रायपुर

प्रौढ़ शिक्षार्थियों के लिए प्रदेश की संस्कृति-रोजगार संबंधी विषयों का विशेष ध्यान रखा जाए
26-Aug-2021 6:14 PM
प्रौढ़ शिक्षार्थियों के लिए प्रदेश की संस्कृति-रोजगार संबंधी विषयों का विशेष ध्यान रखा जाए

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 26 अगस्त। प्रौढ़ शिक्षार्थियों के लिए प्रवेशिका के निर्माण में छत्तीसगढ़ की संस्कृति एवं रोजगार संबंधी विषयों का विशेष ध्यान रखा जाए। इसमें छत्तीसगढ़ की संस्कृति, कलेवा, लोक गीत और लोक कथा का समावेश होना चाहिए। शब्द ज्ञान के लिए शब्द कोष का सहारा भी लिया जा सकता है।

मड़ाई की संपादक एवं लेखिका श्रीमती सुधा वर्मा ने इस आशय के विचार राज्य शैक्षिक अनुसंधान केंद्र एवं प्रशिक्षण परिषद में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप प्रौढ़ शिक्षार्थियों के लिए प्रवेशिका निर्माण हेतु आयोजित तीन दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला के शुभारंभ अवसर पर व्यक्त किए। कार्यशाला का आयोजन 25 अगस्त से 27 अगस्त तक राज्य साक्षरता केंद्र एससीएल, राज्य शैक्षिक अनुसंधान केंद्र एवं प्रशिक्षण परिषद, राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के संयुक्त तत्वधान किया जा रहा है।

सहायक संचालक राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण एवं नोडल अधिकारी प्रशांत कुमार पांडे ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रमुख बिंदुओं पर पाठों का निर्धारण की जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण एवं शहरी एरिया को ध्यान में रखकर सामग्री निर्माण सरल और भाषा में होना चाहिए। जिसमें बातचीत जनउला एवं अन्य विधाओं का उपयोग हो। राज्य शिक्षा केन्द्र की प्रकोष्ठ प्रभारी श्रीमती प्रीति सिंह ने कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में बताया।

 जिला परियोजना अधिकारी कोरिया उमेश कुमार जायसवाल ने आईपीसीएल पद्धति से शिक्षार्थियों को सीखने की बात कही। डॉ. सुधीर श्रीवास्तव ने कहा कि गणित में रोजमर्रा का इस्तेमाल होने वाले विषय वस्तु को भी ध्यान में रखा जाए। श्रीमती ज्योति चक्रवती ने कहा कि पाठों को प्रस्तुत करने हेतु नवाचारी तरीके अपनाकर ऐसी सामग्री का निर्माण होना चाहिए, जो आने वाले 10 सालों तक कारगर साबित हो।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news