रायपुर
रायपुर, 29 दिसंबर। मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के तहत सुकमा जिले में बीते दो सप्ताह में 50 हजार से अधिक लोगों के रक्त की जांच की गई जिसमें केवल 1261 मलेरिया पाजिटिव पाए गए। जांच के दौरान मलेरिया पॉजिटिव पाए वयस्क पुरुष व महिलाओं की संख्या 626 है जबकि 0 से 14 वर्ष तक के पॉजिटिव पाए गए बच्चों की संख्या 635 है। इस कार्य में 280 टीम घर घर जाकर लोगों की जांच कर रहे है ।
चल रही रक्त जांच में स्वास्थ्य विभाग ने 40त्न से अधिक लक्षित जिले वासियों तक अपनी पहुंच बनाई है। इस अभियान के तृतीय चरण में सुकमा के 215 ग्राम के 1.35 लाख लोगों की मलेरिया जांच की जानी है । विभाग से मिली जानकारी के अनुसार छिंदगढ़ ब्लॉक में सर्वाधिक 35486 व्यक्तियों की जांच की गई। इसके अलावा कोंटा ब्लॉक में 13415, सुकमा ब्लॉक में 6221 व्यक्तियों की जांच की गई।
मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान तृतीय चरण 15 दिसम्बर से 30 जनवरी 2021 तक चलाया जाएगा। इस अभियान का उद्देश्य मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों से मलेरिया परिजिवी नष्ट करना है। इस अभियान के अंत तक जिले के 31,731 घरों तक स्वास्थ्य विभाग की टीम अपनी पहुंच बनाएगी। अभियान के दौरान घर-घर जाकर स्क्रीनिंग तथा प्रभावित लोगों का पूर्ण उपचार किया जा रहा है। अभियान के दौरान लोगों को मलेरिया के बारे में जानकारी दी जा रही है और मलेरिया से बचाव के तरीके भी बताये जा रहे हैं। इस दौरान 13702 घरों की सर्वे के दौरान मेडिकेटेड मच्छरदानी उपयोग करने वाले 12930 घर पाए गए व 11744 घरों में कीटनाशक का छिडक़ाव भी किया गया।
सीएमएचओ डॉ. सी. बी. प्रसाद बंसोड़ ने बताया मलेरिया पॉजिटिव पाए गए व्यक्तियों में, मलेरिया के लक्षण पाए गए रोगीयों की संख्या केवल 515 है जिनका तत्काल इलाज शुरू किया गया है। जिले वासियों से अपील करते हुए उन्होंने कहा: "घर-घर भ्रमण के दौरान आए स्वास्थ्यकर्मी से अपनी जांच कराएं, मलेरिया के मच्छर स्थिर जल में पनपते हैं इसलिये अपने घर या आसपास पानी जमा न होने दें। जमा हुआ पानी में जला हुआ मोबिल ऑयल अथवा मिट्टी का तेल अवश्य डालें , नालियों को साफ रखें। मलेरिया मुक्त अभियान को सफल बनाने के लिये अपना सहयोग दें।"
मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। खून के जरिए शरीर में घुसते ही विषाणु यकृत (लीवर) तक पहुंच जाता है। लीवर में मलेरिया का विषाणु परिपक्व हो जाता है और बच्चे पैदा करने लगता है। विषाणुओं की संख्या बढऩे के साथ ही शरीर बीमार होने लगता है। शुरुआत में रोगी को शरीर में दर्द के साथ बुखार, सिरदर्द, उल्टी या गले में सूखे कफ की शिकायत होती है। ऐसा होने पर अगर खून की जांच कराई जाए तो मलेरिया का पता आसानी से चल जाता है। लापरवाही की जाए या समय से इलाज न किया जाए तो रोगी की हालत गंभीर भी हो सकती है ।
मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के तृतीय चरण में बस्तर संभाग के 11.62 लाख से अधिक व्यक्तियों की जांच की जाएगी जिनमें सर्वाधिक दन्तेवाड़ा के 3.02 लाख, बस्तर के 2.01 लाख, बीजापुर के 1.89 लाख, नारायणपुर के 1.36 लाख, सुकमा के 1.35 लाख, कांकेर के 1.15 लाख, कांकेर के 81,000 व्यक्ति शामिल होंगे।