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रायपुर, 20 सितंबर। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि यदि राष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण संस्था कोरोना से निपटने के लिए सरकार की मदद करने के उद्देश्य से कोई तार्किक जानकारी मांगे तो भी किसी के पास फुरसत नहीं है। 6 महीनों में कैट के अनेक बार याद दिलाने के बावजूद मंत्री और स्वास्थ्य सम्बंधित संस्थान जानकारी दे नहीं पा रहे हैं।
कैट राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने बताया कि कोरोना के प्रकोप को देखते हुए यह जानकारी बेहद महत्वपूर्ण है। क्या करेंसी नोटों के जरिए कोरोना फैलता है? अभी हाल ही में फरीदाबाद के कैनरा बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया तथा पंजाब नेशनल बैंक में कोरोना के डर से सैनिटाइजर से धोने के कारण 14 .40 करोड़ की करेंसी बर्बाद हुई है। यह तो केवल एक शहर का मामला है यदि पूरे देश में देखा जाए तो ऐसे हजारों करोड़ रूपए के नोट बर्बाद हुए होंगे।
श्री पारवानी ने बताया कि किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ, जर्नल ऑफ करेंट माइक्रो बायोलोजी एंड ऐपलायड साइयन्स, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फार्मा एंड बायो साइयन्स, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एडवॉन्स रीसर्च आदि ने भी अपनी अपनी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की है कि करेन्सी नोट के जरिए संक्रमण होता है। लेकिन इस मामले पर सरकार की चुप्पी बेहद आश्चर्यजनक है। कैट ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मांग की है कि वो मामले की गंभीरता को देखते हुए यह स्पष्ट करें कि करेंसी नोटों के जरिये कोरोना अथवा अन्य वाइरस या बैक्टेरिया फैलता है अथवा नहीं।