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नए कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज होने पर तीन साल के भीतर न्याय मिलेगा: शाह
01-Jul-2024 7:16 PM
नए कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज होने पर तीन साल के भीतर न्याय मिलेगा: शाह

नयी दिल्ली, 1 जुलाई। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि नये आपराधिक कानूनों के तहत प्राथमिकी दर्ज होने के तीन साल के भीतर सभी मामलों में उच्चतम न्यायालय के स्तर तक न्याय मिलेगा।

शाह ने नये आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उम्मीद जतायी कि भविष्य में अपराधों में कमी आएगी और नये कानूनों के तहत 90 प्रतिशत मामलों में दोषसिद्धि होने की संभावना है।

भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 सोमवार से पूरे देश में प्रभावी हो गए। इन तीनों कानून ने ब्रिटिश कालीन कानूनों क्रमश: भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और ‘इंडियन एविडेंस एक्ट’ की जगह ली है।

उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के स्तर तक न्याय प्राथमिकी दर्ज होने के तीन साल के भीतर मिल सकता है।’’

गृहमंत्री शाह ने कहा कि तीनों आपराधिक कानूनों के लागू होने से भारत में दुनिया में सबसे आधुनिक आपराधिक न्याय प्रणाली होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘नये कानून, आधुनिक न्याय प्रणाली को स्थापित करते हैं जिनमें ‘जीरो एफआईआर’, पुलिस शिकायतों का ऑनलाइन पंजीकरण, एसएमएस जैसे इलेक्ट्रॉनिक तरीकों से समन और सभी जघन्य अपराधों के लिए अपराध स्थलों की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल हैं।’’

शाह ने बताया कि नये कानून के तहत पहला मामला ग्वालियर में रविवार रात 12 बजकर 10 मिनट पर मोटरसाइकिल चोरी का दर्ज किया गया।

उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस ने मध्य दिल्ली के कमला मार्केट में सार्वजनिक मार्ग को कथित रूप से बाधित करने वाले एक ठेले से पानी और तंबाकू उत्पाद बेचने वाले एक रेहड़ी-पटरी वाले के खिलाफ दर्ज मामला जांच के बाद खारिज कर दिया है।

दंडात्मक कार्रवाई को प्राथमिकता देने वाले औपनिवेशिक युग के कानूनों के विपरीत नये कानून न्याय प्रदान करने को प्राथमिकता देंगे और ई-प्राथमिकी, जीरो एफआईआर और इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल साक्ष्य को मान्यता देकर अपराधों की जानकारी देने को और भी आसान बना दिया गया है।

गृहमंत्री ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया अब समयबद्ध होगी और नये कानून न्यायिक प्रणाली के लिए समय सीमा निर्धारित करते हैं, जिससे लंबे समय तक विलंब खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि नये कानूनों को बच्चों और महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर एक अध्याय जोड़कर अधिक संवेदनशील बनाया गया है और ऐसे मामलों में जांच रिपोर्ट सात दिनों के भीतर दाखिल की जानी है।

शाह ने कहा कि नये कानूनों के तहत, आपराधिक मामलों में फैसला सुनवायी पूरी होने के 45 दिनों के भीतर आना चाहिए और पहली सुनवायी के 60 दिनों के भीतर आरोप तय किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि नये कानून छोटे-मोटे अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा प्रदान करके न्याय-केंद्रित दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हैं।

गृहमंत्री ने कहा कि संगठित अपराध, आतंकवाद और ‘भीड़ द्वारा पीटकर हत्या’ की घटनाओं को परिभाषित किया गया है, राजद्रोह की जगह देशद्रोह का प्रावधान किया गया है और सभी तलाशी और जब्ती की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य की गई है।

उन्होंने कहा कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है, किसी भी बच्चे की खरीद-फरोख्त को जघन्य अपराध बनाया गया है और नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है।

उन्होंने कहा कि शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाने के मामलों में एक नया प्रावधान जोड़ा गया है और बलात्कार पीड़िता का बयान उसके अभिभावक की मौजूदगी में किसी महिला पुलिस अधिकारी द्वारा दर्ज किया जाएगा।

अधिकारियों ने कहा कि नये कानूनों के तहत, मिलती-जुलती धाराओं को समायोजित कर दिया गया और सरलीकृत किया गया, जिससे भारतीय दंड संहिता में 511 के मुकाबले केवल 358 धाराएं रह गईं।

अधिकारियों ने कहा कि उदाहरण के लिए, धारा 6 से 52 तक बिखरी परिभाषाओं को एक धारा के तहत लाया गया है। अठ्ठारह धाराएं पहले ही निरस्त हो चुकी हैं और वजन और माप से संबंधित चार धाराएं कानूनी माप विज्ञान अधिनियम, 2009 के अंतर्गत लायी गई हैं।

अधिकारियों ने कहा कि शादी का झूठा वादा, नाबालिगों के साथ सामूहिक बलात्कार, भीड़ द्वारा पीटकर हत्या और चेन छीनैती जैसी घटनाओं की रिपोर्ट की जाती थी, लेकिन भारतीय दंड संहिता में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं था। अधिकारियों ने कहा कि इनका बीएनएस में समाधान किया गया है।

अधिकारियों ने कहा कि शादी का झूठा वादा करके यौन संबंध बनाने के बाद महिलाओं को छोड़ने जैसे मामलों के लिए एक नया प्रावधान किया गया है।

अधिकारियों ने कहा कि तीनों कानून न्याय, पारदर्शिता और निष्पक्षता पर आधारित हैं।

अधिकारियों ने कहा कि नये कानूनों के तहत, कोई भी व्यक्ति अब पुलिस थाने जाने की आवश्यकता के बिना इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से घटनाओं की जानकारी दे सकता है। अधिकारियों ने कहा कि इससे पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई की सुविधा के साथ आसान और त्वरित रिपोर्टिंग होती है।

अधिकारियों ने कहा कि ‘जीरो एफआईआर’ की शुरुआत के साथ, कोई भी व्यक्ति अधिकार क्षेत्र की परवाह किए बिना किसी भी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है। (भाषा)

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