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अवैध उत्खनन रोकने के लिए प्रमुख सचिव से मांगा शपथ-पत्र
बिलासपुर, 25 अप्रैल। अरपा नदी के संरक्षण और संवर्धन को लेकर दायर जनहित याचिका पर पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कार्ययोजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था, लेकिन वह पेश नहीं की गई। सरकार ने इसके लिए समय मांगा, जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने 9 मई को अगली सुनवाई तय की है।
ज्ञात हो कि पेंड्रा निवासी रामनिवास तिवारी और अधिवक्ता अरविंद कुमार शुक्ला ने अलग-अलग याचिकाएं दायर कर अरपा नदी के उद्गम से लेकर संगम तक संरक्षण और संवर्धन के लिए शासन को निर्देश देने की मांग की गई है। हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने बिलासपुर और जीपीएम जिले के कलेक्टरों की एक संयुक्त विशेषज्ञ समिति सन् 2020 में बनाई थी, जिसे नदी के पुनर्जीवन के लिए कार्ययोजना प्रस्तुत करनी थी। समिति ने कई बैठकों के बावजूद इसे अब तक तैयार नहीं किया है। शासन की ओर से कोर्ट से समय मांगा गया। इसकी डीपीआर नगर निगम की ओर से तैयार की गई है, इसे भी अगली सुनवाई में प्रस्तुत किया जाएगा। अगली सुनवाई 9 मई को होगी।
हाईकोर्ट ने अरपा नदी में अवैध उत्खनन के चलते 17 जुलाई 2023 को तीन बच्चियों की मौत हो जाने के मामले की भी सुनवाई की। कोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका दर्ज की है। याचिका में कहा गया है कि खनन में भारी मशीनों से काम लिया जा रहा है जो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों का उललंघन है। अवैध उत्खनन से अरपा नदी को क्षति पहुंच रही है और दुर्घटनाएं हो रही है।
कोर्ट ने राज्य सरकार से पिछली सुनवाई में जानकारी मांगी थी अवैध खनन रोकने के लिए उसने क्या कदम उठाए हैं। इस पर शासन की ओर से बताया गया कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी। शासन की ओर से ठेकेदार व परिवहनकर्ताओं के वाहनों की जब्ती व उन पर लगाए गए जुर्माने का विवरण प्रस्तुत किया गया। कोर्ट ने कहा कि जुर्माना व जब्ती की कार्रवाई पर्याप्त नहीं है, एफआईआर भी दर्ज की जानी चाहिए। कोर्ट ने खनिज विभाग के प्रमुख सचिव को शपथ-पत्र के साथ जवाब दाखिल करने कहा है, जिसमें बताया जाना है कि नदी में अवैध खनन रोकने के लिए क्या कार्ययोजना बनाई गई है। प्रकरण की अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी।