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वनमाली सृजन पीठ में विस्थापन की संवेदनाओं पर हुई चर्चा
‘छत्तीसगढ़’ संवादाता
बिलासपुर, 18 अप्रैल। वनमाली सृजन पीठ में कथा बैठकी आयोजन किया गया। इसमें विस्थापन की संवेदनाएं विषय पर चर्चा हुई। वक्ताओं ने कश्मीरी पंडितों के विस्थापन, बंगाल विभाजन में विस्थापन, पाकिस्तान विभाजन और दक्षिण तमिल विभाजन में विस्थापितों के अनेक पहलुओं पर चर्चा हुई और उपन्यास और यात्रा वृतांत का पठन किया गया।
इस अवसर पर समाजवादी विचारक आनंद मिश्रा ने कहा कि विस्थापन की पीड़ा के बनने का कारणों को जानने समझने की जरूरत है। भविष्य में नए विस्थापन ने हो इसलिए न्यायोचित कदम उठाए जाएं। रायपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर ने कहा कि हर व्यक्ति अपने जड़ों से जुड़ा हुआ है। जड़ों से अलग होने से सबको तकलीफ होती हैं। महिलाओं को अधिक दर्द झेलना पड़ता है। उनके प्रति अत्याचारों की चर्चा नहीं होती। सहित्यकार डॉ. अजय पाठक ने कहा कि भारत ने कश्मीरी पंडितों के विस्थापन, बंगाल विभाजन, पाकिस्तान विभाजन और दक्षिण तमिल विभाजन देखा है। बंगाल ने सबसे अधिक तीन विभाजन देखे। भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा रखती है। इसलिए हमें हर स्थिति में विभाजन रोकने प्रयास का करना चाहिए।
कार्यक्रम में उपस्थित डॉ.सी.व्ही.रमन विवि के कुलपति प्रो.रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि संवेदनशीलता परिवार तक सीमित है। हमें परिवार से आगे बढ़कर समाज और राष्ट्र और प्रकृति के लिए भी संवेदनशील होना चाहिए। तब हम विस्थापन के दर्द को समझ सकेंगें और संवेदशील समाज की स्थापना कर सकेंगे। कार्यक्रम के अध्यक्ष पूर्व कुलपति डॉ.लक्ष्मीशंकर निगम ने सभी वक्ताओं के विचारों को समग्रता प्रदान करते हुए अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि यह आत्मचिंतन का समय है। विस्थापन देश की नहीं मानवता की समस्या है। इस अवसर पर वनमाली सृजनपीठ के अध्यक्ष सतीश जायसवाल ने स्वागत भाषण में कहा कि आज दुनिया में संवेदनाओं पर बात नहीं हो रही है। इसलिए वनमाली सृजनपीठ में इसकी पहल की गई है। इस अवसर पर प्रतिभा बैनर्जी ने अपने उपन्यास का पाठ किया। साथ ही पल्लवी मुखर्जी ने शितेंद्रनाथ चौधरी के यात्रा वृतांत का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन सुनील चिपड़े ने एवं आभार प्रदर्शन किशोर सिंह ने किया। इस अवसर पर आईसेक्ट के राज्य समन्वयक योगेश मिश्रा, राखी श्रीवास, श्वेता पाण्डेय, अंतरा चक्रवर्ती, सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।