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रायपुर, 28 नवंबर। कलिंगा विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी की समन्वयक डॉ. सुषमा दुबे ने बताया कि विद्यार्थियों में शोध प्रवृत्ति और नयी खोज को विकसित करने के उद्देश्य से विभिन्न वेबिनार का आयोजन किया जाता रहा है। जिसमें देश-विदेश के शीर्षस्थ विद्वानों को आमंत्रित किया जाता है। जो विद्यार्थियों को किसी विशेष विषय पर अपने ज्ञान से लाभान्वित करते हैं। इसी तारतम्य में कलिंगा विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तत्वावधान में एप्लीकेशन ऑफ जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड मालीक्यूलर बायोलॉजी इन डेवलपमेंट ऑफ ट्रांसजेनिक प्लांट विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन संपन्न हुआ।
डॉ. दुबे ने बताया कि कोरोना महामारी प्रकोप के कारण शासन के निर्देशानुसार विश्वविद्यालय में पढ़ाई के साथ-साथ सभी कार्यक्रम ऑनलाईन किए जा रहे है। इसीलिए उक्त राष्ट्रीय संगोष्ठी का ऑनलाईन आयोजन संपन्न किया गया। राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजन के प्रथम चरण में भारतीय परंपरा के अनुसार ज्ञान और विद्या की देवी माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वंदना करने के पश्चात कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
डॉ. दुबे ने बताया कि उक्त संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रुप में आईसीएआर-सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट फार कॉटन रिसर्च,कृषि मंत्रालय (भारत सरकार)के प्रमुख वैज्ञानिक और विभागाध्यक्ष डॉ.सुखदेव नंदेश्वर उपस्थित थे। उन्होंने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को ट्रांसजेनिक फसलों के महत्व से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि विश्व में ट्रांसजेनिक फसलों का वृहद रुप से उत्पादन किया जा रहा है। भारतवर्ष में फसलों की उत्पादकता और गुण बढ़ाने के लिए ट्रांसजेनिक फसलों का तेजी से उत्पादन किया जा रहा है। ट्रांसजेनिक फसलें पर्यावरण की मित्र होती है।इससे कीटनाशकों का कम उपयोग करना पड़ता है। भूमिगत तथा सतही जल के गुणवत्ता की मात्रा बढ़ती है।
डॉ. दुबे ने बताया कि उक्त आयोजन में कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.आर.श्रीधर, महानिर्देशक डॉ.बैजू जॉन,कुलसचिव डॉ.संदीप गांधी,जैव प्रौद्योगिकी विभाग की अध्यक्ष डॉ.सुषमा दूबे, डॉ. रामस्वरुप सैनी,श्री डिलेन्द्र चंद्राकर, श्रीकांत सिंह, निराली बुधभट्टी, राहुल चंद्राकर और विभाग के समस्त प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित थें।