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केते एक्सटेंशन कोल माइंस की जनसुनवाई के विरोध में ग्रामीण हो रहे एकजुट
26-Jul-2024 2:22 PM
 केते एक्सटेंशन कोल माइंस की जनसुनवाई के विरोध में ग्रामीण हो रहे एकजुट

ग्रामीणों ने कहा जनसुनवाई ग्राम बासेन के लिए है तो बासेन में हो,परसा में क्यों?

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 26 जुलाई।
सरगुजा जिला के उदयपुर विकासखंड में स्थित केते एक्सटेंशन ओपन कोल माइंस की पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए आगामी 2 अगस्त को परसा में जनसुनवाई की जानी है, इसे लेकर आसपास के ग्रामीण एक बार फिर खदान एक्सटेंशन के विरोध को लेकर एकजुट होने लगे हैं।

ग्रामीणों का आरोप है कि परसा केते एक्सटेंशन के फेस एक के प्रारंभिक चरण में राजस्व ग्राम केते पूरी तरह विस्थापित हो गया है और राजस्व नक्शे से केते ग्राम का नाम लगभग समाप्त हो चुका है। चूंकि अब यहां कोयला खदान संचालित किया जा रहा है।

ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि जिस केते एक्सटेंशन खदान की जनसुनवाई ग्राम परसा में आगामी 2 अगस्त को की जानी है उसका ग्रामीण इस बात को लेकर विरोध कर रहे हैं कि यदि जनसुनवाई ग्राम बासेन के लिए है तो ग्राम बासेन में जनसुनवाई क्यों नहीं की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि ग्राम केते बासेन चकेरी और परोगिया में प्रस्तावित केते एक्सटेंशन ओपन कास्ट कोल माइंस एंड इंटीग्रेटेड वासरी प्रोजेक्ट 9 एम टी पीए और 11 एम टी पी ए  माइनिंग एरिया 1760 हेक्टेयर के पर्यावरण स्वीकृति हेतु लोक सुनवाई  गत 29 मई 2021 व 14 जुलाई 2021 तथा 13 जून 2022 को ग्राम परसा में नियत की गई थी, जिसे बाद में स्थगित कर दिया गया था।
उक्त परियोजना के लिए पुपुन: आगामी 2 अगस्त को ग्राम परसा में लोक सुनवाई आहूत की गई है जिसे लेकर ग्रामीण एक बार फिर पक्ष विपक्ष में एकजुट नजर आ रहे हैं।

इस संबंध में ग्राम साल्ही के रामलाल करियाम ने बताया कि खदान प्रारंभ होने से हम ग्राम वासियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।साल्ही नाला में गंदा पानी छोड़ा जाता है,पानी गंदा होने से निस्तार की समस्या बड़ी है।खदान में ब्लास्टिंग के कारण घरों की छत पर छिटका रहा है,दीवार में दरारें पड़ रही है। वन अधिकार के सामुदायिक दावो का निपटारा नहीं हुआ है।

ग्राम साल्ही के ठाकुर राम केरकेट्टा ने बताया कि ट्रकों से वर्तमान में कोयला परिवहन प्रारंभ किया गया है जिससे आम आदमी सहित मवेशियों को परेशानी हो रही है, आए दिन दुर्घटनाएं बढ़ रही है।पेड़ों की कटाई का दुष्परिणाम है कि क्षेत्र में बारिश कम हो रही है,जलस्तर भी लगातार गांव व आसपास का काफी नीचे जा रहा है। परसा के शिवकुमार यादव ने बताया कि खदान खुलने से फायदा तो हुआ है,पहले पिछड़ा क्षेत्र था अब यहां शिक्षा और रोजगार बढ़ा है।

परसा के ही उमाशंकर ने बताया कि खदान खुलने से क्षेत्र में लाभ हानि दोनों हैं,रोजगार कुछ लोगों को ही मिला है,बहुत सारे लोगों को रोजगार नहीं मिल पाया है। सुविधा के लिए गांव में पानी के लिए पाइपलाइन बिछाया गया है परंतु अभी भी 20 प्रतिशत घरों में पीने के पानी व पाईप नहीं है। नाली व सडक़ कि अभी भी क्षेत्र में आवश्यकता बनी हुई है।विकास के नाम पर ग्राम में ऐसा कोई काम शुरू नहीं हुआ है। परसा ग्राम के लोगों को खदान में ठेकेदारी से काम दिया जाता है,विकस का दावा खोखला नजर आता है।

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