राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 20 जनवरी | सुप्रीम कोर्ट ने गणतंत्र दिवस पर राजधानी दिल्ली में किसान यूनियनों के निकाले जाने वाली ट्रैक्टर रैली पर रोक लगाने की दिल्ली पुलिस की अर्जी पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अदालत द्वारा मामले में हस्तक्षेप करना ठीक नहीं है, क्योंकि कानून और व्यवस्था के मुद्दे पर निर्णय लेने का पहला अधिकार पुलिस का है। शीर्ष अदालत ने 25 जनवरी को मामले पर सुनवाई के लिए केंद्र सरकार के अनुरोध को भी ठुकरा दिया और आवेदन को लंबित रखा। इसके बाद केंद्र ने अपना आवेदन वापस ले लिया।
मुख्य न्यायाधीश ने अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, आप एक्सक्यूटिव हैं, आपके पास पुलिस के माध्यम से भी कार्रवाई करने का अधिकार है.. केंद्र के पास कानून और व्यवस्था पर कार्रवाई करने की शक्तियां हैं, हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
सोमवार को, शीर्ष अदालत ने कहा था कि ट्रैक्टर रैली पर निर्णय लेने का अधिकार दिल्ली पुलिस का है, न कि अदालत का।
केंद्र ने दिल्ली पुलिस के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था जिसमें ट्रैक्टर/ट्रॉली/वाहन मार्च या गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी में किसी भी अन्य तरीके से आयोजित रैली पर रोक लगाने की मांग की थी।
केंद्र ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों के संज्ञान में आया है कि विरोध करने वाले व्यक्तियों/संगठनों के समूह ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर एक ट्रैक्टर/ट्रॉली/वाहन मार्च निकालने की योजना बनाई है।
केंद्र ने कहा, गणतंत्र दिवस के काम में कोई भी व्यवधान या बाधा न केवल कानून और व्यवस्था के खिलाफ होगी, बल्कि राष्ट्र के लिए भी बहुत बड़ी शमिर्ंदगी होगी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 जनवरी | कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने बुधवार को केंद्र की मोदी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि यह समय है कि प्रधानमंत्री को वास्तविकता जानना चाहिए और नौकरशाहों द्वारा बताए गए शौचालयों, आवास और शौच मुक्त जगहों के आंकड़े नहीं दोहराए। पूर्व वित्त मंत्री ने गुजरात के सूरत में एक ट्रक द्वारा 15 प्रवासी मजदूरों को कुचले जाने के संदर्भ में यह टिप्पणी की। चिदंबरम ने एक बयान में कहा, "गुजरात में 15 प्रवासी निर्माण श्रमिकों का मारा जाना भारत में गरीबों की वास्तविकता की दिशा में आंखे खोलने वाला है।"
सरकार पर आरोप लगाते हुए, पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने पूछा कि, "मजदूर सड़क के किनारे क्यों सो रहे थे? क्या ठेकेदार उन्हें निर्माण स्थल के पास आश्रय देने के लिए बाध्य नहीं है? वे अपने बच्चों को कहां रखते हैं, कहां नहलाते हैं, खाते हैं? खुले में सड़क के किनारे?"
उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री को वास्तविकता के प्रति आंखे खोलनी चाहिए और नौकरशाहों द्वारा दिए गए शौचालय, आवास और ओडीएफ के 'आंकड़े' को नहीं दोहराना चाहिए।" (आईएएनएस)
लखनऊ, 20 जनवरी | अरुणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद का बुधवार तड़के यहां निधन हो गया। वह 96 वर्ष के थे। उन्हें मंगलवार शाम को संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआईएमएस) में कई अंगों के काम बंद करने के बाद भर्ती कराया गया था। जिस वजह से उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया था।
उसे गंभीर हालत में एक निजी अस्पताल से एसजीपीजीआईएमएस लाया गया।
माता प्रसाद उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के रहने वाले थे।
उन्होंने 1988- 89 में यूपी में कांग्रेस सरकार में मंत्री के रूप में कार्य किया और 1993 में अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल नियुक्त हुए। (आईएएनएस)
कैसर मोहम्मद अली
नई दिल्ली, 20 जनवरी | उत्तराखंड के रुड़की में पिता राजिंदर पंत अपने बेटे ऋषभ पंत के सीने पर तकिया बांध कर उसे कॉर्क की गेंद से अभ्यास कराते थे ताकि पंत के मन से तेज गेंदबाजों का डर खत्म हो जाए।
इसके अलावा राजिंदर अपने बेटे की ताकत को बढ़ाने के लिए उन्हें माल्टोवा का दूध भी देते थे। उनकी यह ताकत ब्रिस्बेन में उनकी नाबाद 89 रनों की पारी में भी देखी गई और इससे पहले भी कई बार उनके खेल में दिखाई दी।
जिस किसी ने भी पंत की ब्रिस्बेन में खेली गई 138 गेंदों की मैच जिताऊ पारी देखी होगी उसे पता होगा कि उत्तराखंड के छोटे से गांव में मिली सीख उनकी इस पारी के पीछे की मुख्य वजह है।
दुर्भाग्य की बात है कि ऋषभ के पिता ब्रिस्बेन की पारी देखने के लिए इस दुनिया में मौजूद नहीं थे। लेकिन ऋषभ ने निश्चित तौर पर इस पारी को खेलने के बाद सोचा होगा कि यह नतीजा उन दिनों छत पर अभ्यास करने, अभ्यास के लिए समय बचाने के लिए दो टिफिन बॉक्स लेकर जाने, और उस दौरान की गई बुनियादी मेहनत का नतीजा है।
राजिंदर ने 2019 में कहा था, "मैं रुड़की में अपने घर पर सीमेंट से बनी छत पर उसे कॉर्क गेंद से अभ्यास कराता था, जहां गेंद तेजी से आती थी। उस समय शहर में कोई टर्फ पिच नहीं थी। मैं उनके सीने पर तकियां बांधता था ताकि तेज गेंद खेलते हुए उन्हें चोट न लगे। लेकिन उन्हें चोट लगी, फ्रैक्च र हुआ। यह इसलिए भी करता था ताकि उनके दिल से डर निकल जाए। यह एक्सट्रा कोचिंग थी।"
अपने बेटे की प्रतिभा को देखते हुए राजिंदर और उनकी पत्नी सरोज ने ऋषभ को दिल्ली में द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित तारक सिन्हा के यहां कोचिंग के लिए भेजने का निर्णाय लिया।
रुड़की से दिल्ली का सफर आसान नहीं था। उनकी मां सुबह तीन बजे उठकर दिल्ली की बस लेती थीं ताकि उनका बेटा सिन्हा के सोनेट क्लब में शनिवार और रविवार को अभ्यास कर सके।
वह और उनका बेटा पास ही में गुरुद्वारे में रुकते थे ताकि वह रविवार को अभ्यास कर सके। इसके बाद ऋषभ दिल्ली मे किराए पर रहने लगे।
पंत ने जब बड़े होकर दिल्ली में रहना शुरू किया तो सिन्हा ने दोहरी जिम्मेदारी निभाई और माता-पिता की भूमिका भी निभाई।
आस्ट्रेलिया में मंगलवार को मिली जीत के बाद पंत ने व्हॉट्सएप पर सिन्हा को फोन किया। निश्चित तौर पर कोच खुश थे और उन्होंने ऋषभ को बधाई भी दी।
सिन्हा ने आईएएनएस से कहा, "मैं इस बात से खुश हूं कि ऋषभ ने जिम्मेदारी और सूझबूझ भरी पारी खेली। उनके ऑफ साइड के शॉट्स भी सुधरे हैं और यह आज देखने को मिला। उन्होंने धीरे-धीरे शुरुआत की, फिर तेज खेला, खासकर तब जब आस्ट्रेलिया ने दूसरी नई गेंद ली थी। उनका अब टैम्परामेंट भी अच्छा है। मुझे ऐसा लगता है कि आस्ट्रेलियाई टीम उनसे डरती है।"
पंत ने नाबाद रहते हुए टीम को जीत दिलाई।
सिन्हा ने बताया, "यह लंबे समय से उनके दिमाग में था- कि मुझे नाबाद रहते हुए टीम को जीत दिलानी है। कुछ लोग मैच खत्म न करने को लेकर उनकी आलोचना कर रहे थे। वह फिनिशर बनना चाहते हैं और आज उन्होंने बता दिया कि वह इस रास्ते पर हैं। मैंने उनसे यह भी कहा कि वह नब्बे की लाइन में आकर आउट हो जाते हैं और शतक नहीं पूरा कर पाते हैं।"
पंत टेस्ट में तीन बार नब्बे की संख्या में आकर आउट हुए हैं। दो बार वेस्टइंडीज में 2018 में और तीसरा सिडनी में इसी महीने आस्ट्रेलिया के खिलाफ।
ऋषभ को हालांकि मंगलवार को शतक पूरा करने का मौका नहीं मिला। (आईएएनएस)
भोपाल, 20 जनवरी | मध्य प्रदेश में अब बर्ड फ्लू नई समस्या बनती जा रही है और वह पक्षियों के लिए मुसीबत बनकर तो आई ही है साथ में कुक्कुट कारोबार पर भी असर पड़ने के आसार बनने लगे हैं। राज्य के 52 में से 32 जिलों के कौओं और अन्य जंगली पक्षियों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हो चुकी है वहीं तीन जिलों की कुक्कुट सामग्री में भी बर्ड फ्लू पाया गया है। कुल मिलाकर राज्य के 75 फीसदी जिलों तक बर्डफ्लू पहुंच चुका है। चिंता इस बात की सताने लगी है कि यह कहीं और आगे न बढ़ जाए। राज्य में एक तरफ जहां कोरोना का संकट बना हुआ है, वहीं वैक्सीन के आने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है, मगर इसी बीच बर्डफ्लू की दस्तक और उसके बाद हो रहे विस्तार का क्रम बना हुआ हैं। कौओं और जंगली पक्षियों की मौत का दौर जारी है तो वहीं कुक्कुट कारोबार भी इससे पूरी तरह अछूता नहीं है। इसी बात से कुक्कुट कारोबार पर चिंता की लकीरें उभरी हुई है।
पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह पटेल ने बर्ड फ्लू से अप्रभावित जिलों को सावधानी और सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कौओं की मृत्यु से आरंभ हुआ बर्ड फ्लू तीन जिलों के पोल्ट्री सहित 32 जिलों में पहुंच चुका है। ये जिले हैं इंदौर, आगर, नीमच, देवास, उज्जैन, खंडवा, खरगोन, गुना, शिवपुरी, राजगढ़, शाजापुर, विदिशा, दतिया, अशोकनगर, बड़वानी, भोपाल, होशंगाबाद, बुरहानपुर, छिन्दवाड़ा, डिंडोरी, मण्डला, सागर, धार, सतना, पन्ना, बालाघाट, श्योपुर, छतरपुर और रायसेन।
पटेल ने आगे बताया कि झाबुआ, हरदा और मंदसौर में पोल्ट्री में वायरस मिलने से मुर्गियों की कलिंग (मारना) भारत शासन द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार की गई है।
ज्ञात हो कि झाबुआ के कड़कनाथ में भी बर्डफ्लू की पुष्टि हुई और बड़ी मात्रा में कुक्कट सामग्री को नष्ट किया गया है। यहां से क्रिकेटर महेंद्र सिंह धौनी के फार्म हाउस को कड़कनाथ के चूजों की आपूर्ति की जाना थी।
पोल्ट्री कारोबार में बर्डफ्लू ज्यादा न फैले इसे रोकना बड़ी चुनौती बना हुआ है। यही कारण है कि राज्य के पशुपालन मंत्री ने अप्रभावित जिलों के पोल्ट्री व्यवसाइयों से अपील की है कि वे पूर्ण सतर्कता बरतें। पक्षियों अथवा मुर्गियों में अप्राकृतिक मृत्यु की सूचना मिलते ही तत्काल अपने जिले के कंट्रोल-रूम को सूचित करें।
पटेल ने पशुपालन विभाग के अधिकारियों को एवियन इन्फ्लूएंजा के बचाव और रोकथाम नियंत्रण का भरपूर प्रचार-प्रसार करने के निर्देश देते हुए कहा कि जलाशयों एवं अभयारण्यों पर भी निगरानी रखें। आकस्मिकता की स्थिति से निपटने के लिये आवश्यक पीपीई किट्स डिसइनफेक्टेन्ट, उपकरण, दवाइयों का स्टॉक आदि तैयारियां चाक-चौबंद रखें।
प्रदेश में अब तक 3,890 कौओं और जंगली पक्षियों की मृत्यु हो चुकी है। विभिन्न जिलों से 453 सैंपल राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग अनुसंधान प्रयोगशाला, भोपाल को जांच के लिये भेजे जा चुके हैं। प्रभावित जिलों में बर्ड फ्लू रोग नियंत्रण की कार्यवाही और सर्विलांस का कार्य जारी है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 20 जनवरी | उत्तर प्रदेश विधान परिषद और पंचायत चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब 2022 के विधानसभा चुनाव में उतरने जा रही है। उसके ठीक पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा 21 और 22 जनवरी को लखनऊ आ रहे है। इस दौरान वह सरकार और संगठन दोंनों की थाह लेंगे। पार्टी को जीत का मंत्र भी बताएंगे। नड्डा गुरुवार को पहली बार लखनऊ दौरे पर आ रहे हैं। अलग-अलग राज्यों में प्रवास कर रहे नड्डा का उत्तर प्रदेश में दो दिनी प्रवास काफी अहम है, क्योंकि इन दिनों संगठन से लेकर सरकार में तमाम पदों पर नई जिम्मेदारियों के कयास चल रहे हैं।
नड्डा संगठन पदाधिकारियों के साथ योगी सरकार के मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा भी करेंगे। त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन के साथ वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों की जानकारी लेंगे।
नड्डा सरकार और संगठन के साथ अलग-अलग बैठकें कर आगामी चुनावों को लेकर रणनीति पर चर्चा करेंगे। इसे देखते हुए यहां संगठन भी अपना होमवर्क गंभीरता से कर रहा है। दौरे की तैयारियों को लेकर मंगलवार को प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने वार्ड और मंडल के पदाधिकारियों से लेकर अवध व कानपुर क्षेत्र के पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों के साथ अलग-अलग बैठकें कीं। सभी को नड्डा के प्रवास कार्यक्रम की रूपरेखा समझाई गई।
भाजपा के सूत्र बताते है कि जेपी नड्डा के आने के बाद यह तय हो जाएगा कि यूपी सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार होगा या नहीं। उनके पास सरकार के कुछ मंत्रियों के कामकाज को लेकर अच्छा फीडबैक नहीं है। वह न केवल मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा करेंगे बल्कि उनको बुलाकर बात भी करेंगे। उनसे बात करने के बाद ही वह मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, संगठन महामंत्री सुनील बंसल के साथ बैठक कर इस पर मंथन करेंगे। रिटायर्ड आईएएस ए.के. शर्मा के आने और विधानपरिषद का नामांकन करने के बाद उनका क्या भविष्य होगा। इसे लेकर भी चर्चा की जाएगी। शर्मा की प्रदेश में भूमिका भी नड्डा के आगमन पर ही स्पष्ट होगी। माना जा रहा है कि शर्मा के अनुभव का लाभ प्रशासनिक कार्यकुशलता व दक्षता बढ़ाने में लिया जाएगा ताकि विधायकों के एक खेमे में अधिकारियों के रवैये को लेकर बढ़ता असंतोष काबू किया जा सके। ऐसे में मंत्रिमंडल से कई मंत्रियों की छुट्टी होने की संभावनाएं भी जतायी जा रही हैं। पंचायत चुनाव से पूर्व किसान आंदोलन से गांवों में आक्रोश को नहीं बढने देने पर भी विचार होगा। (आईएएनएस)
बुलंदशहर, 20 जनवरी | बुलंदशहर में तीन साल से अधिक समय से लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले एक प्रेमी युगल की शादी जिले के एसएसपी ऑफिस में कराई गई, जिसमें पुलिस अधिकारियों ने 'बाराती' की भूमिका निभाई। महिला ने पुलिस में शिकायत की थी कि उसका साथी लंबे समय से रिश्ते में रहने के बावजूद शादी के लिए टालमटोल कर रहा है।
पुलिस अधिकारियों ने पहले मध्यस्थ की भूमिका निभाई और फिर प्रेमी युगल के मामले को सुलझाने में मदद की।
'दूल्हा' औरैया थाने में एक कांस्टेबल के रूप में तैनात है, जबकि महिला बुलंदशहर की है।
हालांकि, 'दूल्हा' शादी से असंतुष्ट लग रहा था और उसने उसे दी जाने वाली मिठाइयों को भी नहीं हाथ लगाया।
सयाना स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) जितेंद्र कुमार सिंह ने कहा, एक महिला ने बुलंदशहर एसएसपी से शिकायत करते हुए कहा था कि तीन साल तक रिश्ते में रहने के बाद भी उसका साथी शादी से बच रहा है। जब वह शिकायत करने पहुंची तो उस समय उसका प्रेमी साथी भी मौजूद था। फिर एसएसपी ने उसकी बात मानकर दोनों की शादी कर दी।
एक वकील, प्रवीण कुमार ने कहा, दोनों ने हालांकि एक दूसरे को माला पहनाई, लेकिन कागजों का काम अभी भी बाकी है। इसे जल्द ही पूरा किया जाएगा।
दोनों लगभग तीन साल पहले तब मिले थे जब कांस्टेबल अक्सर महिला के पड़ोसी से मिलने जाता था। (आईएएनएस)
हैदराबाद. तेलंगाना के मुख्यमंत्री और तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव जल्द ही अपने बेटे के.टी. रामाराव को अपना उत्तराधिकारी बना सकते हैं. टीआरएस के कई नेताओं का कहना है कि केसीआर फरवरी में बेटे केटीआर को मुख्यमंत्री बना सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक, केसीआर अब राष्ट्रीय राजनीति पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं. इससे पहले उन्होंने केटीआर को टीआरएस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था. केटीआर को पार्टी और सरकार में नंबर 2 पर देखा जाता है.
केसीआर ज्योतिष में बहुत विश्वास करते हैं. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, केटीआर के सीएम की जिम्मेदारियां सौंपने से पहले केसीआर फरवरी में यदादरी मंदिर में तीन अनुष्ठान करने वाले हैं. बताया जा रहा है कि यदादरी मंदिर में केसीआर सुदर्शन यज्ञ, चांदी यज्ञ, राजस्यमाला यज्ञ करेंगे. इसके लिए उन्होंने संबंधित अधिकारियों को मंदिर का काम जल्द से जल्द पूरा करने को कहा है. जल्द ही इसे लेकर एक कैबिनेट मीटिंग बुलाई जाएगी, जिसमें पूरी तैयारियों की समीक्षा होगी.
केसीआर आज रैली में कर सकते हैं तेलंगाना विधानसभा भंग करने का ऐलान
माना जा रहा था कि ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन इलेक्शन के बाद ही केसीआर अपने बेटे को मुख्यमंत्री कि जिम्मेदारियां सौंप देंगे, मगर ऐसा नहीं हुआ. अब तेलंगाना में फरवरी के आखिर तक सत्ता का हस्तांतरण हो सकता है. केटीआर नए सीएम बनाए जा सकते हैं.
टीआरएस ने एक बयान में कहा, 'मुख्यमंत्री केसीआर का दृढ़ता से मानना है और उन्हें भरोसा है कि केटीआर के काम करने की शैली, प्रतिबद्धता और नेतृत्व करने का गुण आने वाले दिनों में पार्टी को कुशल और प्रभावी तरीके से आगे बढ़ाने में मदद करेंगे.'
केसीआर ने बुलाई कैबिनेट मीटिंग, वक्त से पहले चुनाव कराए जाने की अटकलें तेज़
केसीआर के इकलौते बेटे केटीआर ने सिर्सिल्ला विधानभा क्षेत्र से जीत दर्ज की है. केटीआर पिछले कैबिनेट में उद्योग व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री थे. अगले सप्ताह उन्हें नए कैबिनेट में शामिल किए जाने की संभावना है.
श्रीनगर, 20 जनवरी| मौसम विभाग ने कश्मीर घाटी और लद्दाख में 22 जनवरी से फिर से हिमपात होने का अनुमान लगाया है। लेकिन इससे पहले यहां बुधवार को न्यूनतम तापमान हिमांक बिंदु से कई डिग्री नीचे चला गया है। मौसम विभाग के एक अधिकारी ने कहा, "22 की रात से 24 तक मध्यम तीव्रता के साथ पश्चिमी विक्षोभ के जम्मू और कश्मीर व लद्दाख को प्रभावित किए जाने की संभावना जताई जा रही है, जिसकी अधिक सक्रियता 23/24 जनवरी को बनी रहेगी।"
उन्होंने आगे कहा, "इससे जम्मू के पहाड़ी इलाकों, कश्मीर के मैदानी इलाकों में व्यापक रूप से मध्यम बर्फबारी होगी। इसके साथ ही लद्दाख के भी कुछ अलग-अलग हिस्सों में हल्की बर्फबारी होगी व जम्मू के मैदानी इलाकों में बारिश होगी। इसके चलते सड़क व हवाई मार्ग से यातायात अस्थायी रूप से बाधित होंगी।"
घाटी में कड़ाके की ठंड अभी भी जारी है, हालांकि न्यूनतम तापमान में कुछ सुधार देखने को मिला है, लेकिन इससे यहां के निवासियों को कुछ खास राहत नहीं पहुंची है क्योंकि पानी की पाइपें अभी भी जमी हुई हैं और कई जगहों में तो ये पाइपें फट गई हैं, जिससे पीने के पानी की समस्या दिखने लगी है।
यहां 'चिलाई कलां' 31 जनवरी को खत्म होगी। यह हाड़ कंपाने वाली ठंड की एक स्थिति है, जिसकी अवधि 40 दिनों तक की होती है। यहां के स्थानीय लोग इसे इसी नाम से पुकारते हैं। (आईएएनएस)
बुलंदशहर, 20 जनवरी | बुलंदशहर में तीन साल से अधिक समय से लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले एक प्रेमी युगल की शादी जिले के एसएसपी ऑफिस में कराई गई, जिसमें पुलिस अधिकारियों ने 'बाराती' की भूमिका निभाई। महिला ने पुलिस में शिकायत की थी कि उसका साथी लंबे समय से रिश्ते में रहने के बावजूद शादी के लिए टालमटोल कर रहा है।
पुलिस अधिकारियों ने पहले मध्यस्थ की भूमिका निभाई और फिर प्रेमी युगल के मामले को सुलझाने में मदद की।
'दूल्हा' औरैया थाने में एक कांस्टेबल के रूप में तैनात है, जबकि महिला बुलंदशहर की है।
हालांकि, 'दूल्हा' शादी से असंतुष्ट लग रहा था और उसने उसे दी जाने वाली मिठाइयों को भी नहीं हाथ लगाया।
सयाना स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) जितेंद्र कुमार सिंह ने कहा, एक महिला ने बुलंदशहर एसएसपी से शिकायत करते हुए कहा था कि तीन साल तक रिश्ते में रहने के बाद भी उसका साथी शादी से बच रहा है। जब वह शिकायत करने पहुंची तो उस समय उसका प्रेमी साथी भी मौजूद था। फिर एसएसपी ने उसकी बात मानकर दोनों की शादी कर दी।
एक वकील, प्रवीण कुमार ने कहा, दोनों ने हालांकि एक दूसरे को माला पहनाई, लेकिन कागजों का काम अभी भी बाकी है। इसे जल्द ही पूरा किया जाएगा।
दोनों लगभग तीन साल पहले तब मिले थे जब कांस्टेबल अक्सर महिला के पड़ोसी से मिलने जाता था। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 जनवरी| देश की प्रमुख जांच एजेंसी, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा इस वक्त पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के खिलाफ तमाम मामलों की जांच की जा रही है। अब तक एनआईए ने 100 से अधिक पीएफआई कार्यकर्ताओं पर आतंक सहित कई अन्य आपराधिक आरोप भी लगाए हैं, जिनमें आईएसआईएस के साथ संबंध, प्रोफेसर का हाथ काटने वाला मामला, नारथ शस्त्र प्रशिक्षण मामला सहित कई और शामिल हैं।
एनआईए के अलावा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी कई मामलों में पीएफआई की जांच कर रही है, जिनमें नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में हुए हंगामे में इसकी भूमिका, नॉर्थ ईस्ट दिल्ली दंगों में इसकी भूमिका और साल 2018 में हुआ विदेश्ी फंडिंग घोटाला भी शामिल है।
ईडी पीएफआई और भीम आर्मी के बीच कथित संबंधों और उत्तर भारत में दलित हिंसा के लिए वित्तपोषण में उसकी भूमिका की भी जांच कर रही है।
ईडी ने हाल ही में धनशोधन मामले में नौ राज्यों में पीएफआई के 26 परिसरों पर छापे मारे, जिनमें पीएफआई के चेयरमैन ओएम अब्दुल सलाम और उसके केरल प्रदेश अध्यक्ष नसरूद्दीन एलामारोम के ठिकानों पर की गई छापेमारी भी शामिल रही।
इसके अलावा, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, केरल सहित विभिन्न राज्यों की राज्य पुलिस भी इस वक्त पीएफआई और उससे संबंधित संगठनों के खिलाफ सैकड़ों मामलों की जांच कर रही है। इन मामलों में से कई में अभी तक चार्जशीट दाखिल किया जाना बाकी है।
बेंगलुरू हिंसा मामले में एनआईए के द्वारा हाल ही में पीएफआई और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के 17 सदस्यों की गिरफ्तारी की गई है। (आईएएनएस)
गुवाहाटी, 20 जनवरी| असम में आगामी विधानसभा चुनाव के होने की संभावना अप्रैल-मई में जताई जा रही है। इस चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा के गठंबधन को मात देने के लिए कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को पांच पार्टियों के साथ मिलकर एक महागठबंधन का ऐलान किया है। इस महागठबंधन का ऐलान करते हुए असम में कांग्रेस के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा कि उनकी पार्टी ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), तीन लेफ्ट पार्टी - कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया-मार्क्सवादी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) और आंचलिक गण मोर्चा (एजीएम) के साथ गठबंधन कर चुनाव में हिस्सा लेगी।
उन्होंने कहा कि राज्य में से भारतीय जनता पार्टी को बाहर निकालने के लिए क्षेत्रीय पार्टियों का महागठबंधन में स्वागत है।
उन्होंने आगे कहा, "देश के हित लिए कांग्रेस हमेशा से ही सांप्रदायिक ताकतों को बाहर करने की इछुक रही है। लोग अब भाजपा को वोट देने के लिए तैयार ही नहीं है क्योंकि इसके कुशासन ने लोगों को बहुत तंग किया है और लोग इनसे काफी निराश हैं।"
एआईयूडीएफ के महासचिव अमीनुल इस्लाम ने कहा कि असम के लिए महागठबंधन काफी अच्छा है क्योंकि यही लोगों की इच्छा और आकांक्षाओं को पूरा करेगा।
आंचलिक गण मोर्चा (एजीएम) के अध्यक्ष और राज्य सभा सदस्य अजीत कुमार भूइया ने महागठबंधन के गठन को एक एतिहासिक क्षण बताया। उन्होंने कहा कि ये गठबंधन भाजपा को हराने में जरूर कामयाब होगा।
हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक और बिहार के विधायक शकील अहमद खान को असम में चुनाव प्रचार की कमान सौंपी है। बघेल और दूसरे कांग्रेस नेताओं ने असम में कई दौर की बातचीत की जिसके बाद महगठबंधन की घोषणा की गई। (आईएएनएस)
गोंडा (उप्र), 20 जनवरी| उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में एक आयुर्वेदिक डॉक्टर के 21 साल के बेटे का कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया है। अपहरणकर्ताओं ने 22 जनवरी तक 70 लाख रुपये की फिरौती की मांग की है। पैसे नहीं मिलने पर हत्या की धमकी दी है।
गोंडा के पुलिस अधीक्षक शैलेश पांडे के मुताबिक, गौरव हलधर गोंडा के हरिपुर इलाके में एक निजी कॉलेज से बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिकल एंड सर्जरी (बीएएमएस) कर रहा है और कैंपस हॉस्टल में रह रहा था, जब उसका अपहरण कर लिया गया।
अपहरणकर्ताओं को पकड़ने के लिए 6 टीमों का गठन किया गया है, जबकि कॉलेज के पास लगे सीसीटीवी को पुलिस स्कैन कर रही है।
गौरव के पिता निखिल हलधर बहराइच में एक आयुर्वेदिक चिकित्सक हैं।
हलधर ने अपनी एफआईआर में कहा कि उन्होंने आखिरी बार अपने बेटे से सोमवार दोपहर को बात की थी।
मंगलवार सुबह, हलधर ने सोचा कि गौरव कॉलेज परिसर में कक्षाओं में भाग लेगा। हालांकि, मंगलवार शाम को, हल्दर को एक अज्ञात नंबर से कॉल आया, जिसने अपने बेटे को रिहा करने के लिए 70 लाख रुपये की फिरौती मांगी।
लड़के के पिता ने मंगलवार शाम पुलिस को फिरौती के बारे में सूचना दी।
इस बीच, पुलिस सूत्रों ने बताया कि गौरव के आखिरी मोबाइल फोन की लोकेशन सोमवार शाम को लखनऊ रोड पर थी। तब से उसका फोन स्विच ऑफ है।
उसके एक सहपाठी ने कहा कि गौरव सोमवार दोपहर को कैंपस से निकला था। उसके पास किसी लड़की का फोन आया था। (आईएएनएस)
लखनऊ, 20 जनवरी | उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को खेत से लेकर खलिहान तक और बीज से लेकर बाजार तक आत्मनिर्भर बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। किसानों को सिखाया जाएगा कि वह किस प्रकार से उद्यमी बन सकते हैं और अपनी उपज को उत्पाद बनाकर कैसे बाजार में बेच सकते हैं।
मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर फार्मर प्रोड्यूसर आर्गनाईजेशन (एफपीओ) की क्रियान्वयन नियमावली जारी कर दी गई है। सरकार की पहल पर प्रदेश का यह पहला मौका है, जब 17 विभाग मिशन मोड में एक साथ किसानों के लिए कार्य करेंगे। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डालर के रूप में स्थापित करने में 'उत्तर प्रदेश कृषक उत्पादक संगठन नीति 2020' महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसकी मूल अवधारणा प्रदेश के हर किसान परिवार को उद्यमी के रूप में संगठित कर खेती बाड़ी में स्थापित करते हुए पूरा आत्मनिर्भर बनाना है।
नीति में एफपीओ के गठन के लिए कम से कम 10 किसान अलग-अलग परिवारों के होने चाहिए। इसके बाद रजिस्ट्रेशन और उससे संबंधित पहले साल की विधिक कार्यवाही पूरी करने के लिए करीब 36,500 रुपए का खर्च संभावित है। एफपीओ के रजिस्ट्रेशन के लिए राज्य स्तर पर कंपनी सेक्रेटरी का एक पैनल बनाया जाएगा, जो एफपीओ के प्रशासनिक, वित्तीय, वैधानिक उत्तरदायित्वों के निर्वहन में आ रही कठिनाईयों को दूर करने में सहयोग करेगा। इसमें चयनित कंपनी सेक्रेटरी के विभिन्न कार्यों के लिए फीस निर्धारित की जाएगी, जिनके माध्यम से इच्छुक एफपीओ अपना पंजीकरण करा सकेंगे।
एफपीओ को क्रियाशील बनाने और शेयर होल्डर्स की संख्या बढ़ाने में राज्यस्तरीय परियोजना प्रबंधन ईकाई की ओर से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाएगी। इसके लिए विभिन्न विशेषज्ञों की भर्ती प्रक्रिया, योग्यता, उनके कर्तव्य और उत्तरदायित्व निर्धारित किए गए हैं। इन विशेषज्ञों की ओर से विभिन्न विभागों से समन्वय कर उनके द्वारा संचालित परियोजनाओं से कन्वर्जेंस सपोर्ट दिया जाएगा। इससे एफपीओ के व्यवसायिक कार्य शुरू हो जाएंगे।
नई नीति में राज्य स्तरीय परियोजना प्रबंधन ईकाई की ओर से सफल एफपीओ को राष्ट्रीय स्तर पर भ्रमण भी कराया जाएगा। इसी तरह अंतर जनपदीय भ्रमण साल में दो बार, अंतरराज्यीय भ्रमण साल में एक बार कराया जाएगा। विशेष परिस्थितियों में सहभागिता आधार पर भ्रमण कार्यक्रमों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा मानिटरिंग रिपोर्ट के आधार पर सफल एफपीओ को प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार भी दिए जाएंगे।
एफपीओ को कन्वर्जेंस सहायता देने वाले 17 विभागों को चिह्न्ति किया गया है। इसमें कृषि विभाग, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, पशुधन विभाग, ग्राम्य विकास समेत अन्य विभागों को शामिल किया गया है।
नीति के मुताबिक एफपीओ को पांच लाख रुपए तक के लोन पर ब्याज दर में से चार प्रतिशत का अनुदान देने की भी योजना है। एफपीओ से जुड़ी हर जानकारी के लिए एक पोर्टल भी बनाया जाएगा, जिस पर एफपीओ से जुड़ी सभी प्रकार की सूचनाएं उपलब्ध रहेंगीं।
प्रदेश में कृषि और उससे संबंधित क्षेत्र में बढ़िया काम करने वाले अग्रणी किसानों की एक एफपीओ सलाहकार समिति भी बनाई जाएगी। इसमें धान, दलहन, तिलहन, सब्जी, फल, पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, मत्स्य, रेशम, पुष्पोत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन, विपणन आदि क्षेत्र के अग्रणी किसानों को सदस्य के रूप में नामित किया जाएगा।
एफपीओ के सफल क्रियान्वयन के लिए किसानों से लेकर अधिकारियों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए राज्य स्तरीय ईकाईयों की ओर से एक प्रशिक्षण कैलेंडर तैयार होगा। जिसके क्रम में कृषि विभाग के मंडल, जिले और खंड विकास स्तरीय अधिकारियों का अलग अलग बैचों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। राज्य स्तर पर कृषि उत्पादन आयुक्त को अध्यक्ष, मंडल स्तर पर कमिश्नर को अध्यक्ष और जिले स्तर पर डीएम को अध्यक्ष बनाया गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 जनवरी | एक फरवरी को पेश होने वाले बजट से पहले मोदी सरकार सभी दलों से विचार-विमर्श करेगी। केंद्र सरकार ने 30 जनवरी को वीडियो कांफ्रेंसिंग से होने वाली सर्वदलीय बैठक में सभी राजनीतिक दलों के दोनों सदनों के नेताओं को आमंत्रित किया है। कोरोना से जुड़ी सभी सतर्कता के बीच बजट सत्र दो टुकड़ों में आयोजित होगा। संसद के बजट सत्र का पहला चरण 29 जनवरी से 15 फरवरी तक चलेगा तो दूसरा भाग आठ मार्च से आठ अप्रैल तक आयोजित होगा। सूत्रों का कहना है कि इसी दिन एनडीए की भी बैठक होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली इस सर्वदलीय बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, राज्यसभा में नेता थावरचंद गहलोत, उपनेता पीयूष गोयल, संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी, अर्जुन राम मेघवाल और वी. मुरलीधरन सरकार की तरफ से भाग लेंगे। इस बैठक में सभी राजनीतिक दलों के दोनों सदनों के नेता भी हिस्सा लेंगे। साढ़े 11 बजे से बुलाई गई यह बैठक वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से होगी।
29 जनवरी से प्रारंभ होने जा रहे बजट सत्र में फिर से एक घंटे का प्रश्न काल बहाल कर दिया गया है। जबकि कोरोना काल में सितंबर में हुए मानसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल को स्थगित कर दिया गया था। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया था कि बजट सत्र के दौरान संसद आने वाले सांसदों का कोरोना टेस्ट अनिवार्य होगा।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 20 जनवरी | देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों के प्रदर्शन का बुधवार को 56वां दिन है। आंदोलनरत किसान केंद्र सरकार के नये कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। इन दोनों मांगों को लेकर किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे यूनियनों के नेताओं की आज (बुधवार) को सरकार के साथ 10वें दौर की वार्ता होगी। यहां विज्ञान भवन में दोपहर दो बजे से शुरू होने वाली इस बैठक में मंत्री समूह के साथ वार्ता के लिए उन सभी संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद होंगे जो पिछली वार्ता में रहे हैं। पंजाब के किसान नेता कृपा सिंह ने बताया कि सरकार के साथ आज होने वाली वार्ता में भी किसानों की वही मांगें होंगी जो पिछली बैठकों में रही हैं। उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग प्रमुख है और किसान के प्रतिनिधि पहले इस पर ही चर्चा करना चाहेंगे।
पंजाब के ही किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लाखोवाल ने कहा, पिछली वार्ता में भी सरकार से एमएसपी पर चर्चा करने का आग्रह किया गया था और इस बैठक में भी हम इस पर चर्चा की उम्मीद करते हैं।
उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में सहयोग करने वालों को केंद्रीय एजेंसी एनआईए (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) द्वारा परेशान करने का मसला पिछली वार्ता में सरकार के सामने रखा गया था, इस पर भी चर्चा होगी।
केंद्र सरकार के साथ 10वें दौर की वार्ता से पहले आंदोलन की रहनुमाई करने वाले किसान नेता गुरुनाम सिंह चढ़ूनी और शिव कुमार शर्मा कक्काजी के बीच मतभेद उभरकर सामने आने के संबंध में पूछे गए सवाल पर हरिंदर सिंह ने कहा कि अब दोनों में एका हो गई है।
उन्होंने कहा कि आंदोलन की अगुवाई करने वाले सभी किसान यूनियन व संगठन एकजुट हैं और जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होगी तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।
उधर, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान यूनियनों से नये कृषि कानूनों पर क्लॉज वाइज चर्चा करने का आग्रह किया है। इस संबंध में पूछे गए सवाल पर किसान नेताओं ने कहा कि इतने दिनों से यही चर्चा होती आ रही है और अब बहुत चर्चा हो चुकी है, इसलिए अब वे मुख्य मांग पर चर्चा करना चाहेंगे।
केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने और एमएसपी पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर 2020 से किसान जमे हुए हैं।
उधर, इन कानूनों पर विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के सदस्यों की मंगलवार को यहां पहली बैठक हुई।
इस बीच किसानों के आंदोलन और नये कृषि कानूनों से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है और नये कृषि कानूनों पर किसानों की आपत्तियों का समाधान करने के लिए शीर्ष अदालत ने विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन कर दिया है। इस कमेटी के एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान के अलग होने के बाद अब इसमें तीन सदस्य हैं।
कमेटी को किसानों, किसान संगठनों व यूनियनों और अन्य हितधारकों के साथ बातचीत कर दो महीने के भीतर अपनी सिफारिशें देनी हैं।
--आईएएनएस
नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पाल ने कहा है कि कोरोना की वैक्सीन सुरक्षित है और इसे लेकर लोगों के मन में कोई शंका नहीं होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि आंकड़ों में ये बात स्पष्ट हुई है कि कोरोना वैक्सीन सुरक्षित है.
बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि “कोरोना महामारी ख़त्म हो इसके लिए ये ज़रूरी है कि वैक्सीन को लेकर हिचक ख़त्म हो क्योंकि वैक्सीन लगवाना ही महामारी जल्द ख़त्म करने का रास्ता है.”
डॉक्टर वीके पाल ने कहा ”मैंने खुद भारत बायोटेक की कोवैक्सीन लगवाई है. मुझमें इसका कोई साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला है. हो सकता है कि सभी में ऐसा न हो लेकिन आपको डेटा देखना चाहिए. डेटा बताते हैं कि कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों ही सुरक्षित हैं.”
उन्होंने कहा, “पूरी दुनिया वैक्सीन पाने की कोशिश में है. अगर हम अब भी इसे अपनाएंगे नहीं तो ये दुखद होगा. मैं सभी स्वास्थ्यकर्मियों से अपील करूंगा कि वो इसका समर्थन करें. कोविड-19 के अलावा दूसरी स्वास्थ्य सेवाएं हमें शुरू करनी हैं और जिन्हें कोरोना वैक्सीन मिल रही है उन्हें इसे लगवाना चाहिए.”
वहीं स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि स्वास्थय मंत्रालय विस्तृत तरीके से साइड इफेक्ट के बारे में रोज़ाना डेटा इकट्ठा कर रहा है.
उन्होंने कहा, "हमें इस सोच को ख़त्म करना होगा एडवर्स इफ़ेक्ट फ़ॉलोइंग इम्यूनाइज़ेशनका मतलब किसी का बेहोश हो जाना या फिर उसका अस्पताल में भर्ती कराना होता है. वैक्सीन लगवाने के बाद किसी व्यक्ति का चिंतित होने या परेशान होने को भी साइड इफेक्ट के तौर पर दर्ज किया जाता है, और हो सकता है कि ये दस-पंद्रह मिनट में या एक कप चाय के बाद ख़त्म हो जाए.“
इसी सप्ताह भारत सरकार ने फ्रंट लाइन वर्कर्स को कोरोना की वैक्सीन लगाने को लेकर बड़ा अभियान शुरू किया है. लेकिन इसे लेकर फ्रंट लाइन वर्कर्स में एक हिचक देखने को मिल रही है. ये बात आँकड़ों से भी साबित होती है. भारत सरकार, वैक्सीन लगाने के अपने लक्ष्य से 20-30 फ़ीसदी पीछे चल रही है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 16 जनवरी को शुरू किए टीकीकरण अभियान के चौथे दिन शाम के छह बजे तक देश में 6,31,417 स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना की वैक्सीन दी जा चुकी है.
मंत्रालय के अनुसार वैक्सीन लगवाने के बाद अब तक एडवर्स इफ़ेक्ट फ़ॉलोइंग इम्यूनाइज़ेशन (AEFI) के 9 ऐसे मामले दर्ज किए गए हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है. (bbc)
नई दिल्ली, 20 जनवरी | नए कृषि कानून पर सरकार के साथ 10वें दौर की वार्ता से एक दिन पहले मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा की समन्वय समिति ने किसान नेता गुरुनाम सिंह चढ़ूनी और शिव कुमार शर्मा कक्काजी के बीच एका बनाने की कोशिश की। करीब दो महीने से देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के दौरान किसान नेताओं के बीच मतभेद तब उभरकर आया जब गुरुनाम सिंह चढ़ूनी और शिव कुमार शर्मा कक्काजी ने एक दूसरे के खिलाफ टिप्पणियां करने लगे। केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लाए गए तीन कृषि कानूनों पर किसान संगठनों के साथ सरकार की ओर से मंत्री समूह की बैठक बुधवार को विज्ञान भवन दोपहर दो बजे होगी। पहले यह बैठक 19 जनवरी 2021 होने वाली थी, लेकिन अपरिहार्य कारणों से सरकार ने बैठक की तारीख एक दिन बढ़ा दी। आंदोलन की रहनुमाई करने वाले किसान नेताओं के साथ सरकार की यह 10वें दौर की वार्ता होगी।
सयुंक्त किसान मोर्चा ने उम्मीद जताई कि सरकार के साथ कल की वार्ता में सरकार किसानों की मांगों पर सहमत होगी।
संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि मोर्चा की समन्वय समिति ने शिव कुमार शर्मा कक्काजी के एक अखबार में छपे उस बयान के बारे में चर्चा की जिसमें उन्होंने गुरनाम सिंह चढ़ूनी के बारे में टिप्पणी की थी।
बयान के अनुसार, शिव कुमार कक्काजी ने समिति के सामने स्वीकार किया कि उनकी टिप्पणियां अनुचित थीं। यह एहसास करते हुए उन्होंने गुरनाम सिंह चढूनी के खिलाफ अपने सभी आरोप वापस ले लिए हैं। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन का हित सर्वोपरि है।
मोर्चा ने बयान में कहा, "कक्काजी जी ने यह स्पष्ट किया कि वह कभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य नहीं रहे हैं। वह भारतीय किसान संघ से जुड़े रहे थे, लेकिन वर्ष 2012 में उनका निष्कासन कर भाजपा सरकार द्वारा उनको जेल में डाल दिया गया था। तब से उनका भारतीय किसान संघ से भी कोई संबंध नहीं है।"
उनके स्पष्टीकरण का स्वागत करते हुए समिति ने इस मामले को समाप्त करने का फैसला लिया और सभी आंदोलनकारियों से प्रार्थना की कि वे एक दूसरे पर किसी भी आरोप प्रत्यारोप से परहेज करें। गुरुनाम सिंह हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि 26 जनवरी को 'किसान गणतंत्र दिवस परेड' के आयोजन के लिए दिल्ली पुलिस के साथ बातचीत चल रही है।
--आईएएनएस
जम्मू, 20 जनवरी | जम्मू और कश्मीर के जम्मू जिले में स्थित नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर तीन घुसपैठियों को मार गिराया गया है, जबकि सेना के चार जवान घायल हो गए हैं। रात को हुई इस घटना में सेना ने घुसपैठियों की कोशिश को नाकाम कर दिया है। अधिकारियों ने बुधवार को इसकी जानकारी दी है।
रक्षा सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तानी सेना की ओर से आतंकियों की घुसपैठ को आसान बनाने के लिए मंगलवार शाम को एलओसी के अखनूर सेक्टर के खौर इलाके में जमकर गोलीबारी की गई।
एक सूत्र ने बताया, "पाकिस्तानी सेना की ओर से हुई गोलीबारी में सेना के चार जवान घायल हो गए हैं और भारत की ओर से इस पर की गई जवाबी कार्रवाई में तीन आतंकी मारे गए हैं और कुछ इस तरह से घुसपैठियों की कोशिश को नाकाम कर दिया गया है।"
सूत्र ने आगे बताया, "मारे गए आतंकियों के शव पाकिस्तान की तरफ नियंत्रण रेखा पर पड़े हुए हैं, जिन्हें अब तक पाकिस्तानी सैनिकों ने नहीं उठाया है।"
यह साल 2021 में पाकिस्तान की ओर से एलओसी पर किया गया सबसे पहला बड़ा युद्धविराम उल्लंघन है।
--आईएएनएस
बिज़नेस स्टैंडर्ड में छपी की एक ख़बर के अनुसार भारत सरकार ने वॉट्सऐप से कहा है कि प्रस्तावित प्राइवेसी पॉलिसी मंज़ूर नहीं है. सरकार ने कहा है कि वॉट्सऐप की प्रस्तावित प्राइवेसी पॉलिसी से भारतीय यूज़र्स की निजता का हनन और सुरक्षा जोख़िम को देखते हुए इसे मंज़ूर नहीं किया जा सकता.
अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार प्राइवेसी पॉलिसी में वॉट्सऐप की भेदभावपूर्ण नीति को लेकर भी सरकार ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है.
टेलिकॉम मंत्रालय ने वॉट्सऐप के सीईओ को पत्र लिख इस संबंध में कई सवाल पूछे हैं और सात दिनों के भीतर उनके जवाब मांगे हैं. इनमें भारतीय यूज़र्स का डेटा किस सर्वर में रखा जाता है और क्या व्हाट्सऐप यूज़र्स की जानकारी किसी और ऐप या कंपनी के किसी और यूनिट के साथ साझा करता है, जैसे सवाल शामिल हैं.
आगामी आठ फ़रवरी से वॉट्सऐप ने भारत में अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी लागू करने की बात कही थी लेकिन व्यापक विरोध को देखते हुए इसे 15 मई तक के लिए टाल दिया गया है.
टेलिकॉम मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट कर कहा कि वॉट्सऐप हो या फ़ेसबुक या फिर कोई और इंटरनेट मीडिया, वो भारत में कारोबार कर सकते हैं लेकिन भारतीयों के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए. (BBC)
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश जस्टिस शरद ए बोबड़े ने मंगलवार को एक सुनवाई के दौरान कहा कि कमिटियों के गठन को लेकर लोगों की समझ अजीब है. अग्रेज़ी अख़बार 'द हिन्दू' ने इस ख़बर को प्रमुखता से प्रकाशित किया है.
जस्टिस बोबडे ने कहा, "एक विषय को लेकर किसी व्यक्ति की पहले की राय को आधार बनाकर किसी ख़ास मुद्दे की जाँच के लिए बनी कमिटी का हिस्सा बनने से उसे अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता. किसी ख़ास विषय पर किसी व्यक्ति का विचार उसके पक्षपाती होने का प्रमाण नहीं है."
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "क़ानून की समझ को लेकर यहाँ कन्फ़्यूजन है. कमिटी का हिस्सा बनने से पहले किसी व्यक्ति की अपनी एक राय हो सकती है, लेकिन उसकी राय बदल भी सकती है... हम ये तर्क नहीं दे सकते कि कमिटी का हिस्सा ऐसा एक सदस्य नहीं हो सकता है."
12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार के बीच बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए एक कमिटी का गठन किया था. इस कमिटी के सदस्यों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की आलोचना हो रही है. सोशल मीडिया पर भी सुप्रीम कोर्ट ने कमिटी में जिन लोगों को रखा है उसे लेकर जमकर आलोचना हो रही है.
चार सदस्यों वाली इस कमिटी से भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने ख़ुद को अलग कर लिया था. इस कमिटी को अदालत ने सरकार और किसानों के बीच वार्ता की ज़िम्मेदारी दी है और दो महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है. हालाँकि जस्टिस बोबड़े ने सुनवाई की दौरान इस कमिटी का नाम लिए बिना ये बातें कही हैं.
विवादित कृषि क़ानूनों को लेकर जारी गतिरोध को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त कमिटी ने राज्य सरकारों और स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड्स के साथ किसान यूनियनों और कॉपरेटिव से मिलने का फ़ैसला किया है. यह मुलाक़ात 21 जनवरी से शुरू होगी.
दूसरी तरफ़ गणतंत्र दिवस पर किसान यूनियनों की ट्रैक्टर परेड को लेकर सिंघु बॉर्डर पर किसान नेताओं और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के बीच बातचीत हुई है. इसी मामले की सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट में होनी है. आज केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच 10वें चरण की बात भी होनी है. यह वार्ता मंगलवार को ही होनी थी लेकिन कृषि मंत्रालय ने टाल दिया था. (बीबीसी)
प्रयागराज, 20 जनवरी | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप पर एक निर्णय सुनाते हुए कहा कि शादीशुदा होते हुए गैर पुरुष के साथ पति-पत्नी की तरह रहना लिव इन रिलेशन नहीं है, बल्कि यह अपराध की श्रेणी में आता है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी व न्यायमूर्ति डॉ. वाईके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने हाथरस जिले के ससनी थाना क्षेत्र की निवासी आशा देवी व अरविंद की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। याची आशा देवी का विवाह महेश चंद्र के साथ हुआ है। दोनों के बीच तलाक नहीं हुआ है। लेकिन, याची अपने पति से अलग दूसरे पुरुष के साथ पति-पत्नी की तरह रहती है।
याची आशा देवी महेश चंद्र की विवाहिता पत्नी है। दोनों के बीच तलाक नहीं हुआ है। लेकिन याची अपने पति से अलग अरविंद के साथ पत्नी की तरह रहती है। कोर्ट ने कहा कि यह लिव इन रिलेशनशिप नहीं है, वरन दुराचार का अपराध है, जिसके लिए पुरुष अपराधी है।
याची का कहना था कि वह दोनों लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं। उनके परिवार वालों से सुरक्षा प्रदान की जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि शादीशुदा महिला के साथ धर्म परिवर्तन कर लिव इन रिलेशनशिप में रहना भी अपराध है। अवैध संबंध बनाने वाला पुरुष अपराधी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि परमादेश विधिक अधिकारों को लागू करने या संरक्षण देने के लिए जारी किया जा सकता है, किसी अपराधी को संरक्षण देने के लिए नहीं। यदि अपराधी को सुरक्षा देने का आदेश दिया गया है तो यह अपराध को संरक्षण देना होगा। कानून के खिलाफ कोर्ट अपनी अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकता।
जो पुरुष किसी विवाहित महिला के साथ लिव रिलेशन में रह रहा है, वह भारतीय दंड संहिता के 494 (पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह करना) और 495 (पहले से किए गए विवाह को छिपाकर दूसरा विवाह करना) के तहत दोषी होगा। इसी प्रकार से धर्म परिवर्तन करके शादीशुदा के साथ रहना भी अपराध है।
कोर्ट ने कहा कि परमादेश विधिक अधिकारों को लागू करने या संरक्षण देने के लिए जारी किया जा सकता है। किसी अपराधी को संरक्षण देने के लिए नहीं। यदि अपराधी को संरक्षण देने का आदेश दिया गया तो यह अपराध को संरक्षण देना होगा।
कानून के खिलाफ कोर्ट अपनी अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी तथा न्यायमूर्ति डॉ. वाई के श्रीवास्तव की खंडपीठ ने हाथरस, सासनी थाना क्षेत्र की महिला और उसके साथ रह रहे व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 20 जनवरी | कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को किसानों के आंदोलन को लेकर केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस की ओर से बनाई गई भारत की छवि को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नष्ट किया जा रहा है। तीन कृषि कानूनों पर पिछले 54 दिनों से राष्ट्रीय राजधानी की कई सीमाओं पर किसानों के विरोध प्रदर्शन पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि एक त्रासदी सामने आ रही है और गतिरोध को समाप्त करने का एकमात्र उपाय तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करना है।
पार्टी मुख्यालय में यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, राहुल गांधी ने कहा, हम फिलहाल हंसी का पात्र बन चुके हैं। हम युवाओं को रोजगार देने में असमर्थ हैं। किसान बाहर ठंड में विरोध कर रहे हैं। मुझे नहीं पता कि मोदी जी को क्यों लगता है कि यह गर्व करने लायक है।
उन्होंने कहा, यह शर्म की बात है। पूरी दुनिया देख रही है और पूछ रही है कि लाखों किसान दिल्ली के बाहर क्यों बैठे हैं। मोदी भारत की उस छवि को नष्ट कर रहे हैं, जो कांग्रेस और महात्मा गांधी ने धीरे-धीरे और निरंतरता के साथ बनाई थी।
राहुल ने कहा, यही वास्तविकता है। उन्होंने कहा कि इसका एकमात्र समाधान यही है कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए।
उन्होंने सरकार पर तीन कृषि कानूनों को लागू करके भारतीय कृषि को नष्ट करने का भी आरोप लगाया।
राहुल गांधी ने इस दौरान तीन कृषि कानूनों पर 'खेत का खून' शीर्षक से एक पुस्तिका (बुकलेट) भी लॉन्च की।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि वह साफ छवि वाले व्यक्ति हैं, इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं डरते। उनके साथ कोई रहे या न रहे, फिर भी वह अकेले ही लड़ते रहेंगे।
पार्टी मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए राहुल ने मोदी सरकार के खिलाफ काफी मुखर नजर आए।
राहुल गांधी ने कहा, ह्यह्यमेरा एक चरित्र है। मैं मोदी या किसी से डरता नहीं हूं। मैं एक साफ-सुथरा व्यक्ति हूं और वे मुझे तक नहीं सकते। हां, वे मुझे गोली मार सकते हैं। मगर मैं एक देशभक्त हूं और मैं अपने देश के हित के लिए लड़ रहा हूं। अगर हर कोई दूसरी तरफ जाकर खड़ा हो जाएगा, तब भी मैं अकेला ही खड़ा रहूंगा और संघर्ष करूंगा, क्योंकि यही मेरा धर्म है।
राहुल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रमुख जे.पी. नड्डा की टिप्पणी पर भी कटाक्ष किया।
उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान भी कांग्रेस भट्टा पारसौल में किसानों के साथ खड़ी थी। उन्होंने कहा, "नड्डा न तो वहां गए थे और न ही भाजपा किसानों के साथ खड़ी थी।"
केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए राहुल गांधी ने कहा कि नए तीनों कृषि कानून भारतीय कृषि प्रणाली को नष्ट करने के लिए बनाए गए हैं।
उन्होंने कहा, "एक बहुत बड़ी त्रासदी सामने आई है और मैं सिर्फ किसानों के बारे में बात नहीं कर रहा हूं, क्योंकि केवल यही नहीं हो रहा है। इस देश में विश्वास रखने वाले युवाओं को भी ध्यान से सुनने की जरूरत है।"
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ये तीनों कृषि कानून देश को खत्म कर देंगे। सरकार को तीनों कानून वापस लेने होंगे।
उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि आज तक खेती पर मेहनतकश किसानों का पूरी तरह एकाधिकार नहीं हुआ, मगर यह अब चार-पांच बड़े अमीरों के हाथों में खेती का पूरा ढांचा ही देने जा रही है। राहुल ने कहा कि हर इंडस्ट्री में चार-पांच लोगों का एकाधिकार बढ़ रहा है, मतलब ये कि जो चार-पांच लोग हैं, इस देश के यही नए मालिक हैं।
उन्होंने कहा कि सिर्फ चार-पांच लोग ही देश को चलाएंगे और सारा कोरोबार वही करेंगे। राहुल ने कहा कि जब सिर्फ चार-पांच उद्योगपतियों के हाथों सबकुछ सौंपा जा रहा है, तब आने वाले दिनों में मध्यम वर्ग को बहुत तकलीफ होने वाली है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि पंजाब और हरियाणा के किसान देश के 65 करोड़ किसानों की ओर से लड़ रहे हैं।
राहुल ने कहा, "वे सच्चे देशभक्त हैं, जो 65 करोड़ लोगों की आजीविका की रक्षा कर रहे हैं। मैं उनका समर्थन करता हूं। वे हमारे लिए लड़ रहे हैं।"
चीन की घुसपैठ के बारे में एक सवाल के जवाब में, राहुल गांधी ने कहा, "चीन भारत की कमजोरी को नोटिस कर रहा है। चीन के पास रणनीतिक ²ष्टि है, क्योंकि वह पूरी दुनिया को अपनी तरह का आकार देना चाहता है। चीन ने भारत का दो बार टेस्ट लिया है। अगर भारत चीन के खिलाफ रणनीति नहीं बनाएगा तो वह इसका लाभ उठाएगा और उस समय इस क्षति को कोई भी रोक नहीं पाएगा।"
उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा का काम ठीक से नहीं हो रहा है।
राहुल ने इस बात पर भी जोर दिया कि जो कोई भी सरकार के खिलाफ बोलता है तो उसे राष्ट्रद्रोही या अपराधी ठहरा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि यह किस तरह का लोकतंत्र है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 20 जनवरी | पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कथित राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल होने को लेकर उत्तर प्रदेश, कर्नाटका और केरल से उभरते सबूतों के आलोक में प्रमुख मुस्लिम संगठन सूफी इस्लामिक बोर्ड ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से नए सिरे से अपील की है कि वह इस समूह पर प्राथमिकता के आधार पर प्रतिबंध लगाए। सूफी बोर्ड के गुजरात विंग के प्रमुख सैयद खालिद मियां नकवी उल हुसैनी ने आईएएनएस को बताया, "हमने सरकार से अनुरोध किया है कि वह हमारे देश के हितों के खिलाफ काम करने वाले संगठनों के साथ तुर्की में पीएफआई के नए संपर्कों का संज्ञान ले। इस तरह के लिंक हमें परेशान करते हैं।"
तुर्की के विवादास्पद संगठन आईएचएच (इंसान हक वे हुर्रियतलेरी) के नेताओं के साथ पीएफआई सदस्यों की कथित बैठक पर सूफी बोर्ड के पदाधिकारी ने कहा कि भारतीय एजेंसियों को ऐसे रिश्तों की गहराई से जांच करने की जरूरत है, ताकि भारत में सद्भाव भंग न हो सके।
गुजरात के मेहसाणा की मशहूर दरगाह के पीयर सैयद खालिद मियां ने कहा, गृह मंत्रालय को तेजी से आगे बढ़ना चाहिए और इस संगठन पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आईएचएच आईएसआईएस जैसे चरमपंथी संगठनों से जुड़ा हुआ है। इसलिए आईएचएच के साथ पीएफआई कार्यकर्ताओं के लिंक यदि हैं, तो यह हमारे देश की सुरक्षा पर गंभीर खतरा हो सकता है।
कुछ पीएफआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी की हालिया जांच से आतंकी संगठनों के साथ उनकी गहरी जड़ें का पता चलता है।
पीएफआई के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले की जांच करते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने हाल ही में केरल के कोच्चि की एक अदालत को खुलासा किया कि पीएफआई के छात्र विंग नेता केए रऊफ शरीफ को संदिग्ध विदेशी खातों से भारी मात्रा में जानकारी मिली। ईडी ने अपनी रिमांड रिपोर्ट में कहा है कि शरीफ ने चार लोगों को उत्तर प्रदेश के हाथरस की यात्रा के लिए वित्त पोषित किया था, जहां कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार के बाद एक दलित महिला की मौत हो गई। सभी चार लोगों को यूपी पुलिस ने पिछले साल अक्टूबर में सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने और दंगे भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
कर्नाटक पुलिस को 2020 की शुरुआत में बेंगलुरु दंगों में पीएफआई के खिलाफ प्राथमिक सबूत भी मिले थे।
सीएए विरोधी हलचल और दिल्ली दंगों के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा में पीएफआई की कथित भूमिका पर सैयद खालिद मियां ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने दंगों की फंडिंग के मामले में इस्लामिक संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया था।
उन्होंने कहा, पुलिस अपना काम कर रही है लेकिन हम पीएफआई के झूठे प्रचार को लेकर चिंतित हैं। वे उन लोगों के इशारे पर मुस्लिम युवाओं को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं जो राष्ट्र के खिलाफ हैं। हम सभी शांति चाहते हैं और इसलिए सूफी बोर्ड ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने का अभियान शुरू किया है। इसका उद्देश्य सांप्रदायिक सौहार्द सुनिश्चित करना है।
पीएफआई के खिलाफ अदालतों में हिंसा, आतंकी गतिविधियों और मनी लॉन्ड्रिंग के एक दर्जन से अधिक मामलों का विरोध किया जा रहा है, वहीं संगठन का कहना है कि भारत के उत्तर या दक्षिणी हिस्से में हुए दंगों में उसकी कोई भूमिका नहीं थी, जैसा कि कई कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा चित्रित किया गया है।
पीएफआई के खिलाफ दस्तावेजी सबूतों के आधार पर यूपी सरकार ने पहले विवादास्पद इस्लामिक संगठन पर प्रतिबंध लगाने का कदम उठाया था। इस तरह के गंभीर आरोपों से बेफिक्र पीएफआई संगठन को न्याय, स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लोगों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध एक नव-सामाजिक आंदोलन के रूप में वर्णन करता है। इसमें कई शाखाएं हैं जो समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुंच रखते हैं, जिनमें राष्ट्रीय महिला मोर्चा और कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया शामिल हैं।
--आईएएनएस
तिरुवनंतपुरम, 19 जनवरी| केरल के मलाप्पुरम जिले में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोप में पास्को अधिनियम के तहत 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 30 मामले दर्ज किए गए हैं। लड़की के साथ दो बार पहले भी दुर्व्यवहार किया गया था।
पांडिक्कड़ पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस अधिकारी मोहम्मद हनीफा ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "नाबालिग लड़की के यौन शोषण और हमले के लिए मलाप्पुरम जिले के पांडिक्कड़, करुवरक्कुंडु और वंदूर स्टेशन में कुल 30 मामले दर्ज हैं।"
अधिकारी ने कहा, "16 मामले पांडिक्कड़ में दर्ज कराए गए हैं, 13 करुवरक्कुंडु में, वहीं 1 मामला वंदूर पुलिस स्टेशन में दर्ज कराया गया है। पांडिक्कड़ से 16 और वंदूर से 1 को गिरफ्तार कर लिया गया है।"
17 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता के साथ इससे 4 साल पहले 13 साल की उम्र में दुर्व्यवहार किया गया था, जिसके बाद उसे निर्भया केंद्र में रखा गया था। 2017 में उस बच्ची के साथ एक बार फिर दुष्कर्म किया गया, जब वह अपने रिश्तेदार के यहां रहने लगी थी।
यहां मामला प्रकाश में तब आया जब वह अचानक अपने भाइया-भाभी के यहां से लापता हो गई, जहां वह उनके साथ रह रही थी।
नाबालिग लड़की के पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं, और उसकी मां का कोई अता-पता नहीं है।
मलाप्पुरम चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के चेयरपर्सन शजेश भास्कर ने कहा, "लड़की को फिर से उसके रिश्तेदारों को सौंप दिया गया था, क्योंकि उनमें से किसी के खिलाफ कोई आरोप नहीं था। सभी आरोपी बाहरी थे।"
मामले की जांच पांडिक्कड़, वंदूर और करुवरक्कुंडु पुलिस स्टेशनों के सर्किल इंस्पेक्टरों के साथ पेरिंथलमन्ना डिप्टी एसपी के नेतृत्व में एक पुलिस दल द्वारा की जा रही है। (आईएएनएस)