रायपुर
![चिकित्सा के साथ जीवनशैली में बदलाव से दूर किया जा सकता है बैक पैन चिकित्सा के साथ जीवनशैली में बदलाव से दूर किया जा सकता है बैक पैन](https://dailychhattisgarh.com/2020/chhattisgarh_article/1633523800-01.gif)
कंप्यूटर और कुर्सी पर लगातार बैठे रहने से बढ़ रहे हैं मरीज
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 6 अक्टूबर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, रायपुर के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने बैक पैन विशेषकर पीठ के निचले हिस्से में दर्द के बढ़ते रोगियों को चिकित्सा के साथ जीवनशैली में बदलाव की सलाह दी है। उनका कहना है कि लगातार कंप्यूटर, लैपटाप या कुर्सी पर बैठे रहने से इस प्रकार की दिक्कतें बढ़ रही हैं जिसका चिकित्सकीय निगरानी में इलाज संभव है। यदि समय पर इसे दूर नहीं किया जाता है तो यह कई व्यावहारिक और मानसिक चुनौतियां पैदा कर सकता है।
चिकित्सक समुदाय की ओर से आम लोगों में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से एम्स के एनेस्थिसिया विभाग की ओर से एक दिवसीय राष्ट्रीय सीएमई का आयोजन किया गया। इसमें देशभर के प्रमुख विशेषज्ञों ने लोअर बैक पैन (पीठ के निचले हिस्से में दर्द) के बढ़ते रोगियों पर चिंता व्यक्त की। विशेषज्ञों का कहना था कि यदि जीवनशैली में परिवर्तन को योग और निरंतर एक्सरसाइज से संतुलित नहीं किया जाएगा तो आने वाले समय में बैक पैन रोगियों की चुनौतियां और अधिक बढ़ जाएंगी।
निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर का कहना था कि इसके लिए चिकित्सकों को दर्द के प्रबंधन पर बेहतर ध्यान देना होगा। एम्स रायपुर में पैन क्लीनिक इसी दिशा में उठाया गया कदम है जो सभी प्रकार के रोगियों को संपूर्ण चिकित्सा जिसमें एलोपैथी से लेकर आयुष की मदद तक शामिल है, प्रदान की जा रही है। उन्होंने रोगियों को अपने दर्द को पहचान कर इसका इलाज समय पर शुरू करने के लिए कहा।
आयोजन सचिव डॉ. समरजीत डे ने कहा कि क्रोनिक पैन के विभिन्न कारणों को समझ कर इसका पूर्ण समाधान करने की आवश्यकता होती है। ज्यादातर आम लोग इस दर्द को जीवन का एक भाग समझ कर स्वीकार कर लेते हैं जिससे उन्हें सदैव तनाव की स्थिति रहती है। किसी भी प्रकार के क्रोनिक पैन को दवाइयों और व्यायाम की मदद से ठीक किया जा सकता है।