रायपुर
![पुरुषों में इनफर्टिलिटी की बढ़ती चुनौती, योग संयमित दिनचर्या-आहार से मिल सकती है राहत पुरुषों में इनफर्टिलिटी की बढ़ती चुनौती, योग संयमित दिनचर्या-आहार से मिल सकती है राहत](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1635773805-01.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 1 नवम्बर। पुरुषों में बढ़ती इनफर्टिलिटी की समस्या को चिकित्सकों ने चुनौतीपूर्ण बताते हुए सलाह दी है कि नियमित योग, संतुलित आहार और दिनचर्या और अनपैक्ड फूड का अधिक से अधिक सेवन इस चुनौती का मुकाबला करने में मदद कर सकता है। इसके साथ ही चिकित्सकों ने पुरुषों की इनफर्टिलिटी पर अधिक से अधिक शोध और अनुसंधान करने पर जोर देते हुए कहा है कि इससे आने वाली पीढिय़ों को इस चुनौती से बचाया जा सकता है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान विभाग के एनोटॉमी विभाग के तत्वावधान में आयोजित ‘जेनेटिक्स एंड इनफर्टिलिटी’ विषय पर नेशनल सीएमई का उद्घाटन करते हुए निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने बताया कि एम्स में इस प्रकार की समस्या को लेकर बड़ी संख्या में रोगी पहुंच रहे हैं। उन्होंने एम्स में मेल इनफर्टिलिटी के उपचार से संबंधित सुविधाओं का उल्लेख करते हुए चिकित्सकों से इस दिशा में और अधिक अनुसंधान करने का अनुरोध किया जिससे भविष्य में आने वाली चुनौतियों का मुकाबला किया जा सके।
मुख्य अतिथि एम्स दिल्ली की एनोटॉमी विभाग की प्रो.(डॉ.) रीमा दादा ने अपनी प्रस्तुति में पुरुषों के जीन में होने वाले बदलावों से प्रजनन तंत्र पर पडऩे वाले असर और शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता में कमी के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि 50 प्रतिशत मेल इनफर्टिलिटी का कारण जेनेटिक होता है। उनका कहना था कि यदि जीन में हो रहे परिवर्तनों पर विस्तार से शोध किया जाए तो भविष्य में इस समस्या को दूर किया जा सकता है। उन्होंने मेल इनफर्टिलिटी की चुनौती का मुकाबला करने के लिए संयमित दिनचर्या और आहार पर जोर दिया।
एमजीएम मेडिकल कालेज मुंबई की एनाटॉमी विभागाध्यक्ष डॉ. अंजलि सबनीस ने क्रोमोसोम आधारित केरियोटाइपिंग वेयर इट स्टैंडस टुडे विषय पर प्रस्तुति देते हुए मेल इनफर्टिलिटी के उपचार को भविष्य की चुनौती बताया।एम्स के एनोटॉमी विभागाध्यक्ष डॉ. के. विजय कुन्नौरी का कहना था कि बायोलॉजीकल मैथ्ड्स से इस चुनौती का आसानी से मुकाबला किया जा सकता है। आयोजन सचिव डॉ. मनीषा बी. सिन्हा ने मेल इनफर्टिलिटी के जेनेटिक कारणों के बारे में जानकारी दी। सीएमई में डीन प्रो. एस.पी. धनेरिया, प्रो. सरिता अग्रवाल, डॉ. मृत्युजंय राठौड़, डॉ. सौमित्र त्रिवेदी, डॉ. ए.यू. सिद्दकी, डॉ. अमित त्रिपुड़े, डॉ. धर्म राठिया, राहुल उइके सहित चिकित्सकों ने भाग लिया।