रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 9 सितंबर। हिंदी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में 15 दिवसीय हिंदी पखवाड़ा प्रारंभ हो गया है। इस अवसर पर सभी चिकित्सकों को निर्देशित किया गया है कि वे रोगियों के साथ अधिकतम संवाद हिंदी या छत्तीसगढ़ी भाषा में करें। इसके साथ ही दवाइयों के साथ निर्देश भी हिंदी में देने के लिए कहा गया है जिससे रोगियों को आसानी के साथ सभी बिंदु समझ में आ सके। राजभाषा पखवाड़े का समापन 14 सितंबर को कार्यशाला के साथ होगा।
निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने सभी विभागाध्यक्षों को निर्देशित किया है कि रोगियों के साथ अधिकतम संवाद हिंदी या छत्तीसगढ़ी में करके उनका निदान भी इन्हीं भाषाओं में करने का प्रयास किया जाए। उन्होंने कहा कि चिकित्सा में रोगी के साथ संवाद सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है। इसमें स्थानीय भाषा का प्रयोग बहुत जरूरी है। उप-निदेशक (प्रशासन) अंशुमान गुप्ता का कहना है कि एम्स प्रशासन अब सभी कार्यालय आदेशों को या तो हिंदी में या द्वीभाषी जारी कर रहा है। कार्यालय में भी हिंदी का भी अधिक से अधिक प्रयोग करने के लिए निर्देश और प्रशिक्षण दिया गया है।
राजभाषा प्रकोष्ठ के तत्वावधान में दो सितंबर से लगातार प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं। इसमें आशुभाषण, निबंध, प्रश्नोत्तरी, स्वरचित काव्य पाठ, शब्दावली, वाद-विवाद और श्रुति लेख जैसी प्रमुख प्रतियोगिताओं में चिकित्सा, नर्सिंग और अन्य पाठ्यक्रम के छात्रों के साथ चिकित्सक, अधिकारी और कर्मचारी भी भाग ले रहे हैं। सभी प्रतियोगिताओं में कड़ी प्रतिस्पर्द्धा हो रही है। निर्णायकों के रूप में डॉ. रूपा मेहता, डॉ. मुदालशा रविना और विनोद जी उपस्थित रहे। प्रतियोगिताओं का आयोजन मधुरागी श्रीवास्तव, शाहरूख खान, सैयद शादाब, उमेश पांडेय और आदित्य शुक्ला की ओर से किया जा रहा है।