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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 दिसंबर। भारतीय जनता पार्टी सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के तत्वावधान में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटलबिहारी वाजपेयी के जन्म जयंती सप्ताह की श्रृंखला में आगामी 31 दिसंबर को कवि सम्मेलन और प्रदेश के प्रसिद्ध कवियों का सम्मान समारोह रखा जा रहा है।
भाजपा प्रदेश कार्यालय से जारी जानकारी में बताया गया है कि इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय करेंगे। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक अति विशिष्ट अतिथि तथा सांसद सुनील सोनी, प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय, पूर्व मंत्री व विधायक बृजमोहन अग्रवाल, पूर्व मंत्री व प्रदेश प्रवक्ता राजेश मूणत और रायपुर शहर जिला भाजपा अध्यक्ष श्रीचंद सुंदरानी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। कवि सम्मेलन में पद्मश्री सुरेन्द्र दुबे, रामानंद त्रिपाठी, सुश्री वर्षा गुप्ता, सुनील शर्मा नील व मयंक शर्मा अपनी रचनाओं का रसास्वादन कराएंगे। यह कार्यक्रम कुशाभाऊ ठाकरे स्मृति परिसर स्थित प्रदेश भाजपा कार्यालय के सभागार में अपराह्न 3 बजे से होगा।
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रायपुर, 30 दिसंबर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को अपने निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नवा रायपुर के सेक्टर 26 में बनने वाले छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के आवासीय परिसर का भूमिपूजन किया। लगभग साढ़े 4 एकड़ में 14 करोड़ 80 लाख रूपए की लागत से इस भवन का निर्माण 18 माह में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 18 महीनों में यह कॉलोनी बनकर तैयार हो जाएगी। छत्तीसगढ़ की सर्वसुविधायुक्त राजधानी नवा-रायपुर में इस कॉलोनी का निर्माण हो रहा है। इस कॉलोनी में 72 क्वाटर बनाए जाएंगे।
श्री बघेल ने इस आवासीय कॉलोनी के भूमिपूजन के अवसर पर कहा कि राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ और वन विभाग द्वारा लघु वनोपजों के संग्रहण, तेंदूपत्ता संग्रहण का महत्वपूर्ण कार्य तत्परता और जिम्मेदारी के साथ किया गया। विभाग के प्रयासों से लघु वनोपजों में वेल्यू ऐडिशन का कार्य किया जा रहा है, जिससे वनवासियों और महिला स्वसहायता समूहों की आमदनी बढ़ी है और इस कार्य में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ द्वारा अपने अधिकारियों एवं कर्मचारियों की सुविधा का ध्यान रखते हुए उनके लिए इस आवासीय परिसर का निर्माण किया जा रहा है। इससे अधिकारियों एवं कर्मचारियों कि कार्य क्षमता भी बढ़ेगी और वे ज्यादा अच्छे ढंग से अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकेंगे।
वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने इस अवसर पर कहा कि नया आवासीय परिसर बनने से अधिकारी एवं कर्मचारियों को नवा रायपुर आने-जाने में लगने वाला समय बचेगा और वे ज्यादा अच्छे ढ़ंग से अपना कार्य कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के कार्य में काफी वृद्धि हुई है। वर्ष 2018 में 7 लघुवनोपजों का संग्रहण किया जाता था, जिनकी संख्या अब बढक़र 52 हो गई है। इस वर्ष प्रदेश में देश में कुल संग्रहित वनोपजों का 73 प्रतिशत अकेले छत्तीसगढ़ में संग्रहित किया गया है, जिसका मूल्य 130 करोड़ रूपए है। तेेंदूपत्ता संग्रहण दर 2500 रूपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4000 रूपए प्रति मानक बोरा करने से तेंदूपत्ता संग्रहकों की आमदनी में भी बढ़ोतरी हुई है।
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रायपुर, 30 दिसंबर। छत्तीसगढ़ राज्य का भौगोलिक क्षेत्रफल 1,35,191 वर्ग किलोमीटर है जो देश के क्षेत्रफल का 4.1 प्रतिशत है। राज्य का वन क्षेत्र लगभग 59,772 किलोमीटर है जो राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का 44.21 प्रतिशत है। ऑक्सीजन का एकमात्र स्रोत वृक्ष है। इसलिए वृक्ष पर ही हमारा जीवन आश्रित है। यदि वृक्ष ही नहीं रहेंगे तो किसी भी जीव जंतु का अस्तित्व नहीं रहेगा।
नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया ने कुछ दिन पहले ही प्रदेश के सभी 166 नगरीय निकायों के अंतर्गत होने वाले दाह संस्कार में गौ-काष्ठ के उपयोग को प्राथमिकता से करने का निर्देश जारी किया है। संयोगवश नगरीय प्रशासन मंत्री का निर्देश ठीक ऐसे समय पर आया है जब भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा वायु प्रदूषण के चलते उतरी एवं मध्य भारतीय राज्यों में भारी आर्थिक क्षति होने की रिर्पोट जारी की जा रही थी। आईसीएमआर ने उत्तर प्रदेश और बिहार में वायु प्रदूषण की स्थिति खराब होने का जिक्र किया है। लासेंट प्लेनेटरी हेल्थ में प्रकाशित रिपोर्ट इंडिया स्टेट लेबल डिजीज बर्डन इनीसिएटिव के मुताबिक वायु प्रदूषण के कारण देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद के 1.4 फीसदी के बराबर की क्षति हो रही है। यह बहुत चिंता का विषय है। वायु प्रदूषण को लेकर ठोस रणनीति के साथ हम सबकों आगे आना होगा। छत्तीसगढ़ की सरकार ने समय रहते वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए जो कदम उठाया है, वह प्रशंसनीय है। नगरीय प्रशासन द्वारा गौ काष्ठ के इस्तेमाल को नगरीय क्षेत्रों में बढ़ावा देने से एक ओर जहां वायु प्रदूषण में कमी आएगी वहीं एक दाह संस्कार के पीछे 20-20 साल के दो पेड़ कटने से बच जाएंगे। इस पहल से साल भर में लाखों पेड़ों की बलि नहीं चढ़ेगी और हमारी अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
वैसे प्रदूषण को लेकर अक्सर चर्चाएं होती है। नि:संदेह छत्तीसगढ में वायु प्रदूषण की स्थिति अन्य कई राज्यों की तुलना में बेहतर तो है लेकिन शहर सहित कुछ जिलों में स्थिति पूरी तरह से ठीक नहीं है। औद्योगिक जिला सहित शहरी इलाकों में शुद्ध वायु की कमी है। इसके लिए जरूरी है कि हम अधिक से अधिक पौधे लगाए और पेड़ों को कटने से बचाएं। छत्तीसगढ़ की सरकार ने गौ- काष्ठ के इस्तेमाल को लेकर जो आदेश जारी किया है, वह आने वाले समय में पर्यावरण संरक्षण और वृक्षों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। यह मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और उनके सरकार के सदस्यों की सोच थी कि नरवा, गरवा, घुरवा बाड़ी का मॉडल तैयार किया गया। इस दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए सरकार ने अपनी संकल्पना को साकार भी करके दिखाया। नगरीय निकाय क्षेत्रों में होने वाले दाह संस्कार और ठण्ड के दिनों में जलाए जाने वाले अलाव में लकड़ी की जगह गोबर से बने गौ-काष्ठ और कण्डे के उपयोग को जरूरी किया जाना सरकार के दूरदर्शी सोच का हिस्सा है।
प्रदेश के लगभग सभी जिलों में इस समय गोठान संचालित किए जा रहे हैं। 6 हजार 4 सौ से अधिक गोठाने हैं। जिसमें से 166 नगरीय निकाय क्षेत्रों में 322 गोठान संचालित है। इन गोठानों में जैविक खाद के अलावा गोबर के अनेक उत्पाद बनाए जा रहे हैं। गोठानों में गौ-काष्ठ और कण्डे भी बनाए जा रहे हैं। कुल 141 स्थानों में गोबर से गौ काष्ठ बनाने मशीनें भी स्वीकृत की जा चुकी है और 104 स्थानों में यह मशीन काम भी करने लगी है।
निकायों के अंतर्गत गोठानों के माध्यम से गोबर का उपयोग गौ काष्ठ बनाने में किया जा रहा है। अभी तक लगभग 2800 क्विंटल गौ काष्ठ विक्रय के लिए तैयार कर लिया गया है। सूखे गोबर से निर्मित गौ-काष्ठ एक प्रकार से गोबर की बनी लकड़ी है। इसका आकार एक से दो फीट तक लकड़ीनुमा रखा जा रहा है। गौ-काष्ठ एक प्रकार से कण्डे का वैल्यू संस्करण है। गोठानों के गोबर का बहुउपयोग होने से जहां वैकल्पिक ईंधन का नया स्रोत विकसित हो रहा है, वहीं छत्तीसगढ़ के गांव और शहरों में रोजगार के नए अवसर भी खुलने लगे हैं। स्व-सहायता समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर की राह में कदम बढ़ा रही है। हाल ही में सरगुजा जिले के अंबिकापुर में प्रदेश का पहला गोधन एम्पोरियम भी खुला है, जहां गोबर के उत्पादों की श्रृखंला है। प्रदेश के अन्य जिलों में भी गौ काष्ठ और गोबर के उत्पादों की मांग बढ़ती जा रही है। दीपावली में गोबर के दीये, गमले, सजावटी सामान की मांग रहती है।
प्रदेश के गोठानों में तैयार गौ-काष्ठ और कण्डे एक वैकल्पिक और जैविक ईंधन का बड़ा जरिया बन सकता है। इसके जलने से प्रदूषण भी नहीं फैलता और इसका उत्पादन भी आसान है। नगरीय निकाय क्षेत्रो में अलाव और दाह संस्कार में लकड़ी के स्थान पर गौ काष्ठ के उपयोग को बढ़ावा देने से वैकल्पिक ईंधन के उत्पादन में गति आएगी। प्रदेश के नगरीय निकायों में ठण्ड के दिनों में लगभग 400 अलाव चौक-चौराहों पर जलाए जाते हैं। दाह संस्कार भी होते हैं। रायपुर जैसे शहर में 12 से 30 दाह संस्कार होते हैं। एक दाह संस्कार में अनुमानित 500 से 700 किलो लकड़ी का उपयोग होता है। अलाव और दाह संस्कार में लकड़ी को जलाए जाने से भारी मात्रा में कार्बन का उत्सर्जन होता है, जो कि पर्यावरण के लिए अनुकूल नहीं है। यदि हम गौ काष्ठ का उपयोग लकड़ी के स्थान पर करे तो महज 300 किलों में ही दाह संस्कार किया जा सकता है। इससे प्रदूषण भी नहीं फैलता और गोबर की लकड़ी जलने से आसपास के वातावरण भी शुद्ध होते हैं। जानकारों का कहना है कि यदि हम अंतिम संस्कार में लकड़ी की जगह गौ काष्ठ का उपयोग करे तो हमारा खर्च भी कम हो जाएगा और हम 20-20 साल के दो पेड़ों को कटने से भी बचा सकते हैं। गौ सेवा की दिशा में कार्य कर रही एक पहल सेवा समिति के उपाध्यक्ष श्री रितेश अग्रवाल का कहना है कि दाह संस्कार को इको फ्रेण्डली बनाया जाना अति आवश्यक है। गौ-काष्ठ से दाह संस्कार बहुत आसान और पर्यावरण के लिए उपयोगी है। लोगों को अपनी धारणाएं बदलनी होगी ताकि हम शुद्ध हवा में सांस ले सके। अब तक अनेक दाह संस्कार में गौ काष्ठ का उपयोग कर चुके रितेश अग्रवाल ने बताया कि गोबर की लकड़ी के साथ देशी घी मिलाकर जलाने से शुद्ध आक्सीजन का उत्सर्जन होता है और इससे निकलने वाले कम्पाउण्ड बारिश में सहायक होते हैं।
गोबर में रेडिएशन अवशोषण का गुण भी होता है। इससे निर्मित उत्पाद आसानी से प्रकृति में मिल जाती है। स्वाभाविक है कि गोठानों के संचालन से प्रदेश में गौ संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा और गोबर उत्पादों के साथ रोजगार के नये विकल्प भी बनेंगे। सरकार द्वारा गोबर को दो रुपए प्रति किलों की दर से खरीदे जाने के बाद पशुपालकों की आमदनी भी बढ़ी है। इससे आर्थिक सशक्तीकरण को भी बल मिला है। गौ काष्ठ को प्रोत्साहन दिए जाने से एक साथ अनेक फायदे होंगे। इसके निर्माण में लगे लोग इसे बेच कर आमदनी प्राप्त करेंगे और ग्रीन तथा क्लीन छत्तीसगढ़ का कान्सेप्ट भी सफल होगा। सरकार के इस प्रयास से हमें ऑक्सीजन, औषधि देने वाले, मृदा संरक्षण करने वाले, पक्षियों के बैठने की व्यवस्था, कीड़े-मकोड़े, मधुमक्खी के छत्ते से वातावरण को अनुकूलन बनाने वाले वृक्षों के साथ पशु-पक्षियों को भी संरक्षण मिलेगा। वैकल्पिक ईंधन के रूप में उपयोग बढऩे से इसका व्यावसायिक उपयोग भी बढ़ेगा, जो हमारी अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के साथ पर्यावरण अंसतुलन के खतरे को कम करने में मील का पत्थर साबित होगा।
ब्रिटेन से लौटे 10 लोगों के सैंपल भी शामिल, स्ट्रेन-2 पता लगाने में मदद मिलेगी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 दिसंबर। एम्स की वीआरडी लैब से सर्विलांस स्टडी के लिए 70 सैंपल कल एनआईवी पुणे लैब भेजे गए हैं। इसमें से 60 सैंपल एम्स में इलाज करा रहे कोरोना मरीजों के हैं। वहीं 10 सैंपल ब्रिटेन से छत्तीसगढ़ लौटकर आए लोगों के हैं, जिन्हें आरटीपीसीआर टेस्ट में कोरोना पॉजीटिव पाया गया है। एम्स प्रशासन का कहना है कि पुणे से रिपोर्ट मिलने के बाद ही स्ट्रेन-2 की प्रारंभिक जानकारी मिल पाएगी।
एम्स निदेशक डॉ. नितिन एम. नागरकर ने बताया कि एम्स की वीआरडी लैब में अब तक ब्रिटेन से लौटे 10 भारतीयों के सैंपल कोरोना पॉजीटिव पाए गए हैं। इन सभी को स्ट्रेन-2 कंफर्म करने के लिए पुणे लैब भेजा गया है। कुछ दिनों में रिपोर्ट मिलने के बाद स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। हालांकि इन मरीजों का आईसीएमआर की गाइडलाइंस के अनुरूप उपचार किया जा रहा है। इसके लिए एम्स में अलग बेड की व्यवस्था की गई है। लैब में भी इस प्रकार के सैंपल रखने के लिए अलग से व्यवस्था की गई है।
उन्होंने बताया कि किसी भी प्रकार के सैंपल को पूरी तरह से सुरक्षित रखने के लिए एम्स में पूरी सुविधा उपलब्ध हैं। इसमें ड्राय आइस भी शामिल है। आवश्यकता पडऩे पर वीआरडी लैब में भी ड्राय आइस बनाई जा सकती है।
विभागाध्यक्ष प्रो. अनुदिता भार्गव के अनुसार इसके अतिरिक्त 60 सैंपल और पुणे भेजे गए हैं। यह सभी एम्स में भर्ती मरीजों के हैं, जिन्हें सर्विलांस स्टडी के लिए नियमित रूप से पुणे भेजा जाता है। इससे स्पष्ट होता है कि यहां के रोगियों में कोरोना वायरस की प्रकृति और प्रवृति बदल तो नहीं रही है। जिससे वायरस स्टडी में काफी मदद मिलती है।
स्ट्रेन-2 की जांच जल्द
बताया गया कि एम्स की वीआरडी लैब में 28 दिसंबर तक 1 लाख 72 हजार 924 सैंपल की जांच हो चुकी है, जिसमें 17 हजार 336 सैंपल पॉजीटिव पाए गए हैं। प्रो. नागरकर ने कहा है कि एम्स के पास जल्द ही कोरोना वायरस के स्ट्रेन-2 की जांच की सारी सुविधाएं भी उपलब्ध करा दी जाएंगी।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 दिसंबर। कोरोना संक्रमण और नए स्ट्रेन को देखते हुए परिजनों ने बंदियों की पैरोल अवधि बढ़ाने की मांग जेल प्रशासन व राज्य सरकार से की है। उनका कहना है कि प्रदेश में अभी भी कोरोना का कहर जारी है और रोज करीब हजार से अधिक कोरोना संक्रमित सामने आ रहे हैं। ऐसे में बंदियों के पैरोल अवधि बढ़ायी जाए।
पैरोल पर चल रहे कुछ बंदियों के साथ उनके परिजन आज दोपहर यहां पे्रस क्लब परिसर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने मीडिया को बताया कि प्रदेश में कोरोना का पहला केस सामने आने के बाद कई बंदी जेल से पैरोल पर छोड़े गए। संक्रमण को देखते हुए समय-समय पर उनकी पैरोल अवधि भी बढ़ायी गई। प्रदेश के बंदियों की जेल वापसी 1 जनवरी 2021 को होनी है। जबकि कोरोना संक्रमण लगातार बना हुआ है।
उनका यह भी कहना है कि प्रदेश में जिस तरह से नए पॉजिटिव सामने आ रहे हैं, उससे बंदियों के परिजन चितिंत हैं। जेलों में भी काफी संख्या में कोरोना पॉजिटिव मिलते रहे हैं। ऐसे में जब तक कोरोना वैैक्सीन का टीकाकरण नहीं हो जाता है, तब तक बंदियों के परिजन सरकार से उनकी पैरोल अवधि बढ़ाने की मांग करेंगे। उनका यह भी कहना है कि जेलों में कैदियों की भीड़ को देखते हुए अन्य राज्यों में पैरोल अवधि बढ़ायी जा रही है। ऐसे में वैक्सीन लगने तक यहां भी पैरोल अवधि बढ़ायी जाए।
प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे- मुख्यमंत्री
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 दिसंबर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विशेष मौजूदगी में राजधानी स्थित उनके निवास कार्यालय में पीपीपी मॉडल से स्थापित होने वाले देश के पहले एथेनॉल प्लांट की छत्तीसगढ़ में स्थापना के संबंध में अनुबंध निष्पादन (एमओयू) किया गया।
यह अनुबंध भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाने कवर्धा तथा छत्तीसगढ़ डिस्टीलरी लिमिटेड की सहायक इकाई एन.के.जे. बॉयोफ्यूल के मध्य 30 वर्षों के लिए किया गया। एमओयू पर राज्य शासन की ओर से प्रबंध संचालक भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना भूपेन्द्र ठाकुर तथा छत्तीसगढ़ डिस्टीलरी की ओर से अरण्य केडिया ने हस्ताक्षर किए। कार्यक्रम में सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, वन तथा पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर, उद्योग मंत्री कवासी लखमा, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू तथा विशेष सचिव सहकारिता हिमशिखर गुप्ता उपस्थित थे।
श्री बघेल ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसानों को समय पर गन्ना के मूल्य का भुगतान और शक्कर कारखाने की क्षमता का पूरा-पूरा उपयोग सुनिश्चित करने में एथेनॉल संयंत्र की स्थापना महत्वपूर्ण साबित होगी। एथेनॉल संयंत्र की स्थापना से क्षेत्र में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे तथा क्षेत्र में आर्थिक समृद्धि का आधार मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की वर्तमान सरकार ने किसानों से संबंधित मुद्दे और उनके विकास के कार्य को सर्वोपरि रखा है।
राज्य सरकार द्वारा सर्वप्रथम कृषि ऋणों की माफी की गई तथा गन्ना किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए शक्कर कारखानों की आर्थिक कठिनाई के स्थायी निदान के लिए पीपीपी मॉडल से एथेनॉल संयंत्र की स्थापना की जा रही है। पीपीपी मॉडल से एथेनॉल संयंत्र की स्थापना का देश में यह पहला उदाहरण है। उन्होंने कहा कि राज्य में एथेनॉल संयंत्र की स्थापना से छत्तीसगढ़ का देश के बायोफ्यूल के उत्पादन में भी महत्वपूर्ण योगदान होगा।
कार्यक्रम को सहकारिता मंत्री डॉ. टेकाम ने भी सम्बोधित किया और कहा कि राज्य में एथेनॉल संयंत्र की स्थापना से जहां गन्ना उत्पादक किसानों को समय पर गन्ना के मूल्य का भुगतान करने में सुविधा होगी, वहीं गन्ने की मांग बढऩे से उसका अधिक से अधिक लाभ भी किसानों को मिलेगा। इस दौरान विशेष सचिव श्री गुप्ता द्वारा एथेनॉल संयंत्र इकाई की स्थापना के संबंध में प्रस्तुतिकरण भी दिया गया। एथेनॉल संयंत्र की स्थापना छत्तीसगढ़ डिस्टीलरीज लिमिटेड द्वारा 40 के.एल.पी.डी. क्षमता के 5.27 करोड़ रूपए प्रतिवर्ष की निविदा स्वीकार की गई है।
पीपीपी मॉडल के अंतर्गत कारखाने द्वारा लाइसेंस पर केवल भूमि उपलब्ध करायी जाएगी। एथेनॉल संयंत्र की स्थापना पर निवेशक द्वारा 100 करोड़ रूपए से अधिक का विनिवेश किया जाएगा। संयंत्र का निर्माण डेढ़ से दो वर्ष के भीतर पूर्ण कर एथेनॉल उत्पादन प्रारंभ करने की योजना है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 दिसंबर। जोन 7 के तहत आने वाले डॉ. ईश्वरीचरण शुक्ल वार्ड 22 के तहत डुमरतालाब रायल फार्मेसी के बाजू में अवैध प्लाटिंग प्रकरण के क्षेत्र में आमजनों को अवैध प्लाटिंग स्थल से अवगत कराने नोटिस बोर्ड लगाने की स्थल पर कार्यवाही की। विगत सप्ताह जोन 7 की टीम ने उक्त स्थल की निजी भूमि में लगभग 40 हजार वर्गफीट क्षेत्र में की गई अवैध प्लाटिंग एवं बनायी गयी अवैध मुरम रोड को थ्रीडी से काटकर अवैध प्लाटिंग पर रोक लगायी थी। अब निगम आयुक्त के आदेशानुसार जोन 7 नगर निवेश टीम ने आज उक्त स्थल पर अवैध प्लाटिंग की जानकारी लोगों को देने नोटिस बोर्ड लगाया ।
जोन 7 कमिश्नर विनोद पाण्डेय ने बताया कि महापौर एजाज ढेबर एवं आयुक्त सौरभ कुमार के आदेशानुसार जोन 7 नगर निवेष विभाग ने वार्ड 22 के डुमरतालाब के रायल फार्मेसी के बाजू में की गई अवैध प्लाटिंग के स्थल पर आमजनों की उससे अवगत कराने नियमानुसार नोटिस बोर्ड लगाया गया है।
उक्त क्षेत्र के अवैध प्लाटिंग का भाग होने एवं वहां आस पास में भवन निर्माण अनुज्ञा नगर निगम द्वारा स्वीकृति प्रदान नहीं किये जाने की जानकारी दी गई है एवं सभी नागरिकों से अनुरोध किया गया है कि वे यहां प्लाट की खरीदी बिक्री न करें अन्यथा नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 292 (ग) के तहत नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
मौतें-3336, एक्टिव-12472, डिस्चार्ज-261663
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 दिसंबर। प्रदेश में कोरोना मरीज दो लाख 77 हजार पार हो गए हैं। बीती रात मिले 1134 नए पॉजिटिव के साथ इनकी संख्या बढक़र 2 लाख, 77 हजार 471 हो गई है। इसमें से 3336 मरीजों की मौत हो गई है। 12 हजार 472 एक्टिव हैं और इनका एम्स समेत अलग-अलग जगहों पर इलाज चल रहा है। 2 लाख 61 हजार 663 मरीज ठीक होकर अपने घर लौट गए हैं। सैंपलों की जांच जारी है।
राजधानी रायपुर समेत प्रदेश में कोरोना मरीज पहले से कम होने लगे हैं, और कल नए पॉजिटिव का आंकड़ा एक हजार आसपास बना रहा, लेकिन खतरा अभी भी बना हुआ है। जांच में शहर से लेकर गांव-देहात तक कई जगहों से नए पॉजिटिव मिल रहे हैं। बुलेटिन के मुताबिक बीती रात 8 बजे 1134 नए पॉजिटिव सामने आए। इसमें रायपुर जिले से सबसे अधिक 228, दुर्ग जिले से 137 मरीज मिले हैं।
राजनांदगांव-90, बालोद-26, बेमेतरा-15, कबीरधाम-5, धमतरी-76, बलौदाबाजार-40, महासमुंद-39, गरियाबंद-2, बिलासपुर-57, रायगढ़-68, कोरबा-59, जांजगीर-चांपा-68, मुंगेली-10, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही-18, सरगुजा-45, कोरिया-14, सूरजपुर-61, बलरामपुर-18, जशपुर-16, बस्तर-6, कोंडागांव-11, दंतेवाड़ा-11, सुकमा-0, कांकेर-10, नारायणपुर-0, बीजापुर जिले से 4 व अन्य राज्य से 0 मरीज सामने आए हैं। ये मरीज आसपास कोरोना अस्पतालों में भेजे जा रहे हैं।
दूसरी तरफ कल 14 मरीजों की मौत हो गई। इसमें कोरोना से 2 व अन्य बीमारियों के साथ कोरोना से 12 मरीजों की मौत शामिल हैं।
स्वास्थ्य अफसरों का कहना है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण जारी है, और मौतें भी हो रही हैं, लेकिन नए पॉजिटिव धीरे-धीरे कम हो रहे हैं। कल करीब 30 हजार सैंपलों की जांच हुई थी। जांच में रायपुर, दुर्ग जिले को छोडक़र प्रदेश के बाकी जिलों में नए पॉजिटिव सौ से नीचे रहे। प्रयास है कि आगे और ज्यादा सैंपलों की जांच हो।
जनसम्पर्क विभाग का आयोजन
ऑनलाइन पंजीयन 1 से 10 तक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 दिसंबर। स्वामी विवेकानंद जी की जयंती राष्ट्रीय युवा दिवस के मौके पर छत्तीसगढ़ शासन के जनसम्पर्क विभाग द्वारा ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ और ‘छत्तीसगढ़ी युवा’ विषय पर स्लोगन प्रतियागिता का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए इच्छुक प्रतिभागी 1 से 10 जनवरी 2021 तक जनसम्पर्क विभाग की वेबसाइट http://jansampark.cg.gov.in/, http://dprcg.gov.in में ऑनलाइन पंजीयन करा सकते हैं।
स्लोगन स्व-लिखित होना चाहिए। नकल या कही और से लिए गए स्लोगन में किसी भी विवाद के मामले में प्रतिभागी जिम्मेदार होंगे। स्लोगन की वर्ण संख्या 250 निर्धारित है। स्लोगन की भाषा छत्तीसगढ़ी, हिन्दी एवं इंग्लिश होगी। इस प्रतियोगिता के माध्यम से चयनित स्लोगन का उपयोग प्रचार-प्रसार हेतु किया जा सकेगा। सभी प्रतिभागियों को डिजिटल सर्टिफिकेट एवं 100 सर्वश्रेष्ठ स्लोगन को जनसम्पर्क विभाग द्वारा एक-एक हजार रूपए का पुरस्कार दिया जाएगा।
आवेदन आमंत्रित
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर 30 दिसम्बर। औद्योगिक विकास के लिए छत्तीसगढ़ स्टेट इण्डस्ट्रियल डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड द्वारा उद्योगिक प्रयोजन हेतु आपसी सहमति से निजी भूमि का क्रय नीति के उपबंधों के अंतर्गत राज्य के भू-स्वामियों से भूमि विक्रय हेतु आवेदन आमंत्रित किए गए हंै।
उद्योग विभाग के अपर संचालक ने बताया कि इच्छुक आवेदक भूमि विक्रय के प्रस्ताव के संबंध में कार्यालयीन समय सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक महाप्रबंधक (भू-अर्जन), सीएसआईडीसी, प्रथम तल, उद्योग भवन, रिंग रोड नम्बर -1, तेलीबांधा, रायपुर से सम्पर्क कर सकते है। उन्होंने बताया कि आपसी सहमति से भूमि विक्रय की विस्तृत जानकारी के लिये सीएसआईडीसी की वेबसाईट 222.ष्ह्यद्बस्रष्.द्बठ्ठ का भी अवलोकन किया जा सकता है।
मीलों दूर जाने की परेशानी से मुक्ति मिली
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 दिसम्बर। छत्तीसगढ़ शासन ने किसानों को धान बेचने में कोई पेरशानी नहीं हो इसके लिए समुचित इंतजाम सुनिश्चित किए हैं। किसानों को पहले अपने खेतों और गांव से कई मील दूर धान बेचने जाना पड़ता था परन्तु अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देशन में प्रदेश भर में करीब 250 नए धान उपार्जन केन्द्र किसानों की सुविधा के लिए बनाए गए हैं। प्रदेश केवनांचलों में भी किसानों को अपने गांव के पास ही धान बेचने की सुविधा उपलब्ध करायी गई है।
बस्तर जिले में नए धान उपार्जन केन्द्र बनने से किसानों को बहुत अधिक राहत मिली है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इस वर्ष धान उपार्जन के लिए कोलेंग और एरपुण्ड जैसे वनांचल क्षेत्रों के साथ ही मंगनार और मधोता में भी धान उपार्जन केन्द्र स्थापित किए गए हैं। छत्तीसगढ़ में कृषि ही अर्थव्यवस्था का सबसे प्रमुख आधार है। छत्तीसगढ़ राज्य को कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए कई बार केन्द्र सरकार द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है। प्रदेश में कृषि के क्षेत्रों में हो रहे क्रांतिकारी परिवर्तन का असर बस्तर के वनांचल में भी देखा जा रहा है और वनोपज पर निर्भर रहने वाले क्षेत्र के वनवासी किसान भी खेती-किसानी की ओर रुख कर रहे हैं।
कांगेर घाटी के बीचों-बीच बसे कोलेंग और माड़ क्षेत्र में बसे एरपुण्ड और आसपास के किसान भी अब खेती-किसानी से अपनी तकदीर और क्षेत्र की तस्वीर बदल रहे हैं। ऐसे किसानों की सहुलियत के लिए ही छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इन क्षेत्रों में धान उपार्जन केन्द्र की स्थापना की गई, जिससे वे अपने आसपास ही धान बेच सकें। इससे पहले कोलेंग क्षेत्र के छिंदगुर और कांदानार, मुण्डागुड़ा के किसान 25 किलोमीटर दूर दरभा धान उपार्जन केन्द्र आते थे। वहीं एरपुण्ड क्षेत्र के हर्राकोड़ेर, पिच्चीकोड़ेर, बोदली, मालेवाही आदि गांव के किसान बिंता उपार्जन केन्द्र में धान विक्रय करते थे। इसके साथ ही मैदानी क्षेत्र में बसे घोटिया समिति में एक और धान उपार्जन केन्द्र की स्थापना लगभग 15 किलोमीटर दूर मधोता में की गई है और करपावंड समिति के तहत लगभग दस किलोमीटर दूर मंगनार में एक नया धान उपार्जन केन्द्र स्थापित किया गया है।
घोटिया में पहले लगभग 800 किसानों ने धान विक्रय के लिए पंजीयन कराया था। अब मधोता में धान खरीदी केन्द्र स्थापित होने से किसानों की संख्या भी लगभग आधी हो गई है। यहां मधोता के साथ ही झारतरई, खोटलापाल, चीतलवार और रोतमा के किसान अपना धान विक्रय कर रहे हैं। इससे इन किसानों को दोहरा लाभ मिला है। नजदीक में धान उपार्जन केन्द्र होने के साथ ही भीड़भाड़ और आपाधापी से भी राहत मिली है। करपावंड समिति में भी पूर्व में लगभग एक हजार किसान अपना धान बेचते थे, किन्तु मंगनार में धान उपार्जन केन्द्र की स्थापना के साथ ही वहां भी पंजीकृत किसानों की संख्या लगभग आधी रह गई है। यहां धान उपार्जन केन्द्र की स्थापना से मंगनार, खोटलापाल, बेलपुटी और तोंगकोंगेरा के किसानों को लाभ हुआ है। नए स्थापित केन्द्रों में मंगनार में मंगलवार 29 दिसम्बर तक 11659.6 क्विंटल, मधोता में 9237.6 क्विंटल, कोंलेग में 382.4 क्विंटल और एरपुण्ड में 624.8 क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है।
राज्य चुनाव आयोग के नए भवन का लोकार्पण
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 दिसंबर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को अपने रायपुर स्थित निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए राज्य निर्वाचन आयोग के नए भवन का लोकार्पण किया। नवा रायपुर अटल नगर के नार्थ ब्लॉक के सेक्टर 19 में इस भवन का निर्माण किया गया है।
मुख्यमंत्री ने राज्य निर्वाचन आयुक्त ठाकुर रामसिंह सहित छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों और कर्मचारियों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस नये सुविधाजनक भवन में अधिकारियों और कर्मचारियों को व्यवस्थित ढ़ंग से कार्य करने का अवसर मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतांत्रिक देश में राज्य निर्वाचन आयोग की प्रदेश के स्थानीय निकायों और त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचन कराने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। राज्य निर्वाचन आयोग ने पिछले 20 वर्षो में अपने इन दायित्वों का बखूबी निर्वहन किया है।
राज्य निर्वाचन आयोग आयुक्त ठाकुर रामंिसंह ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग की स्थापना 28 सितम्बर 2002 को की गई है। आयोग द्वारा त्रिस्तरीय पंचायतों एवं नगर पालिकाओं के प्रथम आम निर्वाचन वर्ष 2004-05 में, द्वितीय निर्वाचन वर्ष 2009-10, तृतीय 2014-15 तथा वर्ष 2019-20 में चतुर्थ आम निर्वाचन सम्पन्न कराए गए। राज्य के सभी जिलों में पंचायत निर्वाचन तथा नगरीय निकायों में निर्वाचन सम्पन्न कराए गए।
उन्होंने बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा फोटोयुक्त निर्वाचक नामावली ऑनलाईन साफ्टवेयर (एसईसी-ईआर) के माध्यम से तैयार कराई गई और अभ्यर्थियों के नाम निर्देशन पर ऑनलाईन प्राप्त किए गए। निर्वाचन आयोग द्वारा मतदान प्रक्रिया में मतदाताओं की सहभागिता के लिए जागरूकता अभियान जागव बोटर ’जाबो’ भी चलाया गया। उन्होंने बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग के नये भवन में भण्डार गृह, बैठक कक्ष, आधुनिक वीसी कक्ष जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
रायपुर, 29 दिसम्बर। छत्तीसगढ़ शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा विभिन्न जिलों में आपदा से पीडि़तों को आर्थिक सहायता जिला कलेक्टर के माध्यम से स्वीकृत की जाती है। ऐसे ही 6 प्रकरणों में बेमेतरा जिले में 24 लाख रूपए की आर्थिक सहायता स्वीकृत की गई है। उमरिया के प्रशांत शर्मा की मृत्यु पानी में डूबने से होने के कारण पीडि़त परिजनों को चार लाख रूपए की आर्थिक सहायता स्वीकृत की गई है। इसी तरह बेरला तहसील के ग्राम बहेरा के हेमराज साहू की मृत्यु पानी में डूबने से तथा भानु तुरकाने और ग्राम जमघट के झम्मन निषाद की मृत्यु सांप के काटने से हो जाने के कारण मृतकों के पीडि़त परिजनों को चार-चार लाख रूपए की आर्थिक सहायता स्वीकृत की गई है।
तहसील थाना खम्हरिया के ग्राम किरकी के श्री पुसऊ वर्मा की मृत्यु पानी में डूबने से हो जाने पर परिजनों को चार लाख रूपए की आर्थिक सहायता स्वीकृत की गई है।
भाजपा के आरोप
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 29 दिसंबर। प्रदेश में रेत के अवैध उत्खनन के डेढ़ सौ से अधिक प्रकरण दर्ज किए गए हैं। साथ ही अवैध परिवहन के 64 सौ से अधिक प्रकरण दर्ज किए गए हैं। यह जानकारी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक ध्यानाकर्षण सूचना के लिखित जवाब में दी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में रेत के अवैध उत्खनन और परिवहनकर्ताओं के खिलाफ खनिज विभाग द्वारा सख्त कार्यवाही करते हुए वित्तीय वर्ष 2019-20 और 2020-21 (30 नवम्बर 2020 तक) में खनिज रेत के अवैध उत्खनन के 155 प्रकरण दर्ज किए गए हैं। इसमें अवैध रेत खनन के एवज में 81 लाख 35 हजार 378 रूपये, और अवैध परिवहन के 6418 प्रकरण दर्ज कर 7 करोड़ 25 लाख 6 हजार 698 रूपये समझौता राशि वसूल किया गया है।
उन्होंने बताया कि 30 नवम्बर तक कुल 329 रेत खदानों के लिए एनआईटी जारी किया गया है, और समस्त कुल 329 निविदायें खोली जा चुकी है। जिसमें से कुल 317 रेत खदानों में आशय पत्र जारी किया। कुल 254 रेत खदानों में पर्यावरण सम्मति प्राप्त किया गया है। 244 खदानों में अनुबंध निष्पादन किया जाकर रेत खदान संचालित की जा रही है।
भाजपा सदस्य बृजमोहन अग्रवाल, शिवरतन शर्मा, नारायण चंदेल ने रेत माफिया की गुंडागर्दी, पुलिस के संरक्षण और खनिज विभाग की सहमति से रेत का खेल और बढ़ती रेट का मामला ध्यानाकर्षण सूचना के जरिए उठाया था। भाजपा सदस्यों का कहना था कि प्रदेश में रेत माफिया प्रदेश सरकार के सत्संग में बेखौफ हो चुका है। रेत के अवैध परिवहन के ट्रेक्टर को रोकने पर नायब तहसीलदार पर प्राणघात हमला कर दिया। महानदी कछार, शिवनाथ, अरपा, खारून, मनियारी आदि सभी नदियों के तटों पर रेत माफिया खुले आम गुंडागर्दी और अवैध वसूली का कारोबार कर रहे है, और विभाग कोई कार्यवाही नहीं कर रही है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लिखित जवाब में बताया कि जशपुर जिले के तुमला थाना क्षेत्र के नायब तहसीलदार फरसाबहार सुनील गुप्ता व इनके अमला द्वारा ग्राम कोल्हेनझरिया से लिंक कोर्ट संचालन कर वापस मुख्यालय फरसाबहार से वापसी के दौरान ग्राम कुल्हारबुड़ा पुल के पास रास्ते में ट्रैक्टर चालक नरसिंह यादव निवासी हाथीबेड़ के साथ इनका विवाद हो गया। मारपीट के बाद अपराध पंजीबद्ध किया गया। रेत खदानों से निर्धारित दर पर रेत का लोडिंग श्रमिकों द्वारा किया जाता है, और ट्रेक्टरों से ही परिवहन किया जाता है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 29 दिसंबर। विधानसभा सदन में मंगलवार को बस्तर के नगरनार संयंत्र के विनिवेशीकरण को रोकने के लिए शासकीय संकल्प का समर्थन करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि सरकार के संयंत्र को खरीदने से स्थानीय बेरोजगारों को फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2001 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के शासन काल में नगरनार इस्पात संयंत्र की स्थापना के लिए भूमि अधिग्रहण के एवज मे पुनर्वास पैकेज के तहत् एक खाते से एक व्यक्ति को एनएमडीसी परियोजना में नौकरी दिए जाने का प्रावधान किया गया था, जिसके तहत् वर्ष 2001 में कुल 303 खाते मे से 293 नामित सदस्यों को एनएमडीसी में नौकरी प्रदाय किया गया है, शेष 10 नामितियों को निम्न कारणों से नौकरी नहीं दिया जा सका ।
इसके पश्चात् वर्ष 2010 में भारतीय जनता पाटी के शासन काल में भूमि अधिग्रहण के एवज में कुल 1052 कृषकों की भूमि अधिग्रहित की गई, जिसमें कुल 852 नामांकन फार्म प्राप्त हुए। इनमें से पात्र 624 लोगों को वर्तमान में सस्टेन्स अलाउन्स दिया जा रहा है न की नौकरी दी गई । एस्टेन्स एलाउन्स के नाम पर आठवी से कम - 7080 रूपये, आठवी से बारहवी - 11000 रूपये, स्नातक या अधिक- 12000 रूपये दिए जा रहा है जो भुमिहीन कृषकों के साथ अन्याय किया गया।
और इन परिस्थितियों में भारत सरकार के उपक्रम एनएमडीसी के द्वारा स्थापनाधीन नगरनार इस्पात संयंत्र को केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित निजीकरण की प्रक्रिया अपना रही है । बस्तर की जनता, बस्तर की युवाओं का सपना था बस्तर में नगरनार स्टील प्लांट बनेगा बस्तरवासियों को विकास होगा और आज जब केन्द्र की मोदी सरकार इस इस्पात संयत्र को अपने चहते लोगों के हाथ में देने की तैयारी कर ली है, इससे वह सपना धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है बस्तर अनुसूचित क्षेत्र है, यहां पांचवी अनुसूची लागू है, उसके बाद भी केंद्र सरकार की जो निजीकरण करने का प्रयास किया गया है । उसका मैं विरोध करता हूं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 29 दिसंबर। नगरनार में निर्माणाधीन इस्पात संयत्र को एन एम् डी सी से डीमर्ज या अलग करने का अर्थ याने इस संयंत्र का निजीकरण करना है । केंद्र सरकार के नगरनार को निजीकृत करने के निर्णय का तीव्र विरोध करते हुए ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने इसे वापस लेने की मांग करते हुए इस सम्बन्ध में छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित सर्वसम्मत प्रस्ताव का स्वागत किया है ।
इंटक के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह, एटक के महासचिव हरनाथ सिंह, एच एम एस के कार्यकारी अध्यक्ष एच एस मिश्रा, सीटू के राज्य अध्यक्ष बी सान्याल, महासचिव एम् के नंदी, एक्टू के महासचिव बृजेंद्र तिवारी, सी जेड आई ई ए के महासचिव धर्मराज महापात्र, बी एस एन एल ई यू के भट्ट, बैंक कर्मी नेता शिरीष नलगुंडवार, डी के सरकार तृतीय वर्ग शास कर्म संघ के अध्यक्ष राकेश साहू, केंद्रीय कर्म संगठन के सतीश, आशुतोष सिंह, दिनेश पटेल, मानिक राम पुराम, राजेंद्र सिंह, एस टी यू सी के सचिव एस सी भट्टाचार्य, बीमा कर्म नेता सुरेन्द्र शर्मा ने केंद्र सरकार से इस फैसले को आदिवासियों व देश के जनता के साथ धोखा करार दिया और इस फैसले को तत्काल वापस लेने की मांग की।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के समस्त ट्रेड यूनियन ने भी नगरनार संयत्र के निजीकरण के प्रयास के खिलाफ गांधी जयंती के दिन 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक हाल ही में प्रदेशव्यापी विरोध सप्ताह मनाकर सभी जिलों में प्रदर्शन किया था और इसके निजीकरण के प्रस्ताव का पुरजोर विरोध करते हुए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन प्रेषित किया था । जनता के भारी विरोध को अनसुना कर केंद्र सरकार ने केबिनेट बैठक में इसे डिमर्ज करने का फैसला लिया जिसके खिलाफ सभी ट्रेड यूनियन के साथी वहां निरन्तर संघर्ष जारी रखे है । 22 नवम्बर को भी ट्रेड यूनियनों ने वहां बड़ी विरोध कार्यवाही आयोजित की थी । 26 नवम्बर की देशव्यापी हड़ताल में भी प्रदेश के मजदूर वर्ग ने नगरनार के निजीकरण के खिलाफ आवाज बुलंद की थी ।
ट्रेड यूनियन नेताओं ने प्रदेश की विधानसभा में इस पर पारित सर्व सम्मत प्रस्ताव का स्वागत करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को निश्चय ही इस पर अपने कदम वापस लेना चाहिए ।
नेताओं ने कहा कि आदिवासियों की जमीन पर आम जनता के पैसे से निर्मित इस संपत्ति को केंद्र सरकार द्वारा एन एम् डी सी की बजाय निजी हाथों में सौंपने के किसी भी प्रयास को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा ।
उल्लेखनीय है कि नेशनल मिनिरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएमडीसी) के द्वारा जगदलपुर के समीप ग्राम नगरनार में निर्माणाधीन 3 बिलियन टंन के वार्षिक उत्पादन क्षमता वाले स्टील प्लांट का कार्य औपचारिक रूप से 2001 भूमि अधिग्रहण से प्रारंभ हुआ था। जिसके लिए एक हजार एकड़ जमीन अधिकृत की गई थी जिसमे राज्य सरकार के साथ ही आदिवासियों की जमीन शामिल है और 2012 से उसका निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ था जो वर्तमान में अपने अंतिम चरण में है ।
नगरनार प्लांट के लिए एनएमडीसी के द्वारा स्वयं का 20,000 करोड़ रुपया खर्चा किया गया है। किसी प्रकार से कहीं से भी कोई कर्ज नहीं लिया गया है। इसके भविष्य के बारे में राज्य सरकार से भी कोई सलाह नहीं ली गई, जबकि इसमें राज्य सरकार की भी भागीदारी है, यह संविधान के तहत संघीय व्यवस्था का भी भी खुला उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की सम्पत्ति पर निर्मित इस कारखाने को निजी लूट के लिए बेचने की तैयारी हो रही है , जिसका प्रदेश के मजदूर वर्ग जोरदार विरोध करेंगे।
मौतें-3319, एक्टिव-12962, डिस्चार्ज-260056
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 29 दिसंबर। प्रदेश में कोरोना मरीज दो लाख 76 हजार पार हो गए हैं। बीती रात मिले 1188 नए पॉजिटिव के साथ इनकी संख्या बढक़र 2 लाख, 76 हजार 337 हो गई है। इसमें से 3319 मरीजों की मौत हो गई है। 12 हजार 962 एक्टिव हैं और इनका एम्स समेत अलग-अलग जगहों पर इलाज चल रहा है। 2 लाख 60 हजार 56 मरीज ठीक होकर अपने घर लौट गए हैं। सैंपलों की जांच जारी है।
राजधानी रायपुर समेत प्रदेश में कोरोना मरीज पहले से कम होने लगे हैं, और कल नए पॉजिटिव का आंकड़ा एक हजार आसपास बना रहा, लेकिन खतरा अभी भी बना हुआ है। जांच में शहर से लेकर गांव-देहात तक कई जगहों से नए पॉजिटिव मिल रहे हैं। बुलेटिन के मुताबिक बीती रात 8 बजे 1188 नए पॉजिटिव सामने आए। इसमें रायपुर जिले से सबसे अधिक 191, दुर्ग जिले से 112 मरीज मिले हैं।
राजनांदगांव-56, बालोद-65, बेमेतरा-16, कबीरधाम-20, धमतरी-48, बलौदाबाजार-31, महासमुंद-65, गरियाबंद-25, बिलासपुर-86, रायगढ़-75, कोरबा-76, जांजगीर-चांपा-63, मुंगेली-11, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही-14, सरगुजा-35, कोरिया-26, सूरजपुर-63, बलरामपुर-16, जशपुर-19, बस्तर-6, कोंडागांव-27, दंतेवाड़ा-12, सुकमा-4, कांकेर-23, नारायणपुर-0, बीजापुर जिले से 3 व अन्य राज्य से 0 मरीज सामने आए हैं। ये मरीज आसपास कोरोना अस्पतालों में भेजे जा रहे हैं।
दूसरी तरफ कल 20 मरीजों की मौत हो गई। इसमें कोरोना से 4 व अन्य बीमारियों के साथ कोरोना से 16 मरीजों की मौत शामिल हैं। स्वास्थ्य अफसरों का कहना है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण जारी है, और मौतें हो रही हैं, लेकिन नए पॉजिटिव धीरे-धीरे कम हो रहे हैं। रायपुर, दुर्ग जिले को छोडक़र प्रदेश के बाकी जिलों में नए पॉजिटिव कल सौ से नीचे रहे। कल साढ़े 29 हजार सैंपलों की जांच हुई थी। प्रयास है कि आगे और ज्यादा सैंपलों की जांच हो।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 29 दिसंबर। राजधानी रायपुर समेत जिले में कोरोना मरीज 52 हजार आसपास पहुंच गए हैं। बुलेटिन के मुताबिक बीती रात मिले 191 नए पॉजिटिव के साथ इनकी संख्या बढक़र 52 हजार 126 हो गई है। दूसरी तरफ, इन सभी मरीजों में से 709 की मौत हो चुकी है। 5 हजार 313 एक्टिव हैं, जिनका अलग-अलग जगहों पर इलाज जारी है। 46 हजार 104 मरीज ठीक होकर अपने घर लौट गए हैं।
राजधानी रायपुर समेत जिले में कोरोना मरीज पहले से अब काफी कम हो गए हैं। कल नए पॉजिटिव दो सौ आसपास रहे। हेल्थ टीम, शहर के सरकारी-निजी अस्पतालों, संस्थानों और बाजारों में जाकर कोरोना जांच में लगी है। कई बस्तियों-कॉलोनियों में भी उनकी यह जांच चल रही है, और कई जगहों से नए पॉजिटिव सामने आ रहे हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि नए पॉजिटिव पहले से कम होने लगे हैं। दूसरी तरफ, भर्ती मरीज भी ठीक होने पर डिस्चार्ज किए जा रहे हैं, और इनकी भी संख्या धीरे-धीरे कम होने लगी है।
लेकिन सतर्कता बहुत जरूरी है। लापरवाही से संक्रमण का खतरा बना रहेगा। स्वास्थ्य अफसरों का कहना है कि जिले में कोरोना संक्रमण जारी है। सर्दी, खांसी, बुखार या सांस लेने में तकलीफ होने पर डॉक्टरों को दिखाने के साथ अपनी कोरोना जांच कराएं।
रायपुर, 29 दिसंबर। छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रदेश अध्यक्ष जैन जीतेन्द्र बरलोटा, महामंत्री लालचन्द गुलवानी, कोषाध्यक्ष प्रकाश अग्रवाल, प्रवक्ता ललित जैसिंघ एवं योगेश अग्रवाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा वर्ष 2016-17 का वार्षिक विवरण पत्र फार्म नंबर-18 भरने की अंतिम तिथि 30 नवंबर 2020 थी जिसे छत्तीसगढ़ चेम्बर के अनुरोध पर शासन ने अधिसूचना क्रमांक 136 दिनांक 24-12-2020 से इसे 31 जनवरी 2021 तक बढ़ाया है।
इसी प्रकार वर्ष 2015-16 के कर निर्धारण की अंतिम तिथि 31 दिसम्बर 2020 है, जिसे भी बढ़ाकर 31 जनवरी 2021 तक किया गया है। छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज ने शासन के उक्त निर्णय का स्वागत किया है।
रायपुर, 29 दिसंबर। मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के तहत सुकमा जिले में बीते दो सप्ताह में 50 हजार से अधिक लोगों के रक्त की जांच की गई जिसमें केवल 1261 मलेरिया पाजिटिव पाए गए। जांच के दौरान मलेरिया पॉजिटिव पाए वयस्क पुरुष व महिलाओं की संख्या 626 है जबकि 0 से 14 वर्ष तक के पॉजिटिव पाए गए बच्चों की संख्या 635 है। इस कार्य में 280 टीम घर घर जाकर लोगों की जांच कर रहे है ।
चल रही रक्त जांच में स्वास्थ्य विभाग ने 40त्न से अधिक लक्षित जिले वासियों तक अपनी पहुंच बनाई है। इस अभियान के तृतीय चरण में सुकमा के 215 ग्राम के 1.35 लाख लोगों की मलेरिया जांच की जानी है । विभाग से मिली जानकारी के अनुसार छिंदगढ़ ब्लॉक में सर्वाधिक 35486 व्यक्तियों की जांच की गई। इसके अलावा कोंटा ब्लॉक में 13415, सुकमा ब्लॉक में 6221 व्यक्तियों की जांच की गई।
मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान तृतीय चरण 15 दिसम्बर से 30 जनवरी 2021 तक चलाया जाएगा। इस अभियान का उद्देश्य मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों से मलेरिया परिजिवी नष्ट करना है। इस अभियान के अंत तक जिले के 31,731 घरों तक स्वास्थ्य विभाग की टीम अपनी पहुंच बनाएगी। अभियान के दौरान घर-घर जाकर स्क्रीनिंग तथा प्रभावित लोगों का पूर्ण उपचार किया जा रहा है। अभियान के दौरान लोगों को मलेरिया के बारे में जानकारी दी जा रही है और मलेरिया से बचाव के तरीके भी बताये जा रहे हैं। इस दौरान 13702 घरों की सर्वे के दौरान मेडिकेटेड मच्छरदानी उपयोग करने वाले 12930 घर पाए गए व 11744 घरों में कीटनाशक का छिडक़ाव भी किया गया।
सीएमएचओ डॉ. सी. बी. प्रसाद बंसोड़ ने बताया मलेरिया पॉजिटिव पाए गए व्यक्तियों में, मलेरिया के लक्षण पाए गए रोगीयों की संख्या केवल 515 है जिनका तत्काल इलाज शुरू किया गया है। जिले वासियों से अपील करते हुए उन्होंने कहा: "घर-घर भ्रमण के दौरान आए स्वास्थ्यकर्मी से अपनी जांच कराएं, मलेरिया के मच्छर स्थिर जल में पनपते हैं इसलिये अपने घर या आसपास पानी जमा न होने दें। जमा हुआ पानी में जला हुआ मोबिल ऑयल अथवा मिट्टी का तेल अवश्य डालें , नालियों को साफ रखें। मलेरिया मुक्त अभियान को सफल बनाने के लिये अपना सहयोग दें।"
मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। खून के जरिए शरीर में घुसते ही विषाणु यकृत (लीवर) तक पहुंच जाता है। लीवर में मलेरिया का विषाणु परिपक्व हो जाता है और बच्चे पैदा करने लगता है। विषाणुओं की संख्या बढऩे के साथ ही शरीर बीमार होने लगता है। शुरुआत में रोगी को शरीर में दर्द के साथ बुखार, सिरदर्द, उल्टी या गले में सूखे कफ की शिकायत होती है। ऐसा होने पर अगर खून की जांच कराई जाए तो मलेरिया का पता आसानी से चल जाता है। लापरवाही की जाए या समय से इलाज न किया जाए तो रोगी की हालत गंभीर भी हो सकती है ।
मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के तृतीय चरण में बस्तर संभाग के 11.62 लाख से अधिक व्यक्तियों की जांच की जाएगी जिनमें सर्वाधिक दन्तेवाड़ा के 3.02 लाख, बस्तर के 2.01 लाख, बीजापुर के 1.89 लाख, नारायणपुर के 1.36 लाख, सुकमा के 1.35 लाख, कांकेर के 1.15 लाख, कांकेर के 81,000 व्यक्ति शामिल होंगे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 29 दिसम्बर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में शासकीय संकल्प पर चर्चा के दौरान यह घोषणा की कि भारत सरकार बस्तर के नगरनार इस्पात संयंत्र का डिस्इंवेस्टमेंट न करे, डिस्इंवेस्टमेंट की स्थिति में छत्तीसगढ़ सरकार इस संयंत्र को खरीदने के लिए तैयार है। इस संयंत्र को निजी हाथों में नहीं जाने देंगे। छत्तीसगढ़ सरकार इसे चलाएगी। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद सदन में यह शासकीय संकल्प ‘यह सदन केन्द्र सरकार से यह अनुरोध करता है कि भारत सरकार के उपक्रम एनएमडीसी द्वारा स्थापनाधीन नगरनार इस्पात संयंत्र, जिला बस्तर का केन्द्र सरकार द्वारा विनिवेश न किया जाए। विनिवेश होने की स्थिति में छत्तीसगढ़ शासन इसे खरीदने हेतु सहमत है’ सर्वसम्मति से पारित किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह छत्तीसगढ़ विधानसभा के इतिहास की महत्वपूर्ण घटना है। उन्होंने कहा कि सवाल छत्तीसगढ़ की अस्मिता का है, बस्तर के आदिवासियों का है। बस्तर के लोगों का इससे भावनात्मक लगाव रहा है। जमीन सार्वजनिक उपक्रम के लिए दी गई थी, खदान भी एनएमडीसी को इस शर्त पर दी गई थी कि एनएमडीसी यहां इस्पात संयंत्र लगाएगा। राज्य शासन की भी और जनता की भी यह मंशा थी। इसे लेकर लगातार आंदोलन हो भी रहे थे। भारत सरकार इस संयंत्र के विनिवेश के लिए तैयारी कर रही है और सितम्बर 2021 तक इसे पूर्ण करने की तैयारी है। इस मामले में डिमर्जर कर खदान को एनएमडीसी से अलग किया गया है। ऐसी स्थिति में यह प्रस्ताव बहुत आवश्यक था, छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नगरनार के मामले में भारत सरकार के आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने नवंबर 2016 को एनएमडीसी की नगरनार स्टील प्लांट के 51 प्रतिशत शेयर निजी क्षेत्र की कंपनी को बेचने की सहमति दी। दुर्भाग्यजनक बात है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखा कि यदि इसे निजी हाथों में सौपा जाएगा तो नक्सली गतिविधियों को काबू करना कठिन हो जाएगा। श्री बघेल ने विपक्ष से कहा- इसके बारे में जब रविंद्र चौबे बोल रहे थे, तब आप लोग आपत्ति ले रहे थे। 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रधानमंत्री को यह पत्र लिखा।
श्री बघेल ने कहा- एनएमडीसी को खदान लीज इस शर्त पर दी गई थी कि वह नगरनार स्टील प्लांट लगाएगा। आप कह रहे हैं 2016 की चि_ी के आधार पर आप काल्पनिक बात कर रहे हैं, मैं आपको बताना चाहूंगा कि 2020 में भी डिमर्जर का निर्णय लिया गया, इसे सितंबर 2021 तक पूरा कर लेने का भी निर्णय हो चुका। उन्होंने कहा कि यदि डिमर्जर का निर्णय लिया जा रहा है तो यह किसके डिमर्जर का निर्णय है। क्योंकि संयंत्र और खदान दोनों एक ही के द्वारा संचालित हैं।
नगरनार इस्पात संयंत्र को अलग यूनिट मान लिया गया। उन्होंने कहा कि 637 एकड़ शासकीय और 1506 एकड़ निजी भूमि है। भारत सरकार के विधि सलाहकार, परिसंपत्ति मूल्यांकन-कर्ता द्वारा भी बार-बार आपत्ति दर्ज कराई गई कि इस संयंत्र को नहीं बेचा जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष का कहना है कि निजीकरण की शुरुआत हमारी सरकार के समय हुई, वे बिलकुल ठीक कह रहे हैं।
जब नरसिंहराव प्रधानमंत्री और मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे, तब इसकी शुरुआत हुई। लेकिन इस बात पर ध्यान देना होगा कि जो बीमार और घाटे पर चल रहे उपक्रम थे, जिनकी बैलेंस शीट पांच वर्षों से घाटा दर्शा रही थी, उनकी सीएजी की रिपोर्ट आने के बाद ही उन्हें बेचा जा सकता था। लेकिन आपके शासनकाल में तो डिस्इनवेस्टमेंट के लिए अलग ही विभाग खोल दिया गया। अभी राजस्थान कोर्ट ने फैसला दिया कि सैकड़ों करोड़ के होटल 72 करोड़ में बेच दिया। श्री बघेल ने कहा कि आपकी सरकार परिसंपत्तियों को बेचने का काम कर रही है। एनएमडीसी, रेलवे, एयरपोर्ट कौन सा घाटे में चल रहा है। वो तो घाटे-फायदे की बात छोड़ दीजिए, जो बना ही नहीं है उसे बेचने की तैयारी हो रही है, इससे ज्यादा दुर्भाग्यजनक बात नहीं हो सकती।
अडानी-अंबानी के सामानों का बहिष्कार भी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 29 दिसंबर। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के देशव्यापी आह्वान पर पूरे प्रदेश के किसान और नागरिक-समूह नव वर्ष के पहले दिन 1 जनवरी को किसान विरोधी नए कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को तेज करने और उसे मुकाम तक पहुंचाने की शपथ लेंगे। साथ ही वे अडानी-अंबानी के सामानों और उनकी सेवाओं का बहिष्कार करने की भी शपथ लेंगे
छत्तीसगढ़ किसान सभा अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने बताया कि प्रदेश में पूरे दिन गांव-गांव में यह कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें किसान अपनी खेती-किसानी को बचाने और देश की अर्थव्यवस्था को कार्पोरेटों के हाथों जाने से रोकने के लिए देशव्यापी किसान संघर्ष को गांव-गांव में फैलाने और इसके लिए अपने को स्वयंसेवक के रूप में इस आंदोलन को समर्पित करने की शपथ लेंगे। वे इस आंदोलन को तब तक जारी रखने की शपथ लेंगे, जब तक कि मोदी सरकार किसान विरोधी कानूनों और कृषि विरोधी नीतियों को वापस लेने की ठोस घोषणा नहीं करती।
उन्होंने कहा कि देश का किसान आंदोलन मंडियों के निजीकरण और ठेका खेती का विरोध कर रहा है। वह अडानी-अंबानी को देश के खाद्यान्न भंडार और अनाज व्यापार सौंपने का विरोध कर रहा है, क्योंकि इससे देश में जमाखोरी, कालाबाजारी और महंगाई तेजी से बढ़ेगी। देश के किसान बिजली कानून में कार्पोरेटों को लाभ पहुंचाने वाले और किसानों से सस्ती बिजली छिनने वाले संशोधनों का विरोध कर रहे हैं। वे फसलों की सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने के लिए कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन मोदी सरकार इन जायज मुद्दों पर बातचीत करने के बजाए इस आंदोलन के खिलाफ दुष्प्रचार करने में ही लगी हुई है।
किसान सभा नेताओं ने बताया कि किसानों को शपथ दिलाने के बाद आम सभा आदि भी की जाएगी, जिसके जरिये ग्रामीणों को तीनों काले कानूनों तथा इस आंदोलन और इसकी मांगों के बारे में बताया जाएगा। इसके साथ ही मोदी-अडानी-अंबानी के पुतले आदि भी जलाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को देशी-विदेशी कार्पोरेटों के हाथों में सौंपने की मोदी सरकार की हर साजिश का इस देश की मेहनतकश जनता डटकर मुकाबला करेगी।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 29 दिसंबर। नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने छत्तीसगढ़ राज्य के सुख समृद्धि के लिए अजमेर शरीफ में चादर चढ़ाई है। सराईपाली निवासी जनाब खान, शेख वाहिद, रतन बंजारे, इजराइल खान ने मंत्री डॉ डहरिया के माध्यम से चादर प्राप्त कर आर्शीवाद प्राप्त किया। इस चादर को अजमेर शरीफ में चढ़ाया जाएगा। मंत्री डॉ. डहरिया ने राज्य में सुख-समृद्धि के लिए दुआएं मांगी हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 29 दिसम्बर। खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में 28 दिसम्बर 2020 तक 42 लाख 79 हजार मीट्रिक धान की खरीदी की गई है। अब तक राज्य के 11 लाख 19 हजार किसानों ने समर्थन मूल्य पर धान बेचा। राज्य के मिलरों को 13 लाख 77 हजार 410 मीट्रिक टन धान का डीओ जारी किया गया है। जिसके विरूद्ध मिलरों द्वारा अब तक 9 लाख 95 हजार 196 मीट्रिक टन धान का उठाव कर लिया गया है।
खरीफ वर्ष 2020-21 में 28 दिसम्बर 2020 तक राज्य के बस्तर जिले में 54 हजार 329 मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है। इसी प्रकार बीजापुर जिले में 21 हजार 608 मीट्रिक टन, दंतेवाड़ा जिले में 4 हजार 357 मीट्रिक टन, कांकेर जिले में एक लाख 36 हजार 481 मीट्रिक टन, कोण्डागांव जिले में 63 हजार 658 मीट्रिक टन, नारायणपुर जिले में 7 हजार 794 मीट्रिक टन, सुकमा जिले में 13 हजार 660 मीट्रिक टन, बिलासपुर जिले में 2 लाख 28 हजार 495 मीट्रिक टन, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही 32 हजार 16 मीट्रिक टन, जांजगीर-चांपा जिले में 4 लाख 11 हजार मीट्रिक टन, कोरबा जिले में 47 हजार 870 मीट्रिक टन, मुंगेली जिले में एक लाख 72 हजार 224 मीट्रिक टन खरीदी की गई है।
इसी तरह रायगढ़ जिले में 2 लाख 72 हजार 846 मीट्रिक टन, बालोद जिले में 2 लाख 64 हजार 656 मीट्रिक टन, बेमेतरा जिले में 2 लाख 84 हजार 509 मीट्रिक टन, दुर्ग जिले में 2 लाख 6 हजार 915 मीट्रिक टन, कवर्धा जिले में 2 लाख 10 हजार 250 मीट्रिक टन, राजनांदगांव जिले में 3 लाख 62 हजार 146 मीट्रिक टन, बलौदाबाजार जिले में 2 लाख 73 हजार 839 मीट्रिक टन, धमतरी जिले में 2 लाख 8 हजार 932 मीट्रिक टन, गरियाबंद जिले में एक लाख 54 हजार 42 मीट्रिक टन, महासमुंद जिले में 2 लाख 79 हजार 249 मीट्रिक टन, रायपुर जिले में 2 लाख 55 हजार 594 मीट्रिक टन, बलरामपुर जिले में 60 हजार 202 मीट्रिक टन, जशपुर जिले में 44 हजार 980 मीट्रिक टन, कोरिया जिले में 41 हजार 838 मीट्रिक टन, सरगुजा जिले में 71 हजार 489 मीट्रिक टन और सूरजपुर जिले में 92 हजार 899 मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है।
रायपुर, 29 दिसम्बर। लोक शिक्षण संचालनालय छत्तीसगढ़ रायपुर द्वारा शिक्षक संवर्ग की सीधी भर्ती के संबंध में अभ्यर्थियों से संभाग एवं जिले का प्राथमिकता का क्रम निर्धारण के लिए निर्देशित किया गया था। वर्तमान में बहुत कम संख्या में अभ्यर्थियों द्वारा प्राथमिकता का क्रम निर्धारण किया गया है। इस कारण से पूर्व के निर्धारित तिथि में वृद्धि की गई है।
लोक शिक्षण संचालनालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार शिक्षक (सभी विषय) 28 दिसम्बर से वृद्धि कर 7 जनवरी 2020 एवं सहायक शिक्षक (सभी विषय) 31 दिसम्बर के स्थान पर 11 जनवरी तथा सहायक शिक्षक विज्ञान (सभी विषय) का 2 जनवरी से बढ़ाकर 12 जनवरी 2020 की तिथि निर्धारित की गई है।