अंतरराष्ट्रीय
पाकिस्तान की मंत्री शाज़िया मर्री ने भारत को परमाणु बम की धमकी दी है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का न्यूक्लियर स्टेटस चुप रहने के लिए नहीं है.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की नेता शाज़िया मर्री ने बोल न्यूज़ के साथ एक प्रेस वार्ता में ये बातें कहीं.
शाज़िया ने कहा, ''भारत को ये नहीं भूलना चाहिए कि हमारे पास एटम बॉम्ब है. हमारा न्यूक्लियर स्टेटस चुप रहने के लिए नहीं है. ज़रूरत पड़ने पर हम पीछे नहीं हटेंगे.''
उन्होंने कहा, ''भारत का कोई मंत्री किसी भी फोरम पर मोदी सरकार में इतना अंधा हो जाएगा और वो ये नहीं सोचेगा कि वो पाकिस्तान जैसे एक न्यूक्लियर मुल्क के लिए ऊल-फूल बक सकता है, तो ये उसकी गलती है.''
''मैंने कई फोरम पर मोदी सरकार के भेजे गए राजनयिकों का मुक़ाबला किया है. जहां पर बाकायदा वही जुमले कहे गए हैं जो इस मंत्री ने यूएन में बोला है. जहां पाकिस्तान को आतंकवाद का केंद्र कहा है. ये इनका एक प्रोपेगेंडा है.''
हालांकि शाज़िया ने अपने बयान के बाद एएनआई की ख़बर को रिट्वीट करते हुए लिखा है, ''पाकिस्तान एक ज़िम्मेदार न्यूक्लियर देश है. भारतीय मीडिया में कुछ तत्व हंगामा खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं. पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने भारतीय मंत्री के भडकाऊ बयानों पर प्रतिक्रिया दी थी. आतंकवाद के साथ लड़ाई में पाकिस्तान ने भारत से ज़्यादा खोया है. मोदी सरकार अतिवाद और फासीवाद को बढ़ावा दे रही है.''
शाज़िया का ये बयान पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर दिए विवादित बयान के बाद आया है. उन्होंने भुट्टो के बयान का समर्थन किया है.
बिलावल भुट्टो ने कहा था, ''ओसामा बिन लादेन मर चुका है पर 'बुचर ऑफ़ गुजरात' ज़िंदा है. और वो भारत का प्रधानमंत्री है. जब तक वो प्रधानमंत्री नहीं बना था तब तक उसके अमेरिका आने पर पाबंदी थी.''
इस बयान का भारत में कड़ा विरोध किया गया और बीजेपी ने पाकिस्तानी दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन भी किया.
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान की आतंकवाद का केंद्र कहते हुए आलोचना की थी.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने बिलावल भुट्टो के बयान के जवाब में कहा, ''पाकिस्तान के हिसाब से भी यह बयान काफ़ी निचले स्तर का है. पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों के प्रति रवैये में कोई ख़ास बदलाव नहीं आया है. उसे भारत पर लांछन लगाने का कोई अधिकार नहीं है.'' (bbc.com/hindi)
ईरान में विरोध प्रदर्शनकारियों का समर्थन करने के चलते जानी-मानी अभिनेत्री तारानेह अलीदोस्ती को गिरफ़्तार कर लिया गया है.
देश के सरकारी मीडिया इरना के मुताबिक तारानेह को विरोध प्रदर्शन को लेकर 'झूठ फैलाने' के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है.
तारानेह अलीदोस्ती ने पिछले हफ़्ते अपनी एक इंस्टाग्राम पोस्ट पर हिजाब के विरोध में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के समर्थन में एक पोस्ट डाला था.
उन्होंने इंस्टाग्राम पर अपनी बिना हिजाब वाली फोटो डाली थी. साथ ही विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के चलते मोहसेन शेकारी नाम के एक शख़्स को मौत की सज़ा दिए जाने की आलोचना की थी.
मोहसेन शेकारी पर 'दंगाई' होने का आरोप था और उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया था. मोहसेन ने सितंबर में राजधानी तेहरान में एक मुख्य सड़क पर रुकावट पैदा कर दी थी और अर्धसैनिक बल के एक जवान को घायल किया था.
38 साल की तारानेह अलीदोस्ती को अपनी ऑस्कर से सम्मानित फ़िल्म 'द सेल्समैन' में भूमिका के लिए खासतौर पर जाना जाता है.
उन्होंने अपनी पोस्ट में मोहसेन शेकारी की सज़ा के ख़िलाफ़ ना बोलने को लेकर कुछ अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं पर भी निशाना साधा था.
उन्होंने लिखा, ''उसका नाम मोहसेन शेकारी था. हर अंतरराष्ट्रीय संस्था जो भी इस रक्तपात को देख रही है और कोई कार्रवाई नहीं कर रही है, वो मानवता को कलंकित करने वाली है.''
इरना के टेलिग्राम अकाउंट पर की गई एक पोस्ट के मुताबिक तारानेह को अपने दावे के संबंध में कोई दस्तावेज़ ना दे पाने के चलते गिरफ़्तार किया गया है.
तारानेह के 80 लाख फॉलोवर वाले इंस्टाग्राम अकाउंट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
ईरान में मोरेलिटी पुलिस की गिरफ़्त में महसा अमीनी की मौत के बाद महिला अधिकारों के लिए ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन चल रहा है. तारानेह विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से सरकार की कड़ी आलोचक रही हैं.
(सीमा हाकू काचरू)
ह्यूस्टन, 18 दिसंबर। भारतीय-अमेरिकी उद्यमी और उसके कुत्ते की 14 दिसंबर को न्यूयॉर्क के लॉन्ग आइलैंड में उनके डिक्स हिल्स कॉटेज में आग लगने से जलकर मौत हो गयी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि उन्हें डिक्स हिल्स में कॉटेज में 14 दिसंबर को आग लगने की सूचना मिली। दो पुलिस अधिकारियों और एक सर्जेंट ने तान्या बथिजा (32) को बचाने की कोशिश की लेकिन आग बहुत भीषण थी।
स्थानीय दमकल विभाग ने जब तक आग पर पूरी तरह काबू पाया तब तक तान्या की मौत हो चुकी थी। पुलिसकर्मियों ने उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया क्योंकि बथिजा के फेफड़ों में धुआं भर गया था।
सफोल्क काउंटी पुलिस विभाग ने बताया था कि प्रारंभिक जांच के बाद यह पाया गया कि आग लगने के पीछे कोई आपराधिक वजह नहीं थी।
सफोल्क पुलिस विभाग के प्रमुख केविन बेयरर ने कहा, ‘‘बथिजा कार्ल्स स्ट्रेट पाथ पर अपने माता-पिता के घर के पीछे कॉटेज में रहती थीं।’’
उन्होंने बताया कि बथिजा के पिता गोबिंद बथिजा 14 दिसंबर को काम पर जाने से पहले जब व्यायाम करने के लिए उठे तो उन्होंने खिड़की के बाहर देखा और कॉटेज में आग लगी हुई देखी।
अधिकारी ने कहा, ‘‘उन्होंने अपनी पत्नी को उठाया। वे कॉटेज की तरफ दौड़े और अपनी बेटी को बाहर निकालने की कोशिश लेकिन आग बुरी तरह फैल गयी थी।’’
डिक्स हिल्स में तान्या बथिजा जाना-पहचाना नाम थीं। वह सफल उद्यमियों में से एक थी। उनका अंतिम संस्कार मेलोनी लेक फ्यूनरल होम में रविवार को सुबह 10 बजे किया जाना है। (भाषा)
ऑस्ट्रेलिया की महिला टीम ने भारतीय महिला टीम को चौथे ट्वेंटी-20 मैच में सात रन से हरा दिया है.
इस जीत के साथ ऑस्ट्रेलिया ने पांच मैचों की सिरीज़ में 3-1 की अजेय बढ़त बना ली है.
ऑस्ट्रेलिया की टीम ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 20 ओवर में तीन विकेट पर 188 रन बनाए. जवाब में भारत की टीम 20 ओवर में एक 181 रन ही बना सकी.
भारत के लिए कप्तान हरमनप्रीत कौर ने 46 और रिचा घोष ने 40 रन बनाए.
भारत ने सिरीज़ का दूसरा मैच जीता था. बाकी तीन मैच ऑपीटीआई की दो सरकारें करेंगे क़ुर्बान: इमरान ख़ान
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा है कि शुक्रवार को पंजाब और ख़ैबर पख़्तूनख़्वा की असेंबलियों को भंग कर दिया जाएगा.
इमरान ख़ान पाकिस्तान की जनता को संबोधित कर रहे थे. इस मौक़े पर उनके साथ पंजाब के मुख्यमंत्री चौधरी परवेज़ इलाही और ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के मुख्यमंत्री महमूद ख़ान भी मौजूद थे.
अपने भाषण में इमरान ख़ान ने देश की ख़राब आर्थिक स्थिति का ज़िक्र करते हुए इसके लिए देश में हुए सत्ता परिवर्तन को ज़िम्मेदार ठहराया है. इमरान ख़ान ने कहा कि उन्होंने कभी सेना के नाम का इस्तेमाल नहीं किया और पाकिस्तान में हर कोई यही चाहता है कि देश की सेना मज़बूत हो.
इमरान ख़ान ने कहा कि वो देश की सरकार पर जल्द चुनाव कराने के लिए दबाव डालना चाहते हैं और इसके लिए ही आज़ादी मार्च निकाला है और अन्य रैलियां की हैं. इमरान ख़ान ने कहा कि देश की 70 फ़ीसदी आबादी इस समय चुनाव चाहती है.
इमरान ख़ान ने कहा कि वह देश के लिए अपनी दो राज्य सरकारों की क़ुर्बानी दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि इन दोनों प्रदेशों में असेंबली शुक्रवार 23 दिसंबर को भंग कर दिया जाएगा.
जब इन राज्यों में चुनाव होंगे तो पाकिस्तान की 66 प्रतिशत जनता चुनाव में उतरेगी.
हालांकि, उन्होंने दावा किया कि सत्तारूढ़ गठबंधन चुनाव कराने से डर रहा है. उन्होंने कहा कि दोनों मुख्यमंत्रियों ने उनका समर्थन किया है और अगले शुक्रवार को पंजाब और ख़ैबर पख़्तूनख़्वा की विधानसभाओं को भंग कर देंगे और उसके बाद चुनाव की तैयारी करेंगे.स्ट्रेलिया ने अपने नाम किए हैं. (bbc.com/hindi)
बैंकाक, 17 दिसंबर। थाईलैंड के राजा और रानी कोविड-19 से संक्रमित पाये गये हैं और अब तक उनमें केवल हल्के लक्षण हैं। राजमहल ने शनिवार को यह जानकारी दी।
‘रॉयल हाउसहोल्ड ब्यूरो’ ने एक बयान में कहा कि चिकित्सकों ने 70 वर्षीय राजा महा वजीरालोंगकोर्न और 44 वर्षीय रानी सुथिदा के लिए इलाज निर्धारित किया है और उनसे कुछ समय के लिए अपने काम से दूर रहने का अनुरोध किया।
बयान में कहा गया है कि उनमें कोविड-19 के ‘‘बहुत हल्के’’ लक्षण हैं।
इससे पहले बृहस्पतिवार और शुक्रवार को, राजा और रानी बैंकॉक के चुलालोंगकोर्न अस्पताल में राजकुमारी बजरकीतियाभा महिदोल का हालचाल जानने के लिए गये थे। बुधवार को हृदय की समस्या के कारण बेहोश हो जाने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। (एपी)
श्रीनगर, 17 दिसंबर। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई व्यक्तिगत टिप्पणी को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जम्मू-कश्मीर इकाई ने शनिवार को श्रीनगर में विरोध-प्रदर्शन किया।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने बिलावल के खिलाफ नारेबाजी की और उनसे माफी की मांग की। श्रीनगर के जवाहर नगर इलाके में पार्टी कार्यालय से विरोध मार्च निकाला गया।
कश्मीर भाजपा के मीडिया प्रभारी मंजूर अहमद ने संवाददाताओं से कहा, “यह मार्च हमारे प्रिय प्रधानमंत्री को लेकर बिलावल की बेशर्म टिप्पणियों के खिलाफ भाजपा द्वारा किए जा रहे देशव्यापी विरोध-प्रदर्शनों का हिस्सा है। यह प्रदर्शन पाकिस्तान के खिलाफ है, जो एक आतंकवादी देश है।”
भाजपा ने कहा कि बिलावल के माफी मांगने तक विरोध-प्रदर्शन जारी रहेगा।
पार्टी कार्यकर्ता मोहम्मद यूसुफ दार ने कहा, “यह पाकिस्तान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन है। हम बिलावल को फांसी देने की अपील करते हैं और जब तक वह भारत के लोगों से माफी नहीं मांगते, तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा।”
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठक में आतंकवाद के समर्थन को लेकर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के पाकिस्तान पर तीखे हमले के बाद बिलावल ने यह टिप्पणी की थी। (भाषा)
बीजिंग, 17 दिसंबर। चीन में कोरोना वायरस से हुई मौत के मामले एक बार फिर बढ़ रहे हैं लेकिन सरकार इन पर पर्दा डालने की पुरजोर कोशिश कर रही तथा मृत्यु प्रमाणपत्र में मौत की वजह कोरोना वायरस के बजाय अन्य बीमारियों को बता रही है।
पूर्वी बीजिंग में एक शवदाहगृह के बाहर शुक्रवार शाम को कई लोग कड़ाके की ठंड में खड़े रहे और जब सुरक्षात्मक उपकरण पहने हुए कर्मी मृतक का नाम पुकारते तो एक रिश्तेदार ताबूत के पास आकर शव की शिनाख्त करता। इनमें से एक रिश्तेदार ने बताया कि उनका प्रियजन कोविड-19 से संक्रमित था।
चीन में कोरोना वायरस से कोई मौत न होने की खबर आने के हफ्तों बाद फिर से संक्रमण से मौत होने के मामले बढ़ रहे हैं।
ये मामले ऐसे वक्त में बढ़ रहे हैं जब सरकार ने व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बीच पिछले महीने कोविड-19 से जुड़ी सख्त पाबंदियों में ढील देना शुरू कर दिया।
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि कितने लोगों की संक्रमण से मौत हो रही है। एक महिला ने बताया कि उनकी बुजुर्ग रिश्तेदार दिसंबर के शुरुआत में बीमार पड़ी थी तथा कोरोना वायरस से संक्रमित पायी गयी थी तथा शुक्रवार सुबह एक आपातकालीन वार्ड में उनकी मौत हो गयी।
उन्होंने कहा कि आपातकालीन वार्ड में कई संक्रमित मरीज भर्ती थे लेकिन उनकी देखभाल के लिए पर्याप्त नर्स नहीं थीं। महिला ने कार्रवाई के डर से अपना नाम न उजागर करने का अनुरोध किया।
कुछ लोगों ने बताया कि कोविड-19 से संक्रमित पाए जाने के बावजूद मृत्यु प्रमाणपत्र में मौत की वजह ‘‘निमोनिया’’ बतायी गयी है।
अंत्येष्टि स्थल के परिसर में दुकानों के तीन कर्मचारियों में से एक ने अनुमान जताया कि रोज करीब 150 लोगों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। (एपी)
बतांग काली, 17 दिसंबर। मलेशिया की राजधानी कुआलालमपुर के बाहरी इलाके में एक पर्यटक शिविर स्थल क्षेत्र में हुए भूस्खलन में मरने वालों की संख्या बढ़कर 23 हो गई और 10 अन्य अभी भी लापता हैं। बचावकर्मियों को एक मां और उसके बेटे का शव शनिवार को मिला।
सेलांगोर राज्य के अग्निशमन प्रमुख नोराजम खामिस ने बताया कि दोनों शव मिट्टी और मलबे के एक मीटर नीचे दबे हुए पाए गए। उन्होंने कहा कि भूस्खलन के दौरान ऐसे लोगों के बचने की उम्मीद है जो पेड़ पर या चट्टानों पर चढ़ गए हों और मलबे में दबने के बावजूद उन तक हवा पहुंच रही हो। हालांकि ऐसा होने की उम्मीद बेहद कम है।
अधिकारियों ने बताया कि कुआलालंपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर मध्य सेलांगोर के बतांग काली में एक ‘कैंपसाइट’ पर भूस्खलन हुआ जहां करीब 90 से अधिक लोग मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि घटना के समय लोग सोए हुए थे और उसी समय ‘कैंपसाइट’ से लगभग 30 मीटर ऊंची सड़क से पर्यटक स्थल पर मिट्टी गिर पड़ी और लगभग तीन एकड़ जगह इसकी चपेट में आ गई। घटना में शामिल अधिकांश परिवार ऐसे थे जो साल के अंत में स्कूल की छुट्टी के दौरान छुट्टियों का आनंद ले रहे थे।
अधिकारी अभी भी शवों का पोस्टमार्टम कर रहे हैं और पीड़ितों की पहचान के लिए परिजनों की प्रतीक्षा कर रहे थे। 23 पीड़ितों में छह बच्चे और 13 महिलाएं शामिल हैं।
बचावकर्ताओं ने कहा कि एक मां और उसकी छोटी बेटी शुक्रवार को आलिंगनबद्ध मिलीं। सात लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया और दर्जनों लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया।
शनिवार को बचावकर्मी लगभग सभी जरूरी उपकरणों के साथ बचाव कार्य में लगे हुए हैं।
‘कैंपसाइट’ ऐसे स्थान को कहते हैं, जहां लोग समय बिताने के लिए तंबू लगाकर रहते हैं। स्थानीय लोगों के बीच ऐसे स्थान काफी लोकप्रिय हैं। (एपी)
रूस, 17 दिसंबर । रूस का कहना है कि राष्ट्रपति पुतिन ने शुक्रवार को पूरा दिन रूस के सैन्य कमांडरों से यूक्रेन में चल रहे युद्ध के बारे में जानकारी ली.
शुक्रवार को पुतिन के सेना के आपरेशनल मुख्यालय का दौरा करने से एक दिन पहले ही यूक्रेन ने चेताया था कि रूस नए साल की शुरुआत में यूक्रेन पर बड़ा हमला करने की तैयारी कर रहा है.
रूस के सरकारी टीवी पर पुतिन के सेना मुख्यालय दौरे की तस्वीरें प्रसारित की गई हैं. पुतिन ने रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख से भी मुलाक़ात की.
सैन्य कमांडरों से बात करते हुए पुतिन ने कहा, "प्रिय साथियों, नमस्कार. आज हम अभियान की हर दिशा की कमान संभाल रहे कमांडरों को सुनेंगे. मैं हमारे तुरंत और मध्यम-वर्गीय क़दमों के बारे में आपकी राय जानना चाहता हूं."
रूस ने पिछले साल 24 फरवरी को यूक्रेन पर आक्रमण किया था. शुरुआती महीनों में रूस की सेना ने तेज़ी से यूक्रेन के इलाक़ों पर क़ब्ज़ा किया लेकिन हाल के महीनों में रूस को कई मोर्चों पर हार का सामना करना पड़ा है और यूक्रेन ने बड़ा इलाक़ा रूस के क़ब्ज़े से छुड़ा लिया है. रूस ने यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में कुछ बढ़त ज़रूर हासिल की है. (bbc.com/hindi)
जब पूरी दुनिया में जीवाश्म ईंधनों को लेकर चिंता है और ग्लोबल वॉर्मिंग कम करने के प्रयास हो रहे हैं, उस वक्त में कोयले का उपभोग सर्वोच्च स्तर पर पहुंच चुका है और आने वाले कई साल तक ऐसा ही रहने की संभावना है.
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने कहा है कि 2022 में कोयले के इस्तेमाल ने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. अपनी एक रिपोर्ट में एजेंसी ने कहा है कि कोयले का उपभोग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है और आने वाले कुछ सालों तक इसका स्तर यहीं बने रहने की संभावना है.
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद गैस और तेल की कीमतों में हुई वृद्धि और सप्लाई चेन में जारी बाधाओं के चलते कई देशों ने इस साल सस्ता कोयला खरीदने को तरजीह दी है. हीट वेव और सूखे जैसी कुदरती आपदाओं के कारण भी दुनिया के कई देशों में बिजली की कीमतें आसमान पर पहुंचीं और उसके उत्पादन के लिए कोयले के प्रयोग को बढ़ावा मिला. यूरोप के कई देशों में परमाणु बिजली घरों को बंद करना पड़ा जिसके कारण भी कोयला ज्यादा प्रयोग हुआ.
अपनी सालाना रिपोर्ट में आईईए ने कहा कि इस साल कोयले का प्रयोग आठ अरब टन को पार कर जाएगा जो पिछले साल से 1.2 फीसदी ज्यादा है और 2013 के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया है. इस रिपोर्ट में यह भी अनुमान जाहिर किया गया है कि 2025 तक कोयले का उपभोग लगभग इसी स्तर पर बना रहेगा क्योंकि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में ऊर्जा की मांग बढ़ रही है. यानी, कोयला आने वाले कई साल तक कार्बन उत्सर्जन का सबसे मुख्य स्रोत बना रहेगा.
भारत में सबसे ज्यादा मांग
कोयले की मांग में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी भारत में रहने की संभावना है. यहां मांग में 7 फीसदी तक की वृद्धि का अनुमान जाहिर किया गया है. उसके बाद यूरोपीय संघ का नंबर है जहां मांग में 6 प्रतिशत की वृद्धि होगी. चीन में 0.4 फीसदी वृद्धि का अनुमान है.
आईईए में ऊर्जा बाजार और सुरक्षा विभाग के निदेशक केसुके सादामोरी ने कहा, "दुनिया जीवाश्म ईंधनों के उपभोग के चरम पर पहुंचने वाली है. उसके बाद सबसे पहले कोयले के उपभोग में कमी से शुरुआत होगी. लेकिन हम अभी वहां नहीं पहुंचे हैं.”
यूरोप में मांग में वृद्धि की मुख्य वजहरूसी गैस की कीमतों और सप्लाई में आई बाधाओं के कारण कोयले पर निर्भरता बढ़ना रही है. हालांकि रिपोर्ट कहती है कि यूरोप में कोयले की मांग 2025 तक इस स्तर से नीचे चले जाने की संभावना है.
उत्पादन और उपभोग के नए रिकॉर्ड
रिपोर्ट में यह संभावना भी जताई गई है कि कोयले से बिजली उत्पादन का स्तर इस साल वैश्विक स्तर पर बढ़कर 10.3 टेरावॉट घंटों का नया रिकॉर्ड बना सकता है. कोयले का उत्पादन भी 5.4 प्रतिशत बढ़कर 8.3 अरब टन के स्तर पर पहुंच सकता है जो एक नया रिकॉर्ड होगा. अनुमान है कि अगले साल यह उत्पादन अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुंच जाएगा और 2025 के बाद इसमें कमी आनी शुरू होगी.
दुनिया के तीन सबसे बड़े कोयला उत्पादक देश चीन, भारत और इंडोनेशिया हैं. वे इस साल अपने उत्पादन के नए रिकॉर्ड बना सकते हैं. हालांकि निर्यात के लिए कोयले परियोजनाओं के निवेश में वृद्धि के संकेत नहीं दिख रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इससे पता चलता है कि निवेशकों और खनन कंपनियों में कोयले की उपयोगिता को लेकर संदेह हैं.
वीके/सीके (रॉयटर्स)
इंग्लैंड में अभूतपूर्व महंगाई ने लोगों की हालत ऐसी कर दी है कि कई परिवारों को भोजन जुटाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है. ऐसे में लोग और ज्यादा मदद के लिए सरकार की तरफ देख रहे हैं.
लंदन के सेंट मेरिज प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों में से करीब आधे स्कूल में मुफ्त भोजन पाने के योग्य हैं. ये बच्चे देश के सबसे गरीब परिवारों से हैं. आसमान छूती महंगाई की वजह से मूलभूल चीजें बहुत महंगी हो गई हैं और धर्मार्थ संस्थाएं सरकार से कह रही हैं कि और ज्यादा बच्चों को स्कूल में मुफ्त भोजन दिया जाना चाहिए.
अभी तक प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सरकार ने ऐसी मांगें नहीं मानी हैं. इस स्कूल में करीब 48 प्रतिशत बच्चे स्कूल में मुफ्त भोजन पाने के योग्य हैं और यह देश के औसत आंकड़ों से कहीं ज्यादा है.
स्कूल का नेतृत्व करने वाली टीम की सदस्य क्लेयर मिचेल ने एएफपी को बताया, "यह काफी बुरा है कि कई बच्चों और हमारे परिवारों को जीवन यापन के लिए और भोजन तक के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है."
सीमा रेखा के विस्तार की जरूरत
दूसरे परिवार जिन्हें मुफ्त भोजन का लाभ मिल सकता है उन्हें यह नहीं मिल पा रहा है क्योंकि उनकी कमाई योग्यता स्तर से ऊपर है. निशुल्क भोजन पाने के लिए अनिवार्य है कि परिवार की सालाना आय 9,163 डॉलर से कम होनी चाहिए.
धर्मार्थ संस्था स्कूल फूड मैटर्स की संस्थापक और मुख्य अधिकारी स्टेफनी स्लेटर के मुताबिक, "सीमा रेखा बहुत ही नीचे रखी गई है और यूनाइटेड किंग्डम के अंदर दूसरे विकसित देशों जैसी भी नहीं है. नॉर्दर्न आयरलैंड में सीमा रेखा 17,000 डॉलर के आस पास है. स्कॉटलैंड और वेल्स में तो स्कूलों में यूनिवर्सल मुफ्त भोजन की शुरुआत होने वाली है, यानी हर स्कूल में हर बच्चे को दोपहर में मुफ्त भोजन मिलेगा."
तुलनात्मक रूप से, इंग्लैंड में करीब एक-तिहाई बच्चों को लगभग 2.91 डॉलर मूल्य का लाभ मिलता है. चाइल्ड पॉवर्टी ऐक्शन ग्रुप के मुताबिक इंग्लैंड में हर तीसरा बच्चा जो गरीबी परिवार से है इस सुविधा के योग्य नहीं है.
सेंट मेरीज स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों में से कई के माता-पिता बिजली और भोजन के बढ़ते खर्च का बोझ उठाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. स्कूल का अपना फूड बैंक है जहां ब्रेड और दूध जैसी जरूरी चीजें निशुल्क उपलब्ध हैं.
महामारी के बाद बिगड़े हालात
मिचेल ने बताया, "हमने महामारी के दौरान पहली बार इस बदलाव पर ध्यान देना शुरू किया जब परिवारों में या तो नौकरियां जा रही थीं या उन्हें पहले जितने घंटों का रोजगार मिल पा रहा था उसमें कमी हो गई थी."
सटन ट्रस्ट के मुताबिक इंग्लैंड में महंगाई के इस ताजा दौर में स्कूल में भोजन का खर्च उठा पाने में असमर्थ परिवारों की संख्या में 50 प्रतिशत का उछाल आया है. इस बीच संस्था ने हाल ही में सरकार द्वारा पेश किए गए बजट में और परिवारों को शामिल ना करने के लिए सरकार की आलोचना की.
स्कूल में मुफ्त भोजन का लाभ उठा चुके इंग्लैंड और मेनचेस्टर यूनाइटेड के फुटबॉल खिलाड़ी मार्कस रैशफोर्ड और परिवारों को इस कार्यक्रम में शामिल करने के एक अभियान का नेतृत्व करते रहे हैं.
गायक जेन मलिक, लंदन के महापौर सादिक खान और सुपरमार्केट कंपनी टेस्को के मुख्य अधिकारी केन मर्फी भी अब रैशफोर्ड के साथ जुड़ गए हैं. स्लेटर का कहना है, "जब हम भूख की बात करते हैं तो हम ऐसे बच्चों की बात कर रहे हैं जो स्कूल आ रहे हैं और भरोसा कर रहे हैं कि उन्हें दोपहर में गर्म, पौष्टिक भोजन मिलेगा."
उन्होंने एएफपी को बताया कि ऐसे बच्चे जो मुफ्त भोजन पाने के योग्य नहीं हैं लेकिन मुश्किल में हैं "ऐसे बच्चों के लिए स्कूल या तो अपने ही बजट से निशुल्क भोजन उपलब्ध कराएंगे या उनके परिवार ऐसा भोजन भेज रहे हैं जो उनके लिए काफी नहीं है."
मिचेल कहती हैं कि एक भूखे बच्चे को "ध्यान लगाने में दिक्कत होगी. अगर वो अभी क्षमता तक नहीं पहुंच पा रहे हैं...तो बाद में तो उन्हें और दिक्कत होगी."
सीके/एए (एएफपी)
यूक्रेन में युद्ध से पहले, पशुपालन उद्योग उन तमाम उद्योगों में से एक था जिसे जर्मन सरकार बहुत टिकाऊ बनाना चाहती थी. लेकिन अब स्थिति यह हो गई है कि कई जैविक फ्री-रेंज फार्म अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
डॉयचे वैले पर एलिजाबेथ शूमाखर की रिपोर्ट-
"यह सिर्फ आर्थिक रूप से ही संभव नहीं है. बिना किसी तरह के हस्तक्षेप के. हम जलवायु परिवर्तन के लिए तो तैयार थे, पर इसके लिए नहीं.” यह कहना है 39 वर्षीय थॉमस बोलिग का जो कि पश्चिमी जर्मनी के बॉन शहर में एक छोटे फार्म विटफेल्डर होफ के मालिक हैं. वो कहते हैं, "यह जमीन कम से कम 1600 ईस्वी से खेती के लिए इस्तेमाल हो रही है और शायद इस इलाके में तभी से कृषि अस्तित्व में है.”
इस आधुनिक फार्म की स्थापना उनके पिता ने 1982 में की थी. बोलिग ने 2019 में इसकी जिम्मेदारी संभाली तो उन्होंने तय किया कि वो इसे ऑर्गेनिक और फ्री-रेंज फार्म में बदल देंगे. वो मुस्कराते हुए कहते हैं कि इस बदलाव को लेकर उनके पिता बहुत उत्साहित नहीं थे लेकिन धीरे-धीरे वो भी बोलिग की बात मान गए. यहां ज्यादातर काम तो बोलिग खुद ही करते हैं लेकिन उनके पिता भी कभी-कभी उनका हाथ बंटा देते हैं. बोलिग के यहां दो पूर्णकालिक कर्मचारी काम करते हैं जबकि उनकी पत्नी एक फार्मस्टैंड चलाती हैं.
बोलिग बताते हैं कि सामान्य खेत को ऑर्गेनिक फार्मिंग में बदलना एक बड़ा उपक्रम था. ऐसा करने के लिए तमाम अन्य चीजों के अलावा कानूनी तौर पर पशुओं की संख्या में कमी करना, बड़े स्टाल्स बनाना, चिकेन की एक बिल्कुल अलग नस्ल रखना और उनके लिए महंगे चारे की व्यवस्था करना जैसे उपाय शामिल हैं. बोलिग कहते हैं, "अब मुझे डर है कि यूक्रेन में युद्ध के कारण बढ़ रही महंगाई के चलते आधे-अधूरे बने ये तबेले कहीं खंडहर न बन जाएं.” जर्मनी के संघीय सांख्यिकी दफ्तर के मुताबिक यहां निर्माण सामग्री की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं, पिछले साल की तुलना में औसतन 16.5 फीसद ज्यादा.
बड़े बदलाव की योजना
जर्मन किसान संघ डीबीवी के अध्यक्ष योआखिम रुकविड स्थिति की गंभीरता की चर्चा करते हुए कहते हैं, "भवन निर्माण सामग्री की कीमतों से ज्यादा तो खाद की कीमतें बढ़ गई हैं, करीब चार गुना हो गई हैं. चारे की कीमत दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है, डीजल की कीमतें भी काफी बढ़ गई हैं.” इसके अलावा, पशुओं के लिए ताजा हवा और उचित स्थान के मानक भी कानूनी तौर पर ज्यादा हैं. जर्मन किसान संघ का कहना है कि बाड़ों और तबेलों को बदलने से उनके परिचालन की लागत 80 फीसद तक बढ़ जाएगी जिसमें पशुओं की देखभाल और उनके चारे की कीमत भी शामिल है.
साल 2030 तक कोयले के इस्तेमाल को खत्म करने जैसी मौजूदा जर्मन सरकार की कई महत्वाकांक्षी पर्यावरण नीतियों की तरह, फार्मिंग को भी ज्यादा टिकाऊ बनाने के लिए नए कृषि कानून बनाए गए लेकिन अब यह क्षेत्र प्राथमिकता सूची में नीचे आ गया है. रुकविड कहते हैं, "पशु कल्याण के मामले में चीजें एक ठहराव की स्थिति में आ गई हैं.” रुकविड यूरोपीय संघ के आयोग ‘ऑर्गेनिक एक्शन प्लान' के भी इसलिए आलोचक थे क्योंकि वो इसे ‘यूरोप में खाद्य सुरक्षा को खतरे' में डालने वाले कदम के रूप में देखते हैं.
इस योजना में नाटकीय रूप से कीटनाशकों के उपयोग में कमी लाना, यह सुनिश्चित करना कि यूरोपीय संघ की कृषिभूमि का कम से कम 25 फीसद हिस्सा जैविक खेती के लिए आरक्षित रखा जाए और जीएमओ के उपयोग को प्रतिबंधित करना जैसी बातें शामिल हैं. रुकविड ने तो जर्मन कृषि मंत्री चेम ओएज्देमीर के लिए बहुत ही कठोर शब्दों का भी इस्तेमाल किया था जिन्होंने इस साल की शुरुआत में मांस उत्पादों के लिए एक नई लेबलिंग प्रणाली की घोषणा की थी जिसमें उनके पर्यावरणीय प्रभाव और पशु कल्याण के स्तर के बारे में जानकारी दी जानी थी.
डी साइट अखबार से बातचीत में रुकविड ने बताया कि स्थिरता नियमों को पूरा करने के लिए जरूरी बदलाव के लिए किसानों को दी जा रही एक अरब यूरो की सहायता पर्याप्त नहीं है. वो कहते हैं, "अभी किसी किसान के पास इसके लिए पैसा नहीं है.”
लागत में 60-80 फीसद की बढ़ोत्तरी
चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की गठबंधन सरकार इसके बदले उपभोक्ताओं के बैंक खातों को सही करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है क्योंकि अक्टूबर में महंगाई दर 10.4 फीसद तक पहुंच गई. खाद्य पदार्थों की कीमतों की बात करें तो महंगाई दर 21 फीसद से भी ज्यादा हो गई है. डीबीवी अध्यक्ष रुकविड के मुताबिक, कीमतें बढ़ने से बोलिग जैसे सुअर पालक सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. सुअर पालने वाले किसानों का जिक्र करते हुए रुकविड कहते हैं कि खाद्य सामग्री और बाड़ों के निर्माण में आने वाली लागत की वजह से किसानों का इस क्षेत्र में बने रहना बड़ा मुश्किल है. वो कहते हैं, "आने वाले वर्षों में पशुपालन उद्योग में लगे ज्यादातर किसान अपना काम-धाम समेटने वाले हैं.”
किसान बोलिग कहते हैं, "उपकरणों और उनके रखरखाव की कीमतें 60-80 फीसद तक बढ़ चुकी हैं. इन बढ़ी कीमतों के बावजूद ग्राहक इन पशुओं को दोगुने दाम पर खरीदने को तैयार नहीं हैं. सुपरमार्केट इत्यादि में ऑर्गेनिक खाद्य सामग्री बिक ही नहीं पा रही है.” बोलिग के बयान से उन शोधों की पुष्टि होती है जिनमें कहा गया है कि साल 2022 में जर्मन नागरिकों ने अपने निजी बजट में काफी कटौती की है और इसके लिए वो कम कीमत वाली सुपरमार्केटों में जाकर सस्ती चीजें खरीद रहे हैं. स्थानीय मीडिया में ऐसी रिपोर्टें आ रही हैं कि खुदरा व्यापारी पशु कल्याण के नाम पर अतिरिक्त कीमत चुकाने को तैयार नहीं हैं और किसानों से कह रहे हैं कि वो अपने उत्पादों को सस्ते दरों पर बेचें, अन्यथा वो उनसे सामान नहीं खरीदेंगे.
सरकारी प्राथमिकताओं में बदलाव जरूरी
किसान बताते हैं कि बड़े नॉन-ऑर्गेनिक खाद्य उत्पादकों को आसमान छूती कीमतों से कुछ हद तक संरक्षण मिला रहता है क्योंकि ये लोग वितरकों के साथ इन चीजों की कीमतें एक साल पहले ही तय कर लेते हैं. लेकिन छोटे किसानों को इसका नुकसान होता है क्योंकि कीमतें बढ़ने के साथ वो मुनाफा कमाने के लिए अपने स्तर पर वस्तुओं के दाम नहीं बढ़ा पाते.
कहा जाता है कि ऑर्गेनिक खेती के लिए प्रशिक्षित कर्मचारियों की जरूरत है जो समाज के लिए तो महत्वपूर्ण हैं लेकिन उनका करियर बहुत आकर्षक नहीं माना जाता. लेकिन महंगाई वाली समस्या इससे भी कहीं ज्यादा जटिल है. बोलिग कहते हैं कि कई अन्य क्षेत्रों की तरह छोटे पशुपालक भी अपना व्यापार सही तरह से चलाने के लिए कर्मचारियों की कमी का सामना कर रहे हैं.
ऐसी स्थिति में जबकि उपभोक्ता और सुपरमार्केट दोनों ही बेहतर पशु कल्याण के नाम पर अतिरिक्त पैसा नहीं देना चाहते हैं, तो बिना किसी सरकारी मदद के छोटे पशुपालक कैसे जिंदा रह पाएंगे, यह सवाल महत्वपूर्ण है. बोलिग कहते हैं, "मुझे लगता है कि राजनेता सही कह रहे हैं. उन्होंने महसूस किया है कि हमें मदद की जरूरत है, लेकिन प्राथमिकताओं को फिर से तय करने की जरूरत है. जैसे, आपके पास जितनी ज्यादा जमीन है, आपको उतनी ज्यादा सरकारी मदद यानी सब्सिडी मिल रही है. वास्तव में यह गरीब किसानों की कीमत पर अमीर किसानों को पुरस्कृत करने जैसा है.”
हालांकि बोलिग शॉल्त्स की सेंटर लेफ्ट सरकार की इस बात के लिए सराहना करते हैं कि उसने महंगाई को देखते हुए गैस कीमतों को कम करने जैसे कई कदम उपभोक्ताओं के हित में उठाए हैं लेकिन उन्हें इस बात पर अभी भी संदेह है कि सरकार ने किसानों के हित में कुछ अच्छा किया है. नए पर्यावरण कानूनों के बारे में वो कहते हैं, "हम इस तरह के बदलावों के बारे में योजना बनाने में सक्षम होते थे लेकिन अब सब कुछ अनिश्चित है.” (dw.com)
बर्लिन, 17 दिसम्बर | जर्मन बुंडेसराट या संसद के ऊपरी सदन ने तथाकथित ऊर्जा मूल्य ब्रेक को मंजूरी दे दी है, जो उपभोक्ताओं और व्यवसायों पर उच्च कीमतों के प्रभाव को कम करने के लिए यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में बिजली और गैस की कीमतों को सीमित करेगा। चांसलर ओलाफ शोल्ज ने शुक्रवार को एक ट्वीट में कहा, "गैस, बिजली और डिस्ट्रिक्ट हीटिंग के लिए मूल्य ब्रेक आ रहे हैं! यह अच्छी बात है कि बुंडेस्टाग और बुंडेसराट ने फैसला किया है।"
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार आगे की जानकारी अभी बाकी है।
मूल्य ब्रेक मार्च 2023 से लागू होने हैं, लेकिन उपभोक्ताओं को जनवरी और फरवरी में एकमुश्त भुगतान भी मिलता है।
ऊर्जा संकट के बीच खपत को कम करने के लिए प्रोत्साहन देने के लिए गैस और बिजली की कीमतों को पिछले औसत खपत के केवल 80 प्रतिशत तक सीमित कर दिया गया है।
ऊर्जा मूल्य ब्रेक को वित्तपोषित करने के लिए जर्मन सरकार आर्थिक स्थिरीकरण कोष के माध्यम से 200 बिलियन यूरो तक प्रदान कर रही है, जिसे मूल रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान राज्य सहायता वितरित करने के लिए स्थापित किया गया था।
कुल 95 अरब यूरो के महंगाई राहत पैकेज को भी इस साल पास किया गया।
उपायों में सर्दियों के दौरान हीटिंग बिलों का भुगतान करने के लिए अल्पकालिक वित्तीय सहायता और गैस और जिला हीटिंग पर मूल्य वर्धित कर (वैट) की दर को 19 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत करना शामिल है।
राहत उपायों के बावजूद, ऊर्जा उत्पादों के उपभोक्ता मूल्य नवंबर में एक साल पहले इसी महीने की तुलना में अभी भी 38.7 प्रतिशत अधिक थे।
नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में 10.4 प्रतिशत की चोटी पर पहुंचने के बाद, मुद्रास्फीति की दर पिछले महीने घटकर 10.0 प्रतिशत हो गई। (आईएएनएस)|
वाशिंगटन, 17 दिसंबर (आईएएनएस)| नासा ने पृथ्वी की झीलों, नदियों, जलाशयों और समुद्र के पानी का परीक्षण करने के लिए एक पहला उपग्रह लॉन्च किया है। शुक्रवार को कैलिफोर्निया के वैंडेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट से सरफेस वाटर एंड ओशन टोपोग्राफी (एसडब्ल्यूओटी) अंतरिक्ष यान लॉन्च किया गया। नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने कहा, गर्म समुद्र, प्रतिकूल मौसम, जंगल की आग आदि चुनौतियों का मानवता सामना कर रही है।
नेल्सन ने कहा, जलवायु संकट के लिए पूरी तरह से एकजुट ²ष्टिकोण की आवश्यकता है, और एसडब्ल्यूओटी एक लंबे समय से चली आ रही अंतरराष्ट्रीय साझेदारी की उपलब्धि है जो अंतत: समुदायों को बेहतर ढंग से संगठित कर इन चुनौतियों का सामना कर सकेगी।
उपग्रह को नासा और फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी सेंटर नेशनल डी'ट्यूड्स स्पैटियालेस (सीएनईएस) द्वारा बनाया गया है। अंतरिक्ष यान में कैनेडियन स्पेस एजेंसी और यूके स्पेस एजेंसी का भी योगदान है।
उपग्रह पृथ्वी की सतह के 90 प्रतिशत से अधिक ताजे जल निकायों और समुद्र में पानी की मात्रा को मापेगा।
इससे यह पता चल सकेगा कि समुद्र जलवायु परिवर्तन को कैसे प्रभावित करता है। कैसे एक गर्म दुनिया झीलों, नदियों और जलाशयों को प्रभावित करती है। बाढ़ जैसी आपदा से कैसे निपटा जा सकता है।
एसडब्ल्यूओटी हर 21 दिनों में कम से कम एक बार 78 डिग्री दक्षिण और 78 डिग्री उत्तरी अक्षांश के बीच पूरी पृथ्वी की सतह को कवर करेगा, प्रति दिन लगभग एक टेराबाइट डेटा वापस भेजेगा।
नासा अर्थ साइंस डिविजन के निदेशक करेन सेंट जर्मेन ने कहा, हम एसडब्ल्यूओटी को काम करते हुए देखने के लिए उत्सुक हैं। यह उपग्रह इस बात का प्रतीक है कि हम विज्ञान और तकनीकी नवाचारों के माध्यम से पृथ्वी पर जीवन को कैसे बेहतर बना रहे हैं।
एसडब्ल्यूओटी माप से शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और संसाधन प्रबंधकों को बाढ़ और सूखे सहित चीजों का बेहतर आकलन करने और योजना बनाने में मदद मिलेगी।
वाशिंगटन, 17 दिसंबर। अमेरिका का एक विश्वविद्यालय नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री फिलिप डायबविग के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामलों की जांच कर रहा है।
हालांकि, डायबविग के वकील ने इन आरोपों को ‘‘पेशेवर प्रतिद्वंद्वता’’ बताकर खारिज किया है।
डायबविग के वकील एंड्रयू मिलटनबर्ग ने ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि सेंट लुइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी का कार्यालय पिछले कुछ सप्ताह से उनके मुवक्किल से पूछताछ कर रहा है।
मिलटनबर्ग ने इन आरोपों को ‘‘तथ्यात्मक रूप से झूठे’’ बताया।
विश्वविद्यालय में लंबे समय से बैंकिंग एवं वित्त संबंधी विषयों के प्रोफेसर डायबविग ने इस संबंध में उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं दिया है।
डायबविग, अमेरिकी अर्थशास्त्री डगलस डब्ल्यू डायमंड और फेडरल रिजर्व के पूर्व अध्यक्ष बेन एस बर्नान्के को बैंकों की असफलता पर शोध के लिए इस साल अक्टूबर में अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
‘ब्लूमबर्ग न्यूज’ ने बताया कि उसने उन ईमेल की समीक्षा की है, जो दिखाते हैं कि विश्वविद्यालय परिसर में यौन उत्पीड़न की शिकायतों से निपटने वाले कार्यालय ने डायबविग के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए अक्टूबर से कम से कम तीन पूर्व छात्राओं से पूछताछ की है।
ब्लूमबर्ग ने बताया कि उसने डायबविग पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सात पूर्व छात्राओं से बात की है, जिनमें से तीन से विश्वविद्यालय के कार्यालय ने पूछताछ की। इन पीड़िताओं में से अधिकतर ने अपनी पहचान गोपनीय रखने की खर्त पर ब्लूमबर्ग से बात की।
नोबेल पुरस्कार की आर्थिक विज्ञान पुरस्कार समिति के अध्यक्ष टोरे एलिंगसन ने ब्लूमबर्ग को बताया कि ‘रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंस’ ने यह सुनिश्चित करने के लिए विश्वविद्यालय से संपर्क किया है कि वे आरोपों की जांच के लिए उचित एवं निष्पक्ष प्रक्रिया अपनाएं।
मिलटनबर्ग ने कहा कि आरोप जिस समय में लगाए हैं, उसे लेकर उनके मन में संदेह है। उन्होंने कहा कि आरोप ऐसे समय में लगाए गए हैं, जब पुरस्कारों को घोषणा की जा चुकी है, लेकिन पुरस्कार वितरण समारोह नहीं हुआ है। (एपी)
वाशिंगटन, 17 दिसंबर। अमेरिकी कैपिटल (संसद भवन परिसर) में छह जनवरी 2021 को हुई हिंसा की जांच कर रही संसदीय समिति न्याय विभाग से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर विद्रोह समेत तीन आपराधिक आरोप लगाने की सिफारिश करने पर विचार कर रही है।
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि समिति ट्रंप पर आधिकारिक कार्यवाही में बाधा डालने और अमेरिका से धोखाधड़ी करने की साजिश रचने के आरोप लगाने की सिफारिश करने पर भी विचार कर रही है।
समिति की चर्चा शुक्रवार देर रात तक जारी रही और अभी इस पर फैसला नहीं लिया गया है कि वह न्याय विभाग से कौन-से आरोप लगाने के लिए सिफारिश करेगी। समिति सोमवार को एक बैठक करेगी, जिसमें सार्वजनिक रूप से संबंधित सिफारिशों की घोषणा की जाएगी। (एपी)
चीन, 16 दिसंबर । चीन में ज़ीरो कोविड पॉलिसी लगभग ख़त्म हो गई है, लेकिन कोरोना संक्रमण एक बार फिर तेज़ी से बढ़ रहा है और अस्पतालों पर दबाव भी बढ़ता जा रहा है.
हालात इतने ख़राब हो गए हैं कि वायरस के संपर्क में आए डॉक्टरों और नर्सों से भी कहा जा रहा है कि वो काम पर आना जारी रखें क्योंकि मेडिकल स्टाफ़ की कमी है. (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान, 16 दिसंबर । पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने कहा है कि पाकिस्तान रूस से सस्ती ऊर्जा हासिल करने की कोशिश नहीं कर रहा है.
बिलावल भुट्टो से अमेरिकी समाचार एजेंसी पीबीएस द्वारा एक साक्षात्कार में पूछा गया था कि पाकिस्तान ने हाल ही में घोषणा की है कि वह रूस से सस्ता तेल खरीदने की कोशिश कर रहा है और पाकिस्तान और चीन के बीच संबंध भी मजबूत हुए हैं तो क्या पाकिस्तान अमेरिका का सहयोगी होते हुए उसके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के साथ व्यापार कर सकता है?
बिलावल भुट्टो ने इस सवाल के जवाब में कहा कि पाकिस्तान और चीन के संबंध ऐतिहासिक हैं और दोनों देशों के आपसी संबंधों में आर्थिक साझेदारी का अहम पहलू है. बिलावल भुट्टो ने ये भी कहा कि पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्ते भी काफी पुराने हैं.
उन्होंने कहा कि इसलिए संभव है कि पाकिस्तान के चीन और अमेरिका दोनों के साथ अच्छे संबंध हों। हालांकि, बिलावल भुट्टो ने कहा कि पाकिस्तान को सस्ती ऊर्जा के मामले में रूस से कुछ नहीं मिल रहा है और वह इसके लिए कोशिश भी नहीं कर रहा है.
बिलावल भुट्टो ने कहा कि पाकिस्तान एक कठिन आर्थिक स्थिति और मुद्रास्फीति का सामना कर रहा है जिसमें ऊर्जा क्षेत्र भी असुरक्षित है और इस जरूरत को पूरा करने के लिए विभिन्न तरीकों पर विचार किया जा रहा है.
बिलावल भुट्टो ने कहा कि पाकिस्तान को रूस से मिलने वाली किसी भी तरह की ऊर्जा को इस्तेमाल करने लायक बनाने के लिए समय चाहिए होगा. (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान, 16 दिसंबर । मौजूदा दौर के उर्दू शायरों ने मुशायरों की परंपरा से इंटरनेट सेलेब्रिटी बनने तक सफ़र देखा है. वो किसी एक देश तक महदूद नहीं हैं, बल्कि उनकी शोहरत दुनिया तक पहुंच रही है और इसमें सोशल मीडिया का किरदार अहम साबित हो रहा है.
छोटे-छोटे वीडियो रील बनकर इन शायरों को घर-घर तक पहुंचा रहे हैं. ऐसे ही एक शायर हैं पाकिस्तान के तहज़ीब हाफ़ी, जो भारत और दूसरे देशों में भी बेहद पसंद किए जा रहे हैं.
इस ख़ास इंटरव्यू में तहज़ीब हाफ़ी ने अपने सफ़र, अपनी शायरी, दूसरों की शायरी, भारत और भारतीयों के बीच उनकी शोहरत और मोहब्बत से लेकर शादी तक, तमाम मुद्दों पर अपनी बात रखी... पाकिस्तान के लाहौर शहर में उनसे ये ख़ास बातचीत की बीबीसी संवाददाता अली काज़मी ने. (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 16 दिसंबर | राज्यसभा में शुक्रवार को एलएसी पर चीनी अतिक्रमण पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, सभापति को इस मुद्दे पर विपक्ष के नोटिस को अनुमति देनी चाहिए क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और सभी सदस्य चर्चा चाहते हैं।
इस अनुरोध को उपसभापति हरिवंश ने अनदेखा कर दिया, और सदन को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
उप सभापति हरिवंश ने सदस्यों को सभापति पर टिप्पणी करने से परहेज करने की चेतावनी दी।
विपक्ष पर सदन की कार्यवाही बाधित करने और सुचारू रूप से चलने नहीं देने का आरोप लगाते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, कांग्रेस को आम आदमी के मुद्दे की परवाह नहीं है।
विपक्ष के बीच समन्वय की कमी देखी गई। तृणमूल कांग्रेस के नदीमुल हक सदन की कार्यवाही को आगे बढ़ाते हुए नजर आए और ऐसा ही झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के महुआ मांझी ने भी किया।
हालांकि, सभापति ने बताया कि उन्हें नियम 267 के तहत आठ नोटिस मिले थे, जिन्हें खारिज कर दिया गया। (आईएएनएस)|
न्यूयॉर्क, 16 दिसंबर | एक भारतीय-अमेरिकी न्यूरोसर्जन को स्पाइनल सर्जरी करने के लिए करीब 33 लाख डॉलर की रिश्वत लेने के आरोप में पांच साल की सजा सुनाई गई है। सैन डिएगो, कैलिफोर्निया के 55 वर्षीय लोकेश एस. तंतुवाया ने लॉन्ग बीच स्थित एक अस्पताल में सर्जरी की। न्याय विभाग के एक बयान में कहा गया है कि उन्हें यूएस डिस्ट्रिक्ट जज जोसफीन एल स्टेटन ने सजा सुनाई। कोर्ट ने 3.3 मिलियन डॉलर के अवैध लाभ को जब्त करने का भी आदेश दिया।
तंतुवाया को 1 सितंबर को दोषी ठहराया गया था। वह मई 2021 से हिरासत में हैं।
2010 से 2013 के बीच अस्पताल में रीढ़ की हड्डी की सर्जरी करने वाले तंतुवेया ने पैसिफिक अस्पताल के मालिक माइकल ड्रोबोट से धन स्वीकार किया।
पैसिफिक अस्पताल रीढ़ की हड्डी और आर्थोपेडिक प्रक्रियाओं में विशिष्ट है। इसके मालिक ड्रोबोट को मामले में 2018 में 63 महीने की जेल की सजा सुनाई गई थी।
ड्रोबोट ने डॉक्टरों व अन्य कर्मियों के साथ साजिश रचकर हजारों मरीजों को स्पाइनल सर्जरी और अन्य चिकित्सा सेवाओं के लिए पैसिफिक अस्पताल में रेफरल के बदले में किकबैक और रिश्वत का भुगतान भुगतान मुख्य रूप से कैलिफोर्निया के श्रमिकों की क्षतिपूर्ति प्रणाली के माध्यम से किया।
न्याय विभाग ने कहा कि अपने अंतिम पांच वर्षों के दौरान इस साजिश के परिणामस्वरूप स्पाइन सर्जरी के लिए चिकित्सा बिलों में 500 मिलियन डॉलर से अधिक का भुगतान किया गया।
तंतुवाया ने ड्रोबोट और ड्रोबोट के स्वामित्व वाली कंपनियों के साथ अनुबंध किया।
तंतुवेया ने स्वीकार किया कि वह जानता था कि अस्पताल में मरीज को सर्जरी के बदले में उसे भुगतान किया जा रहा है।
उसने यह भी कबूल किया कि वह जानता था कि चिकित्सा सेवा के लिए रेफरल के बदले में धन प्राप्त करना अवैध था।
अब तक मामले में 23 लोगों को दोषी ठहराया जा चुका है। (आईएएनएस)|
सैन फ्रांसिस्को, 16 दिसंबर | ट्विटर के सीईओ एलन मस्क ने माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर कई प्रमुख पत्रकारों के खातों को निलंबित कर दिया है, जिसमें सीएनएन से डोनी ओ'सुल्लीवन और द वाशिंगटन पोस्ट से ड्र हारवेल शामिल हैं। इन पत्रकारों ने मस्क के 'सटीक रियल-टाइम लोकेशन' को पोस्ट किया था। जब एक ट्विटर उपयोगकर्ता ने कुछ पत्रकारों के निलंबित खातों के स्क्रीनशॉट पोस्ट किए, तो मस्क ने शुक्रवार को कहा, "पत्रकारों पर वही नियम लागू होते हैं जो बाकी सभी पर लागू होते हैं।"
"उन्होंने मूल रूप से ट्विटर की सेवा की शर्तों के प्रत्यक्ष उल्लंघन में मेरे सटीक रीयल-टाइम लोकेशन को पोस्ट किया।"
यूजर के पोस्ट में द न्यू यॉर्क टाइम्स के पत्रकार रेयान मैक और इंडिपेंडेंट के आरोन रोपर भी शामिल थे।
इस बीच, माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने मास्टोडन के आधिकारिक खाते को भी निलंबित कर दिया, जो लोगों के लिए एक ट्विटर जैसा विकल्प चाहने वाला प्लेटफॉर्म है। (आईएएनएस)|
ऑस्ट्रेलिया, 16 दिसंबर । ऑस्ट्रेलिया में ज़हरीला पालक खाने की वजह से लोगों के बीमार होने की ख़बरें आ रही हैं. इन लोगों को सेहत बिगड़ने से लेकर हेलुसिनेशन यानी भ्रमित होने जैसी दिक्कतें हो रही हैं.
अब तक नौ लोगों को मेडिकल हेल्प उपलब्ध करवाई गई है. इन लोगों को रिविएरा फार्म्स ब्रैंड का पालक खाने के बाद ये शिकायत हो रही है.
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि पालक खाने के बाद लोगों में भ्रमित होने से लेकर हार्ट रेट बढ़ने और नज़र धुंधली होने जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं.
इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि अगर इस ब्रांड का पालक खाकर किसी तरह के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत अस्पताल जाना चाहिए.
सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड से बात करते हुए प्रांतीय पॉइज़न्स इन्फॉर्मेशन सेंटर के अधिकारी डॉ डारेन रॉबर्ट्स ने कहा है, "अब तक किसी व्यक्ति के मरने की ख़बर नहीं आई है. ऐसे में हम इस बात से बेहद ख़ुश हैं. और उम्मीद करते हैं कि ऐसी कोई ख़बर नहीं आएगी."
रिवेरा फार्म्स के प्रवक्ता ने कहा है कि उनका मानना है कि इस बैच के पालक पर किसी तरह की खर-पतवार का असर हुआ है, लेकिन इससे दूसरे उत्पाद प्रभावित नहीं हैं. (bbc.com/hindi)
अफ्रीकी देशों में भूख और कुपोषण की समस्या विकराल होती जा रही है. जलवायु से लेकर युद्ध, महामारी और तमाम देशों की सरकारों की नाकामी ने दुनिया के लिए एक बड़ा मानवीय संकट पैदा कर दिया है.
अक्टूबर में नादिफा आबदी जब अपनी कुपोषित बेटियों को मोगादिशु के अस्पताल ले गईं तो नर्स ने बताया कि 42 और बच्चे उस दिन भूख से बीमार हो कर इमर्जेंसी वार्ड में भर्ती हुए हैं. उसके एक दिन पहले यह संख्या 57 थी.
बेनादिर मैटर्निटी एंड पेड्रियाटिक हॉस्पिटल का कहना है कि कुपोषित बच्चों की संख्या बीते एक साल में दोगुनी हो गई है. वो अब हर महीने एक हजार से ज्यादा बच्चों का इलाज कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक सोमालिया में अकाल के कारण पांच लाख से ज्यादा बच्चों का जीवन संकट में है. यह इस शताब्दी में दुनिया के किसी भी एक देश के लिए सबसे बड़ी संख्या है.
पूरे अफ्रीका में पूरब से लेकर पश्चिम तक लोग भोजन के संकट का सामना कर रहे हैं. राजनयिकों और मानवीय सहायता पहुंचाने में जुटे लोगों के मुताबिक इस महादेश ने इतना जटिल और बड़ा भोजन संकट इससे पहले कभी नहीं देखा.
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (एफएओ) के मुताबिक अफ्रीका में हर पांचवां आदमी यानी करीब 27.8 करोड़ लोग 2021 में ही भूख का सामना कर रहे थे. एफएओ का कहना है कि यह स्थिति अब और ज्यादा बिगड़ गई है.
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के मुताबिक पूर्वी अफ्रीका में भोजन की अत्यधिक कमी है यानी वो स्थिति जब इसकी वजह से जीवन या रोजगार पर तुरंत खतरा हो. पिछले एक साल में ही वहां यह 60 फीसदी बढ़ गई जबकि पश्चिमी अफ्रीका में करीब 40 फीसदी.
संघर्ष और जलवायु परिवर्तन इसके दीर्घकालीन कारण हैं. कोविड-19 की महामारी के बाद कर्ज का बोझ, बढ़ती कीमतें और यूक्रेन की जंग ने स्थिति को ज्यादा बिगाड़ दिया है. यूरोपीय सहायता फंस गयी है और दूसरी जगहों हाल भी कुछ अच्छा नहीं है.
बेनादिर हॉस्पिटल के पेडियाट्रिक डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ अवैस ओलोव बताते हैं कि दूसरे क्लिनिकों से आ रहे मरीजों की संख्या काफी ज्यादा है, "बाकी दुनिया से मदद के बगैर यहां की स्थिति नियंत्रण से बाहर चली जायेगी." वो पांच कारण जिन्होंने अफ्रीका की हालत बिगाड़ दी है.
1. जलवायु परिवर्तन
पूर्वी अफ्रीका में बरसात के लगातार चार मौसम से बारिश नहीं हुई है. डब्ल्यूएफपी के पूर्वी अफ्रीका निदेशक मिषाएल डनफोर्ड के मुताबिक बीते 40 साल का सबसे भयानक सूखा पड़ा है. अफ्रीकी देश दुनिया भर में होने वाले जलवायु परिवर्तन का कारण बने कार्बन उत्सर्जन के महज 3 फीसदी के लिए जिम्मेदार हैं लेकिन किसी भी दूसरे इलाके की तुलना में उन्हें ज्यादा नुकसान हो रहा है. जलवायु परिवर्तन के कारण सबसे ज्यादा खतरा झेल रहे 20 देशों में चार को छोड़ कर बाकी सभी अफ्रीकी देश हैं.
इथियोपिया, केन्या, सोमालिया के करीब 2.2 करोड़ लोग केवल सूखे के कारण अत्यधिक खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं. अगर बारिश फिर नहीं हुई तो फरवरी में यह संख्या 2.6 करोड़ तक चली जाएगी.
बारिश की कमी के कारण फसल पैदा नहीं हो रही है. उत्तरी केन्या में मवेशियों के लिए पानी की तलाश में गहरी से गहरी खुदाई की जा रही है. मसाई समुदाय के लोगों का जीवन उनकी गायों पर टिका है लेकिन उन्हें मरते देखने से बचने के लिए वो अपनी गायें बेच रहे हैं.
उधर पश्चिमी अफ्रीका के कुछ हिस्सों में बीते तीस सालों की सबसे ज्यादा बारिश हुई है. अक्टूबर के मध्य तक करीब 50 लाख लोग और 10 लाख हेक्टेयर खेती की जमीन पर इसका असर हुआ है.
अफ्रीका में संघर्ष
संघर्ष लंबे समय से भूख का एक कारण रहा है. जंग के कारण आम लोगों को अपना घर, रोजगार, खेत और भोजन के स्रोत से दूर जाना पड़ता है. संघर्ष में सहायता पहुंचाना भी मुश्किल होता है.
पिछले एक दशक में अफ्रीका के बेघर लोगों की संख्या तीन गुनी बढ़ कर 2022 में रिकॉर्ड 3.6 करोड़ तक जा पहुंची है. वास्तव में यह पूरी दुनिया में युद्ध के कारण कुल बेघर लोगों की संख्या का आधा है.
2016 में अफ्रीका के हथियारबंद गुटों के बीच 3,682 लड़ाइयां हुईं. 2021 में इन संघर्षों की संख्या 7,418 तक जा पहुंची. सोमालिया तो 1990 के दशक से ही गृहयुद्ध में घिरा है.
यूरोप में संघर्ष
फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने अफ्रीका की समस्याएं और बढ़ा दीं. नये उभरे संकट ने अमीर सरकारों की बड़ी राहत एजेंसियों का ध्यान साल के पहले आधे हिस्से में पूरी तरह यूक्रेन की तरफ मोड़ दिया. इस साल की शुरुआत में जब संकट ज्यादा बढ़ा तो अफ्रीकी डेवलपमेंट बैंक ने एक आपातकालीन भोजन उत्पादन कोष बनाया. 1.5 अरब अमेरिकी डॉलर के इस कोष का लक्ष्य अफ्रीकी किसानों को गेहूं, मक्का, चावल और सोयाबीन की खेती में मदद करना था.
हालांकि पूरे अफ्रीका में संकट केवल पिछले एक साल में ही 14 फीसदी बढ़ गई. दानदाताओं की संख्या 12 फीसदी बढ़ने के बाद भी इससे केवल आधी जरूरतें ही पूरी हो सकीं. यूरोपीय देशों ने खासतौर से अफ्रीका के लिए सहायता में कटौती की है. यूरोपीय सरकारों ने 2022 में अफ्रीकी देशों को मदद में 21 फीसदी का योगदान दिया. 2018 से यह 16 फीसदी कम है. अमेरिका जैसे कुछ देशों ने मदद बढ़ाई है लेकिन कमी अब भी पूरी नहीं हो सकी है.
सबसे ज्यादा मानवीय सहायता कोष से मदद पाने वाले पांच में से चार अफ्रीकी देश होर्न ऑफ अफ्रीका इलाके के हैं जो सूखे से जूझ रहे हैं. इसकी वजह से कुछ कड़े फैसले भी लेने पड़े हैं. वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को कुछ मामलों में राशन की कटौती करनी पड़ी है. डब्ल्यूएफपी का कहना है कि अगर जल्द ही और धन नहीं मिला तो उसे 10 फीसदी शरणार्थियों को राशन देना बंद करना पड़ सकता है.
रूस के छेड़े युद्ध के कारण अनाज के निर्यात पर भी काफी असर हुआ है. तुर्की और संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में काला सागर के तीन यूक्रेनी बंदरगाहों से 1 अगस्त को अनाज का निर्यात शुरू हुआ. 13 दिसंबर तक 615 जहाज यहां से रवाना हुए लेकिन इनमें से महज 11 जहाज ही उप सहारा अफ्रीका में गये.
युद्ध के कारण उर्वरकों की भी कमी हो गई है. जहां स्टॉक मौजूद है वहां भी कीमत इतनी ज्यादा है कि किसान खरीद नहीं सकते. इसकी वजह से अगले साल की पैदावार में 20 फीसदी तक की कटौती करनी पड़ सकती है.
कर्ज
कोविड-19 की महामारी ने अफ्रीका को अगले कई सालों के लिए आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया है. कई सालों तक कर्ज लेने के बाद देशों को अब उन्हें चुकाने की मुश्किल से जूझना पड़ रहा है. आईएमएफ के मुताबिक उप सहारा के 35 में से 19 देश कर्ज का तनाव झेल रहे हैं. इन देशों में सरकारें अपनी वित्तीय जिम्मेदारियों को पूरा करने में अक्षम हैं और कर्ज की पुनर्संरचना बहुत जरूरी है.
चाड का उदाहरण देखिए. देश के 3.2 करोड़ लोगों पर सितंबर में 42 अरब डॉलर का कर्ज है. इसका मतलब है कि हर नागरिक पर करीब 13,000 डॉलर. इसी तरह दिसंबर में घाना का कर्ज उसकी जीडीपी के 100 फीसदी से ऊपर चला गया.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनाज, डेयरी, मांस, खाद्य तेल और चीनी की कीमतें 2021 में 23 फीसदी बढ़ गईं. इसकी वजह से उप सहारा अफ्रीका में लोगों के घर में सिर्फ खाने का खर्च ही उनकी आमदनी के 40 फीसदी हिस्से तक चला गया.
सरकारें
अफ्रीकी सरकारों ने भोजन संकट के बार बार आने से बचने के लिए बहुत कम काम किया है. उत्पादन बढ़ाने, आयात घटाने और खाद्य सुरक्षा को बेहतर करने के लिए 2003 में अफ्रीकी नेताओं ने पांच साल के भीतर अपने राष्ट्रीय बजट का 10 फीसदी कृषि और ग्रामीण विकास पर खर्च करने की शपथ ली थी.
2021 में जब लगभग दो दशक बीत चुके हैं, माली और जिम्बाब्वे ही सिर्फ ऐसा कर सके हैं. ब्रिटेन की चैरिटी संस्था ऑक्सफैम के मुताबिक अफ्रीका के 39 देश में 2019 से 2021 के बीच सर्वेक्षण से पता चला कि उनका कृषि खर्च और कम हो गया है.
कृषि अफ्रीका की जीडीपी में करीब 20 फीसदी का योगदान देता है और आधे से ज्यादा अफ्रीकी लोग इसी सेक्टर में काम करते हैं. हालांकि इनमें से ज्यादातर खेती छोटे स्तर पर गुजारा करने वाली खेती है इसलिए अफ्रीका को गेहूं, खजूर का तेल और चावल जैसी बुनियादी चीजें भी आयात करनी पड़ती हैं.
बीते सालों में फसलों की उत्पादकता बढ़ी है लेकिन वो अब भी दुनिया में सबसे निचले स्तर पर हैं. बढ़ती आबादी के मुकाबले उनका हाल बहुत बुरा है.
एनआर/एए (रॉयटर्स)
लंदन, 16 दिसम्बर | सात ब्रिटिश-भारतीयों को दंत चिकित्सा में उनकी उत्कृष्टता के सम्मान में यंग डेंटिस्ट अवार्ड मिला है। दक्षिण पूर्व से किरण शांकला और रोहित केशव सुनील पटेल जीते जबकि लंदन से सोरभ पटेल और विशाल पटेल यह अवॉड जीता।
उत्तर पश्चिम से विराज पटेल और पवन चौहान और मिडलैंड्स से चेतन शर्मा ने 20 अन्य लोगों के साथ जीत हासिल की। इन्हें यंग डेंटिस्ट पुरस्कार श्रेणी में सम्मानित किया गया।
पुरस्कार में कुल 13 श्रेणियां थीं। इनमें डेंटल लेबोरेटरी ऑफ द ईयर, थेरेपिस्ट ऑफ द ईयर, यंग डेंटिस्ट, हाइजीनिस्ट ऑफ द ईयर, डेंटल नर्स ऑफ द ईयर और अन्य शामिल हैं।
बर्कशायर में वुड लेन डेंटिस्ट्री में काम करने वाली किरण शांकला ने हेनले स्टैंडर्ड को बताया, इतने ऊंचे स्तर पर पहचान मिलना आश्चर्यजनक है।
32 साल की शांकला ने बमिर्ंघम यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है। मिनिमली इनवेसिव डेंटिस्ट्री, छोटे बच्चों का इलाज और कॉस्मेटिक डेंटिस्ट्री उनकी रुचि के क्षेत्र हैं।
बो लेन डेंटल ग्रुप के संस्थापक और पुरस्कारों के लंबे समय से जजों में से एक जेम्स गोलनिक ने कहा, 22 साल पहले जब पुरस्कार पहली बार शुरू हुए थे, तब सिर्फ पांच प्रविष्टियां थीं। इस साल 900 से अधिक प्रविष्टियां थीं। (आईएएनएस)|