राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 1 जनवरी| राष्ट्रीय राजधानी के कुछ इलाकों में नया साल दांत किटकिटाने वाली ठंड लेकर आया है। यहां कुछ स्थानों पर पारा 1.1 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है, जो कि इस सीजन में अब तक का सबसे कम तापमान है। भारतीय मौसम विभाग के क्षेत्रीय पूवार्नुमान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव के अनुसार, दिल्ली में सुबह बहुत घना कोहरा होने से ²श्यता सीमा शून्य मीटर पर पहुंच गई। 7 जनवरी के लिए भी ऐसे ही धुंधले मौसम की भविष्यवाणी की गई है।
आईएमडी के अनुसार, इससे पहले शहर ने जनवरी 2006 में सबसे कम 0.2 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया था।
सफदरजंग वेधशाला में शहर का तापममान न्यूनतम 1.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि लोधी रोड में 1.4 डिग्री सेल्सियस, आयानगर में 4 डिग्री सेल्सियस, पालम में 4.1 डिग्री और रिज में 5.2 डिग्री तापमान दर्ज हुआ।
यह दिल्ली के सफदरजंग में पिछले एक दशक में जनवरी की अब तक की सबसे ठंडी सुबह रही। इससे पहले 2013 में 6 जनवरी को 1.9 डिग्री दर्ज किया गया था। यहां अब तक का सबसे कम तापमान 16 जनवरी 1935 में माइनस 0.6 दर्ज किया गया था।
निजी मौसम पूवार्नुमान एजेंसी स्काईमेट वेदर के महेश पलावत ने कहा, "कल (शनिवार) तापमान बढ़ेगा। वहीं 3 से 5 जनवरी के बीच बारिश होने की संभावना है।"
आईएमडी ने शनिवार और रविवार को हल्की बारिश या रिमझिम बारिश के साथ बादल छाए रहने की भविष्यवाणी की है। वहीं 4 जनवरी को आंधी और ओले गिरने की संभावना है, 5 जनवरी को हल्की बारिश होगी और आसमान में बादल छाए रहेंगे। आंकड़ों के अनुसार 5 जनवरी तक पारा 8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा।
उत्तर पश्चिमी मैदानी इलाकों के कई हिस्सों में पिछले 2 दिनों से शून्य या इसके आसपास का न्यूनतम तापमान दर्ज किया जा रहा है।
गुरुवार को हरियाणा के हिसार में माइनस 1.2 डिग्री, जबकि राजस्थान के चुरू में माइनस 1.3 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया।
इस बीच दिल्ली में हवा की गुणवत्ता शुक्रवार को खराब रही और एआईक्यू 411 के साथ यह सीवियर जोन में रहा। वहीं इससे पहले गुरुवार को यह 'बहुत खराब' श्रेणी में था और एआईक्यू 347 था।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) ने कड़ी चेतावनी जारी करते हुए घर के बाहर निकलने के लिए मना किया है। साथ ही असामान्य खांसी, सीने में तकलीफ, घरघराहट, सांस लेने में कठिनाई महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क करने के लिए कहा है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 1 जनवरी| उत्तर प्रदेश के गृह विभाग ने जेल वार्डर के रिक्त पदों भरने के लिए प्रतिनियुक्ति पर प्रांतीय सशस्त्र बल (पीएसी) के 823 जवानों को तैनात किया है। राज्य की 72 जेलों में पीएसी के ये जवान 2 साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर रहेंगे। जेल के डीजी आनंद कुमार ने कहा कि राज्य में 4,600 जेल वार्डरों की कमी है। इन रिक्त पदों को भरने और नई भर्तियों को प्रशिक्षण देने की पूरी प्रक्रिया में 2 साल लगेंगे। साथ ही सरकार ने 3,638 पदों की भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है।
आनंद कुमार ने कहा, "हम पीएसी जवानों को जेलों में तैनात करने से पहले उन्हें उचित प्रशिक्षण देंगे।"
डीजी ने कहा कि जेल विभाग में प्रतिनियुक्ति के लिए चुने गए सभी जवानों से उनकी इच्छा पूछी गई थी और जेल वार्डर के काम के बारे में भी जानकारी दी गई थी।
अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस के भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड ने जेल वार्डर के 3,638 पदों के लिए परीक्षा का आयोजन किया था और पात्रों की जल्द ही भर्ती की जाएगी। जेल विभाग के अधिकारियों ने कहा कि राज्य की जेलों को भी अपग्रेड किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, "राज्य की जेलों में कम से कम 271 जैमर और 2,800 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जिससे अपराधियों द्वारा फोन का इस्तेमाल करने और जेलों के अंदर से अन्य नापाक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए रोका जा सके।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 1 जनवरी | नए साल की पूर्व संध्या पर, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने कुल 1,336 लोगों पर जुर्माना लगाया, जिसमें 26 लोगों पर दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में शराब पीकर गाड़ी चलाने के आरोप में जुर्माना शामिल है। दिल्ली पुलिस के अनुसार, अवैध रूप से पार्क 221 वाहनों को हटाया गया और 174 लोगों को खतरनाक ड्राइविंग के लिए पकड़ा गया। 31 दिसंबर और 1 जनवरी की रात में राष्ट्रीय राजधानी में अनधिकृत पार्किं ग के लिए कुल 706 वाहनों पर जुर्माना लगाया गया था।
संयुक्त आयुक्त पुलिस यातायात, मनीष के. अग्रवाल ने कहा, "मीडिया के अभियान और अपील का बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा और दिल्ली के नागरिकों ने सड़कों पर बहुत संयमित व्यवहार का प्रदर्शन किया। इस वर्ष यातायात जाम और उल्लंघन के कम मामले देखने को मिले।"
एस.एन. श्रीवास्तव, दिल्ली पुलिस आयुक्त ने नए साल की पूर्व संध्या पर सुरक्षा व्यवस्था लागू करने के लिए ठंड में काम करने वाले धौला कुआं पिकेट, चाणक्यपुरी पुलिस स्टेशन में ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारियोंसे उनकी समस्याओं को समझने के लिए बातचीत की।
सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी 31 दिसंबर की रात को अपने-अपने क्षेत्रों में सतर्क थे।
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी में 31 दिसंबर और 1 जनवरी को रात 11 बजे से कर्फ्यू लगाने का आदेश दिया था। कोरोनोवायरस के प्रसार को रोकने के लिए यह फैसला लिया गया। (आईएएनएस)
लखनऊ, 1 जनवरी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को 'लाइट हाउस प्रोजेक्ट' (एलएचपी) का वर्चुअल शिलान्यास किया। इस दौरान मोदी ने कहा कि ये 6 प्रोजेक्ट वाकई लाइट हाउस यानी प्रकाश स्तंभ की तरह हैं। ये 6 प्रोजेक्ट देश में हाउसिंग कंस्ट्रक्शन को नई दिशा दिखाएंगे। इस आयोजन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत अन्य मंत्री अवध विहार के कार्यक्रम स्थल पर मौजूद रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले नव वर्ष की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि आज नई ऊर्जा के साथ और नए संकल्पों को सिद्ध करने के लिए तेज गति से आगे बढ़ने का शुभारंभ है। आज गरीबों के लिए, मध्यम वर्ग के लिए, घर बनाने के लिए नई टेक्नोलॉजी देश को मिल रही है। मोदी ने कहा तकनीकी भाषा में इसे लाइट हाउस प्रोजेक्ट कहते हैं। वास्तव में यह छह प्रोजेक्ट प्रकाश स्तंभ की तरह है। देश में हाउसिंग कंस्ट्रक्शन को नई दिशा दिखाएंगे।
मोदी ने कहा कि, साथियों यह प्रोजेक्ट अब देश के काम करने के तौर तरीकों का एक उत्तम उदाहरण है। हमें इसके पीछे के बड़े विजन को भी समझना होगा। एक समय में आवास योजनाएं केंद्र सरकारों की प्राथमिकताएं में नहीं थी, जितनी होनी चाहिए। सरकार घर निर्माण की बारीकियों और क्वालीटी पर नहीं जाती थी। यह जो बदलाव किए गए हैं, यदि यह बदलाव न होते तो कितना कठिन होता। आज देश ने अलग एप्रोच चुनी है। एक अलग मार्ग अपनाया है।
साथियों हमारें यहां ऐसी कई चीजें हैं, जो प्रक्रिया में बदलाव किए बिना ऐसे निरंतर चलती जाती है। हाउसिंग से जुड़ा मामला भी, बिल्कुल ऐसा ही रहा है। हमने इसको बदलने की ठानी। हमारे देश को बेहतर टेक्नोलॉजी क्यों नहीं मिलनी चाहिए। हमारे गरीब को लंबे समय तक ठीक रहने वाले घर क्यों नहीं मिलने चाहिए।
उन्होंने कहा कि एक समय में, आवास योजनाएं केंद्रीय सरकारों की प्राथमिकता नहीं थीं, जितना कि होना चाहिए था। हालाँकि, हम जानते हैं कि परिवर्तन सर्वांगीण विकास के बिना असंभव है। देश ने एक नया तरीका और एक अलग राह अपनाई है। सरकार के प्रयासों का बहुत बड़ा लाभ शहरों में रहने वाले मध्यम वर्ग को हो रहा है। मध्यम वर्ग को अपने घर के लिए एक तय राशि के होम लोन पर ब्याज में छूट दी जा रही है। कोरोना संकट के समय भी सरकार ने होम लोन पर ब्याज पर छूट की विशेष योजना शुरू की।
मोदी ने कहा कि लोगों के पास अब रेरा जैसे कानून की शक्ति भी है। रेरा ने लोगों में ये भरोसा लौटाया है कि जिस प्रोजेक्ट में वो पैसा लगा रहे हैं, वो पूरा होगा, उनका घर अब फसेंगा नहीं। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जो चौतरफा काम किया जा रहा है, वो करोड़ों गरीबों और मध्यम वर्ग परिवारों के जीवन में परिवर्तन ला रहा है। ये घर गरीबों के आत्मविश्वास को बढ़ा रहे हैं। यह घर देश के युवाओं का समाथ्र्य को बढ़ा रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इन घरों की चाबी से कई द्वार खुल रहे हैं। घर की चाबी हाथ आने से सम्मानजनक और सुरक्षित जीवन का द्वार खुलता है। इससे एक आत्मविश्वास आता है। ये चाबी उनकी प्रगति का द्वार भी खोल रही है।
उन्होंने कहा कि पिछले साल कोरोना संकट के दौरान ही एक और बड़ा कदम भी उठाया गया है। इस योजना का लक्ष्य हमारे वो श्रमिक साथी हैं, जो एक राज्य से दूसरे राज्य में या गांव से शहर में आते हैं। बीते सालों में जो रिफॉर्म किए गये है उसमें कंस्ट्रक्शन परमिट को लेकर हमारी रैंकिंग 185 से सीधे 27 पर आ गई है। कंस्ट्रक्शन से जुड़ी परमिशन के लिए ऑनलाइन व्यवस्था का विस्तार 2,000 से ज्यादा शहरों में हो गया है। इंफ्रास्ट्रक्च र और कंस्ट्रक्शन पर होने वाला निवेश और विशेषकर हाउसिंग सेक्टर पर किया जा रहा खर्च अर्थव्यवस्था में फोर्स मल्टीप्लायर का काम करता है। (आईएएनएस)
क्या यह ज्यादा आसानी से फैलता है? क्या लोग ज्यादा बीमार होंगे? इस पर इलाज और वैक्सीन का असर नहीं होगा? कोरोना वायरस के नए संस्करण के फैलाव के साथ ही लोगों के सवाल बढ़ते जा रहे हैं.
वैज्ञानिक नए वायरस को लेकर चिंता जरूर दिखा रहे हैं और उसका अध्ययन कर रहे हैं लेकिन फिलहाल उन्होंने खतरे की घंटी नहीं बजाई है. अब तक इस वायरस पर जो जानकारी है उससे कुछ सवालों के हल जरूर मिले हैं.
कोरोना वायरस का नया संस्करण कहां से आया?
चीन में करीब एक साल पहले जब कोरोना वायरस का पता चला, उसके बाद से ही इसके नए संस्करण सामने आते रहे हैं. वायरस आमतौर पर म्यूटेट करते हैं या फिर छोटे मोटे बदलावों के साथ विकसित होते हैं. इसकी वजह ये है कि वो आबादी के बीच से गुजरते और प्रजनन करते हैं. ज्यादातर बदलाव मामूली होते हैं. ब्रिटेन के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के वैज्ञानिक डॉ फिलीप लैंडरीगन कहते हैं, "जेनेटिक अल्फाबेट में यह एक या दो अक्षरों का बदलाव होता है जिससे बीमारी पैदा करने की क्षमता पर ज्यादा असर नहीं पड़ता."
ज्यादा चिंता की बात तब होगी, जब वायरस अपनी सतह पर मौजूद प्रोटीनों को बदल कर म्यूटेट करेगा जिससे यह दवाओं से और प्रतिरक्षा तंत्र से खुद को बचा सके. अगर यह पिछले संस्करण की तुलना में खुद को बहुत ज्यादा बदल दे, तब भी मुश्किल हो सकती है.
कोई एक संस्करण अपना प्रभुत्व कैसे बना लेता है?
यह तब हो सकता है जब कोई संस्करण पकड़ बना कर एक ही इलाके में फैलना शुरू कर देता है. "सुपर स्प्रेडर" जैसी घटनाएं इस संस्करण को स्थापित होने में मदद करती हैं. यह तब भी हो सकता है जब म्यूटेशन किसी नए संस्करण को फायदा पहुंचाए, मसलन इसे दूसरे वायरसों की तुलना में ज्यादा फैलने में मदद करे.
वैज्ञानिक अब भी इस बात की पुष्टि करने में लगे हैं कि क्या इंग्लैंड में सामने आया वायरस ज्यादा आसानी से फैल रहा है, हालांकि उन्हें इसके कुछ सबूत मिले हैं. लैंडरीगन बताते हैं कि नया संस्करण, "दूसरे संस्करणों को पीछे छोड़ रहा है, तेजी से फैल रहा है और ज्यादा लोगों को संक्रमित कर रहा है, इसलिए वह रेस में जीत रहा है."
ब्रिटिश संस्करण का सितंबर में पता चला था. डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों का कहना है कि एक नया संस्करण दक्षिण अफ्रीका में भी सामने आया है.
ब्रिटिश संस्करण से किस बात की चिंता है?
इसमें दर्जनों म्यूटेशन हैं. म्यूटेशन का मतलब है जीन की संरचना में बदलाव. कम से कम आठ म्यूटेश तो स्पाइक प्रोटीन में ही हैं जिनका इस्तेमाल वायरस कोशिकाओं से जुड़ने और उन्हें संक्रमित करने में करता है. वैक्सीन और एंटीबॉडी दवाएं इन्हीं स्पाइक को निशाना बनाती है.
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वायरस एक्सपर्ट डॉ रवि गुप्ता का कहना है कि मॉडलों का अध्ययन करने से पता चला है कि यह इंग्लैंड में अब तक सबसे आम रहे वायरस की तुलना में दो गुना ज्यादा संक्रामक हो सकता है. उन्होंने और कुछ दूसरे रिसर्चरों ने अपनी रिपोर्ट उस वेबसाइट पर डाली है जहां आमतौर पर वैज्ञानिक ऐसी बातें तुरंत साझा करते हैं. हालांकि इन रिपोर्टों की ना तो समीक्षा हुई है ना ही इन्हें किसी जर्नल ने छापा है.
क्या यह लोगों को ज्यादा बीमार कर रहा है या मौत के करीब पहुंचा रहा है?
लैंडरीगन का कहना है, "इन दोनों में से किसी बात की सच्चाई का कोई संकेत नहीं मिला है लेकिन निश्चित रूप से इन दोनों मुद्दों पर हमें लगातार ध्यान देना होगा." ज्यादा लोगों के नए वायरस से संक्रमित होने के बाद जल्दी ही इस बात का पता चल जाएगा कि क्या वायरस का नया संस्करण लोगों को ज्यादा बीमार कर रहा है. डब्ल्यूएचओ का भी कहना है कि अब तक जो जानकारी मिली है, उससे यही कहा जा सकता है कि बीमारी के प्रकार और उसकी गंभीरता में कोई बदलाव नहीं है.
इलाज के लिहाज से म्यूटेशन का क्या मतलब है?
इंग्लैंड में कुछ मामलों के दौरान यह चिंता पैदा हुई कि नए उभर रहे कुछ वायरस कुछ दवाओं की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं, खासतौर से उन दवाओं की जो कोशिका को संक्रमित करने से वायरसों को रोकने के लिए एंटीबॉडीज मुहैया कराते हैं. एंटीबॉडी की प्रतिक्रिया पर रिसर्च अभी चल रही है. हालांकि दवा बनाने वाली कंपनी एली लिली का कहना है कि उसकी लैब में हुए टेस्ट बता रहे हैं कि दवाएं पूरी तरह कारगर हैं.
थकान
जिन लोगों में लंबे समय के बाद कुछ असर सामने आए हैं, उनमें सबसे आम समस्याएं हैं थकान, सिरदर्द, घबराहट (एंग्जायटी) और मांसपेशियों में दर्द. ये परेशानियां ठीक हो जाने के कई सप्ताह बाद तक रह सकती हैं.
वैक्सीन का क्या होगा?
वैज्ञानिकों का मानना है कि मौजूदा वैक्सीन नए संस्करणों के खिलाफ भी असरदार होगी हालांकि वो इसकी पुष्टि पर अभी काम कर रहे हैं. बुधवार को ब्रिटिश अधिकारियों ने दोहराया कि ऐसे कोई आंकड़े नहीं हैं जो मौजूदा वैक्सीन का प्रभाव नए वायरस पर नहीं पड़ने की बात कहते हों.
वास्तव में वैक्सीन इम्यून सिस्टम को एंटीबॉडीज बनाने के लिए प्रेरित करने के अलावा इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया को व्यापक बनाते हैं. कई वैज्ञानिकों का कहना है कि वैक्सीन नए वायरस पर भी कारगर होंगे.
जोखिम घटाने के लिए मैं क्या कर सकता हूं?
सार्वजनिक स्वास्थ्य के विशेषज्ञ कहते हैं कि सुरक्षा सलाहों को मानिए, मास्क पहनिए, थोड़ी थोड़ी देर पर हाथ धोइए, सामाजिक दूरी का पालन करिए और भीड़भाड़ वाली जगहों से बचिए.
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि आखिरी बात यही है कि हमें वायरस के फैलाव को दबाना होगा. जितना ज्यादा ये फैलेंगे, इनमें उतना ज्यादा म्यूटेशन होगा.
एनआर/एके(एपी)
लखनऊ, 1 जनवरी| भले ही अधिकारी आने वाले हफ्तों में कोरोनोवायरस के खिलाफ टीकाकरण करने के लिए तैयार हों, लेकिन असामाजिक तत्व उत्तर प्रदेश के निवासियों को फोन कर वैक्सीन पंजीकरण के बहाने उनसे व्यक्तिगत जानकारियां मांग रहे हैं। इस तरह की धोखाधड़ी के कई मामले अधिकारियों के संज्ञान में सामने आए हैं। गोरखपुर, देवरिया, बस्ती, मऊ, गाजीपुर, और प्रतापगढ़ में बड़ी संख्या में लोगों को आधार नंबर, बैंक खाता और बीमा पॉलिसी विवरण जैसे महत्वपूर्ण व्यक्तिगत विवरण देने के लिए साइबर अपराधियों द्वारा फोन किया गया है।
इन साइबर धोखाधड़ी में भोले-भाले लोगों के फंसने की आशंका के कारण, स्वास्थ्य और पुलिस अधिकारियों ने अब जनता से इनके जाल में नहीं फंसने और किसी भी जानकारी को साझा नहीं करने की अपील की है।
एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, "स्वास्थ्य विभाग लोगों को पंजीकरण या टीकाकरण के लिए कोई फोन नहीं कर रहा है। फ्रंटलाइन वॉरियर्स का टीकाकरण संभवत: जनवरी 2021 के तीसरे सप्ताह में शुरू होगा।"
उन्होंने कहा, "वैक्सीन के लिए पंजीकरण के नाम पर किसी को कोई विवरण प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि लोग साइबर अपराध का शिकार हो सकते हैं। कोविड-19 टीकाकरण के लिए पंजीकरण के नाम पर धोखाधड़ी के कई मामले हमारे संज्ञान में आए हैं।"
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक दावा शेरपा ने कहा, "टीकाकरण के लिए पंजीकरण के नाम पर ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले प्रकाश में आए हैं। इसलिए, मैं लोगों से अपील करता हूं कि वे इस तरह के झांसे में न आएं।"
(आईएएनएस)
गोरखपुर (उप्र), 1 जनवरी | उत्तर प्रदेश की गोरखपुर पुलिस ने एक व्यक्ति को 17 साल की लड़की का अपहरण करने और उससे जबरन शादी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। आदमी और लड़की दोनों अलग-अलग समुदायों से हैं। सहजनवा के एसएचओ संतोष यादव के मुताबिक, नवंबर में लड़की का कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया था। लड़की के पिता की लिखित शिकायत के आधार पर उसकी खोज की गई और बुधवार को लड़की का पता लगा।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमीरपुर जिले के 26 वर्षीय आरोपी मंसूर को भीटी रावत क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया। आरोपी ने दावा किया है कि लड़की उसके आधार कार्ड के आधार पर वयस्क थी और उसने पुलिस से इस मामले में हस्तक्षेप न करने को कहा है।
जबकि लड़की के पिता ने उसका हाई स्कूल सर्टिफिकेट दिखाया है, जिसमें उसकी उम्र 17 साल दिखाई गई।
एसएचओ ने कहा, "लड़की को मेडिकल जांच के लिए भेजा गया है। उसकी हाईस्कूल की मार्कशीट में उम्र 17 साल है।"
आरोपी पर आईपीसी की धारा 363 और 366 के तहत मामला दर्ज किया गया है। साथ ही जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर बने नए कानून की धारा भी जोड़ दी जाएगी।
(आईएएनएस)
धर्म परिवर्तन कर एक मुसलमान युवक से शादी करने वाली देहरादून की एक 20 वर्षीय महिला, शादी के तक़रीबन तीन महीने बाद उनके ख़िलाफ़ हुए मुक़दमे से सुर्ख़ियों में आने से क़ाफ़ी परेशान हैं.
वे कहती हैं कि उनकी निजता पूरी तरह छिन गई है. नाम का ज़िक्र ना करने का अनुरोध करते हुए वे कहती हैं, "शादी दो लोगों का एकदम निजी फ़ैसला है, ना सिर्फ़ उत्तराखंड में बल्कि पूरे देश में इसकी चर्चा हुई. हम दो वयस्क लोगों ने पूरी तरह अपनी इच्छा से शादी की है. बेवजह हमारी बदनामी हुई है. मैं एक स्टूडेंट हूँ. मेरी पढ़ाई पर भी असर पड़ा है और हर चीज़ पर असर पड़ रहा है. हम सब परेशान हैं.''
नए क़ानून के बाद पहला मुक़दमा
उत्तराखंड पुलिस ने धर्म परिवर्तन कर विवाह करने पर, 22 साल के एक मुसलमान युवक, उनकी पत्नी, उनके चाचा और उस क़ाज़ी के ख़िलाफ़ मुक़दमा दायर किया है, जिन्होंने उनकी शादी कराई थी. तक़रीबन दो साल पहले लाए गए, उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2018 के तहत पहली बार कोई मुक़दमा दायर किया गया है. हाईकोर्ट के आदेश पर ज़िलाधिकारी देहरादून ने पुलिस को यह जाँच सौंपी थी. पुलिस ने देहरादून के पटेल नगर थाने में मुक़दमा दायर किया है.
इस विवादास्पद क़ानून के मुताबिक़, किसी भी व्यक्ति का धर्म परिवर्तन करने से एक महीना पहले, संबंधित व्यक्ति और धर्म परिवर्तन कराने वाले व्यक्ति को स्थानीय ज़िलाधिकारी को इसकी पूर्व सूचना देना अनिवार्य है.
'नहीं थी क़ानून की जानकारी'
महिला बताती हैं, ''हमें इस क़ानून के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. अधिकतर लोगों को यह जानकारी नहीं होगी क्योंकि ये पहला मामला है, जब इस पर कोई केस दर्ज हुआ है. हमें डर था कि हमारी इस अंतरधार्मिक शादी पर समाज की कैसी प्रतिक्रिया होगी. इसलिए शादी के तुरंत बाद जब हम हाईकोर्ट जा रहे थे तब हमारे वकील ने हमें इसके बारे में बताया. कोर्ट ने हमें पुलिस प्रोटेक्शन दिया भी.''
महिला यह भी कहती हैं कि उन पर धर्म परिवर्तन के लिए कोई दबाव नहीं डाला गया था. उन्होंने अपनी मर्ज़ी से धर्म बदला है और शादी की है.
ज़िलाधिकारी को जाँच के आदेश
अंतरधार्मिक विवाह के इस मामले के संज्ञान में आने पर नैनीताल हाईकोर्ट ने ज़िलाधिकारी देहरादून को इस विवाह में 'उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2018', क़ानून के अनुपालन की स्थिति की जाँच करने के आदेश दिए थे.
देहरादून पुलिस के सर्कल ऑफ़िसर अनुज कुमार ने बताया, ''ज़िलाधिकारी कार्यालय से हमारे पास इस मामले की जाँच के आदेश थे. प्रारंभिक जाँच से पता चला है कि 'उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2018' के कुछ प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है. एक्ज़ीक्यूटिव मजिस्ट्रेट या डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्म परिवर्तन से एक महीने पहले जो नोटिस दिया जाना था वह नहीं दिया गया है. इस मामले में केस रजिस्टर हो गया है और विस्तृत जाँच जारी है."
'नए क़ानून की संवैधानिकता को चुनौती'
इधर अभियुक्त पक्ष के वकील मो. मतलूब ने इस मामले के आधार पर उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2018 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने का दावा किया है.
मतलूब ने कहा कि हालांकि उन्हें अभी एफ़आईआर की कॉपी नहीं मिली है लेकिन वे इस एफ़आईआर के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में अपील करेंगे.
उन्होंने कहा, ''ना सिर्फ़ इस एफ़आईआर बल्कि इस क़ानून के ख़िलाफ़ भी हम नैनीताल हाईकोर्ट में अपील करेंगे और इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती देंगे. यह का़नून संविधान की ओर से दिए गए कई अधिकारों की अवहेलना करता है, जिसमें अनुच्छेद 25, धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार, अपनी मर्ज़ी से शादी करने के अधिकार शामिल हैं.''
इस मामले के सामने आने के बाद से इस क़ानून पर फिर से बहस तेज़ हो गई है. उत्तराखंड में यह क़ानून और मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां अंतरधार्मिक और अंतरजातीय विवाहों को प्रोत्साहन देने के लिए उत्तराखंड सरकार, 50 हज़ार रूपये की प्रोत्साहन राशि देती है.
'उत्तर प्रदेश अंतरधार्मिक/अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन नियमावली, 1976', में 2014 में संशोधन कर, उत्तराखंड ने 10,000 रूपये की प्रोत्साहन राशि को 50 हज़ार रूपये कर दिया था. (bbc)
भारत सरकार लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष से बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रही है. केन्द्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय ने इस सिलसिले में समता पार्टी की पूर्व अध्यक्ष जया जेटली की अध्यक्षता में एक समिति का गठन भी किया था और समिति ने अपनी रिपोर्ट संबंधित मंत्रालयों और नीति आयोग को सौंप दी है.
लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र बढ़ाई जाए इसे सरकार की तरफ़ से लड़कियों के साथ भेदभाव और उनके विकास के लिए सकारात्मक पहल बताया जा रहा है लेकिन यहीं ये सवाल भी उठता है कि भारत जैसे देश में जहां बाल विवाह के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं वहां लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाकर सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं जैसे लक्ष्य तक कैसे पहुंच सकती है?
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे -5(एनएफ़एचएस) के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि पश्चिम बंगाल में (41.6 फ़ीसद) , बिहार (40.8 फ़ीसद ) और त्रिपुरा(40.1 फ़ीसद ) ऐसे राज्य हैं जहां बाल विवाह के मामले ज्यादा देखे गए हैं. इस सर्वेक्षण में शामिल 20 से 24 वर्ष की महिलाओं में से अधिकतर का विवाह 18 वर्ष की उम्र से पहले हो गया था. हालांकि पिछले सालों के मुकाबले यह बाल विवाह के आंकड़ों में कमी आई है. ये सर्वेक्षण देश के 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किया गया था.
सरकार द्वारा गठित समिति की अध्यक्ष जया जेटली भी मानती हैं कि बाल विवाह भारत में एक समस्या है और ये एक चिंता का विषय है कि क़ानून होने के बावजूद बाल-विवाह हो रहे हैं.
घट रही है बाल विवाह की संख्या
वे कहती हैं कि भारत में 18 साल से कम उम्र में लगभग डेढ़ करोड़ बच्चों की शादी हो जाती है लेकिन एक अच्छी बात है कि पहले ऐसी लड़कियों की संख्या 46 फ़ीसद थी लेकिन अब वो घटकर 27 फ़ीसद हो गई है.
उनके अनुसार भारत में बाल विवाह के मुख्य कारण परिवार पर पड़ने वाला समाजिक और आर्थिक दबाव हैं. इस हाल में वे शादी के लिए लड़कियों की न्यूनतम उम्र में बदलाव के पक्ष में कई तर्क भी देती हैं. इसमें सबसे अहम हैं जेंडर इक्वालिटी या महिला और पुरूष में समानता लाना.
वे कहती हैं, ''शादी के लिए लड़के और लड़की की उम्र बराबर होनी चाहिए और ये उम्र का फ़ासला एक तरह से पुरूष प्रधान सोच को ही दर्शाता है जिसे बदलने की जरूरत है. ये तर्क दिए जाते हैं कि शादी के लिए लड़के को परिपक्व होने या उसकी पढ़ाई को देखते हुए 21 की उम्र सही है लेकिन लड़की के लिए वो 18 है यानि वो परिपक्व हो या न हो कोई फ़र्क नहीं पड़ता. समाज में आपने एक मानसिकता बना दी कि लड़की गौण है. उसके भविष्य के बारे में ज्यादा सोचने की ज़रूरत नहीं है. वो शादी के बाद अपना भविष्य बना लेगी.यानि शादी ही लड़की का मक़सद बना दिया जाता है और इसी सोच को बदलना है.''
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वे आगे कहती हैं कि जब महिला या पुरूष को वोटिंग राइट्स या शराब सेवन के लिए बराबर अधिकार हैं तो शादी के लिए क्यों नहीं? ऐसे में ये सुधार लाना बहुत जरूरी है.
ड़ॉ कृति भारती को राजस्थान में पहला बाल विवाह रद्द कराने का श्रेय दिया जाता है और इस वजह से उनका नाम लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में शुमार हैं और सीबीएसई की किताब में भी इसका विवरण मिलता है.
राजस्थान के जोधपुर से काम करने वाली ये समाज सेविका सार्थी ट्रस्ट में मैनेज़िक ट्रस्टी हैं और उन्होंने अब तक देश भर में 1400 बाल विवाह रोके और 41 रद्द करवाएं हैं.
डॉ कृति भारती मानती हैं कि जेंडर इक्वॉलिटी लाने के लिए सरकार का ये क़दम महत्वपूर्ण है. इसमें लड़के और लड़की को पढ़ाई करने, करियर बनाने के समान अवसर मिलने चाहिए.
लेकिन वे आगे कहती हैं, ''आप जेंडर इक्वॉलिटी शहरों में देख सकते हैं, वो गांवों में नहीं होती. गांवों में सिर्फ़ एक जेंडर होता है वो है पुरूषों का. औरतों का कोई जेंडर है ही नहीं. हालांकि गांव की लड़कियां आगे बढ़ रही लेकिन उनका प्रतिशत कम है. इनमें वहीं लड़कियां शामिल हैं जिनका परिवार उन्हें आगे बढ़ने में उनका साथ दे रहा है.''
कृति भारती
न्यूनतम उम्र बढ़ाने से फ़ायदा होगा?
वे सरकार की पहल पर सवाल उठाती है कि क्या 18 वर्ष से ऊपर न्यूनतम उम्र करने से बाल विवाह रुक पाएंगे?
वे कहती हैं कि क़ानून होने के बावजूद जब लोग 18 साल की उम्र तक नहीं रुक रहें है तो आगे मान लीजिए कि न्यूनतम उम्र को 21 वर्ष कर दी जाती है तो क्या इससे बाल विवाह रुक जाएंगे. इस बारे में क्या सोचा जा रहा है? वहीं इससे बाल विवाह के आंकड़े भी बढ़ जाएंगे क्योंकि अब तक आप 18 साल से कम उम्र की शादी को बाल विवाह में जोड़ते हो , 21 या जो भी न्यूनतम उम्र तय किए जाने पर उससे वैश्विक स्तर पर भी भारत का चाइल्ड मैरीज का आंकडा बढ़ जाएगा. क्योंकि परिवार, बाल विवाह के मामलों पर रोक लगाते नज़र नहीं आते हैं.
अमेरिका के पिउ रिसर्च सेंटर के मुताबिक दुनिया के 117 देश ऐसे हैं जहां बाल-विवाह होते हैं.
पिउ ने 198 देशों में आंकलन कर ये पाया कि लगभग 192 देशों में शादी की उम्र को लेकर क़ानून हैं और केवल छह देश जिसमें सोमालिया, दक्षिण सूडान, यमन , सउदी अरब, गांबिया और इक्वटॉरिएल गिनिया में शादी की न्यूनतम उम्र को लेकर कोई क़ानून नहीं है.
छोटी उम्र में शादी से होने वाली दिक्कतें
दुनिया के करीब 38 देश ऐसे हैं जहां शादी के लिए लड़के और लड़की की न्यूनतम उम्र में फ़ासला रखा गया है और इसमें ज्यादातर देशों में लड़की की उम्र कम है. जैसे भारत में शादी के लिए एक लड़की की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए तो वहीं लड़के की उम्र 21वर्ष होनी चाहिए. बांग्लादेश में भी यही प्रावधान हैं.
साथ ही भारत में बाल विवाह को रोकने के लिए वर्ष 2006 में बाल विवाह रोकथाम क़ानून लाया गया था.
डॉ एसएन बसु
वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम के मुताबिक अगर दुनिया में ऐसे ही लड़कियों के बाल-विवाह होते रहे तो ऐसी लड़कियों की संख्या 2030 में संख्या एक अरब हो जाएगी.
साथ ही इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन लड़कियों की शादी छोटी उम्र में हो जाती है, उन्हें पढ़ाई जल्दी छोड़नी पड़ती है, वे घरेलू हिंसा झेलती हैं और एचआईवी/एड्स का शिकार हो जाती हैं और गर्भावस्था के दौरान और बच्चा पैदा करते वक्त होने वाली परेशानियों की वज़ह से उनकी मौत भी हो जाती है.
मैक्स अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ एसएन बसु भी मानती हैं कि महिलाओं के स्वास्थ्य को देखते हुए ये अहम क़दम हो सकता है.
वे कहती हैं,'' भारत जैसे देश में लड़कियां कम उम्र में मां बनती हैं जिससे कई बार उनकी जान को ख़तरा भी रहता है और नवजात की मौत की दर भी ज्यादा देखी गई है. महिला और बाल विकास मंत्रालय ने भी ये देखते हुए समिति का गठन किया ताकि मातृ मृत्यु अनुपात और महिलाओं और बच्चों की सेहत में सुधार लाया जा सके''.
वे मानती है कि 18 वर्ष की लड़की शारीरिक तौर पर मां बनने के लिए तैयार होती है लेकिन भावनात्मक और मानसिक तौर पर वो तैयार है कि नहीं ये एक महत्वपूर्ण मुद्दा है क्योंकि शादी के बाद जिंदगी में आने वाले उतार चढ़ाव की समझ को देखना भी जरूरी होता है. साथ ही देखा गया है कि 20 से 25 की उम्र में गर्भावस्था या डिलीवरी के दौरान कम दिक़्क़ते पेश आती हैं.
लेकिन यहां ये भी ध्यान देने की बात है कि जब भारत जैसे देश में जहां बाल विवाह को रोकने के लिए क़ानून है लेकिन फिर भी देखा जा रहा है कि बाल विवाह हो रहे हैं तो ऐसे में केवल शादी के लिए लड़की की उम्र बढ़ाने से क्या वाकई फ़र्क पड़ेगा?
वकील मधु मेहरा भी कहती है कि वैश्विक स्तर पर देखें तो 18 वर्ष को वयस्क बताया गया है और उसे क़ानूनी तौर पर कई अधिकार हैं, वे कॉट्रेक्ट कर सकते है, अपनी प्रॉपर्टी खरीद और बेच सकते हैं चाहे वो असलियत में भावनात्मक और मानसिक तौर पर इतने परिपक्व या तैयार हों या नहीं
मधु मेहरा पार्टनर्स फ़ॉर ला इन डेवलपमेंट में कार्यकारी निदेशक हैं और नेशनल कोलिशन फ़ॉर एडवोकेटिंग फ़ॉर एडोलेसन्ट कन्सर्नस की सह-संस्थापक भी हैं.
वे कहती हैं,'' यहां लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र पर विचार किया जा रहा है लेकिन उससे अहम ये हैं कि लड़कियों की अच्छी शिक्षा पर ज़ोर दिया जाए क्योंकि बाल विवाह का मुख्य कारण ग़रीबी है तो ऐसे में सरकार को चाहिए कि परिवार में बेटियों को लेकर जो असुरक्षा की भावना होती है उस दिशा में काम करे , स्वास्थ्य सुविधाओं पर ज़ोर दिया जाना चाहिए.''
सरकार को इस बात का आंकलन करना चाहिए कि ग़रीब तबके की लड़कियों ने अगर देर से शादी की तो उनके जीवन में क्या बदलाव आया और जिन कारणों से उनका जीवन बदला वैसे ही बदलाव दूसरी लड़कियों के जीवन में लाने की कोशिश होनी चाहिए. जैसे अच्छे स्कूल, हॉस्टल में दाखिला या किसी समूह में शामिल होने का असर हुई या जिनकी मां काम कर रही थी उससे उनके जीवन में कैसे लाभ मिल पाया.
जया जेटली भी मानती है कि ग़रीब और ग्रामीण इलाकों में स्पेशल ज़ोन बनाए जाने चाहिए, वहां स्कूल, लाइब्रेरी और लड़कियों को स्कूल आने-जाने के लिए वाहन की सुविधा मुहैया कराई जानी चाहिए. साथ ही पंचायत को घरों में पढ़ाई की सुविधा दी जानी चाहिए ताकि लड़कियां आगे बढ़ सकें और शादी को ही उनके जीवन का मक़सद बनाकर नहीं देखा जाना चाहिए.
उनके अनुसार समिति के सदस्यों ने शादी की न्यूनतम उम्र को लेकर देशभर के 1600 कॉलेज और यूनिवर्सिटी में प्रश्नावली भेजी. इसमें आम सवाल पूछे गए थे कि अगर आपको पढ़ने का मौक़ा मिलेगा तो क्या करेंगे, बाल विवाह पर आपकी क्या सोच है?
वे कहती हैं ," साथ ही हमने स्टेक होल्डर्स की बैठक भी बुलाई. ये हमने वेबिनार के ज़रिए किया और इसमें हमने लड़कियों के विकास से जुड़े मामलों पर जो संस्थाएं काम करती हैं उनसे कहा कि वे इस वेबिनार में शामिल होने के लिए लड़के लड़कियों को आमंत्रित करे. इसमें पांच राज्यों - झारखंड, केरल, राजस्थान, बिहार और पश्चिम बंगाल से 25 बच्चे शामिल हुए."
मधु मेहरा
जया जेटली बताती हैं कि इनमें से ज्यादात्तर लड़के और लड़कियों, चाहे वो किसी भी धर्म के हों, किसी ने भी शादी के लिए 22 साल की न्यूनतम उम्र को सही ठहराया.
संयुक्त राष्ट्र की बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था यूनिसेफ़ की चाइल्ड प्रोटेक्शन की प्रमुख सोलेडेड हरेरो भी मानती हैं कि महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र बढ़ाए जाने से उनके स्वास्थ्य और पढ़ाई करने जैसे मुद्दों पर सकारात्मक असर पड़ेगा.
लेकिन इसके लिए ऐसी नीतियां और कार्यक्रम बनाए जाने चाहिए जिससे वो पढ़ाई कर सकें, उनका सशक्तिकरण हो सके
जया जेटली कहती हैं कि जब न्यूनतम उम्र का क़ानून 16 से 18 वर्ष किया गया था तब ज़ोर जनसंख्या नियंत्रण पर था. इसके पीछे ये सोच थी कि शादी देर से होगी तो बच्चे देर से होंगे लेकिन अब हमें जेंडर इक्वॉलिटी के लिए प्रचार करना होगा जैसे हम बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं का नारा दे रहे हैं. तभी लोगों में जागरूकता आएगी. लड़कियां हर क्षेत्र में आगे आ रही है लेकिन परिवार के भीतर ये सोच बनानी होगी कि दोनों बराबर है.
वो कहती हैं, "जब लोग ये समझ जाएंगे तो क़ानून की जरूरत ही नहीं पड़ेगी क्योंकि शादी पारिवारिक औऱ व्यक्तिगत मामला है." (bbc)
केंद्र सरकार ने पूरे देश में कोविड वैक्सीन टीकाकरण के लिए सभी राज्यों और केंद्र प्रशासित राज्यों को पूरी तरह तैयार रहने के लिए कहा है.
सरकार ने बताया है कि दो जनवरी को सभी राज्यों और केंद्र प्रशासित राज्यों में ड्राई रन किया जाएगा.
हर प्रदेश की राजधानी में कम से कम तीन जगहों पर ड्राई रन किया जाएगा. कुछ प्रदेशों ने ज़िलों को भी शामिल किया है जो मुश्किल इलाक़ों में स्थित हैं.
केंद्र सरकार ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने प्रधान सचिवों, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और राज्यों के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस की और तैयारियों का जायज़ा लिया.
क्यों होगा ड्राय रन?
सरकार द्वारा जारी प्रेस रिलीज़ के मुताबिक़ ड्राई रन का उद्देश्य नए को-विन मोबाइल एप के इस्तेमाल को ज़मीन पर देखना है. इसके अलावा प्लानिंग और वैक्सीन देने की प्रक्रिया के बीच सामंजस्य बैठाने की कोशिश की जाएगी. इससे फ़ील्ड पर काम कर रहे लोगों का कॉन्फ़िडेंस भी बढ़ेगा.
सबकुछ 20 दिसंबर को जारी की गई ऑपरेशनल गाइडलाइन के मुताबिक़ किया जाएगा. ऑफ़िसर इन चार्ज को 25 लोगों की पहचान करनी होगी, जिन्हें वैक्सीन देने के लिए चुना जाएगा. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इन सभी की जानकारियां को-विन एप पर अपलोड करने के लिए कहा जाएगा. ये सब एक मॉक ड्रिल की तरह होगा, किसी को भी असल वैक्सीन नहीं दी जाएगी.
भारत में अभी तक किसी वैक्सीन को मंज़ूरी नहीं मिली. ड्राई रन का मक़सद किसी को वैक्सीन देना नहीं है, जब वैक्सीन आ जाएगी, तो ये प्रक्रिया सही से काम करेगी या नहीं और इसमें क्या सुधार लाने होंगे, ड्राई रन में इसे समझने की कोशिश है.
सरकार की प्रेस रिलीज़ के मुताबिक़ देशभर में क़रीब 96,000 वैक्सीन देने वालों को इसके लिए ट्रेन किया गया है.
सीएसआईआर के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर शेखर माडे ने कहा, "जब देश के सबसे बड़े ऑफ़िस से ये कहा जाता है कि हम वैक्सीन की डिलीवरी के लिए तैयार हैं, तो ये आत्मविश्वास देता है. मुझे लगता है कि सभी हेल्थकेयर वर्कर और वैज्ञानिकों में इस बात को लेकर उत्साह है कि हम कर सकते हैं."
चार राज्यों में पहले हुआ था ड्राई रन
देश के चार राज्यों- असम, आंध्र प्रदेश, गुजरात और पंजाब में कोविड-19 वैक्सीन का ड्राई रन सोमवार, 28 दिसंबर से शुरू कर दिया गया था, जो कि दो दिन चला.
आंध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले, गुजरात में राजकोट और गांधीनगर, पंजाब में लुधियाना और शहीद भगत सिंह नगर (नवांशहर) और असम के सोनितपुर और नलबाड़ी में ये मुहिम चलाई गई.
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़ ये ड्राई रन सफल रहा था और राज्यों द्वारा दिए गए कुछ सुझावों को शामिल किया जाएगा.
क्या है ड्राई रन?
यह एक रिहर्सल की तरह है. इसमें कोविड-19 वैक्सीन आने के बाद इसे किस तरह से लगाया जाना है? इसकी क्या तैयारियां होनी हैं? इन तमाम चीज़ों का परीक्षण किया जाना है.
इसके ज़रिए यह भी देखा जाएगा कि वैक्सीनेशन के दौरान क्या-क्या अड़चनें आ रही हैं और उन्हें किस तरह से दूर किया जाना चाहिए. इसे मॉक ड्रिल भी कहा जा रहा है.
इसके बाद 50 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों और उसके बाद पहले से दूसरी बीमारियों से जूझ रहे लोगों को यह वैक्सीन लगाई जानी है.
राज्यों में इसे लेकर डेटाबेस बन रहे हैं. लोगों का रजिस्ट्रेशन होगा और फिर उन्हें मैसेज भेजकर वैक्सीन लगाने की तारीख़, वक़्त और सेंटर की जानकारी दी जाएगी.
ट्रांसपोर्टेशन के लिए पहले राज्य और फिर वहां से क्षेत्रों और ज़िला मुख्यालयों और फिर स्वास्थ्य केंद्रों तक इन्हें पहुँचाया जाना है.
को-विन नाम से एक आईटी प्लेटफ़ॉर्म तैयार किया गया है. इसी प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए वैक्सीन लगाने का पूरा काम अंजाम दिया जाएगा.
वैक्सीनेशन के इस ड्राई रन में वास्तविक वैक्सीन का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. वैक्सीन को छोड़कर इससे जुड़ी पूरी प्रक्रियाओं का वास्तविक आधार पर परीक्षण किया जाएगा.
कैसे होगा लोगों का रजिस्ट्रेशन?
कोरोना की वैक्सीन जिन्हें दी जानी है पहले उनका रजिस्ट्रेशन को-विन प्लेटफ़ॉर्म पर होगा. को-विन एक वेबसाइट और ऐप दोनों की शक्ल में रहेगा.
जिन लोगों को सबसे पहले ये वैक्सीन लगाई जानी है उनका डेटा हर राज्य में तक़रीबन तैयार है. रजिस्ट्रेशन में एक मोबाइल नंबर और एक फ़ोटो आईडी ज़रूरी होगा. आईडी में कई विकल्प दिए जा रहे हैं.
इस मॉक ड्रिल में लाभार्थियों का को-विन एप पर रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है. इसके ज़रिए इस एप में रजिस्ट्रेशन के दौरान कहीं कोई दिक्क़त न आए इन चीज़ों को देखा जा रहा है.
वैक्सीनेशन के बाद इसी ऐप पर सर्टिफिकेट भी जनरेट हो जाएगा. इसके अलावा, ड्राई रन में वैक्सीनेशन कहां किया जाएगा और इन सेंटरों को कैसे चिह्नित किया जाएगा, इसकी भी पड़ताल हो रही है.
इस ड्रिल के ज़रिए वैक्सीनेशन करने की पूरी प्रक्रियाओं को जाँचा और परखा जाएगा. (bbc)
नई दिल्ली, 1 जनवरी | दिल्ली पुलिस ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से 500 से अधिक लक्जरी कारों की चोरी और बिक्री में शामिल एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने गिरोह के तीन प्रमुख सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इस गिरोह का प्रमुख साजिशकर्ता (किंगपिन) वसीम पिछले पांच वर्षों से दिल्ली और एनसीआर, जौनपुर (उत्तर प्रदेश) और रायपुर (छत्तीसगढ़) से इस गोरखधंधे में शामिल रहा है, जो 500 से अधिक कारों की चोरी में शामिल है।
आरोपियों से फॉर्च्यूनर, क्रेटा, ब्रेजा, स्कोडा, अर्टिगा जैसी 15 लग्जरी चोरी की गाड़ियों के साथ एक बुलेट मोटरसाइकिल भी बरामद की गई है। गिरोह ने नक्सल प्रभावित इलाकों में वाहनों को बेच दिया, ताकि उन्हें बरामद करना मुश्किल हो जाए।
पता चला कि उत्तर प्रदेश के मेरठ के रहने वाले वसीम और उसके करीबी सहयोगी रियाज ने लगभग 5-6 साल पहले कार चोरी का एक गिरोह बनाया था।
पुलिस के मुताबिक, आरोपी इंश्योरेंस कंपनी से क्षतिग्रस्त कार कागज समेत खरीद लेते थे और फिर उसी मॉडल की कार की चोरी कर उसके चेसिस व इंजन नंबर बदलकर उसे बेच देते थे। बदमाशों के निशानदेही पर ही पुलिस ने 15 लग्जरी कारें और एक बुलेट बाइक बरामद की है।
पूर्वी दिल्ली जिला पुलिस उपायुक्त दीपक यादव ने बताया कि वसीम गैंग का सदस्य है, जो दिल्ली एनसीआर में वाहनों की चोरी करता था। फिर चोरी की गाड़ियों को जौनपुर और रायपुर में बेचता था। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर दिल्ली, मेरठ, जौनपुर, रायपुर और छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके में दबिश देकर कुणाल यादव और रजिकुल्लाह खान को गिरफ्तार कर लिया। इनके पास से लग्जरी कारें और बुलेट बाइक बरामद कर ली।
आरोपियों की पहचान नंदनगरी निवासी सतीश कुमार, यूपी के जौनपुर निवासी कुणाल यादव और छत्तीसगढ़ के रायपुर निवासी रजिकुल्लाह के रूप में हुई है।
किंगपिन वसीम को पकड़ा जाना बाकी है और उसे गिरफ्तार करने के लिए कई टीमें बनाई गई हैं।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 1 जनवरी | सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एक जनवरी 2021 से गाड़ियों पर फास्टैग की अनिवार्यता को लेकर फैले भ्रम के बीच सफाई दी है। मंत्रालय ने कहा है कि केंद्रीय मोटर एक्ट के तहत गाड़ियों पर फास्टैग फिट करना अनिवार्य है, यह अलग बात है कि 15 फरवरी तक टोल प्लाजा पर पहले की तरह कैश में भुगतान की सुविधा उपलब्ध रहेगी। टोल प्लाजा पर 15 फरवरी तक कैशलेन चालू रहेगी। दरअसल, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने पूर्व में जारी आदेश के तहत एक जनवरी 2021 से गाड़ियों में फास्टैग अनिवार्य कर दिया था। यह भी कहा था कि एक जनवरी से ही टोल प्लाजा पर कैश लेन बंद हो जाएगी। सिर्फ फास्टैग से ही पेमेंट होगा। इस बीच बीते 30 दिसंबर को जारी पत्र में टोल प्लाजा पर कैश लेन की सुविधा 15 फरवरी तक बढ़ाने की सूचना दी गई, जिससे गाड़ियों पर टोल प्लाजा की अनिवार्यता को लेकर फैले भ्रम पर गुरुवार की शाम को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सफाई दी।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने कहा कि एक दिसंबर, 2017 से पहले बेची गई मोटर वाहनों की एम और एन श्रेणियों में फास्टैग फिट होने को एक जनवरी, 2021 से अनिवार्य कर दिया गया है। एम कैटेगरी में वो वाहन आते हैं, जिनके कम से कम चार पहिये हों और यात्री ढोते हैं, जबकि एन कैटेगरी में माल वाहक और यात्री दोनों ढोने वाले वाहन आते हैं।
सड़क परिवहन मंत्रालय ने कहा, "फास्टैग अनिवार्यता के बीच हालांकि, राष्ट्रीय राजमार्गो पर हाइब्रिड लेन चालू रहेगी। शुल्क भुगतान फास्टैग और कैश दोनों मोड में 15 फरवरी तक किया जा सकता है। फास्टैग लेने में, फीस का भुगतान फास्टैग के माध्यम से ही होगा। मंत्रालय ने एक जनवरी 2021 से सौ प्रतिशत ई-टोलिंग को लागू करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है।
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, "एक्ट के अनुसार गाड़ियों में एक जनवरी 2021 से ही फास्टैग फिट होना अनिवार्य है। हालांकि, 15 फरवरी तक कैश लेन जारी रहने से नकद में वाहन चालक भुगतान कर सकेंगे।"
--आईएएनएस
गुरुग्राम, 1 जनवरी | जिला स्वास्थ्य विभाग ने बुधवार को ऐसे 32 अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) के खिलाफ शिकायत दर्ज की, जो हाल ही में ब्रिटेन से लौटे हैं और जिन्हें अभी तक ढूंढा नहीं जा सका है। पुलिस ने गुरुवार को यह जानकारी दी। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग के पास ब्रिटेन से लौटे इन लोगों के बारे में जानकारी नहीं है, इसलिए विभाग ने बुधवार को आगे की जांच के लिए मामले को पुलिस को सौंप दिया है।
अधिकारियों ने यह भी पुष्टि की है कि अभी तक इन 32 एनआरआई का परीक्षण नए कोविड-19 स्ट्रेन के लिए नहीं किया गया है।
फिलहाल भारत में उतरने पर ब्रिटेन के यात्रियों को अनिवार्य रूप से स्क्रीनिंग की आवश्यकता है, क्योंकि देश में नए कोविड-19 स्ट्रेन को लेकर चिंता पैदा हो चुकी है और ब्रिटेन से आए कई लोग इस नए प्रकार के वायरस से संक्रमित पाए गए हैं।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, ब्रिटेन से लगभग 714 एनआरआई गुरुग्राम पहुंचे हैं।
स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, 24 नवंबर से इन 714 में से 367 लोगों का 8 दिसंबर के बाद कोविड-19 परीक्षण किया गया है। शेष 315 अन्य देशों, राज्यों या जिलों में चले गए हैं, जबकि 32 अभी भी लापता हैं।
सिविल सर्जन डॉ. वीरेंद्र यादव ने कहा, "कुल 32 एनआरआई अपने अधूरे पते या गलत मोबाइल नंबर की वजह से ढूंढे नहीं जा सके हैं। इन लापता यात्रियों की सूची गुरुग्राम पुलिस के साथ साझा की गई है।"
उन्होंने यह भी बताया कि 367 में से एक मरीज में कोरोना के नए स्ट्रेन के लक्षण पाए गए हैं। संक्रमित रोगी और परिवार के नमूने भी परीक्षण के लिए भेजे गए हैं।
इस बीच जिले में गुरुवार को 61 नए कोविड-19 मामले सामने आए, जिसके बाद यहां कोरोना के कुल 56,791 मामले हो चुके हैं। वहीं जिले में संक्रमण की वजह से मरने वालों की संख्या 343 हो गई है।
जिले में फिलहाल संक्रमित सक्रिय (एक्टिव) मामले 939 हैं। गुरुवार को ठीक होने के बाद 97 रोगियों को छुट्टी दे दी गई है।
--आईएएनएस
जम्मू, 1 जनवरी | जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति राजेश बिंदल को गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया। कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया, भारत के संविधान के अनुच्छेद 222 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्ति के तहत भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श करने के बाद राष्ट्रपति न्यायाधीश राजेश बिंदल को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू व कश्मीर और लद्दाख के कॉमन हाईकोर्ट से कलकत्ता हाईकोर्ट के जज के तौर पर स्थानांतरण कर खुश हैं।
जस्टिस मित्तल का ट्रांसफर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इस महीने की शुरूआत में अपनी बैठक में किया था। न्यायमूर्ति बिंदल, न्यायमूर्ति गीता मित्तल की सेवानिवृत्ति के बाद जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य कर रहे हैं।
वह न्यायमूर्ति गीता मित्तल के साथ डिवीजन बेंच का हिस्सा थे जिन्होंने फैसला दिया था कि जम्मू-कश्मीर रोशनी अधिनियम असंवैधानिक था और निर्देश दिया गया था कि उक्त अधिनियम के तहत सभी आवंटनों को अवैध माना जाना चाहिए।
जम्मू और कश्मीर सरकार ने अब खंडपीठ के समक्ष एक समीक्षा आवेदन पेश किया है, जिसमें रोशनी अधिनियम के कमजोर और गरीब आवंटियों को प्रभावशाली और शक्तिशाली आवंटियों से अलग करने की मांग की गई है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 1 जनवरी | आंध्र प्रदेश में चार सौ साल पुरानी भगवान राम की मूर्ति खंडित होने के विरोध में भाजपा ने 'चलो रामतीर्थम यात्रा' निकालने का ऐलान किया है। भाजपा के नेशनल सेक्रेटरी और आंध्र प्रदेश के सह प्रभारी सुनील देवधर ने मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी को सावधान करते हुए कहा है कि वे धैर्य की परीक्षा न लें। भाजपा ने जगन मोहन रेड्डी सरकार पर धर्म विशेष का तुष्टीकरण करने और हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ कार्य करने का आरोप लगाया है। कहा है कि एक के बाद एक कई मंदिरों पर हमले की घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन राज्य सरकार दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
भाजपा के नेशनल सेक्रेटरी सुनील देवधर ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा, "आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले में 400 साल पुरानी भगवान राम की मूर्ति को तोड़े जाने की घटना विश्व के सभी हिंदुओं के लिए पीड़ादायक है। राज्य में हिंदू मंदिरों और प्रतीक चिन्हों को नष्ट करने की लगातार घटनाएं हो रही हैं और राज्य सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। मंदिरों पर हमले की घटनाओं पर राज्य की जगन मोहन सरकार का मौन कहीं न कहीं अराजक तत्वों को समर्थन दिखाता है।"
सुनील देवधर ने कहा, "जिस तरह आंध्र प्रदेश में लगातार हिंदू मंदिरों पर हमले हो रहे हैं, उससे 16वीं शताब्दी के क्रूर सेंट जेवियर की याद ताजा होती है, जिसने गोवा में मंदिर ध्वस्त किए और जबरन धर्मातरण कराए। टीडीपी और वाईएसआरसीपी दोनों ही हिंदू विरोधी पार्टी हैं। मौजूदा जगन सरकार एक विशिष्ट पूजा पद्धति को राज्य में प्रोत्साहित कर रही है। जो भी तुष्टिकरण की राजनीति के लिए हिंदू विरोध की नीति पर काम करेगा, हम उसके खिलाफ जरूर खड़े होंगे।"
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 31 दिसम्बर | प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इंडियन बैंक और अन्य के साथ हुई कथित धोखाधड़ी से जुड़े धनशोधन के मामले में तमिलनाडु स्थित एक कंपनी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक से संबंधित 4.43 करोड़ रुपये के सोने और हीरे के आभूषण जब्त किए हैं। एजेंसी ने गुरुवार को जानकारी दी कि उसने 1,340 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी मामले में यह कार्रवाई की है।
केंद्रीय वित्तीय एजेंसी ने बताया कि तिरुचिराप्पल्ली स्थित सेथर लिमिटिड के अध्यक्ष के. सुब्बाराज, प्रबंधक निदेशक के. पोथीराज और एनएसके बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक एन. एस. के. कालइराज के यहां तलाशी ली गई और यह संपत्ति जब्त की।
एजेंसी ने बताया कि यह छापेमारी धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत की गई है।
ईडी ने बताया कि सुब्बाराज के आवास से 1.77 करोड़ रुपये मूल्य के सोने व हीरे के जेवर तथा कई संपत्तियों के दस्तावेज जब्त किए गए हैं, जबकि अन्य परिसरों से संपत्ति के दस्तावेज, अवांछित दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य भी जब्त किए गए हैं।
एजेंसी ने बताया कि छह लॉकरों से सुब्बाराज से संबंधित 2.3 करोड़ रुपये के सोने व हीरे के गहने और के. पोथीराज से संबंधित 35 लाख रुपये के जेवरात जब्त किए गए हैं। जब्त की गई संपत्ति की कुल कीमत 4.43 करोड़ रुपये है।
ईडी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा सेथर लिमिटेड के खिलाफ दर्ज किए गए मामले के आधार पर पीएमएलए के तहत जांच शुरू की है। आरोप है कि कंपनी और अन्य ने 1,340 करोड़ रुपये की बैंक कर्ज धोखाधड़ी की। यह धोखाधड़ी कंसोर्टियम के तहत इंडियन बैंक और अन्य के साथ हुई। (आईएएनएस)
जम्मू, 31 दिसंबर | जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति राजेश बिंदल को गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया। कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया, भारत के संविधान के अनुच्छेद 222 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्ति के तहत भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श करने के बाद राष्ट्रपति न्यायाधीश राजेश बिंदल को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू व कश्मीर और लद्दाख के कॉमन हाईकोर्ट से कलकत्ता हाईकोर्ट के जज के तौर पर स्थानांतरण कर खुश हैं।
जस्टिस मित्तल का ट्रांसफर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इस महीने की शुरूआत में अपनी बैठक में किया था। न्यायमूर्ति बिंदल, न्यायमूर्ति गीता मित्तल की सेवानिवृत्ति के बाद जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य कर रहे हैं।
वह न्यायमूर्ति गीता मित्तल के साथ डिवीजन बेंच का हिस्सा थे जिन्होंने फैसला दिया था कि जम्मू-कश्मीर रोशनी अधिनियम असंवैधानिक था और निर्देश दिया गया था कि उक्त अधिनियम के तहत सभी आवंटनों को अवैध माना जाना चाहिए।
जम्मू और कश्मीर सरकार ने अब खंडपीठ के समक्ष एक समीक्षा आवेदन पेश किया है, जिसमें रोशनी अधिनियम के कमजोर और गरीब आवंटियों को प्रभावशाली और शक्तिशाली आवंटियों से अलग करने की मांग की गई है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 31 दिसंबर | रेल मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को रेल कनेक्ट एप के साथ पूरी तरह से नई आईआरसीटीसी वेबसाइट शुरू की। इस अवसर पर गोयल ने कहा, "रेलवे राष्ट्र की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है और रेल यात्रा के अनुभव को और बेहतर बनाने के लिए अपनी सेवाओं को बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहा है।"
उन्होंने कहा, "ऑनलाइन रेलवे टिकटों की बुकिंग के लिए यह अपग्रेडेड ई-टिकटिंग प्लेटफॉर्म, यात्री सुविधाओं को बढ़ाएगा।"
उन्होंने कहा कि आईआरसीटीसी को निरंतर वेबसाइट में सुधार करने के लिए काम करना जारी रखना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह वेबसाइट डिजिटल इंडिया मिशन और प्रधानमंत्री के विजन के अनुसार दुनिया में सबसे अव्वल हो।
अगली पीढ़ी की यह उन्नतम ई-टिकटिंग प्रणाली 2014 में शुरू की गई थी। इसका मकसद आईआरसीटीसी के माध्यम से टिकट बुकिंग सेवा को बाधा रहित और आसान बनाना है। रेलवे का उद्देश्य इस वेबसाइट और एप को उन्नत बनाकर रेल यात्रियों को और अधिक सुविधाएं उपलब्ध कराना है।
रेल टिकट की बुकिंग के लिए इस नई विश्वस्तरीय वेबसाइट के डिजाइन को रेलवे के ग्राहकों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इसमें उपयोगकर्ता के लॉगिन के साथ भोजन, टिकट बुकिंग, रिटायरिंग रूम और होटल बुकिंग की सुविधा को पहली बार एकीकृत किया गया है।
इस तरह से यात्रियों को एक ही स्थान पर यात्रा से संबधित सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से यात्रियों को स्टेशन में प्रवेश करने के साथ सभी तरह की सूचनाएं दिए जाने की व्यवस्था की जाएगी। इससे उन्हें यात्रा के पहले की परेशानियों से बचने तथा टिकट बुक करने में मदद मिलेगी।
वेबसाइट और एप के जरिए यात्रियों को टिकट रिफंड की सारी जानकारी भी उनके लॉगिन खाते में एक जगह मिल सकेगी। इससे पहले यह सुविधा नहीं थी।
नियमित और मनपसंद यात्रा के लिए सभी आवश्यक जानकारियां देकर टिकट बुक की जा सकती है। ट्रेन की जानकारी और चयन की प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाया गया है।
रेलगाड़ियां और उनमें उपलब्ध श्रेणियों के किराए को एक ही पेज पर दिया गया है। पेज स्क्रॉल करके मनपसंद रेलगाड़ी और श्रेणी की टिकट बुक की जा सकती है। इससे पहले यह सुविधा नहीं थी और हर रेलगाड़ी के लिए अलग से उसकी जानकारी लेनी पड़ती थी।
वेबसाइट के साथ एक 'कैशे प्रणाली' की शुरुआत की गई है, जिसके माध्यम से वेट लिस्ट टिकटों के कन्फर्म होने की जानकारी मिलेगी।
इससे वेटलिस्ट टिकटों के कन्फर्म हो जाने की जानकारी उपलब्ध कराने में देरी नहीं होगी। इससे पहले यह सुविधा नहीं थी।
वेबपेज पर आरक्षित टिकटों की अन्य दिनों में उपलब्धता की जानकारी स्वत: आ जाएगी।
कंप्यूटर के बारे में कम जानकारी रखने वालों को भी बुकिंग प्रक्रिया आसानी से समझ में आ सकेगी, जिससे उन्हें आवश्यक जानकारियां हासिल करने के लिए वेबसाइट पर इधर-उधर भटकने में समय बर्बाद नहीं करना पड़ेगा।
बुक की गई यात्रा का विवरण भुगतान वाले पेज पर स्वत: दिखेगा, ताकि उपयोगकर्ता इसमें किसी तरह की गलती को तुरंत ठीक कर सके। पीआरएस केंद्र जाकर भी बुकिंग में हुई गलती ठीक कराई जा सकती है।
उन्नत ई-टिकटिंग वेबसाइट और मोबाइल एप का उद्देश्य अन्य ऑनलाइन यात्रा और टिकटिंग वेबसाइटों के बीच उपयोगकर्ताओं को बेहतरीन अनुभव प्रदान करना है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 31 दिसंबर | अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद(एबीवीपी) ने देश में चार प्रमुख मुद्दों पर कार्य करने की दिशा में आगे बढ़ने का निर्णय लिया है। देश भर के शिक्षकों और विद्यार्थियों से विचार-विमर्श के बाद तैयार हुए चार अहम प्रस्तावों के जरिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने अपना विजन सामने रखा है। इन प्रस्तावों के माध्यम से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने शिक्षा, अर्थव्यवस्था, भारतीय संस्कृति, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर विचार करते हुए कार्य करने का निर्णय लिया है। बीते दिनों नागपुर में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन में कुल चार महत्वपूर्ण शीर्षकों से प्रस्ताव पास हुए। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति के शीघ्र क्रियान्वयन, आत्मनिर्भरता से समृद्धि की ओर अग्रसर भारत, विशिष्ट संस्कृति और 'जीवन पद्धति के द्वारा कोरोना महामारी से विजय पाता भारत' शीर्षकों के जरिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने भावी योजनाओं को सामने रखा है। नागपुर अधिवेशन में पास हुए प्रस्तावों को लेकर यहां प्रवासी भवन में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में एबीवीपी की राष्ट्रीय संगठन महामंत्री निधि त्रिपाठी ने जानकारी दी।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा कि संगठन का नागपुर में आयोजित 66 वां राष्ट्रीय अधिवेशन विभिन्न कारणों से अभूतपूर्व रहा है। 2907 स्थानों पर एक लाख से अधिक गांव, कस्बों और महानगरों के शिक्षकों, विद्यार्थियों ने प्रत्यक्ष और वर्चुअल अधिवेशन में सहभागिता की।
राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा, "नागपुर अधिवेशन में पारित चार प्रस्तावों को छात्रों और शिक्षक समुदाय से व्यापक संवाद के बाद अंतिम रूप दिया गया है, ये प्रस्ताव 21वीं सदी के तीसरे दशक की युवा पीढ़ी की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है जिनके माध्यम से विविध क्षेत्रों में सुधार की व्यापक संभावनाओं पर कार्य करते हुए देश को बेहतर करने का संकल्प दिखाई पड़ता है। हम इन प्रस्तावों के माध्यम से उठाए गए मुद्दों पर गंभीरता से कार्य करेंगे।"
इस दौरान राष्ट्रीय मंत्री राहुल चौधरी, दिल्ली के प्रदेश मंत्री सिद्धार्थ यादव और प्रदेश मीडिया प्रमुख आशुतोष सिंह उपस्थित रहे। (आईएएनएस)
मुम्बई, 31 दिसम्बर | 'स्वच्छ भारत अभियान' के महाराष्ट्र संयोजक, राष्ट्रीय सदस्य एवं 'सोशल रिफॉर्मिग ऑफ माइनॉरिटीज' के नेता डॉ. अब्दुल रहमान वनु ने देशवासियों से अपील की है वे प्रधानमंत्री मोदी के समर्थन में 'हमारा देश, हमारी जिम्मेदारी' का संकल्प लें। वनु ने कहा कि बीते कुछ सालों में देश ने जितनी भी प्रगति की है उल्लेखनीय है कि तथा वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयासों का नतीजा है और इसी कारण सभी देशवासियों को इस काम में प्रधानमंत्री की मदद करनी चाहिए।
डॉ वनु ने कहा कि नया साल सभी के जीवन में नवचेतना, सुख, समृद्धि और खुशहाली लाए, क्योंकि 2020 कमोबेश पूरी ही तरह से वैश्विक महामारी कोरोना की भेंट चढ़ गया और इस भीषण त्रासदी से अब तक उबर नहीं पाया है। इसलिए अब यही कहना श्रेयस्कर है कि बीते साल को अब क्या रोना, नए साल को बनाओ सोना।
डॉ. वनु ने लोगों से निष्ठा और परिश्रम के बलबूते पुन: अपने पांव पर खड़े होने की अपील करते हुए कहा है, " जलसंवर्धन, स्वच्छता, वायुमंडल सहित समूचे पर्यावरण का हमेशा पूरा ख्याल रखें, उसे कतई बरबाद व दूषित न होने दें, क्योंकि हम सबका संपूर्ण जीवन इन्हीं पर आधारित है। इसके अलावा पूरे समाज, प्रदेश व राष्ट्र को भ्रष्टाचार मुक्त, प्लास्टिक-पॉलिथीन मुक्त बनाएं, खुले में शौच-गंदगी कतई न करें। यह प्रण कर लें कि राष्ट्र समेत महाराष्ट्र को भी शत-प्रतिशत स्वच्छ बनाना है।"
डॉ. वनु ने खासकर विद्यार्थियों से अपील की है कि वे अपनी पढ़ाई पर अच्छी तरह ध्यान दें, क्योंकि कोरोना काल में स्कूल-कालेजों के लंबी अवधि तक बंद रहने से शिक्षा क्षेत्र का काफी नुकसान हुआ है। वनु ने कहा, "सरकार ने जरूर परीक्षाएं रद्द होने के बावजूद किसी भी विद्यार्थी र्का शैक्षणिक वर्ष बरबाद नहीं होने दिया। यह उसका विद्यार्थियों के लिए प्रोत्साहन जनक कदम है, लेकिन विद्यार्थियों का मकसद महज पास होना ही नहीं है, उन्हें संबंधित शैक्षणिक वर्ष में हुई पढ़ाई का ज्ञान भी होना अतिआवश्यक है।"
गौरतलब है कि डॉ. अब्दुल रहमान वनु लंबे अरसे से शिक्षा क्षेत्र में काम करते रहे हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 31 दिसंबर | ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने गुरुवार को इस बात का संकेत दिया कि भारत में नए साल में कोविड-19 वैक्सीन आ सकती है। डीसीजीआई ने उम्मीद जताई कि नववर्ष बहुत शुभ होगा, जिसमें हमारे हाथ में कुछ होगा। दवा नियामक वर्तमान में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों का विश्लेषण कर रहा है, जो ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका और भारत बायोटेक की वैक्सीन का निर्माण कर रहा है और जो आईसीएमआर के साथ मिलकर स्वदेशी वैक्सीन भी बना रहा है। विशेषज्ञ पैनल इस पर एक जनवरी को बैठक बुलाएगा।
बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, भारत बायोटेक और फाइजर ने डीसीजीआई के समक्ष आवेदन दिया है कि उनकी वैक्सीन (टीके) को आपात स्थिति में उपयोग की अनुमति प्रदान की जाए। ये कंपनियां अनुमति मिलने की प्रतीक्षा कर रही हैं।
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया वी.जी. सोमानी ने गुरुवार को इस बात का संकेत दिया कि भारत में नए साल में कोविड-19 का टीका आ सकता है। सोमानी ने कहा, "सबसे महत्वपूर्ण है कि उद्योग और अनुसंधान संगठन समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। यह बहुत ही शानदार अनुभव रहा है। संभवत: नववर्ष बहुत शुभ होगा, जिसमें हमारे हाथ में कुछ होगा।"
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के विशेषज्ञों की समिति ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के कोविड-19 टीके के आपात इस्तेमाल की अनुमति देने के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की गुजारिश और 'कोवैक्सीन' के आपात इस्तेमाल को अनुमति देने के भारत बायोटेक के आग्रह पर विचार करने के लिए बुधवार को बैठक की थी।
सोमानी के मुताबिक, महामारी के मद्देनजर आवेदकों को अनुमति प्रदान करने की पक्रिया तेजी से चल रही है और साथ ही पूरे डाटा की प्रतीक्षा किए बिना ही पहले और दूसरे चरण के परीक्षणों को अनुमति दी गई है।
उन्होंने कहा, "डाटा की सुरक्षा या इसके कारगर होने के संदर्भ में कोई समझौता नहीं किया गया है। सिर्फ यह बात है कि नियामक ने आंशिक डाटा को स्वीकार किया है।"
उल्लेखनीय है कि नौ दिसंबर को विषय विशेषज्ञ समिति ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक को अनुमोदन प्राप्त करने के लिए अधिक डेटा और जानकारी प्रस्तुत करने के लिए कहा था। (आईएएनएस)
आगरा (उत्तर प्रदेश), 31 दिसंबर | आगरा शहर के ताजगंज इलाके में गुरुवार को सड़क हादसे में एक आदमी की मौत हो जाने के बाद भड़की हिंसा में लोग न केवल पुलिस से भिड़ गए, बल्कि पुलिस चौकी सहित कई वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया। खबरों के मुताबिक, जिले में गुरुवार की सुबह एक ट्रैक्टर-ट्रेलर के पलट जाने से वह व्यक्ति घायल हो गया, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
पुलिस महानिरीक्षक (आगरा रेंज) सतीश गणेश ने कहा, "कुछ उपद्रवी तत्वों ने पुलिस चौकी में तोड़फोड़ की और बाहर खड़े वाहनों पर भी आग लगा दी। उन्होंने इलाके में कानून व्यवस्था को भंग करने का प्रयास किया और इस वजह से यहां वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों सहित पर्याप्त बल की तैनाती की गई।"
गणेश ने कहा कि मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
पुलिस ने कहा कि क्षेत्र में स्थिति अभी नियंत्रण में है हालांकि एहतियात के तौर पर अतिरिक्त बल की तैनाती की गई है।
आईजीपी ने आगे कहा, "जिन्होंने सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है, इलाके में मौजूद सीसीटीवी कैमरे की मदद से उनकी पहचान कर हिरासत में लिया जाएगा।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 31 दिसंबर | सरकार ने गुरुवार को ईस्टर्न रेलवे के महाप्रबंधक सुनीत शर्मा को भारतीय रेलवे के नए बोर्ड अध्यक्ष और सीईओ के रूप में नियुक्त किया। एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, "मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने शर्मा, आईआरएसएमई (1981) को रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ के रुप में नियुक्त किया। रेलवे के निवर्तमान सीईओ वी.के. यादव का कार्यकाल 31 दिसंबर, 2020 को पूरा हो रहा है।"
पिछले साल 19 सितंबर को ईस्टर्न रेलवे के महाप्रबंधक नियुक्त किए गए शर्मा के पास मजबूत तकनीकी पृष्ठभूमि है और भारतीय रेलवे के कई क्षेत्रों में उन्हें विशेषज्ञता हासिल है।
शर्मा को विभिन्न प्रशासनिक सुधारों की शुरुआत करने के लिए जाना जाता है, जिसमें राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर में नए बेंचमार्क स्थापित करने के लिए प्रक्रिया का सरलीकरण शामिल है।
वह पहले उत्तर प्रदेश के रायबरेली में आधुनिक कोच फैक्ट्री के महाप्रबंधक थे। (आईएएनएस)
पंजाब के कुछ हिस्सों से पिछले दिनों रिलायंस जियो मोबाइल के टावरों के क्षतिग्रस्त करने की तस्वीरें सामने आई थीं. अब मामले की गंभीरता को देखते हुए पंजाब के राज्यपाल ने राज्य की मुख्य सचिव और डीजीपी से रिपोर्ट मांगी है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी का लिखा-
पंजाब, 31 दिसंबर | पंजाब के अलग-अलग इलाकों से सोशल मीडिया पर जियो के मोबाइल टावरों के बिजली कनेक्शन काटने, डीजल जनरेटर हटाने और टावरों पर चढ़कर किसान आंदोलन के समर्थन में झंडे लगाने की तस्वीरें तेजी से वायरल हुईं.
टावरों को नुकसान पहुंचाने वालों का दावा है कि केंद्र सरकार बड़े उद्योग घारानों के दबाव में नए कृषि कानून लागू कर रही है. कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि राज्य में आंदोलन के दौरान रिलायंस जियो के 1,600 से अधिक टावरों को नुकसान पहुंचाया गया है.
टावर को नुकसान पहुंचाने वालों का कहना है कि वे आंदोलन के समर्थन में हैं और इस तरह नए कानूनों के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं. हालांकि किसान संगठनों से इस तरह के नुकसान पहुंचाने वाली घटनाओं का समर्थन नहीं किया है.
सुरक्षा को खतरा
पंजाब के गांवों और कस्बों में रिलायंस जियो के टावरों को नुकसान पहुंचाने से ना केवल संचार पर असर पड़ रहा है बल्कि संवेदनशील सीमावर्ती इलाकों में भी सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं. कोरोना वायरस महामारी के दौर में जब स्कूल और कॉलेज बंद हैं तो बच्चे मोबाइल और कंप्यूटर के सहारे ऑनलाइन शिक्षा हासिल कर रहे हैं, ऐसे में जानकारों का कहना है कि जिनके पास जियो के मोबाइल नंबर हैं उन्हें ऑनलाइन शिक्षा लेने में खासी परेशानी हो सकती है.
पंजाब में जियो के टावर तोड़ने या नुकसान पहुंचाने के मामले में राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर ने मुख्य सचिव विनी महाजन और डीजीपी दिनकर गुप्ता को तलब कर रिपोर्ट भी मांगी है. राज्य में जियो के नौ हजार से अधिक टावर हैं और मंगलवार तक 700 टावरों की मरम्मत की रिपोर्ट है.
राज्य में अपने टावरों को निशाना बनाने को लेकर रिलायंस जियो इंफोकॉम भी गंभीर है और उसने पंजाब के मुख्यमंत्री और डीजीपी को पत्र लिखकर अज्ञात लोगों द्वारा "जियो के टावरों में तोड़फोड़ के मामले में दखल देने की मांग की है." 27 दिसंबर को रिलायंस जियो के पंजाब सर्किल के प्रमुख तजिंदर पाल सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर ऐसी घटनाओ को रोकने और भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकने का आग्रह किया था. कंपनी ने अपने पत्र में कहा था कि टावरों में तोड़फोड़ के कारण लोगों के रोजमर्रा के काम प्रभावित हो रहे हैं, जैसे कि बिजनेस, शिक्षा आदि.
राज्य की छवि का हवाला
इस बीच एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने भी बुधवार को कैप्टन अमरिंदर सिंह को अलग से पत्र लिखकर टावरों के साथ छेड़खानी और तोड़फोड़ की घटनाओं पर हस्तक्षेप का अनुरोध किया है. एसौचैम, उद्योग और वाणिज्य जगत की अहम संस्था है. उसके अध्यक्ष विनीत अग्रवाल ने अपने पत्र में लिखा, "पंजाब की प्रगति वाली छवि को भी तोड़फोड़ के कारण नुकसान हो रहा है. राज्य में उद्योग खासकर दूरसंचार क्षेत्र को पहुंचाए जा रहे नुकसान से ना केवल राष्ट्रीय संपत्तियों नष्ट हुई हैं बल्कि पंजाब की प्रगतिशील राज्य की छवि भी धूमिल हो रही है."
इससे दो दिनों पहले ही कैप्टन अमरिंदर ने राज्य पुलिस को टावरों में तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए थे. पंजाब में जून महीने से ही तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हो रहे थे और यह बढ़ते-बढ़ते दिल्ली की सीमाओं तक आ पहुंचे. किसानों का मानना है कि इन कानूनों से कारोबारी मुकेश अंबानी और गौतम अडानी को सबसे ज्यादा लाभ होगा, जबकि केंद्र सरकार का तर्क है कि तीनों कानूनों से किसानों को दीर्घकालिक लाभ होंगे.
दिल्ली की सीमा पर किसानों को आंदोलन करते हुए एक महीना से ज्यादा हो गया है. उनकी सरकार के साथ अगले दौर की बातचीत कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी की गारंटी पर 4 जनवरी को होनी है. सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक छह दौर की वार्ता हो चुकी है. (dw.com)
नई दिल्ली, 31 दिसंबर | केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायत राज तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को एग्री इंडिया हैकाथॉन के पहले संस्करण का शुभारंभ किया। इस मौके पर कृषि मंत्री ने कहा कि इससे कृषि क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, जिससे खेती में सकारात्मक बदलाव आएगा और छोटे किसानों को इसका फायदा मिलेगा। तोमर ने कहा, "इनोवेशन व स्टार्टअप्स गांव-गांव पहुंचने से छोटे किसानों का कल्याण होगा और खेती के क्षेत्र में बड़ा सकारात्मक बदलाव आएगा।"
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत आने वाले पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र के विकास के लिए अनुसंधान और नवाचार को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई विषयों पर ध्यान आकर्षित करते हुए एग्री इंडिया हैकाथॉन के आयोजन का सुझाव दिया था।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि के क्षेत्र में डिजिटल प्रौद्योगिकियों के उपयोग की आवश्यकता पर बल देते हैं और उनका मानना है कि एग्री हैकाथॉन के माध्यम से कृषि क्षेत्र की समस्याओं का हल हो सकता है।
कृषि मंत्री तोमर ने कहा, "एग्री इंडिया हैकाथॉन के माध्यम से, हमारे युवा रचनात्मक स्टाटअप्स व स्मार्ट इनोवेटर्स के साथ कृषि क्षेत्र की बड़ी समस्याओं से निपटने में योगदान देंगे। यह प्रथम आयोजन कृषि के मौजूदा ढांचे के उत्थान और किसानों की आय बढ़ाने तथा समग्र रूप से उनके कल्याण के बड़े मिशन की दिशा में काम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर का एक अनूठा प्रयास है।"
उन्होंने आगे कहा, "हम सबको यह सुनिश्चित करना है कि कृषि का क्षेत्र और मुनाफे में कैसे आए, युवाओं का आकर्षण खेती की तरफ कैसे बढ़े, फसलों का विविधीकरण कैसे हो, फर्टिलाइजर का उपयोग धीरे-धीरे कम हो, हम जैविक खेती व सूक्ष्म सिंचाई की ओर तेजी से बढ़े, खेती में लागत कम हो, किसान महंगी फसलों की खेती की तरफ जाएं, तकनीक का पूरा समर्थन कृषि को मिले, उत्पादन-उत्पादकता बढ़ें, वैश्विक मानकों के अनुसार खेती कर सकें एवं अधिक से अधिक निर्यात करके किसानों को समृद्ध बना सकें। जीडीपी में कृषि का योगदान सुनिश्चित कर सकें।"
उन्होंने कहा कि किसानों के परिश्रम में कोई कमी नहीं है, आज जरूरत इस बात की है कि कृषि क्षेत्र में नए आयाम जुड़े और इस दृष्टि से एग्री स्टार्टअप्स का बहुत बड़ा योगदान हो सकता है।
कार्यक्रम में कृषि राज्यमंत्री परषोत्तम रूपाला ने कहा कि नवाचार से खेती-किसानी का कार्य लाभकारी बनेगा।
इस मौके पर मौजूद कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा, "टेक्नोलॉजी की दृष्टि से यह बहुत महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। इससे कृषि क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं निर्मित होंगी।"
एग्री इंडिया हैकाथॉन एक ऐसा मंच है जो छात्रों व युवा स्टार्टअप को अपने नवाचार और रचनात्मकता को अभिव्यक्त करने का मौका देगा। यह आयोजन 60 दिनों के लिए होगा, जिसमें देशभर के 3000 से अधिक नवाचार, 5000 से अधिक प्रतिभागी, 100 से अधिक विचारक, 1000 से अधिक स्टार्ट-अप और 50 अधिक स्पीकर शामिल होंगे।
इसमें विभिन्न फोकस क्षेत्रों से 24 सर्वश्रेष्ठ नवाचारों का चयन किया जाएगा जिनमें से प्रत्येक को 1,00,000 रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। (आईएएनएस)