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अब एरियर्स सहित नियमित पेंशन मिलने का रास्ता साफ
बिलासपुर, 17 अप्रैल। मीसाबंदियों को सम्मान निधि देने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी विशेष अनुमति याचिका राज्य सरकार ने वापस ले ली है। यह याचिका तब दायर की गई थी जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। अब मीसाबंदियों की सम्मान निधि जारी करने का रास्ता साफ हो गया है।
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद फरवरी 2019 से मीसाबंदियों को दी जाने वाली लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि बंद कर दी गई थी। यह सम्मान निधि भाजपा सरकार के दौरान शुरू की गई थी। इस अधिसूचना को शून्य करने के लिए कांग्रेस सरकार ने एक अध्यादेश निकाला था, जिसे हाईकोर्ट में जानकी गुलाबानी सहित 50 लोगों की ओर से चुनौती दी गई थी। राज्य सरकार ने अध्यादेश के पक्ष में तर्क दिए। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अध्यादेश को रद्द करते हुए सम्मान निधि देने का आदेश दिया। इसके अलावा रोकी गई राशि को भी एरियर्स के साथ देने कहा गया। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी। इसके चलते मीसाबंदियों को भुगतान शुरू नहीं हुआ था।
यह सम्मान निधि आपातकाल के दौरान मीसा एक्ट के तहत बंद राजनीतिक कार्यकर्ताओं को दिया जाता है। इसमें 19 महीने तक जेल में बंद रहने वालों को 25 हजार रुपये तथा उससे कम समय तक बंद रहने वालों को 15 हजार रुपये प्रतिमाह सम्मान निधि देने का प्रावधान है।