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रायपुर, 31 जुलाई। 1 अगस्त से आल्मा मैटर्स शीर्षक के अन्तर्गत एक नई वेब सीरिज की शुरूआत करने जा रहा हैं, जिसका उद्देश्य विश्वविद्यालय से शिक्षा पूर्ण कर चुके छात्रों को एक मंच प्रदान करना है, साथ ही साथ इन छात्रों द्वारा अर्जित किये गए ज्ञान और अनुभव को वर्तमान छात्रों के साथ साझा करना होगा यह मंच आने वाले वर्षों में विश्वविद्यालय के विकास में एक सक्रिय भूमिका निभाते हुए, ‘एलुमनाई’ एसोसिएशन को एक व्यापक संस्थात्मक रूप प्रदान करेंगा।
कुलपति प्रोफेसर डॉ. वी.सी. विवेकानंदन ने कहा कि भावी विचारकों की उत्पति क्लास रूम, कैफेटेरिया, सांस्कृतिक उत्सवों, खेलकूद एवं छात्रावास के वातावरण से होती है, एवं एक छात्र/छात्रा के समस्त जीवन और व्यवसाय में उसके अध्यापक और सह विद्यार्थीयों का योगदान अग्रणीय होता है।
आल्मा मैटर्स के प्रथम सत्र का उद्घाटन 1 अगस्त को शाम 5 बजे किया जाएगा। इस सत्र का शुभारंभ विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा सुश्री अवनि बंसल के परिचर्चा विषय अधिवक्ताओं के लिये विधिक दर्शन का महत्व क्यों से प्रारम्भ होगा। सुश्री अवनि ने वर्ष 2011, में विश्वविद्यालय से स्नातक करने के उपरांत, ऑक्सफोर्ड और हार्वर्ड विश्वविद्यालय से स्नात्कोत्तर की डिग्री प्राप्त की। वर्तमान में वह उच्चतम न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में कार्यरत है। सुश्री अवनि ‘द वॉम्ब’ नामक ऑलनाइन समाचार पत्र की संस्थापक भी है। इसके अलावा कानूनी जागरूक्ता कार्यक्रम ‘हमारा कानून’ परियोजना से भी जुड़ी हुई हैं, सुश्री अवनि एक उत्कृष्ट लेखिका होने के साथ ही ‘आल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस’ की दिल्ली इकाई की सचिव भी है। प्रथम सत्र का संचालन अंकित अवस्थी, सहायक प्राध्यापक द्वारा किया जायेगा।
यह प्रोग्राम ‘वेब कार्यक्रम’ की श्रृखला में विश्वविद्यालय का चौथा प्रयास है, इससे पहले ‘सुई जनेरिस’ (एच.एन.एल.यू. फैकल्टी वेबिनार सीरीज), ‘लेक्स ओसमॉस’, ‘एक्स अर्का’ कार्यक्रम सफलता पूर्वक संचालित किये जा रहे है और यह सभी कुलपति महादेया और विश्वविद्यालय की अध्यापको की डिजिटल टीम (देबमिता मंडल, अंकित अवस्थी, जीवन सागर, डॉ. प्रवेश राजपूत और सूर्या नारायण राजू) के अथक प्रयासों से संभव हो पाया है।