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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 7 अक्टूबर। नगर निगम की नालियों की डिजाइन बनाने वाली कंपनी को चार करोड़ रुपये के भुगतान के आर्बिट्रेटर के आदेश को हाईकोर्ट की डिविजन बेंच ने निरस्त कर दिया है।
नगर निगम बिलासपुर ने सन् 2010 में सिंगापुर की मेन हार्टेड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को शहर की नालियों की ड्राइंग डिजाइनिंग करने के लिए 4 करोड रुपए का ठेका दिया था। कंपनी ने डीपीआर बनाकर नगर निगम को पेश किया। इस प्रत्याशा में कि प्रावधान के मुताबिक डीपीआर को केंद्र सरकार से अनुमोदन मिल जाएगा, नगर निगम ने वर्क आर्डर जारी कर दिया और कंपनी ने कार्य पूरा कर दिया। इसके बाद नगर निगम में कंपनी ने 4 करोड़ का बिल भुगतान करने के लिए लगाया। नगर निगम में इस आधार पर भुगतान करने से मना कर दिया क्योंकि कंपनी ने डिजाइन का केंद्र सरकार की संबंधित एजेंसी से अनुमोदन नहीं कराया है। तब कंपनी ने भुगतान के लिए आर्बिट्रेटर में आवेदन लगाया। आर्बिट्रेटर ने कंपनी के पक्ष में फैसला देते हुए नगर निगम को 4 करोड़ का भुगतान करने का आदेश दिया। इस आदेश के विरुद्ध नगर निगम ने हाईकोर्ट में अपील की, जिसकी सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डिविजन बेंच में हुई। ऑडिटर के आदेश को हाईकोर्ट ने यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि कंपनी ने निर्धारित शर्तों का पालन नहीं किया है, इसलिए भुगतान नहीं करने का नाम नगर निगम का निर्णय सही है।