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भ्रष्टाचार मामले में केजरीवाल की जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करने को सहमत उच्च न्यायालय
03-Jul-2024 8:04 PM
भ्रष्टाचार मामले में केजरीवाल की जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करने को सहमत उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली, 3 जुलाई। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि कथित आबकारी नीति घोटाले के सिलसिले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर वह पांच जुलाई को सुनवाई करेगा।

केजरीवाल के वकील ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए मामले का उल्लेख किया, जिस पर अदालत ने कहा कि इस पर शुक्रवार को सुनवाई की जाएगी।

केजरीवाल की ओर से पेश हुए अधिवक्ता रजत भारद्वाज ने कहा कि उपयुक्त कानूनी प्रक्रिया का पालन किये बिना याचिकाकर्ता को अवैध हिरासत में लिया गया और उन्होंने जमानत याचिका दायर की है।

वकील ने याचिका पर सुनवाई के लिए बृहस्पतिवार का दिन तय करने का आग्रह किया, जिस पर न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा, ‘‘न्यायाधीश को कागजात देखने दीजिए। इसके एक दिन बाद हम सुनवाई करेंगे।’’

आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक को 26 जून को सीबीआई ने तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज धनशोधन मामले के सिलसिले में केजरीवाल वहां अब भी न्यायिक हिरासत में हैं।

इस बीच, सूत्रों ने कहा कि केजरीवाल ने अधीनस्थ अदालत के एक जुलाई के उस आदेश को भी चुनौती दी है, जिसमें वीडियो कांफ्रेंस के जरिये अपने वकीलों से हर हफ्ते दो अतिरिक्त मुलाकात के लिए जेल अधिकारियों को निर्देश देने की उनकी अर्जी खारिज कर दी गई थी। उन्हें अभी हफ्ते में अपने वकीलों से केवल दो बार ही मिलने की अनुमति है।

केजरीवाल ने सीबीआई के मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी और याचिका उच्च न्यायालय में लंबित है।

अदालत ने नोटिस जारी किया था और दलीलें पेश किये जाने के लिए 17 जुलाई को इसे सूचीबद्ध करते हुए सीबीआई को अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।

केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था और उन्हें 20 जून को अधीनस्थ अदालत ने धनशोधन मामले में जमानत दी थी। हालांकि, अधीनस्थ अदालत के आदेश पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी।

दिल्ली के उपराज्यपाल ने आबकारी नीति तैयार करने और इसके क्रियान्वयन में कथित अनियमितता व भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।

इस नीति को 2022 में रद्द कर दिया गया था।

सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति में संशोधन करने के दौरान अनियमितता बरती गई और लाइसेंस धारकों को अनुचित फायदा पहुंचाया गया। (भाषा)

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