अंतरराष्ट्रीय
अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की ओर से महिलाओं के काम करने पर लगाई गई पाबंदी के बाद तीन प्रमुख गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने काम बंद कर दिया है.
केयर इंटरनेशनल, नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल और सेव द चिल्ड्रन नाम के तीनों एनजीओ ने रविवार को एक संयुक्त बयान जारी किया. इसमें कहा गया है कि वे 'महिला कर्मचारियों के बिना' अपना काम जारी रखने में असमर्थ हैं.
इन संस्थाओं ने मांग की है कि महिलाओं को काम करने की इजाज़त दी जाए.
उनका यह भी दावा है कि अफ़ग़ानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान लगातार महिलाओं के अधिकारों का हनन कर रहा है.
एनजीओ में महिलाओं के काम करने पर रोक लगाने का तालिबान का ताज़ा आदेश विश्वविद्यालयों में छात्राओं के पढ़ने पर रोक लगाने के बाद आया है.
तालिबान के शिक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता अब्देल रहमान हबीब ने दावा किया कि विदेशी एनजीओ में काम करने वाली महिलाओं ने हिजाब न पहनकर ड्रेस कोड को तोड़ा है.
तालिबान ने धमकी दी है कि यदि उनके आदेश को न माना गया तो वे किसी भी एनजीओ का लाइसेंस कैंसल कर सकते हैं. (bbc.com/hindi)
(के जे एम वर्मा)
बीजिंग, 25 दिसंबर। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने रविवार को कहा कि बीजिंग द्विपक्षीय संबंधों को 'स्थिर और मजबूत' करने के लिए भारत के साथ काम करने को तैयार है।
वांग यी ने कहा कि दोनों देश सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जहां 2020 से तनाव व्याप्त है।
चीन के विदेश मंत्री ने 2022 में अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियां और चीन के विदेशी संबंधों पर एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि दोनों देशों ने राजनयिक और सैन्य स्तर पर संपर्क बरकरार रखा है।
उन्होंने कहा,‘‘चीन और भारत ने राजनयिक तथा सैन्य स्तर पर संपर्क बरकरार रखा है। दोनों ही देश सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’
वांग यी को हाल में चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के अधिवेशन के दौरान उच्चाधिकार प्राप्त राजनीतिक ब्यूरो में पदोन्नत किया गया है।
उन्होंने संगोष्ठी में कहा, ‘‘हम चीन-भारत संबंधों को स्थिर और मजबूत बनाने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए भारत के साथ काम करने के लिए तैयार हैं।’’
चीन के विदेश मंत्री वांग यी और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भारत-चीन सीमा विवाद को सुलझाने के लिए गठित तंत्र में विशेष प्रतिनिधि हैं। यह तंत्र सीमा पर गतिरोध के मौजूदा दौर में निष्क्रिय बना हुआ है।
दोनों देशों ने गतिरोध दूर करने के लिए अब तक 17 दौर की वार्ता की है। वार्ता के बाद जारी एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की 17वीं दौर की बैठक 20 दिसंबर को हुई थी, जिसमें दोनों पक्षों ने करीबी संपर्क बनाये रखने और सैन्य एवं राजनयिक माध्यमों से वार्ता जारी रखने पर सहमति जताई है।
वांग यी ने अपने संबोधन में पाकिस्तान के साथ चीन के संबंधों का भी संक्षिप्त रूप से जिक्र किया। उन्होंने कहा कि दोनों देश "एक-दूसरे का दृढ़ता से समर्थन करना जारी रखे हुए हैं, सदाबहार रणनीतिक साझेदारी को बरकरार रखा है और मित्रता को मजबूत किया है।
चीन-अमेरिका के संबंधों पर वांग यी ने कहा, ‘‘हमने चीन के प्रति अमेरिका की त्रुटिपूर्ण नीति को दृढ़ता से खारिज कर दिया है और दोनों देशों को एक-दूसरे के नजदीक लाने की सही राह तलाश रहे हैं।’’
चीनी विदेश मंत्री ने कहा,‘‘अमेरिका ने चीन को अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखना जारी रखा है और वह चीन को घेरने, दबाने तथा उकसाने में शामिल है, ऐसे में चीन-अमेरिका संबंध गंभीर कठिनाइयों के दौर से गुजर रहा है।’’
ताइवान के मुद्दे पर वांग यी ने कहा कि अमेरिका की दादागीरी से चीन भयभीत नहीं है।
उन्होंने कहा,‘‘हम किसी भी शक्तिशाली देश या उसकी दादागीरी से भयभीत नहीं हैं और चीन के मूल हितों और राष्ट्रीय गौरव की रक्षा के लिए दृढ़ता से काम किया है।’’
हालांकि, यूक्रेन पर रूसी हमले के बावजूद उन्होंने चीन-रूस संबंधों के विकास के बारे में खुलकर बात की। वांग यी ने कहा,‘‘हमने रूस के साथ अच्छे-पड़ोसी देश के रूप में, मित्रता और सहयोग को गहरा किया है तथा चीन और रूस के बीच समन्वय की व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और अधिक परिपक्व और लचीला बनाया है।’’
उन्होंने कहा,‘‘पिछले एक साल में, चीन और रूस ने अपने-अपने मूल हितों को बरकरार रखने में एक-दूसरे का मजबूती से समर्थन किया है, और इस दौरान हमारा आपसी राजनीतिक एवं रणनीतिक विश्वास और मजबूत हुआ है।’’ (भाषा)
वाशिंगटन, 25 दिसंबर । अमेरिका की एक अदालत ने ये फ़ैसला दिया है कि मरीन कॉर्प्स पगड़ी और दाढ़ी रखने वाले सिखों को रिक्रूट करने से इनकार नहीं कर सकती है.
इस फ़ैसले को उन तीन सिख रिक्रूट्स के लिए बड़ी जीत बताया जा रहा है, जिन्हें उनके धार्मिक प्रतीक चिह्नों के आधार पर मरीन कॉर्प्स में दाखिल होने से रोका जा रहा था.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, इस फ़ैसले बाद ऐकाश सिंह, जसकिरत सिंह और मिलाप सिंह चाहल अपनी धार्मिक मान्यताएं छोड़े बिना मरीन कॉर्प्स की ट्रेनिंग ले सकेंगे.
इन तीनों रिक्रूट्स ने मरीन कॉर्प्स में दाढ़ी न रखने के नियम से छूट मांगी थी. उनका कहना था कि ऐसा करना उनके धार्मिक विश्वास के ख़िलाफ़ है.
मरीन कॉर्प्स ने इन तीनों रिक्रूट्स से कहा था कि वे एलीट फोर्स में तभी शामिल किए जाएंगे जब वे बेसिक ट्रेनिंग के लिए दाढ़ी हटा लेंगे.
निचली अदालत ने इन तीनों रिक्रूट्स को राहत देने से इनकार कर दिया था जिसके बाद उन्होंने 'यूएस कोर्ट ऑफ़ अपील्स फ़ॉर द डीसी सर्किट' का दरवाज़ा खटखटाया. (bbc.com/hindi)
बुफालो (अमेरिका), 25 दिसंबर। अमेरिका में बर्फीले तूफान से कम से कम 18 लोगों की मौत हो गयी, हजारों घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की बत्ती गुल हो गयी और क्रिसमस की पूर्व संध्या पर लाखों लोगों के अंधेरे में रहने का खतरा पैदा हो गया है।
तूफान ने बुफालो, न्यूयॉर्क में ज्यादा तबाही मचायी और तूफान के साथ ही बर्फीली हवाएं चली। आपात प्रतिक्रिया के प्रयास बाधित हुए और शहर का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी बंद कर दिया गया है।
अमेरिका में अधिकारियों ने मौत की वजह तूफान की चपेट में आने, कार दुर्घटना, पेड़ गिरने और तूफान के अन्य असर को बताया है। बुफालो क्षेत्र में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गयी।
न्यूयॉर्क के गवर्नर कैथी होचुल ने कहा कि बुफालो नियागारा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा सोमवार सुबह बंद रहेगा और बुफालो में प्रत्येक अग्निशमन ट्रक हिमपात में फंसा हुआ है।
होचुल ने कहा, ‘‘चाहे हमारे पास कितने भी आपात वाहन क्यों न हो लेकिन वे इन स्थितियों से नहीं निकल सकते।’’
बर्फीले तूफान, बारिश और कड़ाके की ठंड से मेन से लेकर सिएटल तक बिजली गुल हो गई है जबकि एक प्रमुख बिजली ऑपरेटर ने आगाह किया कि पूर्वी अमेरिका में 6.5 करोड़ लोग अंधेरे में रह सकते हैं।
पेन्सिलवेनिया स्थित पीजेएम इंटरकनेक्शन ने कहा कि बिजली संयंत्रों को बर्फीले मौसम में संचालन में दिक्कतें आ रही हैं और उसने 13 राज्यों के निवासियों को कम से कम क्रिसमस की सुबह तक के लिए बिजली संरक्षित करने के लिए कहा है।
एरी काउंटी के कार्यकारी मार्क पोलोनकार्ज ने कहा कि बुफालो के उपनगर चीकतोवामा में शुक्रवार को दो लोगों की उनके घरों में मौत हो गयी क्योंकि आपात कर्मी वक्त पर उन्हें इलाज मुहैया कराने नहीं आ सके। उन्होंने कहा कि एक अन्य व्यक्ति की बुफालो में मौत हो गयी और यह बर्फीला तूफान ‘‘हमारे समुदाय के इतिहास में सबसे भीषण तूफान’’ हो सकता है।
मौसम विज्ञानियों ने कहा कि शनिवार को बुफालो में 71 सेंटीमीटर तक बर्फ जम गयी। (एपी)
अफ़ग़ानिस्तान में लड़कियों के लिए शिक्षा के दरवाज़े बंद करने के बाद अब तालिबान ने गैर-सरकारी संस्थाओं में महिलाओं के काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया है.
देश की तालिबान सरकार के इस फ़ैसले की संयुक्त राष्ट्र ने ये कहते हुए निंदा की है कि ये बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन है.
हालांकि, तालिबान ने इस फ़ैसले को सही ठहारते हुए कारण दिया है कि एनजीओ का महिला स्टाफ हिजाब ना पहनकर शरिया क़ानून का उल्लंघन कर रहा है.
इससे कुछ दिनों पहले ही अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के विश्वविद्यालय जाने पर रोक लगा दी गई थी.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भी इस फ़ैसले की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि ये फ़ैसला ''अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के लिए विनाशकारी होगा.''
एनजीओ में काम करने वाली कई महिलाएं घर में कमाने वाली अकेली सदस्य हैं. उनमें से कुछ ने अपने डर और लाचारी के बारे में बीबीसी को बताया.
एक महिला ने कहा, ''अगर मैं नौकरी पर नहीं जाऊंगी तो मेरे परिवार को कौन पालेगा?''
एक अन्य महिला ने इस ख़बर को ''हैरान करने वाला'' बताया और ज़ोर देकर कहा कि उन्होंने तालिबान के कड़े ड्रेस कोड का पालन किया था.
एक तीसरी महिला ने तालिबान कि ''इस्लामिक नैतिकता'' पर सवाल उठाया. उनकी चिंता थी कि वो अब अपना घर कैसे चलाएंगी और बच्चों को क्या खिलाएंगी. (bbc.com/hindi)
बाझोउ (चीन), 24 दिसंबर। बीजिंग से 70 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित चीन के औद्योगिक प्रांत हेबेई के बाझोउ शहर में काउंटी अस्पताल के बाहर एक बुखार क्लिनिक के बाहर याओ रुयान नामक महिला बेचैनी के साथ चहल-कदमी करती दिखी। उनकी सास कोविड-19 से संक्रमित हैं और उन्हें तत्काल इलाज की जरूरत है, लेकिन सभी अस्पताल करीब-करीब भरे हुए हैं। वह अपने फोन पर चीखते हुए कहती हैं, ‘‘यहां कोई बिस्तर नहीं है।’’ इसी तरह चीनी शहर के शवदाह गृहों में भी शवों की भरमार है।
चीन पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर कोविड-19 की लहर से जूझ रहा है और बीजिंग के दक्षिण पश्चिम में स्थित छोटे शहरों और कस्बों में स्थित अस्पतालों के आपात वार्ड जरूरत से ज्यादा भरे हुए हैं।
गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) से एंबुलेंस लौट रही हैं, तो मरीजों के बेचैन रिश्तेदार बिस्तरों की तलाश कर रहे हैं। बिस्तरों की कमी के कारण अस्पताल की बेंच और फर्श पर मरीजों को लिटाना पड़ रहा है।
याओ की बुजुर्ग सास एक हफ्ते पहले कोविड-19 से संक्रमित हुई थीं, लेकिन स्थानीय अस्पताल ने कोविड मरीज नहीं लेने की बात कहकर उन्हें पड़ोस की काउंटी में भेज दिया, लेकिन वहां भी उन्हें अस्पताल मरीजों से भरे मिले और उनकी सास को जगह नहीं मिली।
पिछले दो दिनों में एसोसिएटेड प्रेस (एपी) के पत्रकारों ने हुबेई प्रांत के बाओडिंग और लांगफांग स्थित छोटे शहरों और कस्बों के पांच अस्पतालों और दो शवदाह गृहों का दौरा किया। चीन में गत नवंबर-दिसंबर में प्रतिबंधों में ढील देने के बाद कोविड-19 के अधिक प्रसार वाले क्षेत्रों में यह इलाका भी शामिल था।
एक कर्मचारी के अनुसार, झूझोउ शवदाह गृह में शवदाह का काम अधिक समय तक चल रहा है, क्योंकि पिछले सप्ताह मौतों में वृद्धि से निपटने में श्रमिकों को जूझना पड़ रहा है।
अंतिम संस्कार के काम में लगे एक कर्मचारी ने अनुमान लगाया कि वह एक दिन में 20-30 शव जला रहा है, जबकि कोविड-19 उपायों में ढील दिए जाने से पहले यह संख्या केवल तीन-चार तक सीमित थी।
एपी के पत्रकारों ने पाया कि वहां तीन एंबुलेंस और दो वैन शवों को उतार रही हैं। अंतिम संस्कार का सामान बेचने वाली एक दुकान के कर्मचारी झाओ योंगशेंग ने कहा, ‘‘यहां बहुत से लोग मर रहे हैं। वे दिन-रात काम कर हैं, लेकिन वे सभी को नहीं जला पा रहे हैं।’’
विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि अगले साल चीन में 10 से 20 लाख लोगों की मौत होगी। इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बीजिंग के गणना करने के तरीके को लेकर आगाह किया है कि इससे मृतकों की असल संख्या कम हो जाएगी। (एपी)
जैसे-जैसे दुनिया में आबादी बढ़ते हुए एक और प्रमुख पड़ाव पार कर रही है, धरती के प्राकृतिक संसाधनों पर संकट गहराता जा रहा है. सस्टेनेबिलिटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि हमें जरूरत से ज्यादा खपत पर ध्यान देने की जरूरत है.
डॉयचे वैले पर मार्टिन कुएब्लर की रिपोर्ट-
15 नवंबर को दुनिया की आबादी बढ़कर आठ अरब के आंकड़े को पार कर गई है. महज एक दशक में आबादी एक अरब से ज्यादा बढ़ गई.
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र की जनसंख्या विशेषज्ञ सारा हर्टोग कहती हैं, "वैश्विक जनसंख्या में वृद्धि दरअसल एक उल्लेखनीय सफलता की कहानी है" जो,1950 के बाद से वैश्विक स्तर पर औसत जीवन प्रत्याशा में 25 साल की बढ़ोत्तरी और मृत्यु दर में गिरावट को दर्ज करती है. यह सब तब संभव हुआ है जबकि महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा के अच्छे मौके मिले, परिवार नियोजन के लिए लोग जागरूक हुए और बेहतर प्रजनन सेवाओं तक उनकी पहुंच बढ़ी.
हालांकि इस सफलता के लिए कीमत भी चुकानी पड़ी है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जनसंख्या वृद्धि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन और पारिस्थितिकीय विनाश के लिए जिम्मेदार मुख्य कारकों में से एक है.
ब्रिटेन के गैर सरकारी संगठन पॉपुलेशन मैटर्स का कहना है, "जैवविविधता का नुकसान, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, वनों की कटाई, जल और खाद्य पदार्थों की कमी- इन सबके पीछे हमारी विशाल और लगातार बढ़ती जनसंख्या है.”
दुनिया के सबसे अमीर देशों में खपत सबसे ज्यादा है. डीडब्ल्यू से बातचीत में हर्टोग कहती हैं कि अस्थाई उपभोग और उत्पादन के तरीकों को विस्फोटक आबादी पर थोपना बहुत आसान है, खासकर, दक्षिणी गोलार्ध के विकासशील देशों पर, लेकिन यह उम्मीद करना एक भूल होगी कि जनसंख्या वृद्धि दर धीमी होना ही इन सब समस्याओं का एकमात्र निदान है.
हर्टोग कहती हैं कि दुनिया के सबसे अमीर देशों में जनसंख्या वृद्धि दर या तो धीमी हो गई है या फिर कम हो गई है लेकिन प्रति व्यक्ति आधार पर प्राकृतिक संसाधनों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल वही करते हैं. वो कहती हैं, "जनसंख्या वृद्धि की बजाय बढ़ती हुई आमदनी, खपत बढ़ाने और उससे संबंधित प्रदूषण के लिए कहीं ज्यादा जिम्मेदार है.”
उप-सहारा अफ्रीका और एशिया के कुछ गरीब और विकासशील देश जो कि आने वाले दशकों में बढ़ने के लिए तैयार हैं, वे वैश्विक उत्सर्जन और संसाधनों के उपयोग के लिए बहुत कम जिम्मेदार हैं.
ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क के मुताबिक, यदि धरती पर रहने वाला हर व्यक्ति अमरीकी नागरिकों की तरह रहने लगे तो हमें संसाधनों के लिए कम से कम पांच पृथ्वी की जरूरत पड़ेगी. जबकि नाइजीरिया जैसे देशों के नागरिकों की तरह रहने पर भी हर साल दुनिया के 70 फीसद संसाधनों का ही इस्तेमाल होता है. 1.3 अरब से ज्यादा की आबादी वाले देश भारत के लिए यह आंकड़ा 80 फीसदी है.
हम अपने संसाधनों से परे रह रहे हैं'
जनसंख्या वृद्धि अपरिहार्य होने के साथ संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि साल 2050 तक दुनिया की आबादी 9.7 अरब तक पहुंच जाएगी और साल 2100 तक इसके 11 अरब तक पहुंचने का अनुमान है. सस्टेनेबिलिटी विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु संकट के हल के लिए हमें जनसंख्या के अलावा अन्य बिंदुओं की ओर देखने की जरूरत है.
वर्ल्ड रीसोर्सेज इंस्टीट्यूट में ग्लोबल इकोनॉमिक्स डायरेक्टर वनीसा पेरेज सिरेरा कहती हैं कि यदि हम जमीन का सही तरह से उपयोग करने के बारे में फिर से सोचें तो वास्तव में धरती पर आठ अरब ही नहीं बल्कि कुछ अरब और लोगों के भरण-पोषण के संसाधन उपलब्ध हैं.
मिस्र में आयोजित COP 27 सम्मेलन के दौरान डीडब्ल्यू से बात करते हुए उन्होंने कहा, "हमारे पास संसाधन हैं लेकिन राजनीतिक अर्थशास्त्र और भूराजनीतिक स्तर पर ये प्रयास होने चाहिए कि ये संसाधन वहां पहुंचें जहां इनकी जरूरत सबसे ज्यादा है.” हेलसिंकी विश्वविद्यालय में कंज्यूमर इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर और जर्मनी में सस्टेनेबल यूरोप रिसर्च इंस्टीट्यूट की अध्यक्ष सिल्विया लोरेक कहती हैं कि यह सब इस पर निर्भर करता है कि हम अपने संसाधनों को किस तरह से साझा करते हैं. वो इस बात पर जोर देती हैं कि हमें संसाधनों के उपभोग के मौजूदा तरीके को निश्चित तौर पर बदलने की जरूरत है, खासकर उत्तरी गोलार्ध में.
लोरेक कहती हैं, "हम काफी समय से अपनी हैसियत से बाहर रह रहे हैं और इस तरह से ज्यादा दिन तक नहीं रह सकते.”
आगे वो कहती हैं कि यहां रहने वाले इतने लोगों के लिए, खासकर उनके लिए जो पश्चिम की आरामदायक जीवन शैली को पाने की उम्मीद कर रहे हैं, जैविक संसाधनों को पुनर्जीवित करना पृथ्वी के लिए मुश्किल हो रहा है. इन संसाधनों में पेड़-पौधे, जीव-जंतु, साफ पानी और जमीन शामिल हैं जो कि जीवित रहने के लिए अत्यंत जरूरी हैं.
एनजीओ ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क का अनुमान है कि विश्व की मौजूदा आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए हमें हर साल दुनिया के कुल पारिस्थितिक संसाधनों के 175 फीसदी की जरूरत है.
कम में अच्छा जीने' का तरीका सीखना चाहिए
लोरेक जोर देकर कहती हैं कि संसाधनों का अतिशय उपभोग का विकल्प लोगों ने अपने आप नहीं चुना है बल्कि सामाजिक बनावट और मूल्यों की वजह से यह बढ़ता चला गया है. वो कहती हैं, "मीडिया, विज्ञापन, फिल्म और टीवी के चलते लोगों में यह मानसिकता पैदा हो रही है कि वित्तीय रूप से मजबूत होना ही सब कुछ है.”
हाल के वर्षों में लोरेक और उनके क्षेत्र के अन्य लोग इस बात पर शोध कर रहे हैं कि अच्छी जीवन शैली जीने वाले लोग गुणवत्तापूर्ण जीवन को छोड़े बिना ‘कम चीजों के साथ अच्छा जीवन' जीना कैसे सीख सकते हैं. इन लोगों ने मुख्य रूप से उन तीन क्षेत्रों पर अपना ध्यान केंद्रित किया है जो उत्सर्जन और संसाधनों के उपभोग के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार हैं. ये हैं- हम कैसे खाते हैं, हम कैसे रहते हैं और हम कैसे चलते हैं.
इनकी सिफारिशों से वो सभी लोग भली-भांति परिचित होंगे जिन्होंने जलवायु परिवर्तन पर होने वाली बहस को सुना है. ये हैं- शाकाहार जीवन की ओर बढ़ना और जीव आधारित खाद्य सामग्री पर निर्भरता कम करना, हवाई यात्राओं और व्यक्तिगत मोटर वाहनों से दूर रहना. इसके अलावा शहरों के भी पुनर्निर्माण की जरूरत है ताकि इमारतें ज्यादा प्रभावी बन सकें और एकल परिवार और अकेले रहने वालों की जरूरतों के मुताबिक हों. इससे बिजली की बचत होगी और उत्सर्जन में कमी आएगी.
डीडब्ल्यू से बातचीत में लोरेक कहती हैं कि अपनी जीवन शैली में बदलाव के लिए समाज और नीति निर्धारकों को सिर्फ तथ्य और आंकड़ों से ही नहीं समझाया जा सकता है बल्कि इसके अलावा भी कोशिश करनी होगी.
वो कहती हैं, "सिर्फ विज्ञान के पीछे चलना एक तरह की ‘पारिस्थितिक तानाशाही" होगी. हमें गरीब और अमीर के बीच संतुलन बनाने के लिए समाज के स्तर पर एक विमर्श छेड़ने की जरूरत है. इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि जीवन जीने के लिए न्यूनतम चीजें हर व्यक्ति को सुलभ हों. इसके साथ ही कुछ लोगों को धरती के सीमित संसाधनों के ज्यादा उपयोग पर पाबंदी लगे जो, "सामाजिक सामंजस्य के लिए खतरनाक है.”
पेरेज सिरेरा का कहना है कि हर व्यक्ति को एक जैसी ही जीवन शैली अपनाने की जरूरत नहीं है लेकिन यह दिखाना जरूरी है कि अत्यधिक उपभोग पर अंकुश लगाकर ‘आशावादी और आकर्षक' जीवन स्तर संभव हो सकता है.
वो कहती हैं, "मेरा मानना है कि इच्छाओं को बदलने की जरूरत है. यदि हम यह संदेश देते हैं कि आज हम जिस चीज का महत्व समझेंगे, भविष्य में हम उसका आनंद लेंगे, तो निश्चित तौर पर यह कोई वास्तविक संदेश नहीं है. बजाय इसके, नीति निर्धारकों को यह देखने की जरूरत है कि आर्थिक विकास तब भी संभव था जब हमारा ध्यान गुणवत्ता पर था ना कि मात्रा पर. हमें निश्चित तौर पर यह दिखाने की जरूरत है कि कम चीजों के साथ भी एक संतोषजनक जीवन जिया जा सकता है. ” (dw.com)
छोटे-छोटे मेंढक, जो दूर से देखने पर कांच के बने लगते हैं. आखिरकार वैज्ञानिकों ने इन पारदर्शी मेंढकों का रहस्य पता लगा लिया है.
ग्लास फ्रॉग कहे जाने वाले ये मेंढक वास्तव में अपनी लाल रक्त कोशिकाओं को छिपा लेते हैं और इस तरह से पारदर्शी बन जाते हैं. ये मेंढक अमेरिकी ऊष्णकटिबंधीय इलाकों के मूलवासी हैं. साइंस जर्नल में छपी एक नई रिसर्च रिपोर्ट में इन मेंढकों के पारदर्शी होने के रहस्य से पर्दा उठाया गया है.
पारदर्शी मेंढक
इनका पारदर्शी होना एक तरह का छद्मावरण है. ये मेंढक अपनी पीठ के रंग से मिलती-जुलती पत्तियों पर लेटकर आराम करते हैं. पीठ के बल लेटे होने के कारण इनकी त्वचा का रंग पत्तियों के साथ मिल जाता है और इनकी छाया नहीं बनती. इस तरह से ये सोते समय खुद को सुरक्षित रखने का उपाय करते हैं.
मेंढक के पेट की त्वचा और मांसपेशियां पारभासी होती है. इसकी वजह से उनकी हड्डियां दिखाई देती हैं और उनकी बाहरी आकृति छिप जाती है. ऐसे में शिकारियों के लिए इन्हें ढूंढ पाना मुश्किल हो जाता है. इस दौरान मेंढक अपनी लाल रक्त कोशिकाओं को अपने यकृत यानी लीवर में छिपा लेते हैं. दोबारा सक्रिय होने पर इन मेंढकों का लाल-भूरा रंग दिखाई देता है.
वैज्ञानिकों ने फोटोअकूस्टिक इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल करके इस मेंढक की खूबियों का पता लगाया है. इस तकनीक के दौरान वे उन अल्ट्रासॉनिक तरंगों का नक्शा बनाने में सफल रहे, जो लाल रक्त कोशिकाओं के प्रकाश को अवशोषित करने के दौरान पैदा होती हैं. उन्होंने देखा कि आराम करने के दौरान ग्लास फ्रॉग अपनी पारदर्शिता को दो से तीन गुना तक बढ़ाने में सफल हो जाते हैं. इस दौरान उन्होंने अपनी 90 फीसदी लाल रक्त कोशिकाओं को रक्त प्रवाह से निकालकर यकृत में छिपा लिया था.
इतना ही नहीं, ये अपने अंदरूनी अंगों को भी सिकोड़कर एक जगह जमा कर लेते हैं. इनके यकृत में परावर्ती ग्वानिन क्रिस्टल होते हैं, जो कोशिकाओं को प्रकाश से छिपा लेते हैं. आराम के बाद जब मेंढक दोबारा सक्रिय होते हैं, तो वे रक्त कोशिकाओं को अपने रक्त प्रवाह में वापस ले आते हैं.
खून में क्लॉटिंग क्यों नहीं होती
रिसर्च रिपोर्ट के सह लेखक जेसे डेलिया ने कहा कि लाल रक्त कोशिकाओं को एक छोटी जगह में जमा करने और फिर वापस प्रवाहित करने के बाद भी इन मेंढकों में किसी तरह की खतरनाक क्लॉटिंग नहीं होती. अगर यह पता चल जाये कि इन मेंढकों में क्लॉटिंग क्यों नहीं होती, तो इसका इस्तेमाल इंसानों के बेहतर इलाज में किया जा सकता है.
वास्तव में यह रहस्य काफी बड़ा है कि ऐसा करने के बावजूद उन्हें कोई नुकसान क्यों नहीं होता. ज्यादातर जीवों में ऑक्सीजन का प्रवाह ले जाने वाली रक्त कोशिकाओं का प्रवाह अगर इतना कम हो जाये और वह भी कई घंटों तक, तो उनका जीवित रहना संभव नहीं होगा. साथ ही, रक्त को एक जगह जमा करने से घातक क्लॉटिंग भी होगी.
डेलिया का कहना है, "कशेरुकी पारदर्शिता की फिजियोलॉजी के बारे में कई अध्ययनों का पहली बार दस्तावेज जुटाया गया है और उम्मीद है कि यह इन मेंढकों की विशेष फिजियोलॉजी को इंसानों के स्वास्थ्य और चिकित्सा के नये लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद करेगा." जलीय जीवों में छद्मावरण बहुत सामान्य बात है, लेकिन जमीन पर रहने वाले जीवों में यह दुर्लभ है.
एनआर/वीएस (डीपीए, एपी)
अक्षय ऊर्जा से संबंधित परियोजनाओं पर मोरक्को बड़ी उपलब्धियां हासिल कर रहा है. डीडब्ल्यू ने जानने की कोशिश की कि छोटा सा यह देश इस क्षेत्र में यहां तक कैसे पहुंचा गया.
सहारा रेगिस्तान के लिए मोरक्को का द्वार कहे जाने वाले ऊर्जाजेट शहर में पचास लाख से ज्यादा घुमावदार दर्पण एक विशालकाय वृत्त के आकार में दिखाई पड़ते हैं.
हर कुछ मिनट में ये दर्पण सिंथेटिक तेल से भरे ट्यूबों की ओर घूमते हैं ताकि इन्हें सूर्य की रोशनी अच्छी तरह से मिल सके और ये इतना गर्म हो जाएं कि ट्यूब में से वाष्प निकलने लगे. टर्बाइन के जरिए इस वाष्प के उपयोग से 13 लाख लोगों के लिए बिजली पैदा की जाती है.
यह बात हो रही है नूर ऊर्जाजाइट कॉम्प्लेक्स की जो कि दुनिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा केंद्र है. दक्षिणपूर्वी मोरक्को के एक तटीय शहर में अक्षय ऊर्जा का एक और संयंत्र लगा है जिसका नाम है तर्फाया विंड फार्म. 131 टर्बाइन्स वाला यह फार्म अपनी तरह का अफ्रीका का सबसे बड़ा केंद्र है.
सहारा रेगिस्तान के लिए मोरक्को का द्वार कहे जाने वाले ऊर्जाजेट शहर में पचास लाख से ज्यादा घुमावदार दर्पण एक विशालकाय वृत्त के आकार में दिखाई पड़ते हैं.
हर कुछ मिनट में ये दर्पण सिंथेटिक तेल से भरे ट्यूबों की ओर घूमते हैं ताकि इन्हें सूर्य की रोशनी अच्छी तरह से मिल सके और ये इतना गर्म हो जाएं कि ट्यूब में से वाष्प निकलने लगे. टर्बाइन के जरिए इस वाष्प के उपयोग से 13 लाख लोगों के लिए बिजली पैदा की जाती है.
यह बात हो रही है नूर ऊर्जाजाइट कॉम्प्लेक्स की जो कि दुनिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा केंद्र है. दक्षिणपूर्वी मोरक्को के एक तटीय शहर में अक्षय ऊर्जा का एक और संयंत्र लगा है जिसका नाम है तर्फाया विंड फार्म. 131 टर्बाइन्स वाला यह फार्म अपनी तरह का अफ्रीका का सबसे बड़ा केंद्र है.
लेकिन मोख्तारी कहती हैं कि इन सबके बीच देश के नेताओं ने अक्षय ऊर्जा के स्रोतों को बढ़ाने पर भी ध्यान दिया है. वो कहती है, "क्योंकि हम ऊर्जा आयात के मामले में अल्जीरिया और स्पेन पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं.”
मोरक्को अभी भी अपनी ऊर्जा जरूरतों का 90 फीसद हिस्सा आयात करता है और प्राथमिक तौर पर जीवाश्म ईंधनों पर ही निर्भर है.
साल 2014 और 2015 में जब तेल की कीमतें कम थीं, तब मोरक्को ने पेट्रोल और डीजल पर सब्सिडी देना बंद कर दिया और अपने अक्षय ऊर्जा बाजार को निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया ताकि विदेशी हाइड्रोकार्बन पर उसकी निर्भरता कम हो सके. लेकिन ब्यूटेन गैस को अभी भी सरकार काफी सब्सिडी देती है क्योंकि घरों में और कृषि कार्यों में इसका ज्यादा इस्तेमाल होता है.
मोरक्को लक्ष्य प्राप्ति से दूर रह गया लेकिन सही रास्ते पर है
साल 2009 की ऊर्जा रणनीति कुछ ज्यादा महत्वाकांक्षी साबित हुई. मोरक्को साल 2020 तक अक्षय ऊर्जा क्षमता को पांच फीसद करने के लक्ष्य से दूर रह गया. लेकिन अर्न्सट एंड यंग नामक कंसल्टिंग फर्म की हाल में आई रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा लगता है कि सरकार 2030 तक 52 फीसद का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में सही रास्ते पर है.
इसके अनुसार, मोरक्को एक छोटी अर्थव्यस्था वाला देश होते हुए भी अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी क्षमता से कहीं ज्यादा प्रदर्शन कर रहा है. पिछले साल दो नए सौर ऊर्जा संयंत्र और एक पवन ऊर्जा फार्म का उद्घाटन का हुआ, जिससे अब अक्षय ऊर्जा की आपूर्ति दस फीसद बढ़ गई है.
बिजली क्षेत्र के अलावा, मोरक्को की निगाहें परिवहन और कृषि क्षेत्रों को भी कार्बन विहीन करने पर लगी हुई हैं. रिपोर्ट के अनुसार मोरक्को में ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन की काफी क्षमता है जो कि भारी उद्योगों और हवाई क्षेत्र में तेल और डीजल की जगह ले सकता है.
जर्मनी के पर्यावरण थिंक टैंक हेनरिक बॉल फाउंडेशन के मुताबिक, अभी भी ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए भारी मात्रा में स्वच्छ ऊर्जा की जरूरत होती है और इसके लाभ के बावजूद मोरक्को में इसकी आपूर्ति बहुत कम है. हालांकि वैकल्पिक ईंधन के लिए अंतरराष्ट्रीय मांग मोरक्को के अक्षय ऊर्जा प्रयासों को रफ्तार दे सकती है.
हाल ही में मोरक्को ने यूरोपीय संघ के साथ अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग यानी ‘ग्रीन पार्टनरशिप' के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
अर्न्स्ट एंड यंग का रिपोर्ट के मुताबिक, "इसमें संदेह नहीं कि मोरक्को के पास प्राकृतिक संसाधन हैं, नियामक समर्थन और अफ्रीका की हरित क्रांति का नेतृत्व करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता है.”
अक्षय ऊर्जा क्रांति के समक्ष चुनौतियां
अभी भी, हरित ऊर्जा की ओर बढ़ने की दिशा में मोरक्को को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. देश में अभी भी बिजली के लिए सबसे ज्यादा निर्भरता जीवाश्म ईंधनों पर ही निर्भरता है. कोयला भले ही सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाता हो लेकिन मोरक्को में कुल बिजली उत्पादन में 37 फीसद हिस्सा कोयले का ही है.
रूस पर प्रतिबंधों के कारण यह और भी महंगा पड़ रहा है. नए कोयला चालित ऊर्जा संयंत्रों को चालू करने और अन्य के जीवन काल को बढ़ाने के लिए भी उस पर दबाव है.
एक स्वतंत्र वैज्ञानिक निगरानी समूह, क्लाइमेट एक्शन ट्रेकर का कहना है कि कार्बन पर निर्भरता खत्म करने के लिए मोरक्को को और ज्यादा अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है.
हेनरिक बॉल फाउंडेशन के मुताबिक, सिविल सोसयटी संगठनों ने भी छोटे संयंत्रों की तुलना में बड़े पॉवर प्लांट्स पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सरकार की आलोचना की है. गैर सरकारी संगठनों का कहना है कि स्थानीय लोगों को इन परियोजनाओं से कोई फायदा नहीं होता और न ही उन्हें यहां नौकरियां मिल पाती हैं.
इसके अलावा बिजली की मांग भी आसमान छू रही है. साल 2050 तक जनसंख्या बढ़ने और देश के विकास के साथ ही बिजली की मांग चार गुना तक बढ़ सकती है. हेनरिक बॉल फाउंडेशन का कहना है कि हरित ऊर्जा के जरिए इस मांग को पूरा करने के लिए मोरक्को को अभी लंबा रास्ता तय करना है.
मोरक्को के किंग मोहम्मद VI ने हाल ही में एक बैठक में सरकार से अपील की है कि नई अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं में तेजी लाई जाए.
किंग के दफ्तर से जारी एक बयान में कहा गया है, "देश की ऊर्जा संप्रभुता को मजबूत करने के लिए मोरक्को को इन परियोजनाओं में तेजी लानी चाहिए ताकि ऊर्जा कीमतें कम हो सकें और आने वाले दिनों में हम खुद को कम कार्बन उत्सर्जन करने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित कर सकें.”
(बीट्रीस क्रिस्टोफारो)
इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों के परिवारों से भरे सीरियाई शिविर और खतरनाक हो चुके हैं, ऐसे में ये कहा जा रहा है कि बच्चों को वहां से निकालना होगा, भले ही उनकी माएं न जाना चाहें. लेकिन परिवारों को अलग करने को लेकर विवाद है.
डॉयचे वैले पर कैथरीन शेअर की रिपोर्ट-
इस साल मई में 8 साल का एक बच्चा शिविर में सीवेज के गड्ढे में डूब गया था. नवंबर में 12 और 15 साल की दो लड़कियां एक दूसरे सीवेज गड्ढे में पाई गई. कथित रूप से बलात्कार के बाद उनके सिर काटकर वहां फेंक दिए गए थे. चरमपंथ के मुद्दे पर एक विशेषज्ञ ने डीडब्लू को बताया कि उन्होंने अल-होल शिविर में देखा था, कैसे बच्चों को कुत्ते बिल्लियों के सिर कलम करना सिखाया जाता था. इस तरह उन्हें इस्लामिक स्टेट (आईएस) में भर्ती के लिए ट्रेनिंग दी जाती थी.
उत्तर-पूर्वी सीरिया में अल-होल को अक्सर दुनिया का सबसे खतरनाक शिविर माना जाता है. यहां 53 हजार से ज्यादा लोग रहते हैं. यूं तो सभी बाशिंदे आईएस का समर्थन नहीं करते हैं लेकिन उन्हें इस गुट के विस्थापित परिवार के तौर पर ही जाना जाता है. इराक और सीरिया में अपने कब्जेउत्तरी सीरिया और इराक के कुछ क्षेत्रों पर तुर्की के हवाई हमले वाले इलाकों में आईएस को मिली हार के बाद उन्हें जबरन यहां आना पड़ा.
यहां रहने वाले ज्यादातर लोग इराक से हैं या सीरिया से. लेकिन यूरोप, अमेरिका और कनाड समेत दूसरे देशों के 10000 सेम 11000 की संख्या में कई विदेशी भी यहां पर हैं. शिविर की आबादी में ज्यादातर संख्या औरतों और बच्चों की है. सहायता संगठनों का अनुमान है कि शिविर में 60 से 64 फीसदी आबादी बच्चों की है और ज्यादातर 12 साल से कम उम्र के हैं.
रिकॉर्ड पैमाने पर हिंसा का वर्ष
शिविर में भारी भीड़, चिकित्सा देखरेख की कमी, सीमित सप्लाई और शिक्षा के अभाव के चलते, अल-होल के हजारों बच्चों की जिंदगी पहले से मुश्किल रही है. पिछले साल हालात बदतर ही हुए. 2021 में हत्या के 126 मामले और हत्या की कोशिश के 41 मामले दर्ज किए गए थे. वो अल होल कैंप का सबसे हिंसक साल था. सहायता एजेंसियों का कहना है कि ये साल और बुरा गुजरा है.
इसके अलावा इलाके पर पड़ोसी देश तुर्की लगातार हवाई हमले करता रहा है क्योंकि वो शिविरों की सुरक्षा करने वाली सीरियाई कुर्दों को दुश्मन मानता है.
ये सब देखते हुए किसी के लिए भी मां बाप के रूप में ये कल्पना करना मुश्किल है कि उनके बच्चे ऐसे हालात में जा फंसे. लेकिन अल-होल में कुछ माएं अपने परिवारों के लिए ठीक यही किस्मत चुन रही है.
अपनी नवंबर की रिपोर्ट में ह्यमुन राइट्स वॉच ने पाया कि कई यूरोपीय देशों समेत 30 देशों ने अपने नागरिकों को अल-होल से निकाल लिया है. इस सप्ताह जारी प्रेस रिलीज में सेव द चिल्ड्रन संस्था ने कहा कि 2019 से 1464 औरते और बच्चे अपने अपने देशों को लौट चुके हैं. 2022 में लौटने वालों की संख्या में 60 फीसदी इजाफा देखा गया.
लेकिन जब कुछ सरकारों ने अपने देश की औरतों से लौटने को कहा तो उन्होंने वो पेशकश ठुकरा दी. मिसाल के लिए जर्मन विदेश कार्यालय ने डीडब्लू को बताया कि आखिरी बार नवंबर में, एक महिला अपने चार बच्चों के साथ देश लौटी थी.
विदेश कार्यालय के एक प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, "हम मानते हैं कि कम संख्या में लेकिन दोहरी संख्या में कुछ जर्मन माएं और बच्चे अभी रोज और अल-होल शिविरों में मौजूद हैं. लेकिन जहां तक हमारी जानकारी है कि वे औरतें जर्मनी नही लौटना चाहती हैं."
रुकने की वजहें?
दूसरे देशों की महिलाओं की भी यही स्थिति है. ह्युमन राइट्स वॉच (एचआरडब्लू) में बाल अधिकारों पर एडवोकेसी डायरेक्टर जो बेकर ने बताया कि जो माएं लौटना नहीं चाहती थीं उनके इस फैसले के विभिन्न कारण थे.
वो कहती हैं, "कुछ मामलों में, वे गैर मुस्लिम देश में नहीं रहना चाहती थी, या उन्हें भेदभाव का डर था या मुकदमा चलने का. दूसरे मामले ऐसे थे जिनमें उनक पति जेल में थे और वे उनकी रिहाई का इंतजार कर रही थी या उनके बिना कोई फैसला नहीं करना चाहती थीं. दूसरी तरफ, उनके फैसले उनके बच्चों के हित मे नहीं थे."
विवादास्पद प्रस्ताव
यही वजह है कि कुछ जानकारों का देशों को ये सुझाव दिया कि अगर माएं यही चाहती हैं तो उन्हें अल-होल शिविर में छोड़कर उनके बच्चों को ले आना चाहिए.
अमेरिका स्थित, हिंसक चरमपंथ के अध्ययन के अंतरराष्ट्रीय केंद्र (आईसीएसवीई) की निदेशक ऐनी स्पेकहार्ड के मुताबिक, "आमतौर पर बच्चों के लिए सबसे अच्छा तो यही है कि उन्हें परिवार के सदस्यों के साथ रखा जाए."
वो कहती हैं "लेकिन ये आवश्यक रूप से सच नहीं हो सकता अगर हम आईएस के परिवार के सदस्यों की बात करते हैं. जो शिविर में सिर्फ इसलिए रहने को विवश हों कि उन्हें देश में मुकदमे का खौफ हो या वे मानते हों कि आईएस उन्हें आखिरकार वहां से निकाल ही लेगा. अगर सात साल के किसी बच्चे की मां, मान लीजिए कुछ ऐसा कर रही है जो गलत है, बच्चों को ड्रग दे रही है या उन्हें आईएस का कोई वीडियो दिखाने पर मजबूर करती है- तो ऐसे में क्या देश का ये दायित्व नहीं होगा कि वो आगे बढ़कर उस घर से उच बच्चे को निकाल लाए?"
स्पेकहार्ड ये भी रेखांकित करती हैं कि बच्चों को अक्सर लंबे समय तक अपने मातापिता के साथ जेल में नहीं रखा जाता है. "अल-होल और रोज को हम बेशक कानूनी तौर पर शिविर के रूप में चिंहित करते हैं लेकिन असल में वे जेल हैं."
उग्रवाद में धकेले जाते बच्चे
अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र के पूर्व राजनयिक और इराक के कुर्द राजनीतिज्ञों के सलाहकार पीटर गैलब्रिएथ ने इस साल न्यू यार्क टाइम्स के संपादकीय में यही उल्लेख किया था.
उनके मुताबिक अधिकांश माएं अपने बच्चों से जुदा नहीं होना चाहेगी. और "बच्चों पर ये निश्चित रूप से बड़ी क्रूरता होगी और उनके लिए ये दर्दनाक होगा. लेकिन मैं मानता हूं कि बच्चो को जेल की जिंदगी में धकेल देना और भी ज्यादा क्रूरता है क्योंकि उसकी मां या उसका बाप, सीरिया जाकर आतंकी गुट में शामिल होने का फैसला कर लेता है."
अन्य विशेषज्ञों की तरह गैलब्रिएथ ने शिविर में बच्चों को उग्रवाद की ओर धकेले जाने के खतरे का भी जिक्र किया. आईएस गुट के खिलाफ लड़ाई के बारे में 2021 की एक ब्रीफिंग के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् ने अल-होल में "उग्रवाद, कट्टरपंथ, फंड उगाही, ट्रेनिंग और उकसाने के कई मामले" चिंहित किए थे.
गैलब्रिएथ का सुझाव है कि शिविरों में मौजूद उन बच्चों को, जिनकी माएं नहीं जाना चाहती हैं, या नहीं जा सकती हैं, उन्हें सीरियाई कुर्दों के संचालित विशेष बाल गांवों में रखा जा सकता है. कई बच्चों के रिश्तेदार भी घरों में है जो उनकी देखभाल कर सकते हैं. और इस तरह उन्हें सीरिया से निकालना ज्यादा आसान हो पाएगा.
बच्चों के हित में
इस इलाके में काम करने वाले, डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स, सेव द चिल्ड्रन, और एचआरडब्लू जैसे सहायता संगठनों की रिपोर्टों में भी ऐसी कार्रवाइयों की अहमियत को रेखांकित किया गया है कि जो बच्चों के हित में सबसे सही हों. इन रिपोर्टों में अल-होल शिविर के भयंकर हालात का जिक्र भी है. लेकिन कोई भी रिपोर्ट सीधे तौर पर ये नहीं बच्चों को उनके मां बाप से अलग करने के लिए नहीं कहती है.
सीरिया और इराक में एक गैर सरकार संगठन के कर्मचारी ने डीडब्लू को बताया, "ये एक पेचीदा सवाल है जो भविष्य में और भी ज्यादा प्रासंगिक होगा. उन्होंने ऑफ द रिकॉर्ड बात की क्योंकि उन्हें नियोक्ता की ओर से बोलने की मनाही है. "अपेक्षाकृत रूप से ज्यादा आसान मामले पहले निपटा लिए जाएंगे और संभावित घर वापसी वाला ग्रुप और छोटा और ज्यादा पेचीदा होता जाएगा."
संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार संधि के अनुच्छेद 9 के मुताबिक "बच्चे को अपने मां बाप की इच्छा के विपरीत उनसे अलग नहीं किया जा सकेगा. अपवाद के रूप में ऐसा तभी किया जा सकता है जबकि सक्षम स्तर के अधिकारी ऐसा फैसला करें... कि बच्चे को अलग करना उसके हित में जरूरी है."
एक पारदर्शी प्रक्रिया की जरूरत
ह्युमन राइट्स वॉट की बेकर का कहना है कि अगर बच्चों को मां बाप के बिना उनके अपने देशों में वापस भेजा जाता है तो उसके लिए एक प्रक्रिया बनाने और अपनाने की जरूरत पड़ेगी जिसमें हर स्थिति पर फैसला मामला दर मामला किया जाना चाहिए.
किसी भी प्रक्रिया में मां से परामर्श की जरूरत होगी, उसके पास क्या विकल्प हैं. वापस घर में अभियोग चलने की क्या संभावना है और उसका क्या नतीजा निकल सकता है, ये भी देखना होगा कि परिवार के कौन से सदस्य उसके बच्चों की देखभाल करेंगे और वे बच्चे अपने परिजनों को कितना बेहतर जानते होंगे. उम्र में बड़े बच्चों को अपने मन की बात कहने का मौका मिलना चाहिए. और अधिकारियों के लिए ये जरूरी है कि नियमित रूप से परिवारों में बच्चों की स्थिति जांचते परखते रहें क्योंकि बड़े होने या कैंप की स्थितियां बदलने के साथ उनका रवैया बदल भी सकता है. बेकर कहती हैं, "सही है कि ये प्रक्रिया खासी पेचीदा है और श्रम की मांग करती है."
इस सप्ताह अल-होल शिविर का दौरा करने वाली सेव द चिल्ड्रन की संचार निदेशक ओके बाउमान कहती हैं कि अगर बच्चों को मांओं के बगैर अल-होल से निकालने की कोई प्रक्रिया या प्रविधि बना भी ली जाए तो "शिविर की स्थितियां किसी भी तय प्रक्रिया को अपनाने में बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं."
उनके मुताबिक, "लेकिन ऐसी किसी भी स्थिति आती है तो उसमें बच्चे की कोई गलती नहीं है, अपने मां बाप के अपराधों की कीमत उसे न चुकानी पड़े, ये देखना होगा. हमें उन मां बापों की जवाबदेही पर भी भरोसा कनरा होगा जिन्होंने अपराध किए हैं. दोनों चीजें परस्पर-विरोधी नहीं हैं." (dw.com)
क्लेमेडिया? एसटीआई? मुझे? नहीं ये असंभव है! लेकिन आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक केवल जर्मनी में ही हर साल 250,000 से 300,000 लोग इस बैक्टीरिया की चपेट में आते हैं.
डॉयचे वैले पर गुदरून हीसे की रिपोर्ट-
अगर समय पर उलाज हो तो स्वास्थ्य पर पड़ने वाले इसके नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सकता है. हालांकि क्लेमेडिया के संक्रमण की आसानी से पहचान नहीं हो पाती है.
इसके प्रमुख लक्षण हैं, लिंग, योनी या मलद्वार से स्रावस, पेशाब करते समय दर्द या जलन और सेक्स के दौरान दर्द. महिलाओं में बार बार रक्तस्त्राव भी संक्रमण का एक संकेत है.
क्लेमेडिया से इनफर्टिलिटी
बीमारी का पता लगाना सबसे कठिन है. जर्मनी के सेंटर फॉर सेक्सुअल मेडिसिन एंड हेल्थ के नॉर्बर्ट ब्रोकमेयर बताते हैं, "80 फीसदी महिलाओं में इसके कोई लक्षण नजर नहीं आते."
अकसर डॉक्टर को फर्टिलिटी टेस्ट के दौरान अनायास ही क्लेमेडिया का पता चल जाता है. सबसे बुरा तब होता है जब इस संक्रमण का पता नहीं चलता और इसकी वजह से दोनों पार्टनरों में इनफर्टिलिटी विकसित हो जाती है.
ब्रोकमेयर ने कहा, "(गर्भधारण में मुश्किल होने की वजह से) क्लिनिक आने वाले सभी जोड़ों में से 60 फीसदी को एक बार क्लेमेडिया होता है. यह बीमारी इनफर्टिलिटी का एक प्रमुख कारण हो सकती है."
जर्मनी में यह आकलन किया गया है कि फिलहाल 1,00,000 महिलाएं ऐसी हैं जो क्लेमेडिया के कारण गर्भधारण नहीं कर पा रही हैं. महिलाओं में योनी के आसपास इसका संक्रमण होता है. यहां से बैक्टीरिया पेट में चला जाता है.
ब्रोकमेयर के मुताबिक, "योनी या सर्विक्स में बैक्टीरिया का पता नहीं चल पाता, लेकिन फेलोपियन ट्यूब इसकी वजह से बंद हो जाती है और ओवरी में सूजन हो जाता है. इस संक्रमण की वजह से ट्यूमर भी विकसित हो सकता है."
पुरुषों में क्लेमेडिया मूत्रमार्ग के रास्ते अंडकोष में प्रवेश करता है और वीर्यकोष को संक्रमित करता है. स्पर्म डक्ट कभी बंद हो सकता है और गंभीर सूजन इनफर्टिलिटी का कारण बन सकती है.
ब्रॉकमेयर ने कहा, "इस बात के भी कुछ सबूत हैं कि क्लेमेडियल पैथोजेन प्रोस्टेट कैंसर के विकास को बढ़ावा दे सकते हैं." हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अभी इसमें बहुत कुछ ऐसा है जिसके बारे में पूरी तरह से रिसर्च नहीं हुई है.
क्लेमेडिया के संक्रमण का अगर इलाज ना हो तो यह एचआईवी के संक्रमण का जोखिम भी बढ़ा सकती है क्योंकी म्यूकस मेंब्रेन सूजन के कारण ज्यादा संवेदनशील और पारगम्य होते हैं.
सभी सेक्सुअल पार्टनरों की जांच
अगर किसी में क्लेमेडिया संक्रमण के लक्षण दिखते हैं तो यह बहुत जरूरी है कि डॉक्टर और सेक्सुअल पार्टनरसे बात की जाये. महिलाओं को गायनेकोलॉजिस्ट को संपर्क करना चाहिए जबकि पुरुषों को यूरोलॉजिस्ट या फिर डर्मेटोलॉजिस्ट से.
ब्रोकमेयर ने कहा, "इलाज में पार्टनर को हमेशा शामिल किया जाना चाहिये, नहीं तो संक्रमण बार बार हो सकता है." इलाज में सात दिन लगातार एंटीबायोटिक दवायें दी जाती हैं. ज्यादातर मामलों में यह सफल है. इसके बाद फिर संक्रमण का खतरा नहीं रहता है.
मरीज को चार छह हफ्ते के बाद एक बार फिर डॉक्टर से मिलना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संक्रमण खत्म हो गया है और साथ ही यह जानने के लिए कि अतिरिक्त उपचार की जरूरत है या नहीं.
ब्रोकमेयर ने बताया, "इस तरह का परीक्षण पूरी तरह से ठीक होने के लिए बहुत जरूरी है. दुर्भाग्य से जर्मनी में यह दुर्लभ है. इंग्लैंड में मामला अलग है. वहां डॉक्टर उनके 90 फीसदी मरीजों में तथाकथित 'उपचार के लिए परीक्षण' कर रहे हैं और वहां इलाज की दर काफी ज्यादा है."
शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं
क्लेमेडिया समेत कई एसटीआई के मामलों को रिपोर्ट करने की दर बहुत कम है. ज्यादा लोग डॉक्टर के पास जाना नहीं चाहते. आखिरकार इसमें उन्हें अपनी सेक्स आदतों से जुड़े निजी सवालों का जवाब देना पड़ता है.
ब्रोकमेयर ने बताया, "आपको मुंह या गले में संक्रमण हो सकता है. आप के जननांग संक्रमित हो सकते हैं, आपका मलद्वार संक्रमित हो सकता है. आप अपने जननांग से मलद्वार तक या फिर, मलद्वार से मुंह तक संक्रमित हो सकते हैं."
क्लेमेडिया लंबे समय तक चलने वाली बीमारी भी बन सकती है. ठीक वैसे ही जैसे किसी झाड़ी की आग जंगल की आग में भी बदल सकती है. (dw.com)
इस्लामाबाद, 24 दिसम्बर | आत्मघाती हमलावर जिसने इस्लामाबाद में एक 'सरप्राइज' जांच के दौरान विस्फोट किया, लंबे बालों के साथ 'एक अफगान की तरह लग रहा था' और एक कैब की पिछली सीट पर बैठा था। हमले के संबंध में दर्ज की गई प्राथमिकी के अनुसार यह जानकारी दी गई है। समा न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामाबाद में काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट (सीडीटी) पुलिस स्टेशन में दर्ज प्राथमिकी ईगल स्क्वाड के कांस्टेबल मुहम्मद हनीफ के बयान पर आधारित थी, जिसे स्नैचिंग की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए औचक स्नैप चेकिंग के लिए शुक्रवार को सड़क पर तैनात किया गया था।
हनीफ ने कहा कि दस्ते में पुलिस वैन में हेड कांस्टेबल आदिल हुसैन और हेड कांस्टेबल मुहम्मद यूसुफ और कांस्टेबल बिलाल अहमद और एएसआई रजा हसन और उनका ड्राइवर शामिल था।
पुलिस ने प्राथमिकी में आतंकवाद विरोधी धाराओं के साथ हत्या, हत्या के प्रयास और हत्या की सुविधा से संबंधित धाराओं को शामिल किया।
एफआईआर में कॉन्स्टेबल हनीफ ने कहा कि जब उन्होंने एक पीली कैब की मांग की तो उन्होंने भारी भीड़ वाली सर्विस रोड पर एक औचक चेक पोस्ट लगाया था।
संघीय राजधानी में पीली टैक्सी काफी आम हैं।
समा न्यूज के मुताबिक, हनीफ ने कहा कि उनके हाथ में राइफल थी और वह अन्य अधिकारियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए सड़क से थोड़ी दूरी पर तैनात थे।
उन्होंने कहा कि जब कैब ने संपर्क किया, तो हसन ने उसे रुकने का इशारा किया और कार के चालक और कार के पहचान दस्तावेजों के लिए पूछने के लिए वाहन से संपर्क किया।
जब वह दस्तावेजों की जांच कर रहा था, तो उसने पीछे की सीट पर एक लंबे बालों वाला यात्री देखा, जो एक अफगान नागरिक की तरह लग रहा था।
हसन ने हेड कांस्टेबल यूसुफ और कांस्टेबल अहमद को यात्री की तलाशी लेने के लिए बुलाया। समा न्यूज ने बताया कि जैसे ही दोनों अधिकारी यात्री की जांच करने के लिए आगे बढ़े, उसने विस्फोटकों में विस्फोट कर दिया।
हनीफ ने कहा कि धमाका इतना भीषण था कि इससे आसपास के घरों और खड़ी कारों को भी गंभीर नुकसान पहुंचा।
विस्फोट में हेड कांस्टेबल हसन भी गंभीर रूप से घायल हो गए, जबकि इसमें वाहन में सवार लोगों की मौत हो गई। (आईएएनएस)|
भारतीय-अमेरिकी वकील और राजनयिक रिचर्ड आर वर्मा को अमेरिकी राष्ट्रपति ने विदेश मंत्रालय में एक शीर्ष राजनयिक पद के लिए नामित किया है.
उनका नाम विदेश मंत्रालय में प्रबंधन और संसाधन के उप मंत्री के लिए किया गया है. राष्ट्रपति जो बाइडन ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की.
अगर अमेरिकी सीनेट उनके नाम पर सहमति जताती है तो वो विदेश मंत्रालय में सबसे ऊंची रैंक वाले भारतीय अमेरिकी होंगे.
रिचर्ड वर्मा भारत में अमेरिका के राजदूत रहे हैं. फिलहाल वो मास्टरकार्ड में चीफ़ लीगल ऑफ़िसर और ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी के प्रमुख के तौर पर काम कर रहे हैं.
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के शासन में विदेश मंत्रालय में क़ानूनी मामलों के लिए सहायक मंत्री का पद संभाल चुके हैं.
इससे पहले वो अमेरिकी सीनेटर हैरी रीड के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे.
रिचर्ड वर्मा ने एशिया ग्रुप के वाइस चैयरमेन, स्टेपटो एंड जॉनसन एलएलपी में साझेदार और सीनियर काउंसलर और एलब्राइट स्टोनब्रिज ग्रुप में सीनियर काउंसलर के तौर पर सेवाएं दी हैं.
शिरीष बी प्रधान
काठमांडू, 24 दिसंबर। भारतीय और वियतनामी मूल के कुख्यात फ्रांसीसी ‘सीरियल किलर’ चार्ल्स शोभराज को यहां की एक जेल से रिहा होने के कुछ घंटे बाद शुक्रवार को फ्रांस निर्वासित कर दिया गया।
उसने 1970 के दशक में एशिया भर में की गई कई हत्याओं के लिए अधिकांश सजा नेपाल की जेल में काटी।
उच्चतम न्यायालय के आदेश के दो दिन बाद शोभराज (78) को काठमांडू की केंद्रीय जेल से शुक्रवार सुबह रिहा कर किया गया। उसे पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच आव्रजन विभाग ले जाया गया।
नेपाल के उच्चतम न्यायालय ने शोभराज को रिहा करने और वापस उसके गृह देश भेजने का दो दिन पहले आदेश दिया था। नेपाल के आव्रजन विभाग और फ्रांसीसी दूतावास ने मिलकर शोभराज के यात्रा दस्तावेज तैयार किए।
शोभराज के वकीलों ने कहा कि उसे आव्रजन उल्लंघनों और अपने यात्रा दस्तावेजों के लिए 70,000 रुपये का शुल्क और जुर्माना देना पड़ा। शोभराज ने अपने हवाई टिकट के लिए ऑनलाइन पैसे की व्यवस्था की।
हालांकि उसकी तथाकथित पत्नी निहिता बिस्वास आव्रजन कार्यालय में मौजूद थी, लेकिन उसे शोभराज से मिलने की अनुमति नहीं दी गई। ऐसा बताया जाता है कि शोभराज ने 2008 में जेल में बिस्वास से कथित तौर पर शादी की थी।
शोभराज के वकीलों में शामिल सुदेश सुबेदी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि उसकी मां और बेटी उसके पेरिस पहुंचने का इंतजार कर रही है।
इस बीच, 1986 में गोवा से शोभराज को गिरफ्तार करने वाले मुंबई पुलिस के सेवानिवृत्त सहायक आयुक्त मधुकर जेंडे ने कहा कि हालांकि उनका मानना है कि शोभराज जैसे खूंखार अपराधियों को जीवन भर जेल से बाहर नहीं आना चाहिए, लेकिन आपराधिक न्याय प्रणाली का क्या सोचना है, उस पर विचार किया जाना महत्वपूर्ण है।
उसे 1976 में अपने एक साथी के साथ मिलकर नयी दिल्ली के एक होटल में इंजीनियरिंग के 30 से अधिक छात्रों को जहर देने की कोशिश करते समय गिरफ्तार किया गया था। बाद में पता चला कि उसने एक फ्रांसीसी पर्यटक की भी हत्या की है। उसे विभिन्न अपराधों के लिए तिहाड़ जेल में 12 साल कैद की सजा सुनाई गई, लेकिन 1986 में वह कड़ी सुरक्षा वाली जेल तोड़कर भाग गया और सुर्खियों में आया। उसे जल्द ही गोवा के ओ’कोकेरियो रेस्तरां से गिरफ्तार किया गया और फिर वह 1997 तक जेल में रहा।
गोवा के रेस्तरां से उसे गिरफ्तार करने वाले जेंडे ने ‘पीटीआई’ से एक साक्षात्कार में कहा कि शोभराज जैसे अपराधी समाज के लिए खतरनाक होते हैं और जेल से बाहर आने पर भी कई अपराधों को अंजाम दे सकते हैं।
जेंडे ने कहा कि शोभराज ने 40 से 42 महिलाओं की हत्या करने की बात स्वीकार की है और वह एक खूंखार अपराधी है, जो जेल से बाहर आने पर कुछ भी कर सकता है।
उन्होंने साथ ही कहा कि न्याय प्रणाली क्या सोचती है, वह अधिक महत्वपूर्ण है।
जेंडे ने कहा, ‘‘न्यायाधीश आम लोगों की तुलना में अधिक विद्वान हैं, यह उनका निर्णय है और उस पर टिप्पणी करना गलत है।’’
नेपाल के गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव और प्रवक्ता फनींद्र मणि पोखरेल ने कहा कि शोभराज अगले 10 वर्षों तक नेपाल में प्रवेश नहीं कर पाएगा।
‘द काठमांडू पोस्ट’ अखबार ने पोखरेल के हवाले से कहा, "गृह मंत्रालय ने चार्ल्स शोभराज को निर्वासित कर दिया है और अगले दस साल के लिए नेपाल में उसके प्रवेश करने पर रोक लगा दी गई है।"
शोभराज पहले कतर एअरवेज की उड़ान संख्या क्यूआर 647 से दोहा रवाना हुआ, जहां से वह पेरिस के लिए रवाना होगा।
इससे पहले, शोभराज के वकील गोपाल शिवकोटि चिंतन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि शोभराज को फ्रांस निर्वासित करने के लिए त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे ले जाया गया।
यहां खबरों में दावा किया गया कि बाकी पूरी जिंदगी उसके नेपाल लौटने पर रोक रहेगी।
‘ऑनलाइन खबर नेपाल’ के एक समाचार में सरकारी अधिकारियों के हवाले से कहा गया कि अपने देश भेजे जाने के बाद शोभराज के यहां आने पर आजीवन पाबंदी रहेगी।
हालांकि, यहां मीडिया में जारी खबरों के अनुसार, शोभराज नेपाल में रहना चाहता था और उसने दस दिन तक इलाज के लिए गंगालाल अस्पताल में भर्ती कराने की गुहार लगाई थी। उसकी 2017 में दिल की सर्जरी हुई थी।
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कारागार प्रबंधन प्राधिकार को कुख्यात हत्यारे को रिहा करने का और आव्रजन के माध्यम से 15 दिन के भीतर फ्रांस निर्वासित करने का निर्देश दिया था, जब तक वह किसी अन्य मामले में वांछित नहीं हो।
न्यायमूर्ति सपना प्रधान मल्ला और न्यायमूर्ति तिलक प्रसाद श्रेष्ठ की खंड पीठ ने सरकार को उसके फ्रांस निर्वासन का बंदोबस्त करने का निर्देश दिया था। अदालत ने कहा कि शोभराज को रिहा किया जाना चाहिए क्योंकि वह अपनी कारावास की 95 प्रतिशत सजा पूरी कर चुका है।
शोभराज को फ्रांस में निर्वासन बृहस्पतिवार को एक दिन के लिए टाल दिया गया था, क्योंकि आव्रजन अधिकारियों ने कुख्यात ‘सीरियल किलर’ के रहने का इंतजाम करने में अक्षमता जतायी है और उसका निर्वासन एक दिन के लिए स्थगित करने का अनुरोध किया था।
शोभराज का शिकार हुई कई महिलाएं अपनी हत्या के समय बिकनी पहने मिली थीं, इसलिए उसे ‘बिकनी किलर’ और कई बार जेल से भागने में सफल रहने के कारण ‘सांप’ (सर्पेंट) उपनाम दिया गया। वह 1975 में नेपाल में अमेरिकी महिला कॉनी जो ब्रोंजिक की हत्या के सिलसिले में 2003 से काठमांडू की जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा था।
उसे 2014 में कनाडाई पर्यटक लॉरेंट कैरियर की हत्या का दोषी ठहराया गया और दूसरी उम्रकैद की सजा सुनाई गयी। नेपाल में उम्रकैद की सजा का मतलब 20 साल का कारावास है।
शोभराज ने एक याचिका दाखिल कर दावा किया था कि उसे जरूरत से अधिक समय तक जेल में रखा गया है। इसके बाद शीर्ष अदालत की खंडपीठ ने आदेश सुनाया।
जेल में 75 प्रतिशत सजा पूरी कर चुके और इस दौरान अच्छा चरित्र दर्शाने वाले कैदियों को रिहा करने का कानूनी प्रावधान है।
शोभराज ने अपनी याचिका के माध्यम से दावा किया था कि उसने नेपाल में वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली छूट को देखते हुए जेल की सजा पूरी कर ली है।
उसने दावा किया कि वह अपनी 20 साल की सजा में से 19 साल जेल में रह चुका है और अच्छे व्यवहार के लिए उसकी रिहाई की सिफारिश की जा चुकी है।
शोभराज को अगस्त 2003 में काठमांडू के एक कैसिनो में देखा गया था और फिर उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। उस पर मुकदमा चलाया गया और हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गयी। (भाषा)
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की पत्नी रेहाम ख़ान ने शादी कर ली है. ये उनकी तीसरी शादी है.
रेहाम ख़ान ने मॉडल मिर्ज़ा बिलाल से शादी की है जो उनसे 13 साल छोटे हैं. मिर्ज़ा बिलाल की भी ये तीसरी शादी है.
मिर्ज़ा बिलाल एक अभिनेता और मॉडल हैं. वह पाकिस्तानी टीवी चैनल्स पर राजनीतिक कॉमेडी शो में भी काम कर चुके हैं.
रेहाम और मिर्ज़ा ने अमेरिका के सीएटल में शादी रचाई और सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें डालते हुए लोगों को जानकारी दी है.
रेहाम ने ट्वीट पर लिखा, ''ज़िंदगी प्यार और समझ का नाम है. लंबे समय के अकेले संघर्ष के बाद मैं ऐसे शख़्स से मिली जिसने मुझे अपनी बुद्धिमानी और ईमानदारी से प्रभावित किया. उस शख़्स पर मैं भरोसा कर सकती हूं. वो शख़्स मेरे मुश्किल समय में मेरे साथ रहा.''
उन्होंने बताया कि उनके बेटे ही इस शादी में वकील बने थे. मिर्ज़ा के माता-पिता भी शादी में मौजूद थे.
हालांकि, उनकी शादी पर मिली-जुली प्रतिक्रिया आ रही है. कुछ लोग उन्हें शुभकामनाएं दे रहे हैं तो कुछ तंज़ भी कस रहे हैं.
रेहाम ख़ान ने इमरान ख़ान से सात साल पहले तलाक़ लिया था. वो इमरान ख़ान की आलोचक भी रही हैं.
उन्होंने पहली शादी एजाज़ रहमान से की थी और रेहाम के तीन बच्चे भी हैं. (bbc.com/hindi)
फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक बंदूकधारी ने खुलेआम फायरिंग की है जिससे दो लोगों की मौत हो गई है और कई लोग घायल हो गए हैं. गोलीबारी की ये घटना पेरिस के एक कुर्द सांस्कृतिक केंद्र के करीब हुई है.
ये जगह पेरिस के ग्याह द लेस्त रेलवे स्टेशन से ज़्यादा दूर नहीं है.
पुलिस ने घटना के फौरन बाद संदिग्ध हमलावर को हिरासत में ले लिया. संदिग्ध की उम्र 69 साल बताई जा रही है
प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे घटनास्थल के इलाके में जाने से बचें.
एक महिला दुकानदार ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया, "यहां लोग घबराए हुए हैं. हमने खुद को घरों में बंद कर लिया है."
उन्होंने बताया कि सात या आठ बार गोली चलने की आवाज़ उन्होंने सुनी थी.
रिपोर्टों के अनुसार, पुलिस ने संदिग्ध व्यक्ति से हमले के लिए इस्तेमाल किए गए हथियार को बरामद कर लिया है. अभियोजन विभाग ने जानकारी दी है कि उन्होंने हत्या की जांच शुरू कर दी है.
हालांकि संदिग्ध व्यक्ति ने ऐसा क्यों किया, इसकी वजह पता नहीं चल पाई है. सांस्कृतिक केंद्र के पास के इस इलाके में कई रेस्तरां और दुकानें हैं. (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की विधानसभा भंग नहीं किए जाने के आश्वासन के बाद लाहौर हाईकोर्ट ने परवेज़ इलाही को पंजाब के मुख्यमंत्री के पद पर बहाल करने का आदेश जारी कर दिया है.
इससे पहले पंजाब के गवर्नर ने परवेज़ इलाही को समय पर विश्वास मत हासिल नहीं कर पाने के कारण पंजाब कैबिनेट भंग करने का आदेश जारी किया था.
इस मामले में लाहौर हाई कोर्ट ने पंजाब के गवर्नर और अटॉर्नी जनरल समेत कई लोगों को नोटिस जारी किया है.
परवेज़ इलाही ने हाई कोर्ट में एक हलफ़नामा दाखिल कर कोर्ट को आश्वासन दिया था कि अगर उन्हें मुख्यमंत्री के पद पर बहाल किया जाता है तो वो विधानसभा भंग करने की सलाह नहीं देंगे.
कुछ दिनों पहले पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री रहे इमरान ख़ान ने ऐलान किया था कि 23 दिसंबर को पंजाब और ख़ैबर पख़्तूनख़्वा की विधानसभाओं को भंग कर दिया जाएगा.
(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 23 दिसंबर। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में शुक्रवार को एक आत्मघाती बम हमले में एक पुलिस अधिकारी तथा एक महिला समेत दो संदिग्ध आतंकवादियों की मौत हो गयी। उसके बाद प्रशासन ने यहां ‘रेड अलर्ट’ जारी किया है।
सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि पुलिस की औचक जांच के दौरान सेक्टर एक के 10/4 में यह हमला हुआ। जहां यह हमला हुआ वह रावलपिंडी से करीब 15 किलोमीटर दूर है। रावलपिंडी में देश का प्रभावी सैन्य प्रतिष्ठान है।
पुलिस उपमहानिरीक्षक जफर चट्ठा ने मीडिया को बताया, ‘‘ बम हमलावर गाड़ी चला रहा था और उसके साथ एक महिला भी थी। उसे पुलिस ने तलाशी के लिए रोका था। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘ जब पुलिस ने गाड़ी रोकी तब दोनों बाहर आये । तलाशी लेने के दौरान लंबे बालों वाला यह व्यक्ति गाड़ी के अंदर गया और उसने विस्फोट कर खुद को उड़ा लिया।’’
पुलिस के अनुसार महिला आतंकवादी की भी मौके पर मौत हो गयी। टीवी फुटेज में विस्फोट के बाद एक कार जलती हुई नजर आ रही है और उसे पुलिस अधिकारियों ने घेर रखा है।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है।
टीटीपी प्रवक्ता मोहम्मद खालिद खुरासानी ने एक बयान में कहा कि उसके संगठन के आतंकवादियों ने वरिष्ठ नेता अब्दुल वली की हत्या का बदला लेने के लिए यह आत्मघाती हमला किया। अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में अगस्त में बम हमले में वली मारा गया था।
गृहमंत्री राणा सनाउल्लाह ने कहा कि गाड़ी में ‘विस्फोटक भरा था’ और लक्ष्य इस्लामाबाद में महत्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बनाना था।
इस धमाके के बाद इस्लामाबाद पुलिस ने पूरे शहर में सुरक्षा को देखते हुए ‘रेड अलर्ट’ का आदेश जारी कर दिया।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस घटना की निंदा की और सुरक्षा अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है।
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘बेगुनाह लोगों का खून बहाने की आतंकवादियों की नापाक योजना कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा समय से की गयी कार्रवाई के कारण नाकाम हो गयी। ’’
पाकिस्तान सरकार के साथ पिछले महीने संघर्षविराम तोड़ने के बाद टीटीपी ने सुरक्षाबलों पर हमले बढ़ा दिए हैं।
आज के इस हमले से कुछ ही दिन पहले गिरफ्तार एक टीटीपी आतंकवादी ने पुलिसकर्मी से एके 47 छीन ली थी और गोलियां चलाना शुरू कर दिया था। फिर उसने आतंकवाद निरोधक विभाग के थाने से दो अन्य वांछित आतंकवादियों को मुक्त कराया और उनके साथ मिलकर थाने पर उसने नियंत्रण कर लिया। इन टीटीपी आतंकवादियों से थाने में पूछताछ की जा रही थी। (भाषा)
यूरोप का नया वेगा-सी रॉकेट फ्रेंच गुयाना के लॉन्च सेंटर से उड़ान भरने के थोड़ी ही देर बाद गायब हो गया. यह रॉकेट दो सेटेलाइटों को अंतरिक्ष में ले कर जा रहा था. इस घटना से यूरोपीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को बड़ा धक्का लगा है.
मंगलवार रात हुई रॉकेट लॉन्च की इस नाकामी ने वेगा-सी रॉकेट के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है. नतीजतन अब यूरोप को पृथ्वी की कक्षा में सेटेलाइट भेजने की देरी की मुश्किल से जूझना होगा. एक तराफ आरियाने-6 रॉकेट में देर लग रही है, तो दूसरी तरफ युक्रेन युद्ध के बाद रूस के साथ अंतरिक्ष में सहयोग बंद हो गया है.
वेगा-सी का पहला कारोबारी लॉन्च
अगर यह उड़ान सफल होती, तो यह वेगा-सी रॉकेट का पहला कारोबारी लॉन्च होता. वेगा-सी की पहली सफल उड़ान इसी साल 13 जुलाई को हुई थी. मंगलवार की रात स्थानीय समय के मुताबिक करीब 10:47 मिनट पर उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद रॉकेट अपने तय मार्ग से भटक गया और उसके साथ संपर्क खत्म हो गया. आरियानेस्पेस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टेफाने इस्रायल का कहना है, "अभियान खत्म हो गया है. फ्रेंच गुयाना के कोरू स्पेस सेंटर से इस रॉकेट को लॉन्च किया गया था.
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक रॉकेट के दूसरे चरण के लॉन्चर में कोई गड़बड़ी हुई, जिसके कारण वेगा-सी मिशन खत्म हो गया. रॉकेट को अटलांटिक सागर के ऊपर से छोड़ा गया था. इसने 100 किलोमीटर की ऊंचाई हासिल कर ली थी और तब यह कोउरू के उत्तर में 900 किलोमीटर दूर था. इसके बाद इससे संपर्क टूट गया और फ्लाइट सेफ्टी ऑफिसर ने इसे खत्म करने का आदेश दिया. कंपनी के मुताबिक रॉकेट का मलबा अटलांटिक सागर में गिरा है.
विशेषज्ञ इस नाकामी के मूल कारण का पता लगाने में जुटे हैं. कंपनी का कहना है कि रॉकेट मोटर के जेफीरो 40 ठोस ईंधन के साथ कुछ समस्या हुई है. गुरुवार सुबह से ही विशेषज्ञों की एक स्वतंत्र टीम ने इस घटना की छानबीन शुरू कर दी है.
यूरोपीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को झटका
रॉकेट में एयरबस के दो अर्थ ऑबर्जवेशन सेटेलाइट थे, जिन्हें पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाया जाना था. वेगा-सी रॉकेट के दर्जन भर लॉन्च की योजना बनाई गई थी. हालांकि अब यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि वेगा सी को फिर से लॉन्च की मंजूरी मिलेगी या नहीं. वेगा-सी रॉकेट कार्यक्रम यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की निगरानी में चल रहा था और इस कार्यक्रम की मुख्य कांट्रैक्ट्रर इटली की आवियो है. आरियानेस्पेस लॉन्च का कारोबारी हिस्सा संभालता है.
वेगा-सी पहले के वेगा रॉकेट का नया संस्करण है. वेगा रॉकेट 2012 से ही हल्के उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जाते रहे हैं. नए रॉकेट को पुराने से किफायती माना जा रहा था क्योंकि यह ज्यादा वजन ले जाने में सक्षम है. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारियों को उम्मीद है कि अगले साल आरियाने-6 रॉकेट के लॉन्च के बाद यूरोपीय अंतरिक्ष यात्रा ज्यादा सुगम होगी. हालांकि इसका लॉन्च कई बार टाला गया है. अब इसके अगले साल होने की उम्मीद जताई जा रही है. आरियानेस्पेस के प्रमुख स्टेफाने इस्रायल का कहना है कि आरियाने-5 या आरियाने-6 मिशन पर वेगा सी की नाकामी का कोई असर नहीं होगा.
एनआर/एसएम (एएफपी, डीपीए)
शंघाई में एक अस्पताल ने अपने कर्मचारियों को कोविड-19 से एक "दुखदायक लड़ाई" की तैयारी करने के लिए कहा है. साल के अंत तक 1.25 करोड़ लोगों के संक्रमित होने की संभावना है.
चीन में वायरस तेजी से फैल रहा है, हालांकि सरकारी आंकड़े अभी भी कुछ और ही कहानी कह रहे हैं. एक तरफ 21 दिसंबर को लगातार दूसरे दिन कोविड से कोई भी मौत दर्ज नहीं की गई, दूसरी तरफ मुर्दाघरों के कर्मियों का कहना है कि पिछले एक हफ्ते में मांग बढ़ गई है लिहाजा फीस भी बढ़ा दी गई है.
सरकार ने कोविड के लक्षण वाले 3,89,306 मामलों की पुष्टि की है. साथ ही कोविड मौतों की कसौटी को भी कस दिया गया है, जिसकी कई विशेषज्ञों ने आलोचना की है. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी आंकड़ों पर अब भरोसा नहीं किया जा सकता है क्योंकि पूरे देश में प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद अब जांच भी कम की जा रही है.
शंघाई देजी अस्पताल ने बुधवार देर रात को अपने आधिकारिक वीचैट अकाउंट पर लिखा था कि इस समय शहर में अनुमानित 54.3 लाख पॉजिटिव मामले हैं और साल के अंत तक 1.25 करोड़ लोग संक्रमित हो सकते हैं. अस्पताल में करीब 400 कर्मी काम करते हैं.
डर का माहौल
अस्पताल ने वीचैट पर लिखा, "इस साल क्रिसमस का दिन, नए साल का दिन और लूनर नए साल का दिन असुरक्षित रहेंगे. इस दुखदायक लड़ाई में पूरा ग्रेटर शंघाई इलाका ढह जाएगा और हमारे अस्पताल के सभी कर्मी संक्रमित हो जाएंगे. फिर हम से हमारे परिवार संक्रमित हो जाएंगे. हमारे सभी मरीज भी संक्रमित हो जाएंगे. हमारे पास कोई विकल्प नहीं है और हम इससे भाग नहीं सकते."
लेकिन गुरूवार दोपहर को यह पोस्ट वीचैट पर उपलब्ध नहीं थी. अस्पताल के नंबर पर टेलीफोन उठाने वाले व्यक्ति ने कहा कि वो इस लेख पर तुरंत कोई टिप्पणी नहीं दे पाएंगे. गुरूवार को शहर के कई इलाके सुनसान थे.
कई लोगों ने खुद ही घर पर खुद को बंद कर लिया था. दुकानों के कर्मचारियों की तबियत खराब होने की वजह से वो भी बंद पड़ी थीं. विशेषज्ञों का कहना है कि चीन में अगले साल कोविड से 10 लाख से ज्यादा लोग मर सकते हैं. देश में बुज़ुर्गों में पूर्ण टीकाकरण की दर तुलनात्मक रूप से कम है.
3:05
सरकारी आंकड़े दिखाते हैं कि देश में कुल टीकाकरण दर 90 प्रतिशत से ऊपर है लेकिन बूस्टर शॉट पा चुके वयस्कों की दर सिर्फ 57.9 प्रतिशत है. 80 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के बीच तो यह दर 42.3 प्रतिशत है.
तैयारी की कमी
बीजिंग के एक अस्पताल में सरकारी टीवी चैनल सीसीटीवी आईसीयू में ऑक्सीजन मास्कों से सांस लेते बुजुर्ग मरीजों की कतारें दिखा रहा था. यह स्पष्ट नहीं बताया गया कि उनमें से कितनों को कोविड है.
अस्पताल के आपात विभाग के डिप्टी निदेशक हान शू ने सीसीटीवी को बताया कि वहां रोज 400 मरीज लाए जा रहे हैं, जो सामान्य से चार गुना ज्यादा है. हान ने कहा, "ये मरीज सभी बुजुर्ग हैं जिन्हें दूसरी बीमारियां भी हैं, बुखार है और सांस से जुड़े संक्रमण हैं और ये बहुत गंभीर हाल में हैं."
चीन ने जो नीतिगत यू-टर्नलिया उससे पहले से नाजुक स्वास्थ्य व्यवस्था तैयारी की कमी की वजह से बुरे हाल में पड़ गई. अस्पताल में बिस्तरों और खून की और दवा की दुकानों में दवाओं की मारामारी
हो गई. सरकार तेजी से विशेष क्लीनिक बनाने की कोशिश में भी जुट गई.
समृद्ध तटीय इलाकों से दूर छोटे शहर विशेष रूप से नाजुक स्थिति में हैं. उत्तरपूर्वी प्रांत शांसी में 7,00,000 की आबादी वाले शहर तोंगचुआन ने पिछले पांच सालों में सेवानिवृत्त हुए सभी स्वास्थ्यकर्मियों को कोविड के खिलाफ इस लड़ाई में साथ देने के लिए बुला लिया.
सरकारी मीडिया के मुताबिक स्थानीय सरकारें दवाओं की कमी को दूर करने की कोशिश कर रही थीं जबकि दवा कंपनियां आपूर्ति बढ़ाने के लिए अथक परिश्रम कर रही हैं. सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में शहरों में सरकारी एजेंसियां अस्पतालों और दवा की दुकानों पर इबूप्रोफेन की लाखों टैबलेट बांट रही हैं.
सीके/एए (रॉयटर्स)
इसराइल, 23 दिसंबर । इसराइल के निवर्तमान प्रधानमंत्री यायिर लैपिड ने कहा है कि बिन्यामिन नेतन्याहू के नेतृत्व में बनने जा रही नई दक्षिणपंथी सरकार सेना, पुलिस जैसी संस्थाओं और अर्थव्यवस्था के लिए ख़तरा है.
यायिर लैपिड ने बिन्यामिन नेतन्याहू के नेतृत्व में बन रहे गठबंधन को इसराइल के 'इतिहास की सबसे कट्टरपंथी सरकार' करार दिया है.
इससे पहले इसराइल के प्रधानमंत्री बनने जा रहे बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि वो अगले हफ़्ते पद की शपथ ले लेंगे.
इसराइल में नई सरकार के गठन का रास्ता साफ़ हो गया है और इसके साथ ही बिन्यामिन नेतन्याहू रिकॉर्ड छठी बार सत्ता में वापसी करने जा रहे हैं.
उनकी गठबंधन सरकार को कट्टरपंथी यहूदी पार्टियों और धुर राष्ट्रवादी पार्टियों का समर्थन हासिल है.
माना जा रहा है कि ये इसराइल के इतिहास में अब तक की सबसे अधिक दक्षिणपंथी सरकार बनने जा रही है.
गठबंधन की योजना यहूदी बस्तियों के विस्तार और सुरक्षा बलों और न्यायपालिका पर नियंत्रण मजबूत करने की है.
'द जेविश पार्टी' के नेता इतामार बेन ग्वीर को नई सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री बनाया जाएगा.
अतीत में वे नस्लवाद के अपराध के लिए कसूरवार ठहराए जा चुके हैं.
गठबंधन की सहयोगी पार्टियों ने क़ानूनी सुधारों का भी प्रस्ताव रखा है जिससे नेतन्याहू के ख़िलाफ़ चल रहे रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के मुक़दमे को ख़त्म किया जा सकेगा. (bbc.com/hindi)
यूक्रेन, 23 दिसंबर । किसी भी जंग को जीतने के लिए हथियारों के साथ-साथ ज़रूरी होता है हौसला.
यूक्रेन को लगता है कि उसके पास हौसले की कोई कमी नहीं है, लेकिन हथियारों की कमी हौसलों की धार को कुंद कर देती है जिसकी भरपाई कर रहा है अमेरिका.
अमेरिका ने यूक्रेन को एक ख़ास एयर डिफेंस सिस्टम देने का वादा किया है.
वहीं रूसी राष्ट्रपति पुतिन अपने जनरलों से यूक्रेन और पश्चिम पर फ़तह की मांग कर रहे हैं.
कवर स्टोरी में रूस-यूक्रेन में ज़ोर-आज़माइश की चर्चा. (bbc.com/hindi)
(एम जुल्करनैन)
लाहौर (पाकिस्तान), 23 दिसंबर। पाकिस्तान का पंजाब प्रांत विश्वासमत हासिल करने के आदेश का पालन नहीं करने पर गवर्नर बालीगुर रहमान द्वारा चौधरी परवेज इलाही को तत्काल प्रभाव से मुख्यमंत्री पद से हटा देने के कारण संवैधानिक संकट में फंस गया है।
पीएमएलएन से ताल्लुक रखने वाले गवर्नर ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के इमरान खान को पंजाब विधानसभा को भंग करने से रोकने के लिए यह कार्रवाई की।
पूर्व प्रधानमंत्री खान ने अपनी पार्टी के शासन वाले प्रांतों पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा की विधानसभाओं को भंग करने की घोषणा की थी ताकि पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) (पीएमएलएन) के नेतृत्व वाले संघीय गठबंधन को मध्यावधि चुनाव कराने के लिए मजबूर किया जा सके।
शुक्रवार सुबह गवर्नर ने मुख्यमंत्री इलाही और उनके मंत्रिमंडल को बर्खास्त करने की अधिसूचना जारी की।
गवर्नर ने कहा, ‘‘चूंकि मुख्यमंत्री चौधरी परवेज इलाही ने तय दिन और समय (पिछले बुधवार) पर विश्वास मत कराने से परहेज किया है, इसलिए वह पद पर तत्काल प्रभाव से बने नहीं रह सकते हैं। हालांकि वह पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में तब तक काम करना जारी रख सकते हैं जब तक कि उनका उत्तराधिकारी नियुक्त नहीं हो जाता।’’
पीटीआई के सहयोगी पाकिस्तान मुस्लिम लीग कायद (पीएमएलक्यू) से ताल्लुक रखने वाले इलाही ने कहा कि वह गवर्नर के ‘अवैध आदेश’ के खिलाफ अदालत का रुख करेंगे।
पीटीआई के वरिष्ठ नेता और पूर्व सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा है कि गवर्नर को उनके ‘‘कदाचार’’ की कीमत चुकानी होगी। फवाद चौधरी ने ट्वीट किया, ‘‘मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल को गैर-अधिसूचित करने वाले गवर्नर के आदेश का कोई कानूनी मूल्य नहीं है। मुख्यमंत्री परवेज इलाही और उनका मंत्रिमंडल काम करना जारी रखेगा और गवर्नर को पद से हटाने के संदर्भ में राष्ट्रपति को पत्र भेजा जा रहा है।’’
पीएमएलएन और उसके सहयोगी दलों ने खान को दो विधानसभाओं को भंग करने से रोकने के लिए सभी विकल्पों का उपयोग करने का संकल्प लिया था। उनका कहना है कि देश अपनी खराब अर्थव्यवस्था के कारण समय से पहले चुनाव नहीं करा सकता है। (भाषा)
नेपाल के प्रत्यर्पण विभाग के अधिकारियों ने गुरुवार को कहा है कि वो सिरियल किलर चार्ल्स शोभराज को रखने की व्यवस्था नहीं कर पाए हैं जिसके बाद अब उन्हें एक और दिन जेल में बिताना पड़ेगा.
भारत और वियतनामी माता-पिता के बेटे चार्ल्स शोभराज फ़िलहाल नेपाल की एक जेल में हैं जहां से उन्हें कोर्ट के आदेश के बाद डिपोर्ट किया जाना था.
नेपाल सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सपना प्रधान मल्ला और जस्टिस तिलक श्रेष्ठ की साझा बेंच ने बुधवार को चार्ल्स शोभराज को जेल से छोड़ने का आदेश दिया था.
कोर्ट ने छोड़े जाने के 15 दिनों के अंदर उनके प्रत्यर्पण के आदेश दिए हैं.
शोभराज के वकील गोपाल शिवकोटी चिंतन ने कहा है, "उन्हें जेल से छोड़ने की सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं और उन्हें प्रत्यर्पण विभाग को सौंप दिया गया है. लेकिन विभाग ने कहा उन्हें शोभराज को रखने की व्यवस्था करने के लिए अभी थोड़ा वक्त चाहिए इसलिए उन्हें एक और दिन जेल में ही रखने की गुज़ारिश की है."
'द सर्पेंट' और 'बिकनी किलर' जैसे उपनामों से प्रसिद्ध रहे चार्ल्स शोभराज साल 2003 से काठमांडू की एक जेल में बंद हैं. 1975 में नेपाल में दो अमेरिकी सैलानियों के हत्या के दोष में उन्हें उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई थी.
2014 में उन्हें कनाडाई बैकपैकर की हत्या के लिए दूसरी बार नेपाल की एक कोर्ट ने उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई. नेपाल में उम्रक़ैद की सीमा 20 साल होती है.
भेष बदलने में माहिर चार्ल्स शोभराज पर्यटकों और युवा महिलाओं को निशाना बनाते थे. चार्ल्स शोभराज पर भारत, थाईलैंड, नेपाल, तुर्की और ईरान में हत्या के 20 से ज़्यादा आरोप लगे. उन्हें सीरियल किलर कहा जाने लगा लेकिन अगस्त 2004 के पहले उन्हें ऐसे किसी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया.
तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में विरोध प्रदर्शन करने के आरोप में पांच महिलाओं को गिरफ़्तार किया है. वो महिलाओं के यूनिवर्सिटी में दाखिल होने पर लगे बैन का विरोध कर रही थीं.
इसके अलावा तीन पत्रकारों को गिरफ़्तार किया गया है. तख़र प्रांत के भी विरोध प्रदर्शन होने की ख़बरें हैं.
मंगलवार को एलान के बाद बैन तत्काल प्रभाव से सरकारी और प्राइवेट यूनिवर्सिटी पर लागू कर दिया गया है. बुधवार को सुरक्षाकर्मियों ने महिलाओं को रोकने की कोशिश की.
इससे पहले लड़कियों के सेकेंडरी स्कूलों में जाने पर रोक लगाई गई थी.
शिक्षा मंत्रालय ने कहा है कि जानकारों ने यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम और माहौल का मूल्यांकन किया है और "जब एक माकूल माहौल" तैयार नहीं हो जाता, लड़कियों के यूनिवर्सिटी जाने पर रोक लगी रहेगी. (bbc.com/hindi)