रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 सितंबर। सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि दुर्ग शहर से 25 किलोमीटर दूरी पर स्थित ग्राम नंदिनी में 25 सौ एकड़ की जमीन में पहले चूना पत्थर की खदान थी। बरसों से इस खदान में खनन गतिविधियां बंद हैं। जिला प्रशासन ने बहुत व्यापक सोच के साथ इस क्षेत्र में जंगल विकसित करने की कार्ययोजना बनाई है, जो दुर्ग-भिलाई के औद्योगिक प्रदूषण से निपटने में भी मदद करेगा और प्रदेश के पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को भी बल मिलेगा।
उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में 80 हजार से अधिक पौधे लगाने का काम शुरू किया गया है, जिससे बहुस्तरीय वन का विकास होगा। यहां घास प्रजाति का पौधरोपण भी किया जाएगा ताकि पशुओं को अच्छी गुणवत्ता का चारा मिल सके। परियोजना के तहत जैव विविधता का संरक्षण भी किया जाएगा जिससे इस मानव निर्मित विशाल वन क्षेत्र में वन्यप्राणियों का बसेरा और समूचा अंचल वृहद ईको पर्यटन स्थल के रूप में आकर्षण का केन्द्र बनेगा।
सीएम श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के समग्र विकास के लिए आदिवासी अंचल में भी कई ऐसे नवाचार किए गए हैं, जिसका लाभ अब लोगों को बड़े तादाद में मिलने लगा है। उन्होंने बताया कि इनमें मलेरियामुक्त बस्तर अभियान के माध्यम से लोगों को बहुत बड़ी राहत दिलाई है। आज मलेरियामुक्त बस्तर अभियान की सफलता की चर्चा चारों तरफ हो रही है। निश्चित तौर पर बस्तर को मलेरिया से बचाने की सोच और उस पर जिस तरह से अमल किया गया, उसे एक नवाचार ही माना जाएगा।
सरकार बनने के बाद बस्तर संभाग के सातों जिलों में जब हमने सर्वेक्षण कराया तो पता चला कि मलेरिया प्रभावितों के बारे में बताने वाला वार्षिक परजीवी सूचकांक, जिसे एपीआई कहा जाता है, वह 10 से अधिक था, जो बेहद खतरनाक स्तर माना जाता है। अभियान के तहत हमारे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर सर्वे किया और एक-एक व्यक्ति की जांच की गई। नि:शुल्क दवाएं दी गईं। घरों में मच्छररोधी दवाइयों का छिडक़ाव किया गया। मेडिकेटेड मच्छरदानियां बांटी गईं। इन प्रयासों के कारण एपीआई की दर लगातार कम हुई।
उन्होंने कहा कि बीते एक साल में पॉजिटीविटी दर 4.6 प्रतिशत से घटकर 0.86 प्रतिशत पर आ गई। पूरे बस्तर संभाग में मलेरिया की प्रभाव दर 45 प्रतिशत कम हो गई है। जिस तरह से युद्धस्तर पर काम हुआ उसकी सराहना नीति आयोग और यूएनडीपी ने की है तथा इसे देश के अन्य आकांक्षी जिलों के लिए भी अनुकरणीय बताया है। इस तरह से मलेरिया और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान से सुपोषण को लेकर किए जा रहे प्रयासों को भी बल मिला। मलेरियामुक्ति का अभियान महिलाओं और बच्चों के लिए वरदान साबित हुआ है। इसका लाभ सुरक्षा बलों तथा सभी निवासियों को मिला है।
उन्होंने कहा कि डेनेक्स ब्रांड की कपड़ा फैक्ट्री के बारे में तो सुना ही होगा। 31 जनवरी 2021 को इसका उद्घाटन हुआ था और आज इसमें 300 परिवारों को रोजगार मिल रहा है। इसी तरह के 3 और केन्द्र स्थापित किए जा रहे हैं, जिसमें करीब 12 सौ लोगों को रोजगार मिलेगा। डेनेक्स ब्रांड को अब एफपीओ सेक्टर में भी उतारा गया है, जिसके अंतर्गत दंतेवाड़ा जिले में खाद्य सामग्री तथा हस्तकला की सामग्री भी बेची जा रही है। किंग कडक़नाथ, छिंदगुड़, मौरिंगा पाउडर, कोदो-कुटकी, इमली, चार बीज आदि को बड़ा बाजार मिलने लगा है।
सीएम बघेल ने कहा कि दंतेवाड़ा जिले में लघु वन उपज, खाद्य, उद्यानिकी और खनिज उत्पादों के प्रसंस्करण के लिए 500 एकड़ भूमि का चिन्हांकन कर लघु उद्योगों की स्थापना की जा रही है, जिसमें 5 हजार परिवारों को रोजगार मिलेगा। इसके अलावा ग्राम स्वरोजगार केन्द्र, नव चेतना बेकरी, वनोपज संग्रहण, मनरेगा, गोधन न्याय योजना, बिहान योजना, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, वन अधिकार अधिमान्यता पत्र प्रदाय, कृषि विकास, दंतेश्वरी माई मितान पेंशन योजना आदि के माध्यम से पूना माड़ाकाल दंतेवाड़ा को व्यापक सफलता मिल रही है, जिसका लाभ जीवन स्तर उन्नयन, बेहतर स्वास्थ्य तथा बेहतर आजीविका के रूप में मिल रहा है।