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शाहरुख़ ख़ान की फ़िल्म 'पठान' ने इन 5 वजहों से 5 दिन में कमाए 500 करोड़
31-Jan-2023 1:34 PM
शाहरुख़ ख़ान की फ़िल्म 'पठान' ने इन 5 वजहों से 5 दिन में कमाए 500 करोड़

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-विकास त्रिवेदी

नई दिल्ली, 31 जनवरी ।  ''मैं चार दिन में बीते चार साल भूल चुका हूं.''

फ़िल्म 'पठान' के साथ शाहरुख़ ख़ान ने पर्दे पर चार साल बाद वापसी की. फ़िल्म ने पांच दिन में पूरी दुनिया में जब 523 करोड़ रुपये कमाए तो इसकी ख़ुशी शाहरुख़ ख़ान के चेहरे और प्रतिक्रियाओं में साफ़ दिख रही थी.

इसी ख़ुशी को साझा करने शाहरुख़ ख़ान लंबे वक़्त बाद 30 जनवरी की शाम सार्वजनिक तौर आमने-सामने सवालों से मुखातिब हुए. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में शाहरुख़ अपने पुराने अंदाज़ में नज़र आए. हँसी-मज़ाक, सवालों के चुटीले जवाब और उसी बीच कहीं कोई संजीदगी भरी बात.

शाहरुख़ ख़ान ने कहा, ''हम सबकी ज़िंदगी की ही तरह कुछ अच्छे हिस्से रहे और कुछ बुरे हिस्से रहे. मेरे लिए भी ऐसा ही रहा.''

शाहरुख़ ने कहा, ''मेरी दिल से तमन्ना रहती है कि मैं लोगों में ख़ुशी बाँट सकूं. जब मैं इसमें फ़ेल होता हूं तो किसी को इतना दुख नहीं होता, जितना मुझे होता है. ऐसे में बहुत ख़ुश हूं कि मैं ख़ुशी बाँट सका.''

शाहरुख़ ने जिस ख़ुशी की बात की, वो 'पठान' फ़िल्म की कामयाबी से जुड़ी हुई है. शाहरुख़ की ये ख़ुशी फ़ैंस के बीच तो दिख ही रही है पर कमाई के मामले में भी बॉक्स ऑफ़िस को भी गुलज़ार कर रही है.

ऐसे में सवाल ये कि फ़िल्म 'पठान' की कामयाबी का राज़ क्या है? इस लेख में हम 'पठान' की सफ़लता की पांच वजहों पर रोशनी डालने की कोशिश करेंगे.

1. शाहरुख़ ख़ान की वापसी

दिसंबर 2018. ये वो महीना था जब शाहरुख़ ख़ान की फ़िल्म 'ज़ीरो' रिलीज़ हुई थी. 200 करोड़ की लागत से बनी ये फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर 186 करोड़ रुपये ही कमा पाई थी.

फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर फ़्लॉप हुई थी. इस फ़िल्म का शाहरुख़ पर ये असर रहा कि जब वो 'पठान' की सफलता पर बात करने आए तो उन्होंने 'ज़ीरो' पर भी बात की. शाहरुख़ ने कहा- 'ज़ीरो' के बाद मेरा ख़ुद पर भरोसा डगमगाया था और कई बार मैं डर भी जाता था.

चार साल तक पर्दे से दूर रहने के बारे में शाहरुख़ ने मज़ाक किया, ''मेरी आख़िरी फ़िल्म चली नहीं थी. लोग कह रहे थे कि मेरी फ़िल्में अब चलेंगी नहीं. मैंने करियर के दूसरे विकल्पों को तलाश करना शुरू कर दिया. मैंने ख़ाना बनाना सीख लिया.''

ऐसे में जब चार साल बाद शाहरुख़ ख़ान ने पर्दे पर वापसी की तो फ़ैंस ने सिनेमाघरों तक जाने में देर नहीं की.

जाने-माने फ़िल्म ट्रेड समीक्षक कोमल नाहटा बीबीसी हिंदी से कहते हैं, ''लंबे वक़्त तक शाहरुख़ पर्दे से दूर रहे, ये 'पठान' की सफ़लता का एक कारण है. ऐसे में जब शाहरुख़ ने पर्दे पर वापसी की तो सारा प्यार उन पर उमड़ आया है.''

'शहर और सिनेमा' किताब के लेखक और फ़िल्मों की समझ रखने वाले मिहिर पंड्या ने बीबीसी हिंदी से कहा, ''कोराना के दौर में सिनेमाहॉल बंद रहे थे. तब से एक ऐसी फ़िल्म का इंतज़ार और गुंजाइश थी जो इस परिदृश्य को बदल सके. लोगों को इंतज़ार था किसी ऐसी फ़िल्म का जिसको वो परिवार, दोस्तों के साथ ग्रुप बनाकर देखने जा सकें.

ये कुछ वैसा ही नज़ारा है, जैसे कोविड दौर से पहले लोग परिवार और दोस्तों के साथ जाया करते थे. इस बीच दक्षिण भारतीय फ़िल्में भी आईं और कमाई भी की. लेकिन मेरी नज़र में हिंदी फ़िल्म की ज़रूरत थी जिसमें मसाले और मनोरंजन का सही डोज़ हो. साथ ही लोगों की दो साल की भड़ास भी बाहर निकल रही है और लोग अब खुल कर बाहर निकल रहे हैं.''

2. बायकॉट का फ़ायदा

'पठान' उन कुछ चुनिंदा फ़िल्मों में से एक है जिसके एलान के फ़ौरन बाद से ही बायकॉट ट्रेंड चलाने की शुरुआत एक तबके की ओर से हो गई थी.

विरोध का आलम इस क़दर था कि जैसे ही फ़िल्म का पहला गाना 'बेशर्म रंग' रिलीज़ हुआ, बायकॉट की मांग तेज़ हो गई. ये मांग सोशल मीडिया से बाहर निकल कर सत्ता में बैठे नेताओं, मंत्रियों की ओर से भी की गई.

इन लोगों का कहना था कि दीपिका के पहने भगवा रंग के कपड़ों से हिंदू धर्म की भावनाओं को ठेस पहुंची है. कुछ लोगों ने इस सीन को हटाने की भी मांग की.

इसका एक नतीजा ये रहा कि ये गाना करोड़ों दर्शकों तक पहुंचने में कामयाब रहा. दूसरा नतीजा सिनेमाघरों में दिखाई दिया, जब फ़िल्म में ये गाना आता है तब कुछ लोग सिनेमाहॉल में ही नाचते-झूमते नज़र आए.

कोमल नाहटा कहते हैं, ''शाहरुख़ के फ़ैंस ने बायकॉट गैंग को ठेंगा दिखा दिया है. इस गैंग को कुछ झटका फ़िल्म 'ब्रह्मास्त्र' के चलने से लगा था और पूरी तरह मिट्टी में मिलाने का काम 'पठान' ने किया है. बिना किसी प्लानिंग के शाहरुख़ के फ़ैंस एकजुट हो गए और ये तय किया कि इस बार सबक सिखाएंगे.''

'पठान' फ़िल्म की ही तरह 'ब्रह्मास्त्र' फ़िल्म के भी बायकॉट की मांग उठी थी. मगर बायकॉट से इतर फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर 400 करोड़ से ज़्यादा कमाने में सफ़ल रही थी.

मिहिर पंड्या ने कहा, ''बॉलीवुड फ़िल्मों को लेकर एक बायकॉट का ट्रेंड बीते वक़्त में देखने को मिला है जो काफ़ी हद तक प्रायोजित भी होता है. ऐसे में कहीं न कहीं इसका एक काउंटर नैरेटिव भी हुआ है. बहुत सारे लोग इसलिए भी देखने गए हैं कि हम क्या देखेंगे, उसको कोई और कैसे तय कर सकता है?

शुरुआती दिनों में जैसी भीड़ जुटी है, उसकी ये एक वजह हो सकती है. बायकॉट ट्रेंड की वजह से निश्चित तौर पर कोई नुक़सान तो नहीं ही हुआ है. हुआ है तो फ़ायदा, जैसा कि सिनेमाघरों में जुटती भीड़ बता भी रही है.''

3. शाहरुख़ की चुप्पी

साल 2017. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में शाहरुख़ से एक सवाल पूछा जाता है- आप एक अच्छे मुस्लिम हैं पर मान लेते हैं कि आप शेखर कृष्णा हैं...

शाहरुख़ ख़ान बिना सेकेंड गंवाए कहते हैं- शेखर राधा कृष्णा... SRK.

ये वीडियो आज भी सोशल मीडिया पर वायरल होता रहता है. वजह है कि शाहरुख़ अपनी हाज़िरजवाबी के लिए जाने जाते रहे हैं. मगर बीते दो सालों में शाहरुख़ ख़ान की चुप्पी देखने को मिली.

फिर चाहे आर्यन ख़ान की गिरफ़्तारी की बात हो या फिर सबूत ना होने पर ज़मानत मिलने की बात. लता मंगेशकर के पार्थिव शरीर के पास दुआ पढ़ने को थूक बताने की बातें हों या फिर रात-दिन सोशल मीडिया पर बायकॉट को झेलने की बात हो, शाहरुख़ की चुप्पी ही दिखाई दी. किसी मौक़े पर शाहरुख़ ख़ान बोलते नज़र नहीं आए.

कोमल नाहटा कहते हैं, ''बीते वक़्त में शाहरुख़ ख़ान को कई बार निशाने पर लिया गया. फ़ैंस को ये बात बुरी लगी कि हमारे सुपरस्टार को इस तरह टारगेट नहीं होने देंगे. आर्यन ख़ान की गिरफ़्तारी के बाद से फ़ैंस को लगा था कि वो अब बताएंगे कि शाहरुख़ को परेशान करने वालों के साथ वो क्या कर सकते हैं और उनकी क्या ताक़त है.''

मिहिर पंड्या ने कहा, ''शाहरुख़ ख़ान का अपनी ऑडिएंस के साथ सीधा कनेक्ट है. जिस दौर में शाहरुख़ की फ़िल्में फ़्लॉप हो रही थीं, उस दौर में भी शाहरुख़ की लोकप्रियता कम नहीं हुई थी. शाहरुख़ के घर के बाहर आज भी जितनी भीड़ जुटती है, सालों पहले भी उतनी ही भीड़ जुटती थी.

शाहरुख़ ने निजी जीवन में बीते दिनों में जो कुछ हुआ, उसे लेकर एक सहानुभूति लोगों के बीच बढ़ गई. शाहरुख़ ने कभी सार्वजनिक मंच पर किसी तरह का गुस्सा या प्रतिक्रिया इसको लेकर नहीं दी. जनता को ये बात समझ आई.''

कोमल नाहटा बोले, ''शाहरुख़ ने बहुत सही किया कि अपना ग़ुस्सा कभी ज़ाहिर नहीं किया. बहुत सब्र से काम लिया. किसी पर कोई गाली-गलौच कुछ नहीं.''

हालांकि शाहरुख़ इस बीच बिल्कुल ही चुप रहे हों, ऐसा भी नहीं है.

'पठान' की रिलीज़ को लेकर जब असम में विरोध हुआ और सीएम हिमंत बिस्वा सरमा से इस बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा था- कौन शाहरुख़ ख़ान?

इस बयान को दिए हुए कुछ घंटे ही हुए थे और हिमंत ने ट्वीट किया, ''बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख़ ख़ान ने मुझे रात में दो फ़ोन किया था और फ़िल्म स्क्रीनिंग को लेकर चिंता व्यक्त की थी. मैंने भरोसा दिलाया कि हम सुनिश्चित करेंगे कि आगे ऐसी घटना ना हो.''

कोमल नाहटा शाहरुख़ की कही एक बात भी बताते हैं- ''शाहरुख़ ने मुझसे दो दिन पहले कहा था कि ईश्वर ने हमें भट्ठी में डाल दिया कि तपते जाओ, तपते जाओ. सोना बाद में बनोगे और 'पठान' की सफ़लता हमें सोने की तरह मिली है. हम पिछले डेढ़ दो साल में इतना तपे हैं कि इसकी कोई हद नहीं.''

शाहरुख़ ख़ान की छवि पर मिहिर पंड्या भी कहते हैं, ''हमारे यहां जो हीरो होता है उसकी छवि ऐसी होती है कि सब उसके ख़िलाफ़ हैं. हमारी फ़िल्मों में हीरो हमेशा अकेला, सताया हुआ होता है जो सत्ता के ख़िलाफ़ खड़ा होता है. हमारे भारतीय समाज में हीरो की जो छवि होती है, शाहरुख़ के निजी जीवन की कहानी उससे मेल खाती दिखती है. ये भी एक चीज़ है जिससे लोग शाहरुख़ ख़ान की फ़िल्में देखने जा रहे हैं.''

4. ग्लोबल छवि का फ़ायदा

भारतीय फ़िल्मों के दीवाने दुनियाभर में हैं. इसकी शुरुआत राज कपूर के रूसी दीवानों से होती है और इस लंबी लिस्ट में शाहरुख़ ख़ान का नाम भी आता है.

शाहरुख़ की फ़िल्म 'पठान' भारत में जितने पैसे कमा रही है, लगभग उसी तरह की मोटी कमाई विदेशी में भी हो रही है.

यशराज फ़िल्म्स के मुताबिक़, शाहरुख़ की फ़िल्म 'पठान' ने शुरुआती पांच दिनों में भारत से बाहर 208 करोड़ की कमाई की है.

शाहरुख़ की लोकप्रियता का एक उदाहरण दिसंबर 2021 में भी पता चलता है.

तब ट्विटर पर अश्विनी पांडे नाम ने बताया था, ''मिस्र में एक ट्रैवल एजेंट को पैसे ट्रांसफ़र करने थे. लेकिन पैसे ट्रांसफर करने में दिक़्क़त आ रही थी. तभी एजेंट ने कहा कि आप शाहरुख़ ख़ान के देश से हो. मुझे आप पर भरोसा है. मैं बुकिंग कर देता हूं. आप बाद में भुगतान कर देना. मैं किसी और के लिए ऐसा नहीं करता पर शाहरुख़ के लिए कुछ भी.''

मिहिर पंड्या कहते हैं, ''अतीत में शाहरुख़ की जो फ़िल्में भारत में सफ़ल नहीं रही हैं, उन फ़िल्मों ने भी बाहर बहुत पैसा कमाया है. शाहरुख़ ख़ान हमेशा से ही एनआरआई आडिएंस के स्टार रहे हैं. हमारी जो बड़ी ऑडिएंस है, उसके स्टार तो सलमान ख़ान हैं. हालांकि 'पठान' में भी सलमान ख़ान हैं मगर छोटी भूमिका में हैं.''

'पठान' के कारण कई सिंगल स्क्रीन थियेटरों के अच्छे दिन आए हैं. श्रीनगर में 33 साल बाद किसी सिनेमाहॉल के बाहर हाउसफ़ुल का बोर्ड लगा है. ज़ाहिर है कि इसकी वजह 'पठान' फ़िल्म है.

मिहिर पंड्या ने कहा, ''ये नई बात है कि शाहरुख़ ख़ान की फ़िल्में इस बार छोटे शहरों और सिंगल स्क्रीन सिनेमाहॉल में भी कमाई कर रही हैं. इस पर सोचना चाहिए कि क्या शाहरुख़ ख़ान अर्बन एलीट वाली ऑडिएंस से बाहर निकलकर सिंगल स्क्रीन सिनेमा वाली ऑडिएंस तक भी पहुंच रहे हैं? 'पठान' शाहरुख़ ख़ान की अपनी फ़िल्मों से भी काफ़ी अलग है.''

कोमल नाहटा कहते हैं, ''शाहरुख़ की विदेशों में जो छवि है, उसका फ़ायदा भी मिल रहा है. फ़िल्म में शाहरुख़ और दीपिका एकदम इंटरनेशनल लेवल के लगे हैं.''

5. यशराज की रणनीति

'पठान' की रिलीज़ से कुछ दिन पहले की ही बात है. फ़िल्म में अहम किरदार निभाने वाले जॉन अब्राहम किसी कार्यक्रम से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे.

तभी जॉन से 'पठान' के बारे में सवाल पूछा गया. जॉन इस सवाल को अनसुना करके अगला सवाल पूछने के लिए कहते हैं.

दरअसल ये 'पठान' फ़िल्म के प्रचार की एक रणनीति थी. आपने ग़ौर किया होगा कि बाक़ी फ़िल्मों की तरह 'पठान' की स्टारकास्ट मीडिया में इंटरव्यू देते हुए नहीं दिखी थी.

मिहिर पंड्या कहते हैं, ''यशराज की फ़िल्मों में राष्ट्रवाद की एक ख़ुराक होती है. राजनीतिक तौर पर वो काफ़ी बैलेंस होती हैं. कोई एक साइड नहीं लेती है. यशराज की पहले भी रणनीति यही रही है और इस बार भी यही हुआ कि 'पठान' के प्रमोशन को लेकर सितारे कहीं नहीं गए. हो सकता है कि कई बार प्रचार की अति हो जाती है, इसलिए भी लोग फ़िल्म देखने नहीं जाते हैं.''

'पठान' की रिलीज़ से पहले कुछ मौक़ों पर शाहरुख़ ने ट्विटर पर लोगों के सवालों के जवाब दिए. पर यहां गौर करने वाली बात ये है कि ये सवाल चुनने का फ़ैसला शाहरुख़ के पास था. ऐसे में शाहरुख़ ने वही सवाल चुने, जो प्रचार की रणनीति पर फ़िट बैठते हैं और किसी तरह के विवाद की गुंजाइशों को जन्म नहीं देते हैं.

'पठान' को रिलीज़ करने का वक़्त भी छुट्टियां वाला रहा. 25-26 जनवरी और फिर शनिवार, रविवार की छुट्टी. फ़िल्म को ज़्यादा से ज़्यादा छुट्टियां मिल सकें, इसलिए फ़िल्म 25 जनवरी को बुधवार के दिन रिलीज़ हुई. फ़िल्म का ट्रेलर भी रिलीज़ से 15 दिन पहले रिलीज़ हुआ था.

कुछ सिनेमाघरों में फ़िल्म के शो सुबह छह बजे से ही चालू हो गए थे और फ़िल्म को 8000 से ज़्यादा स्क्रीन पर रिलीज़ किया गया था.

कोमला नाहटा कहते हैं, ''छुट्टियों का फ़ायदा निश्चित तौर पर मिला और ये फ़ायदा किसी को भी मिल सकता था. पर 26 जनवरी और छुट्टी के बाद भी फ़िल्म की कमाई काफ़ी ज़्यादा रही. जितना कुछ फ़िल्मों की ज़िंदगीभर की कमाई होती है, उतनी पठान की दो दिन की कमाई है.''

कोमल नाहटा ने कहा, ''सोशल मीडिया पर इतना ज़्यादा बायकॉट हो रहा था तो ये रणनीति अपनाई गई कि चुप्पी साधो. ये चुप्पी बहुत ज़्यादा काम आई. अगर ये जवाब देने में लग जाते तो फिर इतनी उत्सुकता ना रहती. लोगों को लगा कि इतनी बात हो रही है और ये चुप क्यों हैं. फ़िल्म में ऐसा क्या है कि ये लोग सफ़ाई नहीं दे रहे. ये भी एक वजह रही कि लोग सिनेमाघरों की तरफ़ जम कर गए.

'पठान' फ़िल्म की आलोचना और सिनेमा पर असर

'पठान' फ़िल्म भले ही जमकर कमाई कर रही हो मगर सिनेमा के जानकार इसे मसाला फ़िल्म मान रहे हैं.

कुछ दर्शकों का ये भी कहना है कि फिल्म के स्पेशल इफेक्ट्स बेकार हैं और कहानी कोई नई नहीं है.

ऐसे वक़्त में जब ओटीटी की वजह से दर्शकों के बीच शानदार सिनेमा उपलब्ध है, तब कुछ दर्शकों की आलोचना को अगर सही मान लिया जाए तो 'पठान' की रिकॉर्डतोड़ कमाई होने से अच्छे सिनेमा का कितना नुक़सान है?

मिहिर पंड्या इस सवाल का जवाब देते हैं, ''जो फ़िल्में कमा रही हैं, वो कभी भी बहुत अच्छा सिनेमा नहीं रही थीं. पॉपुलर सिनेमा का एक अपना टेम्प्लेट होता है. कभी-कभी ही ऐसा होता है कि कोई फ़िल्म भी अच्छी हो और कमाई भी कर रही हो.

बीते 20 सालों में ये काम अगर किसी ने किया है तो राज कुमार हिरानी ने किया है. जैसे- थ्री इडियट्स और मुन्नाभाई सिरीज. इन फ़िल्मों को हटा दिया जाए तो ऐसी फ़िल्म न के बराबर हैं जो अच्छी भी हों और 100 करोड़ से ज़्यादा भी कमा लें. सलमान ख़ान की 'रेडी', 'दबंग', 'वॉन्टेड' जैसी फ़िल्में पैसा तो कमाती हैं पर कैसी होती हैं, ये पता है. लेकिन हां 'बजरंगी भाईजान' एक ऐसी फ़िल्म रही जिसने पैसा भी कमाया और जो फ़िल्म भी अच्छी थी.''

'पठान' फ़िल्म की आलोचना को कोमल नाहटा ख़ारिज करते हैं. कोमल कहते हैं, ''यही सीन और कहानी बॉन्ड और एवेंजर्स में दिखेगी तो आलोचकों को ये फ़िल्म बहुत अच्छी लगेगी. कुछ नेगेटिव लोग हैं जो नकारात्मकता फैला रहे हैं. पर इससे फ़िल्म की कमाई में कोई कमी नहीं आएगी. जिन लोगों ने फ़िल्म की धज्जियां उड़ाई थीं और जिन्होंने फ़िल्म की कमाई को लेकर कहा था कि आंकड़े झूठे हैं, वो शाहरुख़ ने जब प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो वो सबसे आगे बैठे हुए थे.''

पठान की कामयाबी से इंडस्ट्री को क्या फ़ायदा होगा?

इसके जवाब में कोमल नाहटा ने कहा, ''पठान की कमाई से इंडस्ट्री को फ़ायदा हुआ. कई सिंगल स्क्रीन थियेटर बंद हो गए थे, वो 'पठान' की रिलीज़ के साथ खुले हैं. बॉलीवुड के अस्तित्व पर सवाल उठाए जा रहे थे. कहा जा रहा था कि अब बॉलीवुड ठप हो गया है. ऐसे में 'पठान' की कमाई ने लोगों का मुंह बंद कर दिया है. 'पठान' की कामयाबी ने ये बताया कि साउथ या कोई दूसरा सिनेमा बॉलीवुड को टक्कर नहीं दे सकता. ऐसा इसलिए क्योंकि ये 'बाहुबली' की कमाई को भी पार कर लेगी.''

शाहरुख़ ख़ान 'पठान' की इसी कामयाबी पर बात करने जब 30 जनवरी को सामने आए थे, तब वो अंत में कहते हैं, ''जाते-जाते एक ज़रूरी बात कहना चाहूंगा. ये दीपिका पादुकोण हैं, ये अमर हैं. मैं शाहरुख ख़ान हूं, मैं अकबर हूं, ये जॉन है, ये एंथनी है. यही सिनेमा है. हमारे बीच किसी भी तरह का भेद नहीं है. हम लोगों, संस्कृति या आपसे प्यार करते हैं और इसलिए हम फ़िल्म बनाते हैं.''

शायद ख़ुद की फ़िल्मों पर किया यही भरोसा था जिसके कारण कुछ साल पहले जब शाहरुख़ से बायकॉट से जुड़ा सवाल पूछा गया तो वो बोले थे- बड़े बोल नहीं बोल रहा यार, पर हवा से थोड़े ही हिलने वाला हूं मैं, हवा से झाड़ियां हिलती हैं. (bbc.com/hindi)

 

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