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![देश में पहली बार गाय के गोबर से ‘फोमिंग एजेंट’ तैयार, घर बनाने में होगा इस्तेमाल देश में पहली बार गाय के गोबर से ‘फोमिंग एजेंट’ तैयार, घर बनाने में होगा इस्तेमाल](https://dailychhattisgarh.com/uploads/article/1712071688mages_(1).jpg)
इंदौर (मध्यप्रदेश), 2 अप्रैल। इंदौर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) ने देश के पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक निर्माण पद्धति से जोड़ने के लिए गाय के गोबर से प्राकृतिक फोमिंग एजेंट बनाया है। आईआईटी के अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों के मुताबिक गाय के गोबर से बना प्राकृतिक फोमिंग एजेंट देश में अपनी तरह का पहला उत्पाद है। उन्होंने कहा कि इस पर्यावरण हितैषी उत्पाद को निर्माण सामग्री में मिलाए जाने से न केवल मकान बनाने की लागत घटेगी, बल्कि इमारतें गर्मियों में ठंडी और जाड़ों में गर्म रहेंगी।
अधिकारियों ने बताया कि इस उत्पाद को ‘‘गोब-एयर’’ नाम दिया गया है जिसे मकान बनाने के लिए इस्तेमाल कंक्रीट, ईंटों, टाइल और ब्लॉक में मिलाया जा सकता है।
‘‘गोब-एयर’’ को इंदौर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के प्रोफेसर संदीप चौधरी और उनके पीएचडी छात्र संचित गुप्ता ने विकसित किया है।
प्रोफेसर चौधरी ने बताया,“हम सोच रहे थे कि गाय के गोबर से आय बढ़ाकर गौशालाओं की किस तरह मदद की जा सकती है। इस दौरान हमें गाय के गोबर से प्राकृतिक फोमिंग एजेंट बनाने का विचार आया और हमने इसे अमली जामा पहनाया।"
उन्होंने बताया कि ‘‘गोब-एयर’’ की मदद से कम वजन वाला कंक्रीट तैयार किया जा सकता है और इसमें बाजार में मौजूद भवन निर्माण सामग्री के मुकाबले 24 फीसद कम लागत आती है।
चौधरी ने बताया कि ‘‘गोब-एयर’’ मिलाकर तैयार भवन निर्माण सामग्री लाल मिट्टी से बनने वाली ईंटों और "फ्लाई ऐश" (कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से निकलने वाली राख) की ईंटों के मुकाबले खासी किफायती साबित होती है।
उन्होंने कहा,‘‘भवन निर्माण सामग्री में गोब-एयर के इस्तेमाल को बढ़ावा दिए जाने पर गाय के एक किलोग्राम गीले गोबर से होने वाली आय को बढ़ाकर चार रुपये से अधिक किया जा सकता है जो अभी एक रुपये प्रति किलोग्राम से भी कम के स्तर पर है।’’
अधिकारियों ने बताया कि ‘‘गोब-एयर’’ की नवाचारी तकनीक के पेटेंट के लिए पहले ही अर्जी दायर की जा चुकी है। (भाषा)