अंतरराष्ट्रीय
-मेरिता मोलोनी
यूक्रेन ने रूस पर अगले साल की शुरुआत में एक बड़े ज़मीनी हमले की तैयारी करने का आरोप लगाया है.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की समेत शीर्ष यूक्रेनी अधिकारियों ने कहा है कि ये वक़्त लापरवाह होने का नहीं है.
शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने कहा है कि ये हमला दक्षिण में पूर्वी डोनबास क्षेत्र या कीएव की तरफ़ भी हो सकता है.
हालांकि, पश्चिमी विश्लेषकों का कहना है कि रूस की ज़मीनी हमला करने की क्षमता तेज़ी से कम होती जा रही है.
ब्रिटेन के सबसे शीर्ष सैन्य अधिकारी सर टोनी रडकिन ने इस हफ़्ते कहा है कि अब इस युद्ध में रूस के लिए हालात बुरे ही होंगे. इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि रूस इस समय गोला-बारूद की भारी कमी का सामना कर रहा है.
वहीं, यूक्रेन के रक्षा मंत्री ओलेक्सी रेज़नीकोव ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि सबूत इस ओर इशारा करते हैं कि रूस सैन्य अभियानों में लगातार नुक़सान उठाने के बाद भी एक नये अभियान की तैयारी कर रहा है.
उन्होंने आशंका जताते हुए कहा कि अक्टूबर में जिन तीन लाख लोगों को सेना में वापस बुलाया गया था, उनकी ट्रेनिंग फ़रवरी में पूरी हो जाएगी.
रेज़नीकोव ने कहा, “सैन्य लामबंदी के दूसरे चरण में, लगभग डेढ़ लाख लोगों को युद्ध के लिए तैयार होने के लिए तीन महीने की ट्रेनिंग करनी होती है. इसका मतलब ये है कि वे पिछले साल की तरह फ़रवरी में हमले की योजना बनाने की कोशिश कर रहे हैं.” (bbc.com/hindi)
कुआलांलपुर, 16 दिसंबर। मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर के बाहरी इलाके में एक पर्यटक शिविर स्थल पर बृहस्पतिवार देर रात हुए भूस्खलन में नौ लोगों की मौत हो गई, जबकि 25 अन्य लापता बताए जा रहे हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
जिला पुलिस प्रमुख सुफियन अब्दुल्ला ने बताया कुआलालंपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर मध्य सेलांगोर के बतांग काली में एक ‘कैंपसाइट’ पर भूस्खलन हुआ। ऐसा माना जा रहा है कि घटना के समय वहां करीब 94 लोग मौजूद थे।
‘कैंपसाइट’ ऐसे स्थान को कहते हैं, जहां लोग समय बिताने के लिए तंबू लगाकर रहते हैं। स्थानीय लोगों के बीच ऐसे स्थान काफी लोकप्रिय हैं।
सुफियन के मुताबिक, “मृतकों में पांच साल का एक बच्चा भी शामिल है। घटना में घायल हुए सात लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बचावकर्मी करीब 25 लोगों की तलाश में जुटे हैं।”
उन्होंने बताया कि लगभग 53 लोगों को सुरक्षित बचाया गया है। खोज एवं बचाव अभियान में करीब 400 कर्मी जुटे हैं।
सेलांगोर के दमकल विभाग के अनुसार, देर रात दो बजकर 24 मिनट पर घटना की सूचना मिलने के करीब आधे घंटे बाद ही दमकलकर्मी मौके पर पहुंचने लगे। करीब तीन एकड़ क्षेत्र में भूस्खलन हुआ।
समाचार एजेंसी ‘बर्नामा’ ने कुछ तस्वीरें साझा की हैं, जिसमें बचावकर्मी तड़के अंधेरे में टॉर्च की रोशनी में मलबा हटाते दिख रहे हैं। उसने एक वीडियो भी साझा किया है, जिसमें कर्मी मौके से बचाए गए लोगों को नजदीक के एक थाने में ले जाते दिख रहे हैं।
एपी निहारिका पारुल पारुल 1612 1025 कुआलांलपुर (एपी)
मलेशिया की राजधानी क्वालालंपुर के पास शुक्रवार सुबह भूस्खलन होने से कम से कम आठ लोगों की मौत हो गयी है.
इस मामले में अब तक 50 से ज़्यादा लोगों को बचाया गया है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, अब भी दर्जनों लोग लापता बताए जा रहे हैं जिनकी तलाश जारी है.
मलेशिया के दमकल विभाग ने बताया है, ये हादसा मलेशिया के सेलंगोर प्रांत में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के बाहर सुबह लगभग तीन बजे हुआ.
इस हादसे की चपेट में सड़क किनारे स्थित ऑर्गेनिक फार्म आया है. ये फार्म लोगों को कैंप लगाकर यहां रहने की सुविधा देता है.
दमकल विभाग के निदेशक ने बताया है कि इस कैंप पर लगभग 100 फीट की ऊंचाई से मलबा गिरा और लगभग एक एकड़ क्षेत्र में फैल गया.
इस भूस्खलन में 92 लोग फंसे थे जिनमें से 53 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है. (bbc.com/hindi)
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय मिशन पहली बार अंतरिक्ष से धरती पर मौजूद सागरों, झीलों और नदियों का सर्वेक्षण करेगा.
इस मिशन यानी सर्फेस वाटर एंड ओशन टॉपोग्राफी को संक्षेप में एसडब्ल्यूओटी कहा जा रहा है. यह वास्तव में अत्याधुनिक रडार सेटेलाइट है जो वैज्ञानिकों को धरती के 70 फीसदी हिस्से में मौजूद जीवनदायिनी जल पर अभूतपूर्व नजर डालने की सुविधा देगा. इससे वैज्ञानिक इस जल के तंत्र और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने में सफल होंगे.
इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स का फॉल्कन रॉकेट इस सेटेलाइट के साथ गुरुवार को वांडेनबर्ग यूएस स्पेस फोर्स बेस से उड़ान भरेगा. यह जगह लॉस एंजेलेस के उत्तरपश्चिम में करीब 275 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां से एसडब्ल्यूओटी सेटेलाइट अंतरिक्ष के लिए रवाना होगा. अगर सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो एसयूवी के आकार का यह सेटेलाइट अगले कई महीनों तक रिसर्च डाटा तैयार करेगा.
20 साल की तैयारी
करीब 20 साल की मेहनत से तैयार हुए एसडब्ल्यूओटी में बेहद उन्नत माइक्रोवेव रडार टेक्नोलॉजी है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी मदद से वह धरती पर मौजूद महासागरों, झीलों, जलभंडारों और नदियों की गहराई और सतह की माप करेंगे. उनका कहना है कि पृथ्वी के करीब 90 फीसदी हिस्सों से जुड़ी हाई डेफिनिशन जानकारी उनकी पहुंच में होगी.
रडारों की मदद से धरती के बारे में यह आंकड़ा हर 21 दिन में दो बार जमा होगा. रिसर्चरों के मुताबिक यह आंकड़ा महासागरों के सर्कुलेशन मॉडल को सुदृढ़ बनायेगा, मौसम और जलवायु के पूर्वानुमानों को बेहतर करेगा और सूखा झेल रहे इलाकों में ताजे पानी की आपूर्ति का प्रबंधन सुधारने में मदद करेगा.
यह सेटेलाइट नासा के जेट प्रोपल्शन लैबोरेट्री यानी जेपीएल ने बनाया है. इसे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने फ्रांस और कनाडा की अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ मिल कर विकसित किया है और नेशनल रिसर्च काउंसिल के उन 15 मिशनों में एक है जिन्हें एजेंसी एक दशक के भीतर शुरू करना चाहती है.
महासागर कैसे वातावरण की गर्मी और कार्बन को अवशोषित करते हैं और कैसे यह प्राकृतिक प्रक्रिया वैश्विक तापमान और जलवायु परिवर्तन का संचालन करती है इसका पता लगाने पर मिशन का खासा जोर है. एसडब्ल्यूओटी को इस तरह से तैयार किया गया है कि महासागरों को पृथ्वी की कक्षा से स्कैन करने के दौरान यह छोटी धाराओं और बवंडरों के साथ सतह के ऊपर उठने जैसी चीजों की बारीकी से माप कर सकेगा. माना जाता है कि ऐसी ही जगहों पर सबसे ज्यादा कार्बन और गर्मी होती है. जेपीएल के मुताबिक मौजूदा तकनीकों की तुलना में एसडब्ल्यूओटी 10 गुना ज्यादा रिजॉल्यूशन की क्षमता से लैस है.
सागरों के संकेत की खोज
धरती के वातावरण में जो अतिरिक्त गर्मी है, अनुमान लगाया जाता है कि उसका 90 फीसदी महासागर अवशोषित कर लेते हैं. यह वो गर्मी है जो इंसानों की गतिविधियों से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के कारण पैदा होती है. जिस तंत्र के जरिये यह काम होता है अगर उसका पता चल जाए तो वैज्ञानिक उस बिंदु का आकलन करने की कोशिश करेंगे जब सागर गर्मी अवशोषित करने की बजाय उसका उत्सर्जन करने लगेंगे. जिसके नतीजे में धरती की गर्मी बहुत तेजी से और बहुत ज्यादा बढ़ेगी.
छोटी सतहों को देखने की खूबी के कारण एसडब्ल्यूओटी सागर तटों पर बढ़ते समुद्र के स्तर के कारण होने वाले प्रभावों का भी अध्ययन कर सकेगा.
नदियों जैसे ताजा पानी के स्रोतों का अध्ययन एसडब्ल्यूओटी की एक और विशेषता है. यह 330 फीट से ज्यादा चौड़ी लगभग सारी नदियों और 10 लाख से ज्यादा झीलों और 15 एकड़ से ज्यादा में फैले जलभंडारों को भी उनकी पूरी लंबाई में देख सकेगा.
एनआर/वीके (रॉयटर्स)
2020 में जब कोविड महामारी के कारण दुनियाभर में लॉकडाउन लगे और सारे कामकाज रुक गए तो प्रदूषण भी घट गया. कार्बन उत्सर्जन कम हो गया और हवा साफ हो गई. लेकिन एक हैरतअंगेज चीज भी हुई.
14 दिसंबर को वैज्ञानिकों ने बताया कि 2020 में जब तमाम उत्सर्जन कम हए, मीथेन का स्तर क्यों बढ़ गया था. कार्बन डाईऑक्साइड के मुकाबले मीथेन बहुत कम समय तक वातावरण में रहती है लेकिन उसमें ऊष्मा को सोखने की क्षमता बहुत ज्यादा है और इसलिए वह ग्लोबल वॉर्मिंग के लिहाज से बेहद खतरनाक है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती के तापमान में 30 फीसदी वृद्धि के लिए मीथेन ही जिम्मेदार है. वह तेल और गैसों से तो निकलती ही है, वेटलैंड्स और कृषि गतिविधियों में भी मीथेन उत्सर्जन होता है. इसीलिए इसका स्तर कम करने के लिए वैश्विक स्तर पर कोशिशें की जा रही हैं.
नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक नया अध्ययन बताता है कि मीथेन के उत्सर्जन को कम करने को लेकर अब तक जो गंभीरता अपनाई गई है, जरूरत उससे कहीं ज्यादा की है. चीन, फ्रांस, अमेरिका और नॉर्वे के शोधकर्ताओं ने अपने शोध के बाद कहा है कि कार्बन डाईऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करने के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं, संभवतया वे मीथेन का उत्सर्जन बढ़ा रहे हैं. इसका अर्थ है कि धरती को गर्म करने वाली मीथेन गैस ज्यादा समय तक वातावरण में बनती रहेगी और तेजी से जमा होगी.
जलवायु परिवर्तन के लिए बुरी खबर
फ्रांस की लैबोरेट्री फॉर साइंसेज ऑफ क्लाइमेट एंड एनवायरमेंट (LSCE) में काम करने वाले फेलिपे सिए इस शोध में शामिल रहे हैं. वह बताते हैं कि अगर धरती के तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस औसतन से नीचे रखना है तो "हमें मीथेन को कम करने के लिए और ज्यादा तेजी से काम करना होगा.”
शोध में मीथेन के स्तर में 2020 में हुई वृद्धि को समझने की कोशिश थी. 2020 में मीथेन के स्तर में जितनी बढ़ोतरी हुई थी, उतनी पहले कभी नहीं देखी गई. शोध में शामिल रहीं एक और एलएससीई वैज्ञानिक मैरिएले सॉनो कहती हैं कि शोध में जो बात सामने आई, वह जलवायु परिवर्तन के लिए ‘बुरी खबर'थी.
सबसे पहले तो वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया कि मानवीय गतिविधियों जैसे जीवाश्म ईंधनों के जलने और कृषि कार्यों से मीथेन के उत्सर्जन में मामूली कमी आई थी. उसके बाद शोधकर्ताओं ने इकोसिस्टम मॉडल का इस्तेमाल कर यह पता लगाया कि उत्तरी गोलार्ध में गर्म और शुष्क परिस्थितियों में वेटलैंड्स से मीथेन के उत्सर्जन में वृद्धि हुई. इस नतीजे की पुष्टि कई अन्य शोधों से भी हुई है और यह ज्यादा चिंता की बात है क्योंकि मीथेन उत्सर्जन में जितना ज्यादा वृद्धि होगी, तापमान उतना तेजी से बढ़ेगा जो एक दुष्चक्र है और इंसानी नियंत्रण से बाहर भी निकल सकता है.
डरावने नतीजे
हालांकि वैज्ञानिकों को जो नतीजे मिले हैं, वे इससे और ज्यादा खतरनाक हैं. जब कोविड लॉकडाउन हुआ तो कम तेल जला. इससे नाइट्रोजन ऑक्साइड के स्तर में कमी आई. सिए कहते हैं कि नाइट्रोजन ऑक्साइड में 20 फीसदी कमी मीथेन के उत्सर्जन को दोगुना कर देती है. यानी कार्बन उत्सर्जन घटा तो मीथेन बढ़ गई.
सिए कहते हैं कि कोविड लॉकडाउन के दौरान मीथेन के उत्सर्जन की वृद्धि की गुत्थी का यही रहस्य था. हालांकि वैज्ञानिक मानते हैं कि अभी इस संबंध में और काम करने की जरूरत है, खासतौर पर इस गुत्थी कि अगली कड़ी सुलझाने के लिए कि 2021 में मीथेन का स्तर नए रिकॉर्ड पर क्यों पहुंच गया था.
सिए कहते हैं कि नाइट्रोजन ऑक्साइड के स्तर में कमी में बड़ा योगदान अमेरिका और भारत में परिवहन की गतिविधियों का रहा जो लॉकडाउन के दौरान घट गई थीं. इसी तरह हवाई यात्राओं में कमी से भी नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन का स्तर कम हुआ.
युआन निस्बत रॉयल हॉलवे यूनिवर्सिटी में पृथ्वी विज्ञान पढ़ाते हैं. वह इस शोध का हिस्सा तो नहीं थे लेकिन वह कहते हैं कि 2020 में मीथेन के स्तर में वृद्धि बेहद हैरान करने वाली थी. उन्होंने कहा, "2021 में मीथेन के स्तर में वृद्धि तो और ज्यादा चिंताजनक थी. यह तब हुआ जबकि लॉकडाउन के बाद आर्थिक गतिविधियां लौट रही थीं. अब भी हमारे पास विस्तृत अध्ययन नहीं हैं जो इन नाटकीय बदलावों की पहेली सुलझा सकें.”
वीके/एए (एएफपी)
मॉस्को, 15 दिसंबर | रुस में एक तेल रिफाइनरी में आग लगने से 2 लोगों की मौत हो गई और 5 अन्य लोग घायल हो गए हैं। यह जानकारी अधिकारियों ने दी। तास न्यूज एजेंसी के अनुसार, इरकुत्स्क के एंगास्र्क में रिफाइनरी में सुबह करीब 6 बजे आग लग गई। फिलहाल मामले की जांच चल रही है और जांच समिति विभाग आग लगने के कारणों का पता लगा रहा है।
इरकुत्स्क विभाग के अधिकारी का कहना है कि, इस आग की चपेट में आए लोगों में से एक अस्पताल में भर्ती है और 4 लोगों को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई।
अधिकारियों ने कहा कि आग 2,500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैल गई है। (आईएएनएस)|
सैन फ्रांसिस्को, 15 दिसंबर | तकनीकी दिग्गज गूगल ने डॉक्स में एक नया स्मार्ट कैनवस फीचर रिलीज करना शुरू किया है, जो यूजर्स को डॉक्स में कोड ब्लॉक के साथ कोड को आसानी से फॉर्मेट और डिस्प्ले करने की अनुमति देता है। टेक दिग्गज ने बुधवार को वर्कस्पेस अपडेट ब्लॉगपोस्ट में कहा कि पहले, गूगल डॉक्स में काम करते समय, सहयोगी जो कोड प्रस्तुत करना चाहते थे, उन्हें डॉक्यूमेंटस में पेस्ट करना पड़ता था और फिर मैन्युअल रूप से सिंटैक्स को हाइलाइट कर स्टाइल्स को एप्लाई करना पड़ता था।
नया फीचर यूजर्स को इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स के साथ कोड की कल्पना करने की क्षमता देता है, जिससे कोड को पढ़ने और सहयोग बढ़ाना बहुत आसान हो जाता है।
इस फीचर का एडमिन कंट्रोल नहीं है। (आईएएनएस)|
भारत ने गुरुवार को ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ की जा रही कथित ज़्यादती को लेकर एक फ़ैक्ट-फ़ाइंडिंग मिशन गठित करने के संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रस्ताव पर वोटिंग से हिस्सा नहीं लिया.
16 सितंबर से ईरान में हिजाब ना पहनने को लेकर शुरू हुए विरोध प्रदर्शन अब ईरान भर में फैल चुके हैं, और सुरक्षाबलों की ओर से प्रदर्शनकारियों पर भारी बल प्रयोग की रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं. ईरान में सार्वजनिक तौर पर मौत की सज़ा देने के भी दो मामले सामने आए हैं.
ये सब कुछ शुरू हुआ एक 22 साल की महिला महसा अमीनी की मौत से. अमीनी को ईरान की मोरैलिटी पुलिस ने ‘हिजाब ठीक से ना पहनने’ के कारण गिरफ़्तार कर लिया और हिरासत में ही उनकी मौत हो गई.
एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, गुरुवार को हुए संयुक्त राष्ट्र सत्र में जर्मनी और आइसलैंड ने फ़ैक्ट-फ़ाइंडिंग मिशन गठित करने का प्रस्ताव लाया जिसका अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जापान सहित 25 देशों ने समर्थन किया.
छह देशों - चीन, पाकिस्तान, क्यूबा, इरिट्रिया, वेनेज़ुएला और आर्मेनिया ने इसका विरोध किया, जबकि 16 देशों ने वोटिंग में भाग नहीं लिया और भारत उनमें से एक था.
(ललित के. झा)
वाशिंगटन, 15 दिसंबर। भारतीय-अमेरिकी किशोर ने सैन फ्रांसिस्को के मशहूर ‘गोल्डन गेट ब्रिज’ से कथित तौर पर छलांग लगा दी। उसके माता-पिता और अमेरिकी तटरक्षक के अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि पुल पर 16 वर्षीय लड़के की साइकिल, फोन और बस्ता मिला है। ऐसा माना जा रहा है कि 12वीं कक्षा का छात्र मंगलवार शाम करीब चार बजकर 58 मिनट पर पुल से कूदा था।
तटरक्षकों ने बताया कि पुल से ‘‘किसी व्यक्ति’’ के कूदने की सूचना मिलने के बाद उन्होंने खोज एवं बचाव अभियान चलाया। लड़के के जीवित होने की संभावना बेहद कम है।
समुदाय के नेता अजय जैन भूटोरिया ने बताया कि किसी भारतीय-अमेरिकी के कथित तौर पर आत्महत्या करने की कोशिश में गोल्डन ब्रिज से छलांग लगाने का यह चौथा मामला है।
‘ब्रिज रेल फाउंडेशन’ के अनुसार, पिछले साल यहां से कूदकर 25 लोगों ने आत्महत्या की। 1937 में पुल के खुलने के बाद से यहां करीब दो हजार आत्महत्या के मामले सामने आए हैं।
राज्य सरकार 1.7 मील लंबे पुल के दोनों ओर 20 फुट चौड़ा लोहे का जाल लगाने का काम कर रही है। इसका काम इस साल जनवरी तक पूरा होना था, लेकिन यह अभी तक नहीं हो पाया है। इसकी निर्माण लागत 13.72 करोड़ डॉलर से बढ़कर करीब 38.66 करोड़ डॉलर हो गई है। इस परियोजना का काम 2018 में शुरू हुआ था। (भाषा)
-इमरान क़ुरैशी
मेहनाज़ मोहम्मदी 2008 में ईरान छोड़कर तुर्क़ी में बसने के कारणों पर बनाई अपनी डॉक्यूमेंट्री में मुख्य भूमिका निभा सकती थीं, क्योंकि वो आख़िरकार ख़ुद भी इस पलायन के लिए मजबूर हुईं.
ईरान की फ़िल्मनिर्माता और महिला अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने वाली ये कार्यकर्ता बीते सप्ताह इंटरनेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल ऑफ़ केरल (IFFK) में 'स्पिरिट ऑफ़ सिनेमा' अवॉर्ड लेने के लिए भारत नहीं आ सकीं. मेहनाज़ को भारत का वीज़ा नहीं मिल पाया.
हालांकि, भारत के दक्षिणी राज्य केरल में आयोजित हो रहे इस फ़िल्म फ़ेस्टिवल में मेहनाज़ 'बालों के गुच्छे' के ज़रिए मौजूद रहीं. भारत में हिजाब पहनने की मांग के उलट ईरान की महिलाएं हिजाब पहनने के लिए अपने मुल्क़ की सख़्त नीतियों के विरोध में बालों के गुच्छे का ही इस्तेमाल करती रही हैं.
बीबीसी को ईमेल पर दिए साक्षात्कार में मोहम्मदी ने कहा, "जब आप बंदूक न उठाना चाहें और आप अपने लोगों को बचा भी न सकें, तब ये बाल 'महिलाओं की आज़ादी' की आवाज़ बनते हैं. इसका मतलब समाज के हर उसे हिस्से की ख़ुशी है, जो इसे मानता है."
उन्होंने कहा, "कटे बाल उस त्रासदी का प्रतीक हैं जिनका सामना हम हर पल हर दिन करते हैं. मेरी नज़रों के सामने भविष्य को ख़त्म किया जा रहा है. 23 साल के मोहसिन शेकरी को 8 दिसंबर को फांसी पर चढ़ा दिया गया. उसका ग़ुनाह विरोध करना था."
मोहम्मदी ने बताया कि जिस दिन ग्रीक फ़िल्मनिर्माता और IFFK की जूरी सदस्य एथीना रचेल ने उनकी जगह पुरस्कार लिया और बालों के उस गुच्छे पर दर्शकों से मिल रही सराहना का नज़ारा उन्हें दिखाया, तो 47 वर्षीय मेहनाज़ अपने आंसू नहीं रोक सकीं. ये पुरस्कार केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने दिया.
मोहम्मदी को मिला स्पिरिट ऑफ़ सिनेमा पुरस्कार
बीते साल IFFK में स्पिरिट ऑफ़ सिनेमा अवॉर्ड की शुरुआत उन फ़िल्म निर्माताओं को सम्मानित करने के मक़सद से हुई थी, "जो तमाम अड़चनों का सामना करने के बावजूद सिनेमा बनाना जारी रखते हैं."
मेहनाज़ मोहम्मदी कहती हैं कि प्रदर्शनकारियों के प्रति अपने रुख को लेकर उन्हें पहले से ही ये मालूम था कि वो भारत नहीं आ पाएंगी. उन्होंने कहा कि 'कभी-कभी राजनेता हमें ग़ुलाम समझ लेते हैं."
मोहम्मदी अपनी कई डॉक्यूमेंट्री और फ़िल्मों के लिए पुरस्कार जीत चुकी हैं. उनकी फ़िल्म 'सन-मदर' को 14वें रोम फ़िल्म फ़ेस्टिवल में स्पेशल जूरी अवॉर्ड मिला था. ये फ़िल्म 44वें टोरंटो इंटरनेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल में भी प्रदर्शित की गई थी.
मोह्म्मदी को पहली बार सुर्खि़यां 'वीमेन विदाउट शैडोज' नाम की एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म की वजह से मिली थी. ये फिल्म सरकारी 'शेल्टर होम' में रहने वाली बेघर और बहिष्कृत महिलाओं की ज़िदगी पर आधारित थी. इस फिल्म के रिलीज़ होने के बाद उन पर देश से बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी गई थी.
इससे ठीक एक साल पहले वो दूसरी महिला अधिकार कार्यकर्ताओं पर मुक़दमों के खिलाफ़ प्रदर्शन के लिए गिरफ़्तार की गई थीं. इस दौरान वो 26 साल की निदा आग़ा सुल्तान की क़ब्र पर श्रद्धांजलि देने गई थीं. निदा नाम की उस महिला को ईरान के महमूद अहमदीनेज़ाद के दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन के दौरान गोली मार दी गई थी.
साल 2014 में ईरान की सत्ता के खिलाफ़ विरोध के सुर बुलंद करने के लिए मोहम्मदी को 5 साल क़ैद की सज़ा सुनाई गई थी.
वो बताती हैं, "अब तक की मेरी पूरी ज़िंदगी पाबंदियों के बीच गुजरी है. इस दौरान मिले अनुभवों के आधार पर मैं ये कह सकती हूं कि क़ैद में बीते उन सालों की कोई अहमियत नहीं, क्योंकि हम पैदा ही क़ैदनुमा इस्लामिक गणराज्य में हुए हैं. ये सड़े-गले और डरे हुए विचारों से भरी ऐसी जेल है जो अब तक दुरुस्त नहीं हो सकी है."
पूरे ईरान में तमाम महिलाएं आज सड़क पर हैं. ये उन सरकारी सख़्तियों का विरोध कर रही हैं जो हिजाब नहीं पहनने वाली महिलाओं पर बरती जा रही हैं. 24 साल की मेहसा अमीनी सिर्फ इसलिए मार दी गईं क्योंकि उसने हिज़ाब इस्लामिक सलीक़े के मुताबिक नहीं पहना था. इस घटना से ये बात छवि बनी कि सरकार की ऐसी सख़्तियों से पुरुष नहीं केवल महिलाएं प्रभावित होती हैं.
मोहम्मदी कहती हैं, "दोनों के बीच कोई तुलना नहीं. पितृसत्तात्मक समाज में पुरुष लाभार्थी बनते हैं और कई बार वो इस सिस्टम के हथियार बनते हैं. पुरुष अगर कभी गुजरते भी हैं तो सिर्फ़ आर्थिक शोषण से लेकिन महिलाएं सिर्फ़ अपने जेंडर की वजह से बंधुआ बनकर रह जाती हैं."
मोहम्मदी बताती हैं, "ये सिर्फ हिजाब के मामले में नहीं है. हिजाब तो कई सारे भेदभाव का प्रतीक भर है. मेरे लिए हिजाब का बिलकुल अलग मतलब है. हिजाब हमारे ऊपर 7 साल की उम्र में ही स्कूल में थोपा गया था. इसका असर केवल हमारे शरीर पर नहीं हुआ, बल्कि इसने हमारे विचारों को भी ढंक लिया. ये ऐसे क़ायदे कानून बनाते हैं कि अगर आपने उनके विश्वास से अलग कुछ और सोचा भी तो आपको सज़ा दी जाएगी लेकिन आज ईरान का समाज ऐसी हर तरह की तानाशाही के खिलाफ खड़ा हो रहा है "
ईरान में चल रहे प्रदर्शनों पर मोहम्मदी कहती हैं, "प्रदर्शनकारी ये पूरी तरह समझ चुके हैं कि लोकतंत्र और महिलाओं के अधिकार 'इस्लामिक रिपब्लिक' जैसी धार्मिक व्यवस्था में मुमकिन नहीं. तब ये और भी नामुमकिन है जब सरकार बुनियादी मांगों पर ध्यान देने की बजाय प्रदर्शनों में गोलियां चलाती है, एक साथ सैकड़ों लोगों को गिरफ़्तार करने के साथ उन्हें यातनाएं देती है."
मोहम्मदी कहती हैं मोहसिन शेकारी को फांसी की सज़ा ईरान का आखिरी मामला नहीं है. "सरकार ने पहले ही एलान कर दिया है कि उनके पास फांसी की सज़ा दिए जाने वाले लोगों की लंबी सूची है. हमें ये कतई नहीं भूलना चाहिए कि 1980 के दशक में ईरान की जेलों में 5 हजार से अधिक लोगों को या तो फांसी पर लटका दिया गया या उन्हें गोली मार दी गई. आज मैं जिन प्रदर्शनकारियों को सड़क पर देख रही हूं, उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं है. क्योंकि मौजूदा सरकार की तानाशाही ने उनके सामने कोई विकल्प नहीं छोड़ा. वो अपनी ज़िदगी में खुद ही संघर्ष कर रहे हैं. जिस तरह मौत का खतरा उठाकर ये लोग अन्याय के खिलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं, वो क़ाबिल-ए-तारीफ़ है."
भारत के हिजाब विवाद पर क्या बोलीं मोहम्मदी?
हिजाब पहनने की ज़िद पर अड़ी भारतीय मुस्लिम छात्रों पर अपनी राय रखते हुए मोहम्मदी ने कहा- "हमें हिजाब का विरोध नहीं करना चाहिए. हमें महिलाओं के साथ खड़े होना चाहिए ताकि वो तय कर सकें कि उन्हें हिजाब पहनना है या नहीं."
मोहम्मदी ने कहा कि वो क़ुरान की विशेषज्ञ नहीं हैं लेकिन एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में उन्होने सिर ढंकने वाले कपड़ों के चलन के इतिहास के बारे में काफ़ी कुछ रिसर्च किया.
उनके मुताबिक़, "हिजाब का जिक्र क़ुरान में 5 जगहों पर मिलता है, जिसका मतलब काफ़ी व्यापक है. तो इसके लिए कोई समान्य कानून कैसे बना सकता है? मुझे लगता है हिजाब का मामला सिर्फ़ सिर ढंकने तक सीमित नहीं रह गया है. ये महिलाओं की पूरी ज़िंदगी को नियंत्रित करने का प्रतीक बन चुका है."
मोहम्मदी की ज़्यादातर फिल्में लोगों की पीड़ा को दर्शाती हैं. तो क्या वो इससे कुछ अलग तरह की फिल्में बनाना चाहती हैं?
इस सवाल पर मोहम्मदी बताती हैं, "एक इंसान होने के नाते मैं जिस पितृसत्तात्मक समाज में रहती हूं, उसमें महिलाओं की पीड़ा को पर्दे पर उतारा है. जिस दिन मैं पितृसत्तात्मक समाज की क़ैद से आज़ाद हो जाऊंगी, मैं ज़रूर इस पर भी फ़िल्म बनाऊंगी. "
पासपोर्ट एक्सपायर होने पर उनकी आगे की योजना क्या होगी, इस सवाल पर मोहम्मदी ने कहा "मैं एक ईरानी नागरिक हूं. मैं इसे हमेशा सहेज कर रखूंगी. अगर मैं बेमुल्क़ हो जाऊं तब भी." (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खर ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर भारत पर दहशतगर्दी का आरोप लगाया है.
हिना रब्बानी खर ने कहा कि पाकिस्तान दहशतगर्द से पीड़ित है लेकिन भारत दुनिया भर में इसका ड्रम बजाता रहता है. हीना रब्बानी खर ने कहा कि भारत पाकिस्तान में दहशतगर्द का समर्थन कर रहा है.
उन्होंने कहा कि भारत पाकिस्तान से शत्रुता बनाए रखना चाहता है.
हिना रब्बानी ने कहा, ''मुझे लगता है कि प्रॉक्सी आतंकवाद से भारत को भी नुक़सान होगा क्योंकि पड़ोस के घर में आग लगाएंगे तो आग आपके घर तक भी पहुँचेगी. समझौता एक्सप्रेस के बारे में सब जानते हैं."
हिना रब्बानी खर ने आरोप लगाया कि भारत बलूचिस्तान में दहशतगर्द को बढ़ावा दे रहा है. भारत अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति हासिल करने के लिए दुनिया भर में ख़ुद को आतंकवाद से पीड़ित बताता है.
पाकिस्तानी मंत्री ने कहा कि किसी भी देश ने आतंकवाद को भारत से बेहतर इस्तेमाल नहीं किया है. उन्होंने कहा, ''ख़ुद को आंतक विरोधी चैपिंयन बनाता है, लेकिन उसने काउंटर टेररिज़म के लिए कुछ नहीं किया है. पाकिस्तान कोशिश करता है कि आतंकवाद आगे चल कर हमारे लिए समस्या न बना रहे.''
भारत आतंकवाद के मामले में पाकिस्तान को लंबे समय से कटघरे में खड़ा करता रहा है. वो चाहे संसद पर हमला हो या मुंबई हमला या फिर कश्मीर में. इसी साल अक्टूबर महीने में भारत के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान को आतंकवाद के मामले में घेरते हुए कहा था, ''''हमारा एक पड़ोसी है. जिस तरह से हम आईटी यानी इन्फ़ॉर्मेशन टेक्नॉलजी के एक्सपर्ट हैं, वे इंटरनेशनल टेररिस्ट्स के एक्सपर्ट हैं.''
जयशंकर ने कहा था, ''आतंकवाद कोई राजनीति या कूटनीति नहीं है. आतंकवाद तो आतंकवाद है. आज दुनिया पहले की तुलना में इसे ज़्यादा अच्छी तरह समझ रही है. हम दुनिया को ये समझाते रहे हैं कि आतंकवाद जो आज हमारे साथ हो रहा है वो कल आपके साथ होगा. अब दुनिया इसे बर्दाश्त नहीं करती. जो देश आतंकवाद का इस्तेमाल कर रहे हैं वो आज दबाव में हैं'' (bbc.com/hindi)
यूक्रेन, 14 दिसंबर । यूक्रेन की राजधानी कीएव में बुधवार को कई धमाके होने की ख़बर है. शहर के मेयर ने इसकी जानकारी दी है.
उन्होंने कहा कि शेवेंचकिव्स्की ज़िले के केंद्र में धमाके हुए और इमर्जेंसी सेवाओं को मौक़े पर भेज दिया गया है.
बीबीसी के पत्रकारों नें तेज़ आवाज़ सुनी जिसके थोड़ी ही देर बाद एयर रेड साइरन बजने लगे. रूस कथित तौर पर अक्टूबर से यूक्रेन के एनर्जी इन्फ़्रास्ट्रक्चर पर मिलाइलों और ड्रोन से हमला कर रहा है.
राष्ट्रपति वोलोदोमीर ज़ेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन की सेना ने 13 ईरानी ड्रोन- शाहिद को मार गिराया है, जो रूस ने बुधवार को लॉन्च किए थे.
कीएव के मिलिट्री एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा है कि ड्रोन का एक हिस्सा शहर के प्रशासनिक भवन पर गिरा. इसके अलावा चार रिहायशी इमारतों को भी नुक़सान हुआ है. हालांकि इमर्जेंसी सर्विस के प्रवक्ता ने मीडियो का बताया किसी के हताहत होने की सूचना नहीं मिली है.
कीएव के गवर्नर ओलेस्की कुलेबा ने कहा कि उनका एयर डिफेंस सिस्टम काम कर रहा है.
कुलेबा ने कहा, "एयर डिफेंस सिस्टम काम कर रहा है. अभी के लिए शेल्टर और सुरक्षित जगहों पर रहना ज़रूरी है. रूस हमारे देश के ख़िलाफ 'एनर्जी टेरर' को पर कायम है. लेकिन हम इनसे मज़बूती से लड़ रहे हैं."
कीव, 14 दिसंबर यूक्रेन की राजधानी कीव में बुधवार को कई विस्फोट हुए। कीव के मेयर ने यह जानकारी दी।
कीव के मेयर विटाली क्लिट्सको ने ‘टेलीग्राम’ पर एक पोस्ट में बताया कि राजधानी के मध्य जिले में कई विस्फोट हुए, जहां कई सरकारी एजेंसियां व इमारतें स्थित हैं।
उन्होंने बताया कि नगर निकाय के कई दल मौके पर मौजूद हैं। विस्तृत जानकारी अभी नहीं मिल पाई है।
इन हमलों का निशाना आम नागरिक, प्रशासनिक कार्यालय या सैन्य क्षेत्र क्या थे यह अभी स्पष्ट नहीं है।
अमेरिका के अधिकारियों ने मंगलवार को कहा था कि अमेरिका यूक्रेन को पैट्रियाट मिसाइल की खेप भेजने की मंजूरी देने की तैयारी कर रहा है।
पैट्रियाट सतह से हवा में मार करने वाली एक उन्नत मिसाइल है।
यूक्रेन के नेताओं ने रूसी हमलों का मुकाबला करने के लिए अधिक उन्नत हथियारों का अनुरोध किया था। (एपी)
1.5 खरब डॉलर के कपड़ा उद्योग में अब तक ऑटोमेशन नहीं हो पाया है. वैज्ञानिकक रोबोट को सिलाई नहीं सिखा पाए हैं. हालांकि इसकी तरकीबें खोजी जा चुकी हैं. क्या कोई रोबोट जीन्स सिल सकता है?
क्या रोबोट नीली जीन्स सिल सकते हैं? इस सवाल का जवाब दुनिया की कई बड़ी कंपनियां खोज रही हैं जिनमें जर्मनी की सीमेंस और लेवी स्ट्राउस भी शामिल हैं. सिमेंस में प्रोजेक्ट हेड यूजीन सोलोजाओ कहते हैं, “कपड़ा उद्योग कई खरबों वाला ऐसा आखरी उद्योग है जिसमें ऑटोमेशन नहीं हुआ है.”
सैन फ्रांसिस्को के सिमेंस की फैक्ट्री में 2018 से रोबोट के कपड़े सिलने को लेकर शोध चल रहा है. जब कोविड महामारी फैली तो अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों में विदेशों के नौकरियां वापस लाने पर चर्चा हुई. तभी कपड़ा उद्योग में भी इस तरफ ध्यान दिया गया. अब कोशिश यह है कि चीन और बांग्लादेश में कपड़े बनाने वाली फैक्ट्रियों को वापस लाया जा सके. हालांकि यह एक संवेदनशील विषय है जिसमें कुछ का फायदा है तो कुछ इसका विरोध भी करते हैं.
बहुत कपड़ा बनाने वाल उद्योगपतियों के बीच ऑटोमेशन को लेकर खासी झिझक है. एक वजह यह भी है कि ऑटोमेशन के कारण मजदूर वर्ग को काफी नुकसान होगा. डर इतना ज्यादा है कि जीन्स फैक्ट्री में तकनीक विकास करने वाले इंजीनियर जोनाथन जोरनो कहते हैं कि सिमेंस की फैक्ट्री में ज्यादा जगह नहीं है. उन्हें जान से मारने और अपहरण तक की धमकियां मिल चुकी हैं क्योंकि ऐसा होने पर विकासशील देशों में जारी कपड़ा उद्योग को खतरा पैदा हो सकता है.
लेवाइस के एक प्रवक्ता का कहना है कि कंपनी ने इस बारे में कुछ शुरुआती परीक्षणों में हिस्सा लिया है. लेकिन उन परीक्षणों का नतीजा क्या रहा और क्या कंपनी ऐसी तकनीक प्रयोग करने वाली है, इस बारे में प्रवक्ता ने कोई जवाब नहीं दिया.
कहां है दिक्कत?
कपड़े सिलने में रोबोट का इस्तेमाल अब तक इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि इस काम में विशेष जटिलता है जो दूसरे कामों से अलग है. कार का बंपर या प्लास्टिक बोतल बनाना कपड़े सिलने से अलग है क्योंकि इन चीजों का एक आकार होता है. इसके उलट कपड़े में कोई तय आकार या सिलाई की प्रक्रिया में कोई निश्चितता नहीं है. कपड़ा भी मोटाई और बुनावट आदि में अलग हो सकता है.
रोबोट सिर्फ छूकर कपड़ा नहीं पहचान सकते. वैसे, रोबोट सीख रहे हैं और बेहतर हो रहे हैं. कई शोधकर्ता बताते हैं कि उनकी स्पर्श से चीजों को पहचानने की क्षमता तेजी से सुधरी है. सिमेंस में इस काम को तेजी तब मिली जब वैज्ञानिकों ने रोबोट को पतली तारों को संभालना सिखा दिया. सोलोजाओ कहते हैं कि तब उन्हें लगा कि इसी तरह रोबोट धागे भी संभाल सकते हैं और उससे काम कर सकते हैं.
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तब से सिमेंस ने पिट्सबर्ग स्थित एडवांस्ड रोबोटिक्स फॉर मैन्युफैक्चरिंग इंस्टिट्यूट के साथ काम करना शुरू किया. इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने भी धन दिया है. इस बारे में एक स्टार्टअप कंपनी ने बेहतरीन तकनीक पर काम शुरू किया है. स्यूबो इंक नाम की इस कंपनी के मुताबिक रोबोट को मुलायम कपड़ा संभालना सिखाने के बजाय वे कपड़े को ही सख्त कर रहे हैं ताकि रोबोट किसी कार के बंपर की तरह ही इसे उठा सके. फिर जब कपड़ा सिल जाए तो उसे मुलायम कर दिया जाए.
स्यूबो के इन्वेंटर जोरनो कहते हैं, "यूं भी हर डेनिम को सिलने के बाद धोया जाता है. इसलिए रोबोट से सिलवाकर इसे मुलायम करना प्रक्रिया का हिस्सा बन सकता है.”
काम शुरू करने की तैयारी
यह शोध अब कई बड़ी कंपनियों को आकर्षित कर रहा है जिनमें लेवाइस के अलावा अमेरिकी सेना के लिए कपड़े बनाने वाली कंपनी ब्लूवॉटर डिफेंस एलएलसी भी शामिल है. शोधकर्ताओं को 15 लाख डॉलर की ग्रांट मिली है ताकि वे तकनीक को और बेहतर बना सकें.
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जॉर्जिया में भी एक अन्य तकनीक पर काम हो रहा है जिसमें रोबोट को टीशर्ट सिलना सिखाया जा रहा है. इसमें उन्हें एक विशेष रूप से तैयार मेज दी जाती है, जिस पर वे खींचकर कपड़े को टीशर्ट का रूप देते हैं.
हर तरह से पहला मकसद यही है कि रोबोट को किसी तरह फैक्ट्री में लाया जाए. संजीव बाल ने लॉस एंजेलिस में दो साल पहले जीन्स बनाने की फैक्ट्री लगाई थी. स्यूबो की तकनीक से वह प्रभावित हैं और अपनी फैक्ट्री में उसे शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं. वह कहते हैं, "अगर यह काम कर गया तो अमेरिका में फिर कभी बड़ी-बड़ी कपड़ा फैक्ट्रियां नहीं लगानी पड़ेंगी.”
वीके/एनआर (रॉयटर्स)
आज विश्व भर में परमाणु ऊर्जा न्यूक्लियर फिशन से पैदा की जाती है. इसमें काफी ऊर्जा खपती है और इससे सेहत और पर्यावरण की कई चिंताएं भी जुड़ी हैं. अब अमेरिका न्यूक्लियर फ्यूजन से असीम ऊर्जा पैदा करने वाले रिएक्टर ला रहा है.
कई दशकों से वैज्ञानिकों ने न्यूक्लियर फ्यूजन (नाभिकीय संलयन) पर आधारित रिएक्टरों को लेकर खूब प्रयोग किए हैं. हालांकि अब तक कोई अच्छा व्यावहारिक मॉडल विकसित नहीं हो सका है. अब पहली बार अमेरिका में रिसर्चरों ने इस मामले में बड़ी सफलता हासिल की है. अमेरिका के ऊर्जा विभाग ने रविवार को कहा है कि वे इसी हफ्ते न्यूक्लियर फ्यूजन रिसर्च पर एक 'अहम वैज्ञानिक सफलता' की घोषणा करेंगे.
इसके पहले ही ब्रिटिश अखबार फायनेंशियल टाइम्स ने खबर छापी है कि अमेरिका ने न्यूक्लियर फ्यूजन पर आधारित रिएक्टर बना लिया है. रिपोर्ट के मुताबिक इससे साफ, सुरक्षित और इतनी प्रचुर मात्रा में ऊर्जा बनेगी जिससे हम इंसानों की हर तरह के जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता ही खत्म हो जाएगी. जीवाश्म ईंधनों को जलाना हमारी पृथ्वी पर जलवायु संकट को बढ़ाने की बड़ी वजह मानी जाती है.
फ्यूजन और फिशन में फर्क
कैलिफोर्निया की लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लैबोरेट्री में एक ऐसा न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर बनाया है जिसमें "नेट एनर्जी गेन" होता है. इसका मतलब हुआ कि उस रिएक्टर को एक्टिवेट करने में जितनी ऊर्जा लगती है, उससे ज्यादा ऊर्जा पैदा होती है. आज तक के रिएक्टरों में ऐसा कभी नहीं हुआ है. दुनिया भर के परमाणु संयंत्रों प्लांटों में फिशन करवाया जाता है यानि नाभिकीय विखंडन कराया जाता है. एक भारी परमाणु के केंद्र को तोड़ कर उससे ऊर्जा बनाई जाती है.
वहीं फ्यूजन यानि नाभिकीय संलयन में दो हल्के हाइड्रोजन परमाणुओं को जोड़कर एक भारी हीलियम परमाणु बनाया जाता है, जिस दौरान बहुत ज्यादा ऊर्जा मुक्त होती है. आकाश के तारों में प्राकृतिक रूप से यही प्रक्रिया चल रही होती है. मिसाल के तौर पर, हमारे सौर मंडल के केंद्र में मौजूद तारे सूर्य की असीम ऊर्जा का भी यही राज है. हमें धरती पर फ्यूजन रिएक्टर को चलाने के लिए हाइड्रोजन को बहुत ज्यादा ऊंचे तापमान तक गर्म करना होता है और वो भी खास उपकरणों के अंदर.
अमेरिका का तरीका
लॉरेंस लिवरमोर लैब के रिसर्चरों ने इसके लिए विशाल नेशनल इग्निशन फेसिलिटी का इस्तेमाल किया, जो तीन फुटबॉल के मैदानों के बराबर आकार की है. इसमें 192 महाशक्तिशाली लेजर लगाए गए जो कि हाइड्रोजन से भरे एक छोटे से सिलिंडर पर गिराये जाते हैं. इस प्रयोग में रिएक्टर को एक्टिवेट करने में 2.1 मेगाजूल ऊर्जा खर्च करने से 2.5 मेगाजूल ऊर्जा पैदा हुई जो कि लागत का 120 फीसदी है. ऐसे नतीजों से उस सिद्धांत की पुष्टि होती है जो दशकों पहले फ्यूजन रिसर्चरों ने दिया था.
फिशन की ही तरह, न्यूक्लियर फ्यूजन के दौरान भी कार्बन का उत्सर्जन नहीं होता. दोनों प्रक्रियाओं में कई फर्क भी हैं. जैसे कि फ्यूजन के कारण परमाणु आपदा का कोई खतरा नहीं है और इससे रेडियोएक्टिव कचरा भी काफी कम निकलता है. अगर ये तरीका इस्तेमाल में आ जाता है तो धरती पर असीम ऊर्जा का एक ऐसा जरिया हाथ लग जाएगा जो कि तमाम परंपरागत ऊर्जा स्रोतों का साफ और सुरक्षित विकल्प होगा.
धरती और पर्यावरण के लिए अच्छा
अमेरिका के सफल प्रयोग से एक रास्ता तो खुला है लेकिन इसे औद्योगिक स्तर तक लाने का रास्ता अभी लंबा है. जानकारों का कहना है कि इससे निकलने वाली ऊर्जा को अभी कई गुना बढ़ाने और प्रक्रिया को सस्ता बनाने की जरूरत है. मोटे तौर पर अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसमें 20 से 30 साल और लग जाएंगे. वहीं लगातार गंभीर होते जलवायु परिवर्तन के संकट को देखते हुए पर्यावरण विशेषज्ञ इसे जल्द से जल्द करने की जरूरत पर बल देते हैं.
अमेरिका के अलावा विश्व के कुछ और देश फ्यूजन आधारित परमाणु रिएक्टर बनाने की तकनीक पर काम कर रहे हैं. इसमें 35 देशों के सहयोग से चल रहे अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट ITER का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है, जो फ्रांस में चल रहा है. ITER इस तरीके में डोनट के आकार वाले चैंबर में मथे हुए हाइड्रोजन प्लाज्मा पर मैग्नेटिक कनफाइनमेंट तकनीक आजमाई जा रही है.
आरपी/एनआर (एएफपी)
वाशिंगटन, 24 दिसंबर। अमेरिका में समलैंगिक विवाह को अब कानूनी मान्यता मिल गयी है। राष्ट्रपति जो बाइडन ने हजारों लोगों की मौजूदगी में समलैंगिक विवाह को वैधता देने वाले विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए।
बाइडन ने व्हाइट हाउस के साउथ लॉन में कहा, ‘‘यह कानून और जिस प्रेम का यह बचाव करता है, वह सभी रूपों में नफरत पर प्रहार करता है। और इसलिए यह कानून हरेक अमेरिकी के लिए मायने रखता है।’’
इस मौके पर गायक सैम स्मिथ और सिंडी लूपर ने प्रस्तुति दी। उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने सैन फ्रांसिस्को में एक समलैंगिक विवाह समारोह को याद किया।
व्हाइट हाउस ने एक दशक पहले बाइडन के टेलीविजन साक्षात्कार की रिकॉर्डिंग चलायी जब उन्होंने समलैंगिक विवाह का समर्थन करते हुए राजनीतिक हंगामा खड़ा कर दिया था। बाइडन उस वक्त उपराष्ट्रपति थे और तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने तब तक समलैंगिक विवाह का समर्थन नहीं किया था। हालांकि, तीन दिन बाद ओबामा ने खुद समलैंगिक विवाह का सार्वजनिक रूप से समर्थन किया था।
मंगलवार को विधेयक पर हस्ताक्षर के दौरान दोनों राजनीतिक दलों के सांसद मौजूद रहे जो देश के सबसे विवादित मुद्दों में से एक पर दोनों दलों में बढ़ती स्वीकार्यता को दिखाता है।
सीनेट के बहुसंख्यक नेता चक शूमर समारोह में वही बैंगनी रंग की टाई पहनकर आए जो उन्होंने अपनी बेटी की शादी में पहनी थी। उनकी बेटी और उसकी पत्नी अपने पहले बच्चे के माता-पिता बनने वाले हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘उन लाखों लोगों का शुक्रिया जिन्होंने बदलाव लाने के लिए कई वर्ष लगाए, मेरे नाती/नातिन ऐसी दुनिया में जीएंगे जो उनकी मां की शादी का सम्मान करती है।’’ यह नया कानून समलैंगिक विवाह और अंतरजातीय विवाह को भी सुरक्षा प्रदान करता है। (एपी)
नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में चीनी सैनिकों और भारतीय सैनिकों के बीच झड़प हुई. इस मामले में मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद के दोनों सदनों में बयान दिया.
अब अमेरिका ने भारत-चीन के बीच हुई सैन्य झड़प पर प्रतिक्रिया दी है. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरीन जीन पियरे ने कहा कि 'अमेरिका स्थिति की बारीक़ी से निगरानी कर रहा है और हम दोनों पक्षों को विवादित सीमाओं पर चर्चा करने के लिए मौजूदा द्विपक्षीय चैनलों का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं.'
एक पत्रकार के सवाल के जवाब मेंउन्होंने कहा, “हमें ख़ुशी है कि दोनों पक्षों ने जल्द ही इस बार तक़रार को रोक दिया है. हम स्थिति पर बारीक़ी से नज़र बनाए हुए हैं, भारत और चीन को विवादित सीमाओं पर चर्चा करने के लिए मौजूदा द्विपक्षीय चैनलों का उपयोग करना चाहिए.”
वहीं अमेरिका के रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है.
पेंटागन के प्रेस सचिव पैट राइडर ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “रक्षा विभाग वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हो रहे घटनाक्रमों पर बारीक़ी से नज़र रख रहा है. हमने देखा है कि चीनी सेना एलएसी के पास सुरक्षा बल बढ़ा रही है और सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण हो रहा है. यह चीन की अमेरिकी सहयोगियों और इंडो पैसिफ़िक में हमारे भागीदारों के प्रति उत्तेजक प्रवृत्ति को दर्शाता है.” (bbc.com/hindi)
-स्टीफ़न मैकडॉनल
चीन के अस्पतालों पर कोरोना से संक्रमित मरीज़ों की बड़ी संख्या के कारण दबाव बढ़ रहा है. हालात ऐसे हैं कि जो डॉक्टर और अस्पताल के कर्मचारी ड्यूटी कर रहे हैं, माना जा रहा है कि उनमें से कई संक्रमित हैं.
ऐसा मालूम होता है कि मेडिकल स्टाफ़ से कहा गया है कि उन्हें अगर संक्रमण हो तो भी आना होना क्योंकि अस्पताल कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे हैं.
स्वास्थ्य नीति के जानकार और अमेरिका के येल विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले चीनी प्रोफ़ेसर चेन शी चीन के इस संकट पर क़रीब से नज़र बनाए हुए हैं.
वह बताते हैं कि वो चीन के अस्पतालों में डाक्टरों और कर्मचारियों से लगातार बात कर रहे हैं. वह कहते हैं, “जो लोग संक्रमित हुए हैं उन्हें अस्पतालों में काम करना पड़ रहा है, इससे वहां वायरस के संक्रमण का और ज़्यादा माहौल बन रहा है.”
चीन के अस्पतालों ने मरीज़ों की भारी संख्या से निपटने के लिए अपने बुखार वाले वॉर्ड की क्षमता में वृद्धि की है, लेकिन ये तेज़ी से भर रहे हैं. आम लोगों को ये भी संदेश दिया जा रहा है कि यदि उन्हें संक्रमण हो रहा है तो वे घर पर भी रह कर सकते हैं.
प्रोफ़ेसर चेन कहते हैं कि लोगों को यह समझाने के लिए अभी बहुत कुछ किए जाने की ज़रूरत है.
वह कहते हैं, " लोगों में मामूली लक्षणों के लिए घर पर रहने का चलन नहीं है, जब लोग हल्का बीमार महसूस करते हैं तो भी अस्पतालों जाते हैं, इससे स्वास्थ्य प्रणाली के आसानी से ढह जाने का ख़तरा बढ़ जाता है."
फ़ार्मेसियों में ज़बर्दस्त भीड़ लग रही है और सर्दी या फ़्लू के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं की चीन भर में किल्लत हो गई है.
यहां तक कि कोविड-19 के लिए होम टेस्टिंग किट भी मुश्किल से मिल पा रहे हैं. (bbc.com/hindi)
अरुणाचल प्रदेश में चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 9 दिसंबर को चीन और भारत के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी. भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि चीनी सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश में तवांग के यांग्त्से में अतिक्रमण कर यथास्थिति को एकतरफ़ा बदलने का प्रयास किया.
राजनाथ सिंह ने कहा, ''चीन के इस प्रयास का हमारी सेना ने दृढ़ता के साथ सामना किया. इस तनातनी में हाथापाई हुई. भारतीय सेना ने बहादुरी से चीनी सैनिकों को हमारे इलाक़े में अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें उनकी पोस्ट पर वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया. इस झड़प में दोनों ओर के कुछ सैनिकों को चोटें आईं.''
अब चीन की ओर से भी इस पर प्रतिक्रिया आई है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि वर्तमान में हालात नियंत्रण में हैं. चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह भारत से अनुरोध करता है कि दोनों देशों के बीच सरहद को लेकर जो समझौते हैं, उनका पालन करे.
वांग ने विदेश मंत्रालय की दैनिक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है. चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स के अनुसार चीनी सेना के प्रवक्ता ने कहा है कि पीएलए का वेस्टर्न थिएटर कमांड वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी भूभाग में रूटीन पट्रोलिगं कर रहा था तभी भारतीय सैनिक चीन के हिस्से में आ गए और चीन के सैनिकों को रोकने की कोशिश की.'' (bbc.com/hindi)
(केजेएम वर्मा)
बीजिंग, 13 दिसंबर। चीन ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हुई झड़प के कुछ दिन बाद मंगलवार को कहा कि भारत से लगती सीमा पर स्थिति ‘‘सामान्यत: स्थिर’’ है।
भारत और चीन के सैनिकों के बीच नौ दिसंबर को तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यांग्त्सी क्षेत्र में हुई झड़प में दोनों देशों के कुछ सैनिक घायल हो गए थे। भारतीय सेना ने सोमवार को इस घटना के बारे में एक बयान जारी किया था।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने यहां एक पत्रकार वार्ता में कहा कि दोनों पक्षों ने राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से सीमा संबंधी मुद्दों पर सुचारू सपंर्क बनाए रखा है।
हालांकि, वांग ने यांग्त्सी क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच नौ दिसंबर को हुए संघर्ष का विवरण देने से इनकार किया।
इससे पहले, आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नयी दिल्ली में संसद में तवांग सेक्टर में हुई घटना पर बयान दिया।
उन्होंने लोकसभा और राज्यसभा में अपने बयान में कहा, "भारतीय सेना ने बहादुरी से पीएलए को हमारे क्षेत्र में अतिक्रमण करने से रोका और उसे अपनी चौकियों पर वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया। झड़प में दोनों पक्षों के कुछ सैनिक घायल हो गए।"
सिंह ने कहा कि भारतीय सेना ने नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के यांग्त्सी क्षेत्र में यथास्थिति को "एकतरफा" बदलने के चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के प्रयास को विफल कर दिया।
उन्होंने कहा कि इस झड़प में किसी भारतीय सैनिक की मृत्यु नहीं हुई, और न ही कोई भारतीय सैनिक गंभीर रूप से घायल हुआ है।
इस घटना के बारे में पूछे जाने पर वांग ने कहा, ‘‘जहां तक हमें पता है, चीन और भारत के बीच सीमा पर मौजूदा स्थिति सामान्यत: स्थिर है।’’
वांग ने कहा, "आपने जिन विशिष्ट प्रश्नों का उल्लेख किया है, मेरा सुझाव है कि आप सक्षम अधिकारियों से संपर्क करें।"
चीनी रक्षा मंत्रालय ने अभी तक इस घटना पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
वांग ने यह भी कहा कि बीजिंग उम्मीद करता है कि ‘‘भारतीय पक्ष हमारे साथ समान दिशा में काम करेगा और दोनों पक्षों के नेताओं की महत्वपूर्ण आम समझ के अनुरूप चलेगा, तथा दोनों पक्षों द्वारा हस्ताक्षरित प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौतों का अक्षरश: पालन करेगा और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता बनाए रखेगा।’’
जून 2020 में गलवान घाटी में भीषण संघर्ष के बाद दोनों देशों के सैनिकों के बीच यह पहली बड़ी झड़प है। (भाषा)
कोलंबो, 13 दिसम्बर | भारत के नौसेनाध्यक्ष (सीएनएस), एडमिरल आर हरि कुमार श्रीलंका की चार दिवसीय आधिकारिक दौरे पर हैं। इस दौरान वह राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने और रक्षा राज्य मंत्री प्रेमिता बंडारा टेनाकून से मुलाकात करेंगे। वह श्रीलंकाई नौसेना कमांडर वाइस एडमिरल निशांथा उलुगेटेन के निमंत्रण पर सोमवार को कोलंबो पहुंचे। उनकी अगवानी उनके श्रीलंकाई समकक्ष रियर एडमिरल प्रियंता परेरा ने की।
कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने कहा, अपनी यात्रा के दौरान, सीएनएस के रक्षा सचिव, रक्षा कर्मचारियों के प्रमुख और सेवा कमांडरों से मिलने की उम्मीद है और गुरुवार को वह नौसेना और समुद्री अकादमी, त्रिंकोमाली की पासिंग आउट परेड में मुख्य अतिथि होंगे।
बयान में कहा गया है, सीएनएस के यात्रा दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों और घनिष्ठ सहयोग का प्रतीक है।
यह दोनों देशों के बीच मौजूदा द्विपक्षीय समुद्री संबंधों और सामान्य सुरक्षा चिंता के क्षेत्रों को मजबूत करेगा। क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने की दिशा में क्षमता बढ़ाने और क्षमता निर्माण की पहल पर यात्रा के दौरान चर्चा की जाएगी।
मिशन ने कहा, यह दौरा भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति के अनुरूप दोनों देशों के बीच बढ़ते सौहार्द और दोस्ती का भी संकेत है।
उच्चायोग ने कहा कि जहाज श्रीलंका नौसेना के साथ प्रशिक्षण में संलग्न होगा और समुद्री साझेदारी अभ्यास में भाग लेगा।
भारतीय नौसेना ने अपनी समुद्री क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अगस्त में श्रीलंकाई वायु सेना को एक समुद्री टोही विमान प्रदान करने के अलावा मार्च में वार्षिक अभ्यास एसएलआईएनईएक्स 21 के दौरान श्रीलंका नौसेना के साथ बातचीत की।
भारतीय नौसेना अपने श्रीलंकाई समकक्षों को अनुकूलित और विशेष प्रशिक्षण भी प्रदान कर रही है, जिसमें समुद्री प्रौद्योगिकी भी शामिल है। (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 13 दिसम्बर | वैश्विक निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्स कथित तौर पर अपने उपभोक्ता व्यवसाय में सैकड़ों कर्मचारियों की छंटनी करने की योजना बना रहा है।
द फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, नौकरियों में कटौती करने का कंपनी का फैसला मुख्य कार्यकारी डेविड सोलोमन द्वारा 'मेन स्ट्रीट' बैंकिंग महत्वाकांक्षाओं को कम करने की योजना की घोषणा के बाद आया है।
मामले से वाकिफ लोगों के मुताबिक, बैंकिंग प्रमुख अपने मार्कस-ब्रांडेड रिटेल बैंकिंग प्लेटफॉर्म के जरिए पर्सनल लोन की पेशकश बंद करने की भी योजना बना रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, सोलोमन ने अक्टूबर में घोषणा की थी कि वर्षो के घाटे और बढ़ती लागत के बाद गोल्डमैन अपनी खुदरा बैंकिंग इकाई को काफी कम कर देगा।
हालांकि, इसका मार्कस डिवीजन अभी भी खुदरा जमा स्वीकार करेगा, जो बैंक के लिए वित्त पोषण का अपेक्षाकृत सस्ता स्रोत प्रदान करता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ये छंटनी खराब प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों की वार्षिक छंटनी के अतिरिक्त होगी, जो बैंकिंग फर्म आमतौर पर हर साल करती है।
इसके अलावा, गोल्डमैन 2023 में संभावित मंदी के लिए भी तैयार है।
सोलोमन ने कहा कि गोल्डमैन ने 'खर्च कम करने की कुछ योजनाओं को शुरू किया है, लेकिन इसके लाभों को महसूस करने में कुछ समय लगेगा।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्लूमबर्ग, जिसने पहले संभावित कटौती की सूचना दी थी, उन्होंने कहा कि यह 400 से अधिक पदों को प्रभावित कर सकता है।
दुनिया भर में 49,000 से अधिक लोगों को रोजगार देने वाली गोल्डमैन ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
कंपनी में करीब 81,567 कर्मचारी हैं। (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 13 दिसंबर जी-7 के सदस्य देशों ने भारत की जी-20 अध्यक्षता का समर्थन किया और न्यायसंगत दुनिया के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए बड़ी प्रणालीगत चुनौतियों और तात्कालिक संकटों से मिलकर निपटने का संकल्प लिया।
भारत ने आधिकारिक रूप से एक दिसंबर को जी 20 की अध्यक्षता संभाली। नयी दिल्ली में अगले साल नौ एवं 10 सितंबर को राष्ट्राध्यक्ष या शासनाध्यक्ष स्तर पर जी-20 नेताओं का अगला सम्मेलन होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि भारत “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” के विषय से प्रेरित होकर एकता को बढ़ावा देने के लिए काम करेगा और आतंक, जलवायु परिवर्तन, महामारी को सबसे बड़ी चुनौतियों के तौर पर सूचीबद्ध करेगा जिनका एक साथ मिलकर बेहतर तरीके से मुकाबला किया जा सकता है।
जी-7 देशों के नेताओं ने सोमवार को जारी एक संयुक्त बयान में कहा कि वे सभी के लिए बेहतर एवं सतत भविष्य का समर्थन करते हैं।
जी-7 देशों के नेताओं ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘‘जर्मनी की अध्यक्षता में जी-7 देशों ने अपने अन्य अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ मिलकर हमारे समय की प्रमुख प्रणालीगत चुनौतियों और तात्कालिक संकट से मिलकर निपटने का अपना संकल्प दिखाया है। हमारी प्रतिबद्धताओं और कदमों ने एक न्यायसंगत दुनिया की दिशा में आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त किया है।’’
बयान में कहा गया है कि जी-7, जी-20 में भारत की अध्यक्षता का समर्थन करता है और एक शांतिपूर्ण, समृद्ध और सतत भविष्य के पुनर्निर्माण के लिए मजबूती से, एकजुट होकर और पूरी तरह प्रतिबद्ध होकर खड़ा हैं।
कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका जी-7 के सदस्य देश हैं। अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ जी-20 के सदस्य हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कई समाचार पत्रों में प्रकाशित एवं कई वेबसाइट पर साझा किए गए एक लेख में कहा था कि भारत की जी-20 प्राथमिकताओं को न केवल जी-20 भागीदारों, बल्कि दुनिया के दक्षिणी हिस्से के उन साथी देशों के परामर्श से आकार दिया जाएगा, जिनकी आवाज अक्सर अनसुनी कर दी जाती है।
उन्होंने कहा कि भारत का जी-20 एजेंडा समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्रवाई उन्मुख और निर्णायक होगा। (भाषा)
लिसेस्टरशायर (ब्रिटेन), 13 दिसंबर क्या आपको कामों को टालने की आदत है? मुझे है। मुझे पता था कि मुझे एक निश्चित समयसीमा में इस लेख को लिखना है, लेकिन मैं इसे तब तक टालती रही, जब तक अंतिम तिथि निकट नहीं आ गई। इस दौरान मैंने सोशल मीडिया, अन्य वेबसाइट एवं टेलीविजन देखकर समय बिताया।
हम यह जानते हुए भी अकसर कामों को अंत समय तक टालते रहते हैं कि इसके नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं और इससे तनाव पैदा हो सकता है। इसके बावजूद हम टालमटोल क्यों करते हैं? अनुसंधान के अनुसार, इसका कारण कई संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह हैं।
मौजूदा पक्षपात
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, ‘‘वर्तमान समय को प्राथमिकता देने के कारण हम ऐसे काम को टालते रहते हैं, जिसे करने में हमें आनंद नहीं आता।’’ यदि हमें दो विभिन्न समय में चीजों के बीच चयन करना हो, तो हम वर्तमान को भविष्य की तुलना में तरजीह देते हैं।
मनोवैज्ञानिक रूप से, यदि कोई घटना भविष्य में काफी देर बाद होनी हो, तो हम उसका असर या इससे मिलने वाले प्रतिफल को उतनी गंभीरता से नहीं लेते। टालमटोल करते समय हम भविष्य के किसी सकारात्मक परिणाम के बजाय मौजूदा समय की किसी सकारात्मक गतिविधि को चुनते हैं।
हमने छात्रों के एक समूह को दो विकल्प दिए कि वे अभी 150 डॉलर चुनेंगे या छह महीने बाद 200 डॉलर चुनेंगे, तो बड़ी संख्या में छात्रों ने 150 डॉलर चुने।
हम भविष्य के बड़े लाभ की तुलना में वर्तमान के छोटे लाभ को तरजीह देते हैं।
यथास्थिति पक्षपात
जैसा कि मैंने अपनी पुस्तक ‘स्वे’ में लिखा है, यथास्थिति को लेकर पक्षपात भी इसमें अहम भूमिका निभाता है। हमारा दिमाग आलसी होता है और वो जितना संभव हो सके, संज्ञानात्मक बोझ से उतना बचना चाहता है। यानी हम ऐसा काम करने से बचते हैं, जिससे हमारे दिमाग को काम करना पड़े।
लाभ एवं हानि
टालमटोल करने की प्रवृत्ति सभी मनुष्यों में देखी जाती है। मेरे विचार से यह आलसी होने की निशानी नहीं है, जैसा कि अकसर कहा जाता है। काम टालना हमेशा बुरा नहीं होता। कभी-कभी इससे हमें अनिश्चितताओं पर विचार करने के अवसर मिलते हैं।
इसके साथ ही, कभी-कभी यह प्रवृत्ति असल में बाधक भी बन सकती है। इसका कारण मानसिक स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या हो सकती है और इससे निजात पाने के लिए उपचार की आवश्यकता होती है। (द कन्वरसेशन)
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक यमन के गृह युद्ध में पिछले 8 सालों में 11 हजार से ज्यादा बच्चे या तो मारे गए या घायल हुए हैं. संस्था के मुताबिक बच्चों की मौत सीधे युद्ध के अलावा युद्ध के प्रभावों के चलते भी हुई है.
यमन में चल रहे युद्ध में पिछले 8 सालों में 11 हजार से ज्यादा बच्चे हताहत हुए हैं. यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र की ओर से दी गई है. यह भी पाया गया कि कुल 3 करोड़ जनसंख्या वाले यमन में22 लाख बच्चे कुपोषित हैं. इनमें से एक चौथाई की उम्र पांच साल से भी कम है.
संयुक्त राष्ट्र की बच्चों के लिए काम करने वाली एजेंसी यूनिसेफ ने यह भी कहा है कियुद्ध के चलते हुई बच्चों की मौत के असल आंकड़े इससे कहीं ज्यादा हो सकते हैं. यहां बच्चे हैजा, चेचक और अन्य बीमारियों के प्रकोप से पीड़ित हैं. जबकि इनमें से कई बीमारियों का आसानी से वैक्सीन के जरिए इलाज किया जा सकता है.
कई हजार बच्चे गंदा पानी पीने से मरे
यमन में 2014 में लड़ाई छिड़ी थी. तब जल्द ही ईरान के समर्थन वाले हूथी विद्रोहियों ने यमन की राजधानी सना पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद सऊदी अरब के समर्थन वाली सेना की मदद से बनाये एक गठबंधन सेना से उनका युद्ध चल रहा है.
जिन बच्चों की मौत हुई है, उनमें सारे युद्ध में नहीं मारे गए हैं. कई हजार बच्चों की मौत युद्ध के परोक्ष प्रभावों से हुई है. जिनमें गंदा पानी पीने से, महामारियों का प्रकोप होने से, भूख और अन्य प्रभावों के चलते भी बच्चों की जान गई है.
सिर्फ अक्टूबर से अब तक 62 बच्चों की मौत
एजेंसी के हालिया आंकड़ों के मुताबिक मार्च, 2015 से सितंबर, 2022 के बीच 3,774 बच्चों की मौत हुई है. युद्ध शुरू होने के बाद ही बच्चों और स्थानीयों लोगों पर आई मुसीबतों के देखते हुए यहां कई शांति प्रयास किए गए.
संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से दोनों पक्षों के बीच कराई गई अंतिम शांति संधि की सीमा 2 अक्टूबर को खत्म हुई. इसके बाद इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका. इसके बाद युद्ध फिर शुरू हो गया. और तब से अब तक 62 और बच्चों की जान इसमें गई है.
एडी/एनआर (एएफपी)