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![राजपथ-जनपथ : स्मार्ट सिटी की चमक बढ़ेगी? राजपथ-जनपथ : स्मार्ट सिटी की चमक बढ़ेगी?](https://dailychhattisgarh.com/uploads/article/1718101975hadhi_Chauk_NEW_1.jpg)
स्मार्ट सिटी की चमक बढ़ेगी?
गांव के पंच से राजनीति शुरू करने वाले सांसद तोखन साहू को शहरी मामलों का मंत्रालय मिला है। इनके विभाग में कई ऐसे कार्यक्रम और योजनाएं हैं जिनसे छत्तीसगढ़ की सूरत बदल सकती है। सबसे बड़ी योजना तो स्मार्ट सिटी ही है। प्रदेश के तीन शहर बिलासपुर, रायपुर और नवा रायपुर इसमें शामिल है। कुछ क्षेत्रों में सडक़ों, उद्यानों, भवनों का जीर्णोद्धार हुआ, पार्किंग स्पेस बने, यातायात दुरुस्त करने के लिए खर्च हुए लेकिन आम तौर पर दिखाई यही देता है कि इन शहरों को खर्च के अनुरूप व्यवस्थित सुविधाएं नहीं मिल पाई। पूरा फंड स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी के पास है। योजना और बजट बनाने में जन प्रतिनिधियों की कोई भूमिका नहीं है। इस पर बड़ा विवाद भी रहा है। हाईकोर्ट में इसे लेकर याचिका भी दायर की गई थी। हालांकि स्मार्ट सिटी लिमिटेड के तर्कों को ठीक मानते हुए याचिका खारिज कर दी गई थी। देखना होगा कि क्या तोखन साहू तीनों स्मार्ट सिटी की सूरत बदल पाएंगे। शहरी परिवहन, अमृत मिशन, राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन जैसी करीब दर्जन भर बड़े काम इस मंत्रालय की योजनाओं में शामिल हैं। साहू राज्य मंत्री हैं, जिनके ऊपर केबिनेट मंत्री मनोहर लाल खट्टर होंगे। अमूमन राज्य मंत्रियों को शिकायत रही है कि विभाग पर सारा नियंत्रण केबिनेट मंत्री ही करते हैं। राज्य मंत्रियों के पास तो फाइलें बिल्कुल नहीं आती, या कम महत्व की फाइलें आती हैं। ऐसे में तोखन साहू को अपने हाथों में कुछ अधिकार प्राप्त करने के लिए जूझना भी पड़ सकता है।
बूंद-बूंद पानी पर टिका जीवन
पानी सबकी जरूरत है। सार्वजनिक नलों में, हैंडपंपों में जो पानी की बूंदें रिसती रहती हैं, नन्हीं चिडिय़ा उनसे अपना प्यास बुझा लेती है। सोशल मीडिया पर डाली गई बस्तर की एक तस्वीर है यह।
स्टील की जगह शराब की फैक्ट्री
बस्तर में टाटा स्टील प्लांट नहीं लगा तो पिछली कांग्रेस सरकार ने वादा पूरा करते हुए उससे जमीन लेकर किसानों को वापस कर दी। पर इसमें से कुछ जमीन अब भी उद्योग विभाग के पास बची रह गई है। अब स्टील प्लांट की जगह यहां पर स्कूल अस्पताल नहीं बल्कि ऐसी पहली फैक्ट्री लगाई जा रही है, जहां शराब महुआ से बनाई जाएगी। धुरागांव, जहां यह फैक्ट्री लग रही है के ग्रामीणों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है, जबकि फैक्ट्री के प्रतिनिधि कहते हैं कि ग्राम सभा में फैक्ट्री के लिए मंजूरी मिल गई थी। ग्रामीणों का कहना है कि हमें सरकारी फैक्ट्री बताकर बरगलाया गया है। फैक्ट्री तो किसी प्राइवेट कंपनी के नाम पर खुल रही है। फैक्ट्री के मालिक का कहना है हम बस्तर के महुआ को देश-विदेश में प्रसिद्ध करने वाले हैं। देखना होगा कि ग्रामीणों का विरोध असर कहता है या उद्योगपति की पहुंच मायने रखती है।
रायपुर का बाजार सांप्रदायिकता से परे हैं। चावल के दो ब्रांड, ‘अब्बा हुज़ूर’ और ‘जय श्री राम’ चैन से अगल-बगल बैठे ग्राहक का इंतजार कर रहे हैं। (फोटो रुचिर गर्ग ने फेसबुक पर पोस्ट की है।)