रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 अक्टूबर। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और मस्तिष्क को मजबूत बनाने के उद्देश्य से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के आयुर्वेद विभाग की ओर से आयोजित स्वर्ण प्राशन कार्यक्रम में शुक्रवार को बड़ी संख्या में परिजन अपने बच्चों को लेकर पहुंचे। कोविड की परिस्थितियों में बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर परिजन काफी सजग दिखाई दिए। विभाग ने 500 से अधिक बच्चों के स्वर्ण प्राशन की व्यवस्था की।
प्रात: ही 1 माह से 16 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के लिए स्वर्ण प्राशन में परिजनों आने शुरू हो गए थे। आयुर्वेद विभाग के चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुनील कुमार राय ने बताया कि आयुर्वेद में स्वर्ण प्राशन का बढ़ते बच्चों के लिए विशेष महत्व है। यह शुद्ध स्वर्ण के साथ आयुर्वेदिक औषधियों का मिश्रण होता है। इसका सेवन केवल पुष्य नक्षत्र के दिन मुहूर्त के अनुसार किया जाता हैढ्ढ जिससे मस्तिष्क की तंत्रिकाएं मजबूत होती हैं, स्मरण शक्ति और रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। साथ ही यह मौसमी बीमारियों से भी सुरक्षित रखता है। इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए आयुर्वेद विभाग ने कार्यक्रम आयोजित किया।
हालांकि प्रथम आवत, प्रथम पावत के आधार पर प्रथम 500 बच्चों को ही स्वर्ण प्राशन में भाग लेना था मगर अभिभावकों की बड़ी संख्या को देखते हुए अतिरिक्त बच्चों को भी स्वर्ण प्राशन की व्यवस्था अंतिम समय पर कर दी गई। इस अवसर पर डीन प्रो. एस.पी. धनेरिया ने कहा कि स्वर्ण प्राशन में स्वर्ण के नैनो पार्टिकल होते हैं जो आर्थराइटिस सहित कई बीमारियों में काफी उपयोगी होते हैं। अत: आयुर्वेद की इन विधा का प्रयोग भी योग निवारण में किया जाना चाहिए।