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रायपुर, 19 जून। प्राणीशास्त्र विभाग तथा आईक्यूएसी समिति, शासकीय नागार्जुन स्नातकोत्तर विज्ञान महाविद्यालय, रायपुर के तत्वाधान में एनिमल डाइवर्सिटी-लोकल टू ग्लोबल विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार के तीसरे दिन के प्रथम सत्र में डॉ. प्रफुल्ल कुमार मोहंती कुलपति, खल्लीकोट विश्वविद्यालय, बरहामपुर, ओडिशा ने पशु विविधता-क्यों और कैसे पर व्याख्यान दिया।
डॉ. मोहंती ने बताया कि पृथ्वी विभिन्न पहलुओं के कारण अद्वितीय है लेकिन जैविक विविधता के लिए अधिक सटीक है। जानवर हमें भौतिकी, रसायन विज्ञान, भूगोल, भूविज्ञान, इंजीनियरिंग, अंतरिक्ष विज्ञान आदि पढ़ाते हैं जिसके लिए उन्हें समझाना आवश्यक है। जीव विज्ञानियों, प्राणीशास्त्रियों, प्रकृतिवादियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपने आस-पास मौजूद और विलुप्त हो रहे जानवरों के सभी पहलुओं के पीछे के विज्ञान की कल्पना करें व हमारे बेहतर भविष्य के लिए इसका संरक्षण करें।
डॉ. दिनेश भट्ट, गुरुकुल कांगरी विश्वविद्यालय, हरिद्वार, ने पश्चिमी और पूर्वी हिमालय के कुछ हिस्सों में प्राकृतिक और शहरीकृत आवासों में जीव-जंतु विविधता पर व्याख्यान में कहा पक्षियों के विभिन्न स्वभाव जैसे प्रजजन, प्रवास आदि पर भी अधिक शोध की आवश्यकता है। हिमालय के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में लगभग 1300 प्रजाति की चिडिय़ा हैं जिनमे से अधिकांश लगभग 80 प्रतिशत प्रजाति इंडियन हिमालयन रीजन में पाई जाती है। पर्यटन विकास, औद्योगिकरण एवं इन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व में वृद्धि के कारण पर्यावरण में बदलाव हुए हैं जिसका दुष्प्रभाव वहां पाए जाने वाले पक्षियों की प्रजातियों पर पढ़ रहा है। इस सत्र का संचालन वेबिनार की को-कन्वीनर डॉ. रेणु माहेश्वरी के द्वारा किया गया।
वेबिनार के दूसरे सत्र समापन समारोह में एस नंदिनी ने मेक्सिको में प्लवक की विदेशी प्रजातियां पर अपने व्याख्यान में कहा विदेशी जीवों का प्रसार संभवत: जानवरों के प्रवास, वाणिज्य और जीवित जीवों के व्यापार के कारण होता है। विदेशी प्रजातियों का अध्ययन 1700 के दशक में शुरू हुआ लेकिन पिछले पांच दशकों में आक्रामक प्रजातियों की उपस्थिति एक व्यापक समस्या बन गई है। मेक्सिको में रोटिफऱ प्रजाति की समृद्धि और वितरण पर एस.एस.एस. सरमा, मैक्सिको ने रोटिफऱ की संरचना, वर्गीकरण व महत्व को बताते हुए कहा, रोटिफेर वाटर बॉडीज के लिए इंडिकेटर का काम करते हैं व एक्वेटिक फ़ूड चेन में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है ।
समापन समारोह में डॉ. कविता दास, ओर्गनइजिंग सेक्रेटरी के द्वारा वेबिनार की समरी बताई गयी। डॉ. राधा पांडे, प्राचार्य ने सभी गेस्ट स्पीकर्स को धन्यवाद करते हुए कहा कि बायोडायवर्सिटी की भूमिका हमारे जीवन अभिन्न अंग है जिसे हमें संरक्षित रखना है। धन्यवाद वेबिनार की कन्वीनर डॉ. सीमा गुप्ता, द्वारा किया गया। इस सत्र का संचालन डॉ. पल्लवी सिन्हा के द्वारा किया गया।