ताजा खबर

राजपथ-जनपथ : एक अनार, सौ बीमार
03-Jul-2024 4:12 PM
राजपथ-जनपथ : एक अनार, सौ बीमार

एक अनार, सौ बीमार 

चर्चा है कि भाजपा रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट से जल्द प्रत्याशी घोषित कर चौंका सकती है। विधानसभा आम चुनाव में भी 21 सीटों पर चुनाव तिथि की घोषणा से दो महीना पहले प्रत्याशी घोषित कर दिए थे। कुछ इसी तरह का प्रयोग पार्टी उपचुनाव में भी कर सकती है। कुछ लोगों का अंदाज है कि सबकुछ ठीक रहा, तो इस माह के आखिरी तक भाजपा प्रत्याशी की घोषणा हो जाएगी। 

भाजपा में टिकट के कई नेताओं ने सांसद बृजमोहन अग्रवाल से मिलकर अपनी दावेदारी की है। दूसरे इलाकों के कई प्रमुख नेता का नाम भी टिकट की दौड़ में लिया जा रहा है, इनमें पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय, देवजी पटेल, और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल  भी हैं। इससे परे रायपुर दक्षिण के संगठन के आधा दर्जन से अधिक नेताओं और पार्षदों ने भी दावेदारी की है।

खास बात यह है कि ये नेता खुद को टिकट नहीं मिलने की स्थिति में सांसद बृजमोहन अग्रवाल के निजी सचिव मनोज शुक्ला को टिकट देने की वकालत कर रहे हैं। इन सबके बीच चर्चा यह है कि दावेदारों की भीड़ को देखते हुए बृजमोहन कई नाम विकल्प के तौर पर दे सकते हैं। देखना है आगे क्या होता है। 

भूतपूर्व की मदद लेनी पड़ी  

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार की समीक्षा के लिए वीरप्पा मोइली कमेटी पहुंची, तो स्वागत सत्कार के लिए ऐसे लोगों की मदद लेनी पड़ी, जो पार्टी में नहीं है। मोइली, और हरीश चौधरी का बिलासपुर और कांकेर जाने का कार्यक्रम था। इसके लिए पार्टी के निष्कासित नेता की रेंज रोवर कार मंगवाई गई। 

निष्कासित नेता की कार से मोइली और हरीश चौधरी बिलासपुर गए। मोइली का कांकेर जाने का भी कार्यक्रम था, लेकिन वो पारिवारिक कारणों से दौरा अधूरा छोड़ लौट गए। बाकी सीटों की समीक्षा हरीश चौधरी ने अकेले की। बताते हैं कि पार्टी के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल सालभर से गायब हैं। ऐसे में पार्टी के नेताओं को खर्चा जुटाने के लिए मेहनत करनी पड़ रही है। कुछ व्यवस्था तो जुगाड़ से हो रहा है। देखना है कि आगे क्या कुछ होता है। 

अब मूणत की जिम्मेदारी...

मध्यप्रदेश में ट्रांसपोर्टरों को बड़ी राहत मिली है। वहां राज्य की सीमाओं से सारे आरटीओ बैरियर हटा दिए गए हैं। आरटीओ के फ्लाइंग स्क्वाड की अवैध वसूली पर अब रोक लगने की उम्मीद मध्यप्रदेश के ट्रांसपोर्टरों और दूसरे राज्यों से आना-जाना करने वाले ट्रक चालकों को है। सरकार मध्यप्रदेश की तरह छत्तीसगढ़ में भी भाजपा की ही है। ऐसे में यह चर्चा चल रही है कि छत्तीसगढ़ की सीमाओं पर बने बैरियर बंद क्यों नहीं किये जा रहे हैं। थोड़ा पीछे चलकर याद दिला दें कि सन् 2017 में प्रदेश के परिवहन मंत्री राजेश मूणत ने विधानसभा में बजट सत्र की चर्चा के दौरान सभी 16 सीमावर्ती बैरियर खत्म करने की घोषणा कर दी थी। कहा कि, सिर्फ जिलों में टीम कलेक्टर की निगरानी पर ओवरलोड और दूसरी तरह की अनियमितताओं की जांच करेगी। इसके बाद भाजपा की सरकार चली गई। दिसंबर 2018 में कांग्रेस की सरकार ने ये सभी बैरियर फिर चालू कर दिए। मूणत रायपुर पश्चिम इलाके से 2023 में चुनाव जीतकर फिर विधायक बन गए। सरकार भी बन गई। यहां के टाटीबंध इलाके में रहने वाले सैकड़ों परिवार ट्रक के व्यवसाय से जुड़े हैं। उनके बीच अक्टूबर में चुनाव प्रचार अभियान के लिए यहां पहुंचे मूणत ने घोषणा की, प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही-चाहे जो हो जाए, सबसे पहले वसूली के इन अड्डों को बंद कराऊंगा। मगर, 6 माह से ज्यादा हो गए प्रदेश में भाजपा की सरकार बन चुकी है। बैरियर चालू हैं। वादा करते समय मूणत ने सिर्फ सरकार भाजपा की बनने की कंडीशन रखी थी, अपने मंत्री बनने, नहीं बनने की शर्त नहीं जोड़ी थी। इसलिए मूणत अपनी जवाबदारी से बच नहीं सकते। उन्हें अपनी सरकार पर दबाव डालकर चुनावी आश्वासन पूरा कराना चाहिए।

छत्तीसगढ़ के संत समागम

विधानसभा चुनाव के एक साल पहले से बीमारियों को चमत्कारिक तरीके से ठीक कर देने और ईश्वर के नजदीक ले जाने का दावा करने वाले प्रवचनकारों का छत्तीसगढ़ में सिलसिला शुरू हो गया था। चुनाव खत्म हो जाने के बाद भी यह चल ही रहा है। एक बार कोई कथावाचक चर्चा में आ गया तो एक के बाद दूसरे शहरों में उन्हें बुलाया जाता है। इनमें लाखों लोग पहुंचते हैं। हाथरस में इसी तरह के एक समागम में जो त्रासदी हुई है वह इतिहास में दर्ज हो गया है। राजनेताओं का संरक्षण होने के कारण प्रशासन ऐसे आयोजनों की सुरक्षा व्यवस्था की गहराई से पड़ताल किए बिना मंजूरी दे देते हैं। छत्तीसगढ़ इससे कुछ अलग नहीं है। बस, हाल के वर्षों में यहां कोई बड़ी अनहोनी नहीं हुई है। मगर, समागम तो हो रहे हैं। बंद नहीं हुआ है। खबरों से पता चलता है कि अभी बारिश के मौसम में भी होने जा रहे हैं। प्रशासन और आयोजकों को चाहिए कि कम से कम प्रवचनकारों से ताबीज लेने, उनका कथित रूप से पवित्र किया पानी पीने, उनका आशीर्वाद पाने के लिए, लोग एक दूसरे के ऊपर टूट न पड़ें। बाकी, यह सलाह कौन मानेगा कि इस तरह के कार्यक्रमों से दूर ही रहना चाहिए।

बारिश में दिखे बटेर..

जब किसी मूर्ख व्यक्ति के पास कोई कीमती वस्तु हाथ लग जाती है तो कहते हैं- अंधे के हाथ बटेर लग गया। इसका मतलब यह है कि मुहावरे जब रचे गए होंगे तब से बटेर को कद्र रही है। पर, पक्षियों की ढेर सारी प्रजातियों की तरह यह भी अब कम दिखाई देती हैं। मैदानी इलाकों में जहां खूब पानी मिलता हो, ये दिखते हैं। छत्तीसगढ़ में मॉनसून आने के बाद ये कई जगह नजर आने लगे हैं। यह तस्वीर अचानकमार अभयारण्य जाने के रास्ते में मोहनभाठा से प्राण चड्ढा ने खींची है। 

([email protected])

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news