्रशासक नियुक्त किया गया है। बताया जा रहा है कि इस पूरे मामले को लेकर संचालक मंडल फैसले को अदालत में चुनौती देने की तैयारी कर रहा है। मौजूदा अध्यक्ष सचिन बघेल और उनके संचालक मंडल के सदस्यों को राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का गुरुवार देर शाम को आदेश जारी किया। यहां यह बता दें कि संचालक मंडल भाजपा समर्थित माना जाता है। लिहाजा भंग करने के निर्णय के पीछे राजनीतिक कारण माना जा रहा है। जिला सहकारी बैंक के संचालक मंडल को पूर्व में करीब दो साल पहले भी राज्य सरकार ने भंग कर दिया था, जिसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। करीब 18 महीने की लंबी लड़ाई के बाद हाईकोर्ट ने मंडल को भंग करने के फैसले को पलट दिया। राज्य सरकार द्वारा भंग करने के लिए लगाए गए आरोपों को खारिज करते हाईकोर्ट ने संचालक मंडल के पक्ष में फैसला दिया था। इस फैसले के बाद अध्यक्ष सचिन बघेल ने संचालक मंडल समेत पदभार ग्रहण कर लिया।
बताया जा रहा है कि सरकार ने फिर से सहकारी नियम-शर्तों का पालन नहीं करने के आरोप में मंडल को भंग कर दिया है। इस संबंध में बैंक अध्यक्ष सचिन बघेल ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि पूर्व में लगाए गए आरोपों को फिर आधार बनाकर सरकार ने मंडल को भंग किया है। अदालत में इस फैसले को चुनौती दी जाएगी। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट में जल्द ही संचालक मंडल अपना पक्ष रखकर फैसले को रद्द करने की मांग की जाएगी। इस बीच तीन महीने पहले पदभार ग्रहण करने वाले संचालक मंडल के भंग होते ही सहकारी बैंक में सियासी घमासान शुरू हो गया है। बताया जा रहा है कि भाजपा से जुड़े होने का खामियाजा संचालक मंडल को भुगतना पड़ा है। पूरे फैसले को राजनीतिक द्वेषवश से जोडक़र देखा जा रहा है।
बतौर प्रशासक कलेक्टर ने सम्हाला कार्यभार
संचालक मंडल के भंग होने के बाद बैंक की प्रशासनिक व्यवस्था को सम्हालने के लिए राजनांदगांव कलेक्टर टीके वर्मा को बतौर प्रशाासक कार्यभार सम्हालने का सरकार ने निर्देश दिया। सरकार से मिले आदेश के बाद गुरुवार शाम कलेक्टर टीके वर्मा ने प्रशासक का पदभार सम्हाल लिया है। बताया जा रहा है कि प्रशासक के नाते कलेक्टर बैंक की वित्तीय एवं प्रशासनिक व्यवस्था का जिम्मा स्वयं सम्हालेंगे। प्रशासक के तौर पर कलेक्टर बैंक से जुड़े फैसलों के लिए प्रत्यक्ष रूप से अधिकृत होंगे।