कारोबार
जस्टिन हार्पर
नई दिल्ली, 25 सितंबर। सोने के गहने खऱीदते समय क्या आपने कभी ये सोचा है कि सोना आता कहां से है, और क्या इसकी सप्लाई हमेशा जारी रहेगी या ये कभी खत्म भी हो सकती है?
पिछले महीने सोने की कीमतों में रिकॉर्ड इजाफा हुआ। सोने की कीमत 2000 डॉलर (करीब 1,60,000 रुपए) प्रति औंस हो गई। कीमतों के बढऩे के पीछे सोना व्यापारियों का हाथ था, लेकिन इसके साथ ही अब सोने की सप्लाई को लेकर बातें होने लगी है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या सोने की सप्लाई खत्म हो जाएगी?
सोने की खरीदारी निवेश के लिए स्टेटस सिंबल के तौर पर और कई इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल के लिए की जाती है।
जानकार ‘पीक गोल्ड’ के कॉन्सेप्ट की भी बात करते हैं। पिछले एक साल में लोगों ने अपनी पूरी क्षमता के मुताबिक सोना निकाल लिया है। कई जानकारों को लगता है कि वो पीक गोल्ड तक पहुंच चुके हैं। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक 2019 में सोने का कुल उत्पादन 3531 टन था, जो 2018 के मुकाबले एक प्रतिशत कम है। साल 2008 के बाद पहली बार उत्पादन में कमी आई है।
वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के प्रवक्ता हैना ब्रैंडस्टेटर बताते हैं, खदान से होने वाली सप्लाई भले ही कम हुई है या आने वाले कुछ सालों में कम हो सकती है क्योंकि अभी जो खदान हैं उनका पूरी तरह इस्तेमाल हो रहा है और नए खदान अब कम मिल रही हैं, लेकिन ये कहना कि सोने का उत्पादन अपनी पीक पर पहुंच गया है, जल्दबाजी होगी।
जानकार कहते हैं कि अगर पीक गोल्ड आता भी है, तो ऐसा नहीं होगा कि कुछ ही समय में सोने का प्रोडक्शन बहुत कम हो जाएगा। ये गिरावट धीरे-धीरे कुछ दशकों में आएगी। मेट्ल्सडेली.कॉम के रॉस नॉर्मन बताते हैं, माइन प्रोडक्शन स्थिर हो गया है, इसमें गिरावट देखी जा रही है, लेकिन बहुत तेजी से नहीं
तो कितना सोना बचा है?
माइनिंग कंपनियां जमीन के नीचे छिपे सोने की मात्रा का अनुमान दो तरीकों से लगाती हैं-
रिजर्व- सोना जिसे निकालना किफायती है
रिसोर्स - वो सोना, जिसे भविष्य में निकालना किफायती होगा या फिर निकालने के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी।
अमरीका के जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक गोल्ड रिजर्व अभी 50 हजार टन है। अभी तक 190,000 टन गोल्ड की माइनिंग की जा चुकी है।
कुछ आंकड़ों के मुताबिक 20 प्रतिशत सोने का खनन अभी बाकी है। लेकिन आंकड़े बदलते रहते हैं। नई तकनीक की मदद से कुछ नए रिजर्व से जुड़ी जानकरियां भी मिल सकती है, जिन तक पहुंचना अभी किफायती नहीं है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्मार्ट माइनिंग और बिग डेटा जैसी नई तकनीक की मदद से कीमतें कम की जा सकती है। कई जगहों पर रोबोट भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
दक्षिण अफ्रीका का विटवॉटर्सरैंड दुनिया में सोने का सबसे बड़ा स्रोत है, दुनिया का 30 प्रतिशत सोना यहीं से आता है। चीन सबसे ज्यादा सोने का खनन करता है। कनाडा, रूस और पेरू भी बड़े उत्पादक हैं।
नए सोने के खदानों की खोज जारी है, लेकिन वो बहुत कम मात्रा में मिल रहे हैं। इसलिए भविष्य में भी पुराने खदानों पर ही ज्यादा निर्भर रहना होगा। बड़े पैमाने पर खनन करना काफी महंगा है, बड़ी मशीनें और कारीगरों की आवश्यकता होती है। नॉर्मन बताते हैं, खनन मुश्किल होता जा रहा, कई बड़े खदान, जहां खनन किफायती है, जैसे जो दक्षिण अफ्रीका में हैं, अब वो खत्म होते जा रहे हैं।
चीन के सोने के खदान छोटे हैं इसलिए महंगे भी हैं
अभी बहुत कम ही ऐसे इलाके हैं, जहां सोना होने की उम्मीद है लेकिन खनन नहीं किया गया है, इनमें से कुछ ऐसे इलाकों में हैं, जहां अनिश्चितता बनी रहती है, जैसे अफ्रीका के पश्चिमी इलाकों में एक खुदाई में निकला 1.89 करोड़ रुपये का सोना अगस्त महीने में सोने की कीमतें उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थीं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सोने के खनन में तेजी आ जाएगी।
सोने के प्रोडक्शन का असर अमूमन उसकी कीमत पर नहीं पड़ता।
ब्रैंडस्टेटर कहते हैं, इतने बड़े पैमाने पर काम होता है कि कीमतों पर तुरंत असर नहीं होता। इसके अलावा इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि कोविड-19 के कारण खनन पर भी असर पड़ा है, कई खदान बंद थे। कीमतों के बढऩे के पीछे महामारी का हाथ है।
धरती पर कितना सोना बचा है, इसका सही अंदाजा लगा पाना तो मुश्किल है, लेकिन सोना चांद पर भी मौजूद है। लेकिन वहां से सोना निकालना और वहां से वापस लाना बहुत महंगा होगा।
अंतरिक्ष के जानकार सिनेड ओ सुलीवन कहते हैं, वहाँ सोना मौजूद हैं लेकिन वहाँ से लाना किफायती नहीं। इसके अलावा अंटार्कटिका में भी सोना मौजूद होने की जानकारी है। सोना समुद्र के नीचे भी है, लेकिन वहाँ से भी निकालना किफायती नहीं है।
लेकिन सोने के साथ एक अच्छी बात भी है। इसे रिसाइकल किया जा सकता है। बिजली से चलने वाले कई प्रोडक्ट्स में भी सोने का इस्तेमाल होता है। एक फोन में इस्तेमाल होने वाले सोने की कीमत भी कुछ पाउंड हो सकती है।
इनसे भी सोना निकालने की कोशिशें हो रही हैं। इसलिए अगर सोना के खदान पूरी तरह खत्म नहीं होंगे। (bbc.com/hindi)