रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 2 सितंबर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञों ने कार्डियोवस्कुलर रोगियों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इन रोगियों के इलाज में ईसीजी काफी मददगार हो सकता है। अकेले एम्स की इमरजेंसी और ट्रामा विभाग में लगभग 25 सौ रोगी प्रतिवर्ष इन रोगों से पीडि़त होने के बाद भर्ती होते हैं। इनमें सबसे अधिक रोगी हाइपरटेंशन के और उसके बाद हार्टअटैक के रोगी शामिल होते हैं। ऐसे में ईसीजी का समय पर प्रयोग जीवनरक्षक हो सकता है। ये सभी विशेषज्ञ एम्स के ट्रेनिंग कार्यक्रम एडल्ट एंड पीडियाट्रिक ईसीजी में भाग ले रहे थे।
मुख्य अतिथि एम्स के निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने कहा कि एम्स में रोगियों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। यदि इन हृदय रोगों को प्रारंभिक चरण में पहचान कर इलाज शुरू कर दिया जाए तो रोगियों को बेहतर परिणाम दिए जा सकते हैं। इसमें ईसीजी की मदद से इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी का परीक्षण सुगमता के साथ किया जा सकता है। अत: चिकित्सकों और तकनीकी कर्मचारियों को ईसीजी का सतत् प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है।
डॉ. चंदन डे ने बताया कि वर्ष 2020 में एम्स में 2149 रोगी हाइपटेंशन के, 305 रोगी सीवीए और सात रोगी पूर्णत: हृदय ब्लाकेज वाले एडमिट किए गए। वहीं इस वर्ष 14 जून तक एम्स में 1043 रोगी हाइपरटेंशन के और 29 केस सीवीए के आ चुके हैं। रोगियों की यह संख्या चिंता का विषय बनी हुई है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की ट्रेनिंग की मदद से चिकित्सकों और तकनीकी कर्मचारियों को हृदय रोगों को प्रथम चरण में ही पहचानने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इससे हृदयरोगियों को शीघ्र चिकित्सा मिल सकेगी। प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉ. अविनाश इंग्ले, डॉ. शिवम पटेल, डॉ. प्रशांत बडोले, डॉ. सत्यजीत सिंह, डॉ. वरूण आनंद और डॉ. संतोष कुमार राठिया ने विशेषज्ञ व्याख्यान दिए। इस अवसर पर हृदय रोगों पर क्विज का आयोजन भी किया गया।