स्थायी स्तंभ
खाली दौड़ रहीं पैसेंजर ट्रेनें
लम्बे समय से बंद लोकल ट्रेनों को रेलवे ने आखिरकार शुरू किया. पर इनमें भीड़ नहीं है। बोगियां खाली दौड़ रही हैं। 13 फरवरी को जब ट्रेनें शुरू की गई तो रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर के बीच केवल 25-30 सवारी मिलीं। रेलवे ने एक दर्जन पैसेंजर और मेमू ट्रेनों को फिर से शुरू कर दिया है। इन्हें स्पेशल ट्रेनों के नाम पर चलाया जा रहा है। रायपुर-बिलासपुर के बीच चलने वाली ट्रेनों में सीटें कुल 3000 है लेकिन यात्रियों की संख्या अधिकतम 250 तक ही पहुंच पाई है। यानि 10 फीसदी सीटें भी नहीं भर पा रही है।
लोग इसके कई कारण बता रहे हैं। एक वजह तो ये है कि कई छोटे स्टेशनों पर ट्रेनें नहीं रोकी जा रही हैं, दूसरे किराया, स्पेशल के नाम पर अधिक लिया जा रहा है। मासिक सीजन टिकट भी बंद है। रिश्तेदारी, शादी-ब्याह में लोगों ने ज्यादा आना-जाना बंद कर रखा है। इसके अलावा 11 महीने ट्रेन नहीं चलने के कारण लोगों ने वैकल्पिक साधनों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। इन सबके बीच बड़ी वजह यह भी बताई जा रही है कि लोकल ट्रेनों में छोटे काम धंधे वाले ज्यादा चलते थे। इनमें बहुत से श्रमिक वर्ग के भी होते हैं जिनके रोजगार पर कोरोना की मार पड़ी है।
पूजा स्पेशल ट्रेनों को जब शुरू किया गया तो रेलवे ने कोरबा से रायपुर, हसदेव एक्सप्रेस को स्पेशल ट्रेन बनाकर चलाया था लेकिन सवारियां नहीं मिलने के कारण उसे बंद करना पड़ा। अब यही आशंका लोकल ट्रेनों को लेकर भी देखी जा रही है।
भाजयुमो का उलझता विवाद
भारतीय जनता युवा मोर्चा की प्रदेश कार्यकारिणी में बने रहने के लिये अब पदाधिकारियों तथा कार्यकारिणी के सदस्यों को अपनी मार्कशीट दिखानी पड़ेगी। मोर्चा की नियुक्तियों को लेकर राजधानी रायपुर ही नहीं दूसरे जिलों के कई वरिष्ठ नेता नाराज हो गये हैं। उनकी सिफारिशों पर ध्यान नहीं दिया गया। शायद संतुलन बनाकर पदाधिकारी नियुक्त किये जाते तो यह विवाद खड़ा ही नहीं होता।
पहले भी तय उम्र सीमा को उपेक्षित करके नियुक्तियां होती आई हैं। बताया तो यह जा रहा है कि यदि कड़ाई से उम्र सीमा के नियम का पालन किया गया तो 50 फीसदी पदाधिकारियों को बाहर करना पड़ेगा। इसके बाद असंतोष बढ़ेगा या थमेगा, अभी कहा नहीं जा सकता लेकिन अनुशासन को लेकर पहचाने जाने वाली भाजपा में ऐसा देखने को कम ही मिला है।
बस्तर में ग्रामीणों की नाराजगी
बस्तर के सुदूर नारायणपुर इलाके के बडग़ांव में करीब दो दर्जन गांवों के सैकड़ों ग्रामीण पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ धरने पर बैठ गये हैं। इनका आरोप है कि पुलिस ने जिन चार लोगों को गिरफ्तार किया गया वे माओवादी नहीं हैं। ग्रामीण पुलिस पर मारपीट का आरोप भी लगा रहे हैं। गिरफ्तारी 9 फरवरी को हुई थी।
बस्तर में तैनात सुरक्षा बलों पर अक्सर आरोप लगते रहे हैं वे निर्दोष ग्रामीणों को माओवादी बताकर पकड़ लेती है या फिर एनकाउन्टर कर दिया जाता है। पिछली सरकार के कार्यकाल में ऐसी घटनाएं हुई हैं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इनके खिलाफ आवाज भी उठाई । इस मामले में पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। ग्रामीण भी सही हो सकते हैं और पुलिस भी।
ग्रामीणों के बीच नक्सलियों को पहचान पाना एक बारीक सा काम है। कई बार वे नक्सली गतिविधियों में अपनी मर्जी से नहीं बल्कि दबाव में जुड़ते हैं। इसका तोड़ यही है कि सुरक्षा बल और ग्रामीणों में एक दूसरे के प्रति ज्यादा से ज्यादा भरोसा जगे। हाल ही में वैलेन्टाइन डे के दिन नक्सली जोड़ों का विवाह कराया गया। उसके पहले भूमकाल दिवस पर ग्रामीणों के साथ पुलिस ने समारोह आयोजित किया। कुछ जगहों में पुलिस शिक्षा और स्वास्थ्य के लिये भी काम कर रही है। सुरक्षा बलों को शायद और प्रयास करते रहने की जरूरत है।
सरस्वती पूजा का पहला अक्षर...
हिन्दुस्तान में धर्म और संस्कृति इतने मिले-जुले हैं कि सरस्वती पूजा के दिन घरों में छोटे बच्चों से स्लेट-पट्टी पर पहली बार कुछ लिखवाकर उनकी पढ़ाई-लिखाई का सिलसिला शुरू किया जाता है। अभी एक सज्जन सरस्वती पूजा के पहले की शाम को बाजार में स्लेट-पट्टी ढूंढते रहे। कुछ देर हो गई थी इसलिए दुकानें बंद होने लगी थीं। अपने बचपन को याद करके वे लकड़ी की फ्रेम और काले पत्थर वाली स्लेट ढूंढते रहे, तो पता लगा कि अब उसका चलन बंद हो गया है, और अब प्लास्टिक की फ्रेम में टीन की चादर पर स्लेट-पट्टी आने लगी है। एक दुकानदार ने जब स्लेट-पट्टी और उसकी पेंसिल की मांग सुनी, तो पूछा- कल सरस्वती पूजा है क्या?
शहरों में जिन हिस्सों में बच्चों के कार्यक्रमों के लिए कपड़े किराए पर मिलते हैं वहां जन्माष्टमी जैसे त्यौहारों पर ट्रैफिक जाम हो जाता है क्योंकि मां-बाप बच्चों को राधा-कृष्ण बनाने के लिए इन दुकानों पर भीड़ लगा लेते हैं। सरस्वती पूजा पर वैसी भीड़ तो नहीं लगती, लेकिन स्कूल-कॉलेज में यह पूजा फिर भी हो ही जाती है, यह अलग बात है कि इस बरस स्कूल-कॉलेज ठंडे पड़े हुए हैं।
देवियों की भूमि पर देव!
अभी भाजपा का पूरे देश में राम मंदिर चंदा अभियान चल रहा है। मुहल्लों में लाउडस्पीकर लेकर रोज सुबह लोग निकलते थे और एक रूपये से लेकर एक करोड़ रूपये तक दान देने की अपील करते थे। इसी बीच बंगाल के चुनाव को लेकर वहां भाजपा अतिसक्रिय हुई तो राजनीति के कुछ विश्लेषकों ने लिखा कि बंगाल राम की पूजा करने वाला प्रदेश नहीं है, वह देवी की पूजा करने वाला है। और याद भी करें तो बंगाल में जन्माष्टमी, रामनवमीं, या गणेशोत्सव सुनाई नहीं पड़ता है। दूसरी तरफ सरस्वती पूजा, लक्ष्मी और काली पूजा, दुर्गा पूजा की खबरों से बंगाल का मीडिया भरे रहता है, और ये प्रतीक वहां के इश्तहारों में भी रहते हैं। अब बंगाल इतना देवीपूजक क्यों है इसे जानने-समझने के लिए वहां की संस्कृति पर कुछ गंभीर लेख पढऩे पड़ेंगे, लेकिन वहां महिलाओं का इतना सम्मान तो है कि बाग-बगीचे में किसी पुरूष साथी के साथ बैठने पर भी उसका कोई अपमान बंगाल में नहीं होता। सोचकर देखें कि वहां देवियों की ही पूजा क्यों है?
धान की खुली नीलामी
राज्य सरकार द्वारा खरीदे गये धान का समायोजन एक गंभीर समस्या बन गई है। केन्द्र सरकार ने पुरानी बोरियों से धान खरीदी बंद कर दी है और 60 लाख मीट्रिक टन चावल लेने के राज्य सरकार के आग्रह पर भी कोई नरमी नहीं है। अब सरकार ने बचे हुए धान की नीलामी करने का फैसला लिया है। जाहिर है कि यह घाटे में ही बिकेगा। सरकार शायद यह सोच रही है कि कुछ तो भरपाई हो। एफसीआई में अभी जो चावल जमा हो रहा है वह पिछले साल का है। यह करीब 20 लाख मीट्रिक टन है।
धान की खेती का छत्तीसगढ़ की इकॉनामी से सीधा रिश्ता है। चुनावी वादे के मुताबिक 2500 रुपये प्रति क्विंटल, राजीव गांधी किसान न्याय योजना की राशि मिलाकर खरीदा गया है। इसके चलते दूसरी खेती की जगह किसानों ने ज्यादा से ज्यादा उगाना शुरू किया है। पड़ोसी राज्यों से लाकर भी खपाया जा रहा है। पर इसकी खपत कहां हो यह यक्ष प्रश्न बन गया है। धान पर किये जाने वाले खर्च की वजह से स्वाभाविक तौर पर विकास के बाकी कामकाज भी प्रभावित हो रहे हैं। मालूम हुआ है कि राज्य के बजट में कटौती भी करने की मंशा सरकार की है। सरकार ने तो धान का दाम 2500 रुपये तय कर दिया है। दिक्कतों के बावजूद वह अपने वादे को निभाने की कोशिश कर रही है क्योंकि किसानों को नाराज करने की स्थिति में वह नहीं है। यह पूरे पांच साल के लिये लिया गया फैसला है। क्या ऐसा नहीं किया जाना चाहिये कि इस बड़ी रकम का इस्तेमाल बाकी फसलों को प्रोत्साहित करने के लिये भी किया जाये, जिनकी प्रदेश और दूसरे राज्यों में मांग हो और राज्य बड़े घाटे से बच सके।
शराब की संस्कृति
मैनपाट महोत्सव में शराब का अवैध काउन्टर खोला गया। लोगों को गोवा, थाइलैंड वाली फीलिंग हुई। लोग वहां सत्यनारायण की कथा सुनने नहीं, मनोरंजन के लिये गये थे। शराब का बिकना कोई बड़ी बात नहीं। यह विचार है संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत का। मैनपाट में शराब की गैरकानूनी बिक्री को जायज बताने से अब प्रदेशभर में होने वाले दूसरे महोत्सवों के लिये रास्ता साफ हो गया है। क्या आने वाले दिनों में विकास की प्रदर्शनी दिखाये जाने वाले सरकारी काउन्टर के साथ-साथ आबकारी विभाग के काउन्टर में शराब की बिक्री भी होगी? वैसे इस संस्कृति का विस्तार जन समस्या निवारण शिविरों में भी किया जा सकता है।
मास्क जारी रखने की जरूरत
छत्तीसगढ़ देश के उन प्रदेशों में है जहां टीबी और कुष्ठ रोग के बहुत मरीज हैं। सरकार की इलाज-रणनीति के मुताबिक अब टीबी सेनेटोरियम बंद कर दिए गए हैं, लेकिन गरीब आबादी के छोटे घरों में जिन परिवारों में टीबी के मरीज रहते हैं, वहां दूसरे लोगों को भी संक्रमण का खतरा कुछ समय तक तो रहता है, बाद में मरीज के इलाज के चलते हुए यह खतरा घट जाता है।
अभी कोरोना की वजह से जिन लोगों में मास्क लगाना शुरू हुआ है, उसका एक फायदा यह भी हुआ कि टीबी या कोई और संक्रामक रोग बढऩा भी थमा है। अब जैसे-जैसे कोरोना का खतरा लोगों को कम लग रहा है, लोग मास्क हटाकर चल रहे हैं, और ऐसे में टीबी बढऩे का खतरा एक बार फिर खड़ा हो गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर दूसरे संगठनों ने भी कोरोना के मोर्चे पर लापरवाही के खिलाफ लोगों को सचेत किया है, कोरोना से सावधानी बरतते हुए लोग टीबी जैसे संक्रामक रोग से भी बच रहे थे, लोगों को आगे भी जहां तक हो सके मास्क का इस्तेमाल जारी रखना चाहिए।
बजट के बाद का पेट्रोल
डीजल, पेट्रोल की कीमत 90-100 रुपये पहुंचने की चिंता जिन्हें खाये जा रही है, उन्हें फिलहाल ठंडी सांस लेनी चाहिये, क्योंकि आने वाले दिनों में इसकी कीमत और बढ़ रही है। एक अप्रैल से केन्द्रीय बजट में प्रस्तावित नये टैक्स लागू हो जायेंगे। इसमें पेट्रोलियम उत्पादों पर एग्री सेस लगाने का प्रावधान है। यह राशि ‘किसानों के हित’ में लगाया जा रहा है। पेट्रोल पर यह अतिरिक्त कर 2.5 रुपये तो डीजल पर 4 रुपये लगेगा। छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश की माली हालत का हवाला देते हुए वैट टैक्स घटाने से मना कर ही दिया है। केन्द्र सरकार जब टैक्स और बढ़ाने में लगी हो तो कम करने का कोई संभावना है ही नहीं। हिम्मत बनाये रखें, अपने करीबियों की ढांढस भी बढ़ाते रहिये।
स्कूल चलें हम..।
यूं तो बस, ट्रेन, मंदिर, मस्जिद और बाजार कोरोना महामारी से जूझते हुए धीरे-धीरे खुलते गये पर पटरी पर जि़दगी लौट रही है इसका एहसास तब हुआ जब स्कूलों में चहल-पहल शुरू हुई। पहले दिन स्कूलों में जैसी जबरदस्त मौजूदगी बच्चों की दिखाई दी, उसने बता दिया कि हम हर बीमारी, हर एक महामारी से दो-दो हाथ करने के लिये तैयार है पर अपने भविष्य के साथ समझौता करने के लिये नहीं। पहले दिन पढ़ाई न के बराबर हुई। बच्चों में पढऩे से ज्यादा उत्साह इस बात को लेकर था कि महीनों बाद वे अपने पुराने दोस्तों और टीचर से मिल पाये। अब दोस्तों के साथ वे खेल सकेंगे, झगड़ा कर सकेंगे। टीचर्स के साथ बार-बार सवाल कर डाउट्स क्लियर कर पायेंगे। यह सब ऑनलाइन क्लास में कहां हो पाता था?
अब इसका दूसरा पहलू यह है कि स्कूल ऐसे वक्त में खोले गये हैं जब परीक्षायें पास हैं। यानि कुछ दिनों में तैयारी के लिये छुट्टी दे दी जायेगी। निजी स्कूल संचालकों के लिये यह फायदेमंद है। इस बहाने वे पूरे साल की फीस पालकों से वसूल कर सकेंगे। पालकों के एक संगठन ने हाईकोर्ट का दरवाजा भी इसी मुद्दे पर खटखटा दिया है।
सीजीपीएससी ने फिर की गलती
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग का एक मामले में कीर्तिमान रहा है। वह यह कि कोई भी परीक्षा विवाद के बिना नहीं निपटी। प्राय: हर बार प्रतियोगी हाईकोर्ट चले गये। यहां तक कि सन् 2003 के मामले भी अब तक आखिरी फैसले के लिये अटके हुए हैं। कुछ ऐसा इस बार भी हो तो आश्चर्य नहीं। सीजीपीएससी ने जब नोटिफिकेशन जारी किया तो बताया गया था कि गलत जवाब देने पर 0.33 अंक माइनस मार्किंग की जायेगी। ऐसा हर बार किया जाता है। पर इस बार की प्रारंभिक परीक्षा में जब प्रश्न-पत्र प्रतियोगियों के हाथ में आया तो उसमें इस बात कोई जिक्र नहीं था। उल्टे यह लिखा था कि सभी प्रश्नों को हल करना अनिवार्य है। मतलब, जिसका जवाब पता नहीं, उसका भी जवाब दें। असमंजस में विद्यार्थियों ने सारे सवाल हल कर दिये। गलत उत्तर के नंबर कटेंगे या नहीं, यह उन्हें पता नहीं। देखें, बिना कोर्ट जाये मामला सुलझेगा या नहीं।
भू माफियाओं की मौज
राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद छोटे भूखंडों की बिक्री की छूट दी गई। यानि 2400 वर्गफीट से कम जमीन भी प्लाटिंग करके बेची जा सकती है। इसी आड़ में धड़ल्ले से अवैध प्लाटिंग की जा रही है। प्रदेशभर से ऐसी शिकायतें हैं। राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल वैसे तो अपने दबंग होने का एहसास कराते हैं पर इस मुद्दे पर कुछ नरम हैं। मीडिया से बात करते हुए कल उन्होंने कहा कि अवैध प्लाटिग दूसरी बात है, बेजा कब्जा अलग। उन्होंने कहा कि पूरे देश में अवैध कब्जा है। सबसे ज्यादा तो मेरे विधानसभा क्षेत्र (कोरबा) में है। सालों से ये रहते आये हैं इन्हें तो हम बिजली पानी तक दे रहे हैं। इसके दो ही मायने हो सकते हैं। एक तो यह कि बेजा कब्जा करने वाले इतने ताकतवर हैं कि सरकार और प्रशासन उन्हें खाली कराने में असमर्थ है। और, यदि गरीब वर्ग के लोगों ने कब्जा कर रखा है तो उन्हें सरकारी आवास योजना का लाभ सरकार नहीं दे पा रही है।
इधर सरकारी जमीन पर बेजा कब्जा कर अवैध प्लाटिंग करने का खेल ऐसा है जिसमें करोड़ों का वारा-न्यारा हो रहा है। राजस्व अमला इन्हें नोटिस पर नोटिस भेजकर खानापूर्ति कर रहा है। मंत्री दावा करते हैं कि कार्रवाई हो रही है। बेदखली के आंकड़े तो सामने आ नहीं रहे हैं।
- 1948-पहली यूरेनस के चन्द्रमा मिरान्डा का फोटोग्राफ लिया गया।
- 1953-पहली बार वैज्ञानिकों ने ऐरिक लन्ड्ब्लैड के नेतृत्व में स्वीडन की एक प्रयोगशाला में रेत के कण के बराबर हीरे का निर्माण किया। जिसे ग्रेफाइट को 83 हजार वायुमंडलीय दाब और लगभग दो हजार डिग्री सेंटीग्रेट ताप पर एक घण्टे रख कर निर्मित किया गया था। इसका विचार रेफ्रिजेरेटर के आविष्कारक बाल्ट्जऱ वॉन प्लेटेन द्वारा सुझाया गया था।
- 1986 - मेरिओ सोरेस पुर्तग़ाल के प्रथम असैनिक राष्ट्रपति निर्वाचित।
- 1990 - सैम नुजोमा नामीबिया के पहले राष्ट्रपति निर्वाचित।
- 2003 - विश्व की पहली क्लोन भेड़ डॉली को दया मृत्यु दी गई।
- 2008- मध्य प्रदेश शासन द्वारा पाश्र्वगायक नितिन मुकेश को लता मंगेशकर पुरस्कार प्रदान किया गया। टाटा मोटर्स ने सेना के लिए लाइट स्पेशिएस्टि ह्वीकल नाम से एक वाहन उतारा। बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार ने राज्य में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजन का शुभारम्भ किया। पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में मिराज विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ।
- 2010- हिन्दी के प्रसिद्ध कवि कैलाश वाजपेयी, मैथिली के दिवंगत कथाकार मनमोहन झा तथा अंग्रेज़ी के लेखक बद्रीनाथ चतुर्वेदी समेत 23 लोगों को वर्ष 2009 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। गुजराती के लेखक शिरीष जे. पंचाल ने यह पुरस्कार लेने से मना कर दिया। राज्यसभा संसद एवं प्रसिद्ध हिन्दी अनुवादक वाई. लक्ष्मीप्रसाद को तेलुगु साहित्य के लिए यह पुरस्कार दिया गया। शास्त्रीय गायक पंडित जसराज, वरिष्ठ फि़ल्म अभिनेता डॉ. श्रीराम लागू और नृत्यांगना यामिनी कृष्णमूर्ति तथा कर्नाटक संगीत के तीन प्रसिद्ध व्यक्तियों कुल छ: व्यक्तियों को उनके संगीत नाटक और नृत्य में योगदान के लिए प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी फ़ैलो (अकादमी रत्न) प्रदान करने की घोषणा की गई।
- 1944 - भारतीय सिनेमा के पितामह दादा साहब फाल्के का निधन हुआ।
- 1834 - जर्मन जीववैज्ञानिक अर्न्स्ट हकेल का जन्म हुआ, जिन्होंने पशु जगत को एककोशिकीय तथा बहुकोशिकीय जीवों में विभाजित किया। वे डार्विन के सिद्धान्त के उत्साही समर्थक थे। इन्होंने कई शब्द दिए जिनका प्रयोग आज के जीव वैज्ञानिक करते हैं जैसे ईकोलॉजी, फाइलम और फाइलोजेनी। (निधन-9 अगस्त 1919)
- 1822- अंग्रेज़ वैज्ञानिक सुजननिकी (युजेनिक्स) के संस्थापक, सांख्यिकीविद तथा बौद्धिक क्षमता के जांचकर्ता सर फ्रान्सिस गैल्टन का जन्म हुआ, जिन्होंने लाभदायक लक्षणों को पीढ़ी में बनाए रखने के लिए वैज्ञनिक तरीके से चुने अभिभावकत्व के लिए शब्द दिया युजेनिक्स। (निधन-17 जनवरी 1911)
- 1956-भारतीय खगोल भौतिकशास्त्री मेघनाद एन. साहा का निधन हुआ, जो 1920 में थर्मल आयनाइज़ेशन समीकरण को विकसित करने के लिए जाने जाते हैं। जिसे फिर ब्रिटेन के वैज्ञानिक ऐडवर्ड ए. माइल्न ने और परिपूर्ण किया। जो अब तारकीय वातावरण के अध्ययन के लिए मूलभूत माना जाता है। (जन्म 6 अक्टूबर 1883)
- 1754- अंग्रेज़ चिकित्सक रिचर्ड मीड का निधन हुआ, जिन्होंने रोग प्रतिरोधक दवाओं में योगदान दिया तथा चेचक के टीके के निर्माण में सहायता दी। उन्होंने प्लेग, खसरा, स्कर्वी आदि बीमारियों पर भी कार्य किया। इन्होंने 1702 में प्रकाशित मैकेनिकल एकाउन्ट आफ प्वॉयजऩ में वाइपर के ज़हर का इंसानों के शरीर पर होने वाले प्रभाव पर किए उनके परीक्षणों के अवलोकन थे। (जन्म 11 अगस्त 1673)।
गैस, पेट्रोल खरीदने की ताकत
इंटरनेट पर ‘गिव इट अप’ का मतलब हिन्दी में जानना चाहेंगे तो जवाब मिलेगा- हार मान लेना। ऐसा नहीं होना चाहिये। रायपुर में आज पेट्रोल प्रतिलीटर केवल 87.53 रुपये है। आज ही घरेलू सिलेन्डर के दाम में 50 रुपये की बढ़ोतरी भी हो गई। सोच सकारात्मक रखिये। प्रधानसेवक भी यही कहते हैं। कई शहरों में पेट्रोल 100 रुपये के ज्यादा दाम पर है। हम वहां के लोगों से 12 रुपये कम में खरीद रहे हैं।
गैस सिलेन्डर के दाम बढऩे पर भी खुशी होनी चाहिये। मोदी सरकार ने ‘गिव इट अप’ अभियान चलाया था। यानि हार मान लें। सबसिडी लेने से आप मना कर दें। कई मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों, व्यापारियों ने इसमें भाग लिया और उन्होंने अपने इस अमूल्य योगदान को प्रचारित भी किया। आज हम आप भी उनकी ही तरह श्रेष्ठ हैं। घरेलू गैस की कीमत इतनी बढ़ चुकी है कि कुछ दान करने की जरूरत ही नहीं रह गई। वह टैक्स के तौर पर अपने आप ही सरकार के खाते में जा रही है। आम आदमी की ताकत को कम नहीं आंकना चाहिये।
एलआईसी सोच-समझकर कर रही है?
एक तरफ मोदी सरकार देश के बहुत से दूसरे सार्वजनिक उपक्रमों के साथ-साथ देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी में भी हिस्सेदारी बेचने जा रही है, दूसरी तरफ खुद एलआईसी दूसरे सरकारी उपक्रमों की तरह लापरवाही से काम कर रही है। लोगों को एलआईसी से जो प्रिंट की हुई चि_ियां, सूचना, नोटिस, रसीदें मिलती हैं, उनमें अक्सर स्याही इतनी हल्की रहती है कि पढ़ते ही न बने। यह भी हो सकता है कि दुनिया भर में बदनाम बीमा कंपनियों की तरह एलआईसी भी अब इस रास्ते पर चल रही हो कि ग्राहकों को समय पर सूचना न दी जाए, ताकि बाद में उनसे जुर्माना लिया जा सके, या पॉलिसी पूरी हो जाने पर भी अपठनीय सूचना भेजी जाए ताकि लोग रकम समय पर न निकाल सकें, और एलआईसी मुफ्त में उसका इस्तेमाल कर सके।
फिलहाल यह एक नमूना है कि एलआईसी किस तरह न पढऩे लायक सूचना भेजती है। और यह प्रिंट ही तो कम्प्यूटर-प्रिंटर निकालता है, उसे मोडक़र लिफाफे में डालकर भेजने का काम तो अभी भी इंसान करते हैं जिन्हें आसानी से यह दिखता है कि ये प्रिंट कोई पढ़ नहीं सकेंगे। महज एक कानूनी औपचारिकता पूरी करने के लिए एलआईसी ऐसे कागज भेजना दिखा रही है जिसे न भेजें तो सिर्फ कानूनी औपचारिकता की कमी रहेगी।
कॉलेज में भी पढ़ाएं, ऑनलाईन भी!
छत्तीसगढ़ में कॉलेज खुलने का हुक्म जारी हुआ, तो एक बात पर कॉलेज के शिक्षक हैरान हैं। अब कॉलेज जाकर क्लास लेनी है, और जो छात्र-छात्राएं वहां नहीं पहुंचेंगे, उन्हें ऑनलाईन भी पढ़ाना है। हर शिक्षक-शिक्षिका को इतना काम करना है, तो आगे चलकर जब सब सामान्य होगा, तो इनसे आधे लोगों से भी काम चल जाएगा क्योंकि अभी 10-12 घंटे रोज काम करने की आदत हो गई है।
वैसे हालात ठीक होने पर सरकार को एक मुहिम चलाकर अपने हर कर्मचारी-अधिकारी को ऑनलाईन काम करने की ट्रेनिंग देनी चाहिए, और कम्प्यूटर-इंटरनेट का हर जगह इंतजाम भी करना चाहिए क्योंकि कुंभ के मेले में खोया हुआ कोरोना का भाई साल-छह महीने में पता नहीं कब लौटकर आ जाए, और एक बार फिर लॉकडाऊन-वर्कफ्रॉमहोम की नौबत आ जाए। इस बार तो लोग और दफ्तर तकनीकी रूप से तैयार नहीं थे, लेकिन अगली बार की सोचकर यह इंतजाम कर लेना चाहिए।
शेयर से विरक्त आम आदमी
बढ़ती महंगाई और सोने के गिरते भाव के बीच शेयर सेंसेक्स का ऊंचा होते जाना वाजिब है। शुक्रवार को जब बाजार बंद हुआ तो 50 हजार का आंकड़ा था। आज बाजार खुलते ही 52 हजार पर पहुंच गया। कोरोना काल में जब लोग दूसरे काम धंधे नहीं कर पाते थे तो ऑनलाइन ट्रेडिंग ही करते थे। कुछ जोखिम उठाने वालों ने घर बैठे-बैठे 15-20 लाख रुपये कमा लिये।
शेयर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचना बताता है कि आम आदमी की माली हालत से इसका कोई रिश्ता नहीं है। एक आंकड़ा है कि केवल 0.6 प्रतिशत लोग शेयर मार्केट में पैसा लगाते हैं और इनमें से भी करीब 0.1 प्रतिशत लोग नियमित ट्रेडिंग करते हैं। आम लोगों को तो इसी बात से मतलब है कि रोजमर्रा की चीजें महंगी हुईं या सस्ती। इन दिनों सोनी लिव पर एक वेब सीरिज बहुत पॉपुलर हुई है- ‘स्कैम 1992’। स्टॉक मार्केट का खेल कैसा है, इस वेब सीरिज को देखकर बड़ी गहराई से समझा जा सकता है। मीडिया से जुड़े लोगों के लिये इसमें महत्वपूर्ण जानकारी है। ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्टर सुचेता दलाल ने हर्षद मेहता के फ्रॉड को सामने लाया था। बाद में उन्हें इस रिपोर्टिंग के लिये ‘पद्मश्री’ से भी सुशोभित किया गया।
खनन माफियाओं पर नरमी
मुंगेली जिले में सरपंच के पति और उनके साथियों ने पूर्व सरपंच और उनके समर्थकों पर तब रॉड, लाठी-डंडों से हमला कर दिया जब वे अवैध मुरूम खनन को रोकने के लिये गये। बलवा हो गया, अस्पताल में घायलों का इलाज हो रहा है। पूरे राज्य में नदियों से रेत और सरकारी जमीन से मुरूम के अवैध उत्खनन का काम बड़े पैमाने पर हो रहा है। प्रतिपक्ष भाजपा इसके विरोध में ज्ञापन प्रदर्शन करती रही है। जगदलपुर में कल ही भाजपा नेताओं ने अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा। पर बाकी जगहों पर वे खामोश हैं। शायद उनके भी लोग इस धंधे में हैं।
शांत छत्तीसगढ़ में उत्खनन को लेकर हिंसक वारदातें हो नहीं रही है। होनी भी नहीं चाहिये। पर इसकी एक वजह यह भी है कि खनिज विभाग के अधिकारी आंख मूंद लेते हैं। शायद सोचते हों कि रेड क्यों करें, झंझट लेने से क्या फायदा। ज्यादातर लोग तो सरकार से जुड़े लोग ही हैं। मध्यप्रदेश की स्थिति तो बड़ी खराब है जहां डीएसपी, एसडीएम, पत्रकार या तो मारे गये या बुरी तरह घायल हुए। क्या हम छत्तीसगढ़ में भी ऐसी नौबत आने का इंतजार करें?
- 1564 - महान खगोलशास्त्री गैलीलियो का जन्म।
- 1806 - फ्रैंको, प्रसियन संधि के बाद प्रसिया ने ब्रिटिश जहाज़ों के लिए अपने बंदरगाह बंद किये।
- 1906 - ब्रिटेन की लेबर पार्टी का गठन।
- 1967 - भारत में चौथी लोकसभा के लिए चुनाव हुए।
- 1972-विलेम जे. कॉल्फ के नाम कृत्रिम हृदय तथा कृत्रिम वृक्क का अमेरिकी पेटेन्ट ज़ारी किया गया।
- 1903 -अमेरिका में पहला टेडी बियर बनाया गया। इसका निर्माण रूस से आए हुए ब्रूकलिन (न्यूयॉर्क) के खिलौने की दुकान के मालिक मॉरिस और रोज़ मिक्टम ने किया।
- 1982 - श्रीलंका द्वारा राजधानी का कोलम्बो से जनवर्धनपुर को स्थानांतरण।
- 1991 - ईराक ने कुवैत से हटने की घोषणा की।
- 1999 - परमाणु अस्त्र पर रोक लगाने के उद्देश्य से मिस्र में निगरानी केंद्र की स्थापना करने की घोषणा।
- 2001 - भारत का रूस से टी-90 टैंकों की खऱीद का समझौता।
- 2002 - अफग़़ानिस्तान में हज यात्रियों की भीड़ ने पर्यटन मंत्री अब्दुल रहमान को पीट-पीटकर मार डाला।
- 2003 - एरियन 4 राकेट से दूरसंचार उपग्रह इंटलसैट अंतरिक्ष में छोड़ा गया।
- 2007 - बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भ्रष्ट व्यक्तियों के चुनाव लडऩे पर प्रतिबंध लगाया।
- 2008 - खगोलविदों ने सौरमंडल की तरह एक दूसरे सौरमंडल की खोज की।
- 2010- केंद्रीय गृह मंत्री पी.चिदम्बरम के ऑपरेशन ग्रीनहंट शुरू करने के छह दिन के अंदर ही सशस्त्र माओवादियों ने पश्चिम बंगाल में पश्चिम मिदनापुर जि़ला स्थित सिल्दा शिविर पर हमला कर राज्य में माओवादी निरोधक अभियान में शामिल ईस्टर्न फ्रंटियर राइफल्स (ईएफ़आर) के 24 जवानों की हत्या कर दी।
- 1869 - भारतीय शायर मिजऱ्ा ग़ालिब का निधन हुआ।
- 1948- प्रसिद्ध कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का निधन हुआ।
- 1834- इंग्लैण्ड में वायरलेस टेलीग्राफी तथा टेलीफोन के निर्माण में अग्रणी रहे सर विलियम हेनरी प्रीस का जन्म हुआ। प्रीस की रुचि विद्युत तथा टेलीग्राफी में तब विकसित हुई जब वे स्नातक में माइकल फैराडे के शिष्य बने। उन्होंने मारकोनी को भी पोस्ट ऑफिस से सहायता दिलाकर प्रोत्साहित किया। (निधन-6 नवम्बर 191)
- 1809 - अमेरिकी आविष्कारक साइरस हॉल मैक्कॉरमिक का जन्म हुआ, जिन्होंने पहली प्रायोगिक व्यावसायिक रूप से सफल कटाई मशीन का निर्माण किया। उनके पिता ने 1809 से 1816 के बीच कटाई मशीन निर्माण करने की कोशिश की मगर वे असफल हुए। 1831 में साइरस ने जनता के सामने अपनी मशीन को प्रदर्शित किया और 4 फीट के पट्टे को काटा। सन् 1834 में उन्होंने उसे पेटेन्ट कराया। (निधन-13 मई 1884)
- 1996-ऑस्ट्रिया में जन्मे अमेरिकी इलेक्ट्रिकल इंजीनियर अर्नस्ट वेबर का निधन हुआ, जिन्होंने माइक्रोवेव तकनीक विकसित करने में सहयोग किया। उन्होंने अत्यधिक उच्च आवृत्ति के माइक्रोवेव के बिल्कुल सही मापन करने की तकनीक पर शोध किया। (जन्म 6 सितम्बर 1901)।
सरगुजा के कलाकारों की नाराजगी
मैनपाट महोत्सव में खेसारीलाल यादव को लगभग 20 लाख रुपये देकर बुलाया गया। कैलाश खेर को, मालूम हुआ है, 25 लाख रुपये दिये जायेंगे। टीवी, यूट्यूब पर अक्सर दिख जाने वाले इन कलाकारों के पीछे महोत्सव के बजट का इतना बड़ा हिस्सा खर्च किये जाने पर स्थानीय कलाकारों ने अपना विरोध जताया है। लोककला और थियेटर से जुड़े कलाकार कहते हैं कि जब उन्हें बुलाया जाता है तो हाथ खींचकर बहुत कम पैसा दिया जाता है। भुगतान के लिये भी महीनों चक्कर लगाने पड़ते हैं। पर ये कलाकार पूरी रकम हाथ में आये बिना मंच पर चढ़ते नहीं। विरोध में कुछ लोगों ने यह भी कहा है कि कैलाश खेर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के घोर समर्थक हैं। उन्होंने किसान आंदोलन के विरोध में हाल ही में कई पोस्ट डाले हैं। कांग्रेस नेता अगर किसान आंदोलन के समर्थन में हैं तो उन्हें ऐसे मौके पर क्यों बुलाया गया?
इस बारे में जब खाद्य मंत्री अमरजीत भगत कहते हैं कि किस कलाकार को बुलाना है यह अफसर तय करते हैं। कैलाश खेर के किसान आंदोलन के खिलाफ पोस्ट्स पर कहा कि किसी की राजनीतिक विचारधारा क्या है, इससे क्या फर्क पड़ता है। कलाकार तो कलाकार है।
बेशक, पर कांग्रेस इसे फिजूलखर्ची मानती रही है, जब राज्योत्सव में भाजपा की सरकार इसी तरह से बड़ी रकम देकर बॉलीवुड कलाकारों को बुलाया करती थी। उसके विरोध में बयानबाजी की जाती थी। अब वही रास्ता इन्हें क्यों रास आ रहा है?
महोत्सव में अफरा-तफरी
भोजपुरी कलाकार खेसारी लाल यादव के कार्यक्रम में मैनपाट महोत्सव के दौरान लाठियां चल गई। जो बातें सामने आई हैं उसके अनुसार बैठक व्यवस्था ही ठीक नहीं थी। सामने जमा लोगों के कारण पीछे के लोगों को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, कुर्सियां पर्याप्त नहीं थी। साउन्ड सिस्टम भी खराब था। नाराज लोग कलाकार को करीब से देखने सुनने के लिये इधर-उधर चढऩे लगे और कई लोग जख्मी भी हो गये। पुलिस को सीधा उपाय समझ में आया लाठियां घुमाओ। इस घटना से महिलायें और बच्चे ज्यादा डर गये। अब पुलिस सफाई दे रही है कि लाठियां चलाई नहीं, सिर्फ लहराई। बारीक सा अंतर है। लाठी चार्ज करना एक दांडिक कार्रवाई है, इसलिये इस शब्द का तकनीकी तौर इस्तेमाल करने से प्रशासन परहेज करता है।
मैनपाट की छत्तीसगढ़ में अलग छाप है। यहां तिब्बतियों का रहवास और बौद्ध मंदिर हैं। 3400 फीट की ऊंचाई पर मौजूद अद्भुत प्राकृतिक छटा की वजह से इसे छत्तीसगढ़ का शिमला भी कहते हैं। महोत्सव का आयोजन इस पहचान को ही व्यापकता देने के लिये है, पर प्रशासनिक तैयारियों में कमी के चलते विवादित हो गया है। आज वहां कैलाश खेर और अनुज शर्मा के कार्यक्रम हैं। देखना होगा, व्यवस्था को लेकर दर्शक, खासकर महिलायें और बच्चे निश्चिंत हैं या नहीं।
केवल किराये के लिये कोरोना
कोरोना महामारी के बहाने से बंद की गई लोकल, पैसेंजर ट्रेनों को आखिरकार रेलवे ने शुरू कर दिया है। आखिरी वक्त तक रेलवे इस बात को छिपाती रही कि इन ट्रेनों में पहले की तरह किराया रहेगा या नहीं। काउन्टर खुले तब लोगों को मालूम हुआ कि कई छोटे स्टेशनों पर ये रुकेंगी भी नहीं और किराया एक्सप्रेस का है। । मसलन, रायपुर से बिलासपुर तक सफर के लिये 30 रुपये की जगह 55 रुपये लिये जा रहे हैं। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि कोरोना का प्रसार न हो, यात्री ज्यादा सफर करने से बचें इसलिये किराया ज्यादा लिया जा रहा है। मासिक टिकटें और रियायती टिकट भी इसी नाम से बंद हैं। हकीकत यह है कि कोरोना के डर से गेट पर केवल टिकट चेक किया जा रहा है। मास्क और सैनेटाइजर भी जरूरी नहीं है। एक बर्थ पर चार-चार यात्रियों को टिकट दी जा रही है, यानि सोशल डिस्टेंस की भी परवाह नहीं । ऐसे में केवल किराया बढ़ा देने से कोरोना कैसे रुकेगा, यह रेलवे ही बता सकती है।
- 1556 - पंजाब के गुरदासपुर जि़ले के कलानौर में अकबर की ताजपोशी हुई।
- 1628 - शाहजहां आगरा की गद्दी पर बैठा।
- 1663 - कनाडा फ्रांस का एक प्रांत बना।
- 1881 - भारत के पहले होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की कोलकाता में स्थापना।
- 1893 - हवाई, अमेरिका का हिस्सा बना।
- 1961 -एक सौ तीनवें तत्व लॉरेन्शियम का आविष्कार बर्कले, कैलिफोर्निया में हुआ।
- 2003- दुनिया में क्लोन तकनीक से पैदा पहली भेंड़ डॉली की फेफड़े की बीमारी से मृत्यु हो गई। उसका जन्म एडिनबरा (स्कॉटलैण्ड) के रोज़लिन संस्थान में जुलाई 1996 में हुआ था।
- 1979-काबुल में अमेरिकी राजदूत एडोल्फ़ डक्स की मुस्लिम उग्रवादियों द्वारा हत्या।
- 1990 - बंगलौर में इंडियन एयरलाइंस 605 पर सवार 92 लोग विमान दुर्घटना में मारे गये।
- 1993 - कपिल देव ने 400 विकेट और 5 हजार रनों का रिकार्ड बनाया।
- 2005 - प्रसिद्ध साहित्यकार डॉक्टर विद्यानिवास मिश्र की सडक़ दुर्घटना में मृत्यु।
- 1483 - मुग़ल सम्राट बाबर का जन्म हुआ। (मृत्यु- 1530)
- 1933 - भारतीय फि़ल्म अभिनेत्री मधुबाला का जन्म हुआ। (मृत्यु- 1969)
- 1952 -भारतीय जनता पार्टी की शीर्ष महिला राजनीतिज्ञ सुषमा स्वराज का जन्म हुआ।
- 1819-अमेरिकी आविष्कारक क्रिस्टोफर लैथम शोल्स का जन्म हुआ, जिन्होंने टाइपराइटर की खोज की। वे एक अखबार के संपादक थे। जब उन्होंने पन्नों की संख्या लिखने वाली मशीन बनाई तब उनके मित्र ने उसे छापने की मशीन में विकसित करने की सलाह दी। शोल्स ने टाइपराइटर को 1860 में पेटेन्ट कराया, फिर 1873 में उसके अधिकार रेमिंगटन को बेच दिए। (निधन-17 फरवरी 1890)
- 1911- डच-अमेरिकी चिकित्सक तथा बायोमेडिकल इंजीनियर विलेम जे. कोल्फ का जन्म हुआ, जो कृत्रिम अंग निर्माण के अग्रणी थे। वर्ष 1943 में इन्होंने कृत्रिम वृक्क मशीन का निर्माण किया। फिर अमेरिका जाने के बाद 1957 में इन्होंने कृत्रिम हृदय को एक कुत्ते में प्रत्यारोपित कर दिया। यह वायवीय पम्प था जिससे कुत्ता 90 मिनट तक जीवित रहा। 2 दिसम्बर 1982 में इनकी देखरेख में पहला पूर्ण कृत्रिम हृदय मानव शरीर में प्रत्यारोपित किया गया।
- 1779-अंग्रेज़ जहाज़ी जेम्स कुक का निधन हुआ, जो वैज्ञानिक नाविकों में पहले थे। कैप्टन कुक ने कई वर्षों तक लेब्राडोर तथा न्यूफाउन्डलैण्ड के तटों पर सर्वेक्षण किया। सन् 1768 में अपने पहले अभियान में पेड़-पौधों और जीवों का अध्ययन करने के लिए वे अपने साथ एक वनस्पति वैज्ञानिक जोजफ़ बैन्क्स को ले गए। इनकी भौगोलिक खोजों ने इन्हें मैगेलन के बाद सबसे मशहूर नाविक बना दिया। (जन्म 28 अक्टूबर 1728)