बस्तर

इंद्रावती बचाओ मंच की मेहनत रंग लाई
12-Oct-2021 4:52 PM
इंद्रावती बचाओ मंच की मेहनत रंग लाई

इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण गठित, सीएम अध्यक्ष

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 12 अक्टूबर।
इंद्रावती बचाओ मंच की मेहनत रंग लाई है। नदी में तेजी से घटते जल स्तर को लेकर राज्य शासन ने भी इसे गंभीरता से लेते हुए इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण का गठन किया है।
बस्तर की प्राणदायिनी नदी इंद्रावती को बचाने के लिए तरह तरह के जतन किए जा रहे हैं। दो साल पहले शहर के बुद्धिजीवियों की ओर से गठित इंद्रावती बचाओ मंच की मेहनत रंग लाई है। नदी में तेजी से घटते जल स्तर को लेकर राज्य शासन ने भी इसे गंभीरता से लेते हुए इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण का गठन किया है। इस प्राधिकरण के अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल है। साथ ही इस प्राधिकरण की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।

इंद्रावती प्राधिकरण का गठन होने से इंद्रावती बचाओ मंच के सदस्यों के साथ ही बस्तरवासियों में भी काफी खुशी है और मुख्यमंत्री के इस फैसले का स्वागत किया है। मंच के सदस्यों ने कहा कि उम्मीद है कि अब बस्तर की जीवनदायिनी नदी को बचाने ठोस कदम उठाए जाएंगे। साथ ही 12 महीने अब इंद्रावती नदी में जल का स्तर बने रहने की संभावना है।

दरअसल, साल 2019 में शहर के बुद्धिजीवियों की ओर से इंद्रावती नदी को बचाने के लिए आंदोलन की शुरुआत की गई थी और इस आंदोलन का नाम इंद्रावती बचाओ मंच रखा गया था। इस मंच में 91 वर्ष के पद्मश्री धर्मपाल सैनी के साथ शहर के कई गणमान्य नागरिक और पर्यावरण प्रेमी शामिल हंै। मंच के द्वारा तेजी से इंद्रावती नदी में घट रहे जलस्तर को देखते हुए सरकार का ध्यान आकर्षित करने लगातार पदयात्रा कर और जनप्रतिनिधियों से मुलाकात कर जल्द से जल्द अपनी अस्तित्व खोती इंद्रावती को बचाने के लिए प्रयास करने की मांग की गई थी। इसके बाद आखिरकार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इंद्रावती विकास प्राधिकरण  के गठन की घोषणा की और हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजपत्र जारी कर इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है।

राज्य शासन की ओर से जारी अधिसूचना पत्र में इंद्रावती नदी जल ग्रहण क्षेत्र के विकास का उपाय करना है। जिससे इंद्रावती नदी में 12 माह पानी रहे, इसमें नरवा कार्यक्रम के अंतर्गत वैज्ञानिक आधार पर भी कई आवश्यक संरचनाओं के निर्माण के लिए प्रस्ताव और उपाय भी शामिल किए गए हैं। इसके अलावा इंद्रावती नदी के जल क्षेत्र में बन रहे सभी सिंचाई परियोजना का पूरी क्षमता से सिंचाई के लिए संधारण के प्रस्ताव और सुझाव को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा इंद्रावती के जल क्षेत्र में निर्माणाधीन सभी योजनाओं को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए भी आदेश जारी की गई है। साथ ही इंद्रावती नदी को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए भी आवश्यक उपाय भी किये जाने की बात लिखी गयी है।

 मंच के सदस्य किशोर पारख ने बताया कि इस इंद्रावती विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं और ये काफी हर्ष का विषय है। मुख्यमंत्री के अध्यक्षता में जल्द से जल्द इस नदी को बचाने के लिए ठोस कदम उठाए जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि ओडिशा और छत्तीसगढ़ की सीमा जोरा नाला में इंद्रावती नदी में बने स्ट्रक्चर से भी बस्तर को कोई फायदा मिलता नहीं दिख रहा है और ऐसे में प्राधिकरण गठन होने के बाद इन विषयों पर ही मुख्य रूप से चर्चा कर समाधान निकाला जाना है।

किशोर पारख ने कहा कि ओडिशा और छत्तीसगढ़ में जल बंटवारे को लेकर हुई संधि के बावजूद भी ओडिशा सरकार बस्तर वासियों के साथ छल कर रही है। ऐसे में अगर जल्द से जल्द इस पर राज्य सरकार की ओर से ठोस कदम नहीं उठाया जाता है तो इंद्रावती नदी में जल संकट का खतरा तेजी से मंडराने लगेगा।
 

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