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आईसीआईसीआई बैंक के ब्रांच मैनेजर पर करोड़ों की धोखाधड़ी का आरोप, महिला के खाते से निकाली रकम
28-Feb-2024 4:44 PM
 आईसीआईसीआई बैंक के ब्रांच मैनेजर पर करोड़ों की धोखाधड़ी का आरोप, महिला के खाते से निकाली रकम

गीता पांडेय

दिल्ली, 28 फरवरी (बीबीसी)। एक भारतीय महिला ने देश सबसे बड़े बैंकों में से एक आईसीआईसीआई के एक ब्रांच मैनेजर पर उनके खाते से कऱीब 16 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है।

बैंक ने धोखाधड़ी की बात स्वीकार की है। श्वेता शर्मा नामक इस महिला का कहना है कि उन्होंने अपने अमेरिकी खाते से आईसीआईसीआई बैंक के खाते में पैसे ट्रांसफर किए थे। उन्हें उम्मीद थी कि इस पैसे को एफड़ी में तब्दील किया जाएगा। उनका आरोप है कि बैंक के एक अधिकारी ने उनके खातों से पैसे निकालने के लिए फर्जी खाते खोले, उनके जाली दस्तखत किए, उनके नाम पर डेबिट कार्ड और चेक बुक जारी करवाए।

श्वेता ने बीबीसी को बताया, उसने मुझे मेरे खाते के फर्जी स्टेटमेंट दिए, मेरे नाम पर एक फर्जी ईमेल आईडी बनाई और बैंक रिकॉर्ड में मेरे मोबाइल नंबर में हेरफेर किया ताकि मुझे पैसे निकाले जाने की कोई जानकारी न मिल सके।

आईसीआईसीआई बैंक ने माना धोखाधड़ी हुई

आईसीआईसीआई बैंक के एक प्रवक्ता ने बीबीसी के साथ बातचीत में धोखाधड़ी की बात स्वीकार की है। उन्होंने कहा कि आईसीआईसीआई एक प्रतिष्ठित बैंक है जिसमें लाखों ग्राहकों के खरबों रुपये जमा हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में जो भी शामिल हैं, उन्हें सज़ा दी जाएगी।

श्वेता शर्मा और उनके पति कई दशकों तक अमेरिका और हांगकांग में रहने के बाद साल 2016 में भारत लौटे थे। एक दोस्त के ज़रिए उनकी मुलाकात एक बैंकर से हुई।
इस दोस्त ने श्वेता और उनके पति को सलाह दी कि अमेरिकी बैंक में पैसा जमा रखने की ब्याज़ दर काफ़ी कम है। ऐसे में वे अपना पैसा भारत में जमा कर सकते हैं क्योंकि यहां एफड़ी करने पर 5.5 से छह फीसद के हिसाब से ब्याज़ मिल सकता है।

इस सलाह पर अमल करते हुए वो दिल्ली के पास हरियाणा के गुरुग्राम के पुराने इलाके में स्थित आईसीआईसीआई बैंक की एक ब्रांच में गईं।
यहां उन्होंने अनिवासी भारतीयों के लिए खोले जाने वाला एनआरई खाता खोला। इसके बाद 2019 में उन्होंने अपने अमेरिकी बैंक खाते से आईसीआईसीआई बैंक के खाते में पैसे ट्रांसफर करना शुरू किया।

श्वेता ने बताया, सितंबर 2019 से दिसंबर 2023 तक चार साल में हमने अपने जीवन भर की कमाई, जो करीब साढ़े 13 करोड़ रुपये थे, उसे बैंक में जमा कर दिया। उन्होंने कहा, इस पर मिलने वाले ब्याज को जोड़ लें तो यह रकम आज 16 करोड़ रुपये से अधिक होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि उन्हें कभी किसी गड़बड़ी का संदेह नहीं हुआ, क्योंकि ब्रांच मैनेजर मुझे बैंक की स्टेशनरी पर सभी जमा पैसे की रसीदें देते थे, अपने आईसीआईसीआई वाले ईमेल आईडी से बैंक स्टेटमेंट ईमेल पर भेजते थे और कभी-कभी फोल्डर में भी इस तरह के कागजात लेकर आते थे।

कब और कैसे हुई धोखाधड़ी की जानकारी

श्वेता को इस धोखाधड़ी का पता इस साल जनवरी में तब चला जब बैंक के एक नए कर्मचारी ने उन्हें पैसे पर बेहतर रिटर्न दिलाने की पेशकश की। तब जाकर उन्हें पता चला कि उनकी सभी फिक्स डिपाजिट गायब हैं। उनकी जमा राशि पर ढाई करोड़ रुपये का ओवरड्राफ्ट भी लिया गया था। उन्होंने कहा, मैं और मेरे पति यह जानकर हैरान थे। मैं ऑटोइम्यून डिसऑर्डर से पीडि़त हूं। मैं इतने सदमे में थी कि एक हफ़्ते तक बिस्तर से नहीं उठ पाई। उन्होंने कहा, आपकी जिंदगी आपकी आंखों के सामने बर्बाद हो रही है और आप कुछ नहीं कर सकते।

उन्होंने कहा, मैंने बैंक से सारी जानकारियां साझा कीं और बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कई बैठकें भी कीं। वो कहती हैं, 16 जनवरी को हुई पहली बैठक में हम बैंक के रीजनल और ज़ोनल प्रमुख के अलावा इंटरनल इंटेलिजेंस के प्रमुख से मिले, जो मुंबई से आए थे। उन्होंने यह स्वीकार किया कि इस ब्रांच मैनेजर ने आपके साथ धोखाधड़ी की। वो कहती हैं, उन्होंने हमें आश्वस्त किया कि हमें हमारा सारा पैसा वापस मिल जाएगा। लेकिन उन्होंने कहा कि धोखाधड़ी वाले लेनदेन की पहचान करने में उन्हें आपकी मदद की ज़रूरत है।

शर्मा और उनके अकाउंटेंट की टीम ने पिछले चार साल के बैंक स्टेटमेंट का विश्लेषण करने में कई दिन लगाए।
इसके बाद ये अकाउंटेंट विजि़लेंस टीम के साथ उन लेन-देन की पहचान करने के लिए मिले जिनके बारे में उन्हें 100 फीसदी यकीन था कि वो धोखाधड़ी वाले थे। वो कहती हैं, वास्तव में यह जानना चौंकाने वाला था कि मेरे खाते से पैसे कैसे निकाले गए और उन्हें कहां ख़र्च किया गया।

आईसीआईसीआई बैंक ने क्या आश्वासन दिया

उन्होंने कहा कि बैंक ने आश्वासन दिया था कि उनकी समस्या का समाधान दो हफ़्ते में हो जाएगा, लेकिन छह हफ़्ते से भी अधिक समय बीतने के बाद भी वो अपने पैसे वापस पाने का इंतजार कर रही हैं। इस बीच, उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक के सीईओ और डिप्टी सीईओ को पत्र भेजा। इसके अलावा उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक और दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में शिकायत भी दर्ज कराई है।

बीबीसी को भेजे एक बयान में आईसीआईसीआई बैंक ने कहा है कि उन्होंने जांच के नतीजे आने तक उनके खाते में 92.7 मिलियन रुपये (रकम वापस लेने के अधिकार के साथ) जमा करने की पेशकश की है। लेकिन श्वेता ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है।

उनका कहना है, यह उन 160 मिलियन रुपये से बहुत कम है, जो मुझ पर बकाया है। पुलिस जांच पूरी होने तक खाता फ्रीज कर दिया जाएगा। इसमें कई साल लग सकते हैं। उन्होंने कहा, बिना किसी गलती के मुझे सजा क्यों दी जा रही है? मेरी जिंदगी में भूचाल आ गया है। मुझे नींद नहीं आती। मुझे हर दिन बुरे सपने आते हैं।

ग्राहकों को अपने खाते पर नजर रखनी चाहिए

श्रीकांत एल ‘कैशलेस कंज्यूमर’ नाम से एक संगठन चलाते हैं। वो कहते हैं कि इस तरह के मामले बहुत आम नहीं हैं। इस तरह की घटनाएं न हों, इसे सुनिश्चित करने के लिए बैंक ऑडिट कराते हैं। वो कहते हैं कि आपके साथ आपके बैंक मैनेजर ने ही धोखा किया है, ऐसे में आप कुछ नहीं कर सकते। वो कहते हैं, वह बैंक मैनेजर था, इसलिए उन्हें उस पर थोड़ा भरोसा था। लेकिन ग्राहकों को अधिक सतर्क रहना चाहिए। उन्हें हर समय अपने खाते से पैसे के निकासी पर नजर रखनी चाहिए।

इस महीने यह दूसरी बार है जब किसी गलत कारण की वजह से आईसीआईसीआई बैंक सुर्खियों में है।
फरवरी की शुरुआत में ही राजस्थान पुलिस ने कहा था कि एक ब्रांच मैनेजर और उसके सहयोगियों ने बैंक की ओर से दिए गए लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कई साल तक जमाकर्ताओं से अरबों रुपये की धोखाधड़ी की है।

पुलिस ने कहा था कि इन कर्मचारियों ने ग्राहक के खातों से पैसे निकाले और इस पैसे का इस्तेमाल नए चालू और बचत खाते खोलने और फिक्स डिपाजिट करने में किया।
आईसीआईसीआई बैंक के एक प्रवक्ता ने कहा कि उस मामले में बैंक ने तेजी से कार्रवाई करते हुए संबंधित लोगों पर कार्रवाई की। बैंक का कहना है कि किसी भी ग्राहक का कोई पैसा नहीं डूबा है।

वहीं श्वेता शर्मा के मामले में बैंक ने कहा कि यह आश्चर्यजनक था कि वो पिछले तीन साल में अपने खाते से हुए लेन-देन और बाकी बचे पैसे को लेकर अनजान बनी रहीं और अब जाकर उन्होंने अपने खाते में गड़बड़ी देखी।

प्रवक्ता ने कहा, आरोपी ब्रांच मैनेजर को जांच पूरी होने तक निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने कहा, हमारे साथ भी धोखाधड़ी की गई है। उन्होंने कहा, हमने ईओडब्ल्यू में भी शिकायत दर्ज कराई है। हमें पुलिस जांच पूरी होने तक इंतजार करना पड़ेगा। आरोप सच साबित होने पर उन्हें ब्याज समेत उनका सारा पैसा वापस मिल जाएगा। लेकिन दुर्भाग्य से इसके लिए उन्हें इंतजार करना होगा।

इस मामले में पक्ष जानने के लिए बीबीसी ने ब्रांच मैनेजर से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका। (bbc.com)

 

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