बस्तर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 12 अप्रैल। आगामी 17 अप्रैल को रामनवमी तथा 10 मई को अक्षय तृतीय पर्व है।
हिंदू मान्यता के अनुसार इन अवसर पर कोई भी कार्य को करने के लिए शुभ माना जाता है। जिसके लिए किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती है, जिस कारण इस पर्व के दिन बाल विवाह की संभावना को देखते हुए शासन द्वारा जारी दिशा निर्देशानुसार बाल विवाह की रोकथाम हेतु जिला बाल संरक्षण के की टीम सक्रिय है।
बाल विवाह एक सामाजिक बुराई ही नहीं कानूनन अपराध भी है, जिसके लिए 18 वर्ष के पूर्व लडक़ी तथा 21 वर्ष से पूर्व लडक़े का विवाह करना बाल विवाह की श्रेणी में आता है, जिसके लिए कानून में कठोर दंड का प्रावधान किया गया है। जिसके अंतर्गत बाल विवाह करने वाले वर-वधु के माता-पिता, विवाह में शामिल होने वाले सगे संबंधियों, बाराती, समाज, यहां तक कि विवाह कराने वाले पुरोहित पर भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
बाल विवाह के कारण बच्चों में कुपोषण शिशु मृत्यु दर के साथ-साथ बाल विवाह होने से बालिकाओं में एनीमिया तथा घरेलू हिंसा में भी वृद्धि होती है, बाल विवाह बालकों के सर्वोत्तम हित में नहीं है, इसकी पूर्ण रोकथाम किया जाना है, जिले में बाल विवाह की रोकथाम हेतु जिला प्रशासन द्वारा संबंधित विभागों एवं सर्व समाज के प्रमुखों मैरिज हॉल तथा प्रिंटिंग प्रेस के संचालकों सभी पंचायत के सरपंच सचिव आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से बाल विवाह की रोकथाम हेतु प्रभावी कार्रवाई किये जाने हेतु निर्देश जारी किए गए हैं।
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सभी नागरिकों से अपील की गई है कि जिले में बाल विवाह कराए जाने की सूचना प्राप्त होने पर तत्काल उसकी सूचना जिला बाल संरक्षण इकाई, परियोजना अधिकारी, चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098, महिला एवं बाल विकास विभाग तथा थाना/चौकी प्रभारी, आपातकालीन नंबर 112 पर सूचना देकर बाल विवाह की रोकथाम में अपना सहयोग प्रदान करें।