रायपुर

पुराने मेडिकल कॉलेजों में फैकेल्टी की कमी को दूर करने आग्रह, आईएमए का सुझाव
28-Aug-2021 6:03 PM
 पुराने मेडिकल कॉलेजों में फैकेल्टी की कमी को दूर करने आग्रह, आईएमए का सुझाव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 28 अगस्त। आईएमए ने नए मेडिकल कॉलेज खोलने के बजाए पुराने कॉलेजों में फैकेल्टी की कमी को दूर करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि रिक्त पदों की भर्ती नहीं होने से भी चिकित्सकों की कमी बनी हुई है।

आईएमए के प्रेसिडेंट डॉ. महेश सिन्हा, हॉस्पिटल बोर्ड के चेयरमैन डॉ. राकेश गुप्ता ने एक बयान में कहा कि प्रदेश में चिकित्सकों की कमी होने का ठीकरा आए दिन बांड को हथियार बनाकर चिकित्सा छात्रों पर फोड़ दिया जाता है। इस समय प्रदेश में एमबीबीएस की 1345 सीट है, जिसमें से 950 सीट्स सरकारी मेडिकल कॉलेज में है। जितने छात्र प्रति वर्ष एमबीबीएस करते हैं, उनमें से करीब दो सौ ही पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए जा पाते हैं ।

उन्होंने कहा कि अन्य छात्र पोस्ट ग्रेजुएशन पाने के लिए अगले कुछ वर्षों तक प्रयास और तैयारी करते रहते हैं, इसके अतिरिक्त प्रदेश के बाहर के मेडिकल कॉलेज और विदेशों से चिकित्सा की पढ़ाई करके राज्य में आने वाले छात्रों की संख्या प्रति वर्ष दो हजार से ज्यादा है। इस तरह से यदि देखा जाए तो प्रदेश में चिकित्सकों के जितने पद रिक्त हैं, उनकी संख्या की तुलना में उपलब्ध एमबीबीएस चिकित्सकों की संख्या कई गुना ज्यादा है। इसके बावजूद भी प्रशासन इन रिक्त पदों को नहीं भर पा रहा है, तो यह प्रशासन की कमी है।

आईएमए के पदाधिकारियों ने कहा कि पिछले वर्ष चिकित्सकों के तीन सौ रिक्त पदों के लिए विज्ञापन निकला था, जिसके लिए 14 सौ से अधिक चिकित्सकों ने आवेदन दिया था परंतु, उन पदों पर आज तक भर्ती नहीं की गई है, ऐसा क्यों होता है, यह प्रश्न शासन के लिए चिंतनीय विषय है। यह भी देखा गया है कि एमबीबीएस करने के बाद बांड की पूर्ति के लिए छात्रों को जो पोस्टिंग दी जानी चाहिए, उसमें भी 5-6 महीने की देरी हो जाती है।

यदि प्रशासन रिक्त पदों को उपलब्ध एमबीबीएस चिकित्सकों से भर दे तो, उन्हें चिकित्सा छात्रों को मानसिक रूप से बांड के रूप में प्रताडि़त करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी और चिकित्सा छात्र भी अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की तैयारी में लगे रहेंगे।

आईएमए पदाधिकारियों ने कहा कि यदि आप चिकित्सा छात्रों को बांड में बांधकर रखेंगे तो निश्चित तौर पर उन्हें पोस्ट ग्रेजुएशन करने में समय अधिक लगेगा । ऐसे में फैकल्टी की कमी होना निश्चित है और यदि फैकल्टी की कमी है तो प्रशासन को आधी अधूरी फेकल्टी के साथ नए मेडिकल कॉलेज खोलने की बजाए पहले पुराने मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी की कमी को दूर करना चाहिए ।

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