रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 अक्टूबर। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के अवसर पर राजभाषा आयोग और गोंडवाना स्वदेश पत्रिका के संयुक्त तत्वावधान में ‘मूल निवासियों की भाषा एवं संस्कृति के विविध आयाम, आदिवासी समाज की दशा एवं दिशा’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ। संगोष्ठी राजधानी रायपुर स्थित शहीद स्मारक भवन में 28 अक्टूबर से आयोजित थी।
इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ मंत्री अमरजीत भगत ने किया। दूसरे दिन उद्योग और आबकारी मंत्री कवासी लखमा भी संगोष्ठी में शामिल हुए। श्री लखमा ने कहा कि ऐसे विचारपरक आयोजन हमेशा होते रहेंगे। उन्होंने गोंडवाना स्वदेश के संपादक रमेश ठाकुर को पत्रिका के निरंतन प्रकाशन के लिए बधाई और शुभकामनाएं दी।
कार्यक्रम आयोजन के लिए छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग को धन्यवाद दिया। आदिवासी समाज की दशा और दिशा पर आधारित संगोष्ठी में देश के अलग-अलग राज्यों से आये बुद्धिजीवियों, विचारकों, समाजसेवियों, शोधकर्ताओं ने अपने विचार एवं शोधपत्र प्रस्तुत किए। संस्कृति मंत्री श्री भगत ने राष्ट्रीय संगोष्ठी में आए अतिथियों का आत्मीय स्वागत किया। संगोष्ठी में मंत्री श्री भगत के निरंतर जुड़ाव ने अतिथियों का दिल जीत लिया।
राष्ट्रीय संगोष्ठी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. वर्जिनियस खाखा, अध्यक्ष खाखा कमेटी न्यू दिल्ली और बिपिन जोजो, टाटा इन्स्टीट्यूट मुंबई थे। उल्लेखनीय है कि वर्जिनियस खाखा ने आदिवासियों की दशा और दिशा पर 431 पेज की रिपोर्ट तैयार की है, जिसे खाखा कमेटी रिपोर्ट कहा जाता है। ये कमेटी आदिवासियों के समस्याओं के निराकरण हेतु तैयार किया गया है। संगोष्ठी में वर्जिनियस खाखा ने कहा कि आदिवासियों की वर्तमान स्थिति को जानना है, तो उनके इतिहास को समझना होगा। उन्होंने कहा कि आदिवासी एक निर्माता है, वह शिकार भी करता है पर प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों का अतिदोहन नहीं करता।